राह रोष—आप इसका सामना कैसे कर सकते हैं?
ब्रिटॆन में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
विश्व पत्रकार रिपोर्टों में आपा खोने और उसके फलस्वरूप हिंसा पर उतरने की घटनाएँ अधिकाधिक प्रमुख हो रही हैं। ट्रॉली रोष (जिसमें ट्रॉलियाँ, या खाद्य-सामग्री गाड़ी प्रयोग करनेवाले ग्राहक सुपरबाज़ार में एक दूसरे पर अपना ग़ुस्सा उतारते हैं) और फ़ोन रोष (टॆक्नॉलजी द्वारा प्रेरित, जो आपका फ़ोन पानेवाले व्यक्ति को सुविधा देती है कि आपको बीच में रोककर दूसरे किसी की फ़ोनकॉल रिसीव करे) के साथ-साथ, राह रोष ने ब्रिटॆन में लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
राह रोष इतना व्याप्त है कि १९९६ में मोटर-चालन आदतों पर एक रिपोर्ट ने दावा किया कि ब्रिटॆन में इसने “महामारी का रूप ले लिया है, और लगभग पचास प्रतिशत चालकों ने पिछले साल के दौरान किसी क़िस्म का हमला या दुर्व्यवहार सहा है”! ऑटोमोबाइल एसोसिएशन के एक सर्वेक्षण ने और भी बढ़कर रिपोर्ट किया कि “दस में से नौ मोटर-चालक राह रोष का शिकार होने का दावा करते हैं।” दिलचस्पी की बात है, उसी सर्वेक्षण ने कहा कि “दस [मोटर-चालकों] में से केवल छः स्वीकार करते हैं कि गाड़ी चलाते समय उन्होंने आपा खोया।”
कौन-सी बात राह रोष भड़काती है? यदि आप इसके शिकार हैं, तो अपने को सुरक्षित रखने के लिए आप क्या कर सकते हैं? यदि किसी दूसरे का गाड़ी चलाने का तरीक़ा आपको क्रोधित करता है, तो आपको क्या करना चाहिए? सचमुच, जैसे-जैसे राह रोष दुनिया भर में फैलता जाता है, आप इसका सामना कैसे कर सकते हैं?
कारण और प्रभाव
क्रोधित चालक नये नहीं। शुरू-शुरू का एक अपराधी था अंग्रेज़ कवि लॉर्ड बाइरन। वर्ष १८१७ में उसने एक पत्र लिखा जिसमें उसने राह पर हुए अपने एक झगड़े का ज़िक्र किया। कहा जाता है कि राह पर चलनेवाले दूसरे व्यक्ति ने बाइरन के घोड़े से “गुस्ताख़ी” की। फलस्वरूप, कवि ने उस व्यक्ति के कान पर घूँसे जमा दिये।
अधिकांश देशों में, जैसे-जैसे यातायात की भीड़ बढ़ रही है, चालकों की कुंठा भी बढ़ रही है। दशक १९८० में अमरीकी अख़बारों ने कहा कि “राह रोष” ही हिंसक चालन घटनाओं का कारण है। हालाँकि आपा खोना अपने आपमें अपराध नहीं, फिर भी राह रोष उचित ही दिखाता है कि मोटर-चालकों द्वारा किये गये अनेक हिंसक कार्यों के पीछे भावनाएँ हैं, वे दूसरे चालक के चलाने के ढंग से भड़क उठते हैं।
पहले-मैं मनोवृत्ति आज हमारी सड़कों पर व्याप्त है। चालन आदतों पर शोध करनेवाले निष्कर्ष निकालते हैं कि “हिंसा या आक्रामकता को बढ़ानेवाले लगभग हमेशा ही अपने आपको किसी दूसरे के समाजविरोधी व्यवहार का निर्दोष शिकार मानते हैं,” लंदन का द टाइम्स कहता है। चालक अपनी गाड़ी को चाहे कितने भी जंगलीपन से क्यों न चलाए, वह अपने को सही समझता है। लेकिन दूसरा चालक राह शिष्टाचार को थोड़ा भी भंग करे तो राह रोष भड़क उठता है।
नशीले पदार्थों का बढ़ता दुरुपयोग युवाओं में बहुत फैला हुआ है, और यह भी राह रोष में योग देता है। एक अस्पताल परामर्शदाता के अनुसार, कोकीन का दुरुपयोग करना “पीकर गाड़ी चलाने के बराबर” है। नशीले पदार्थ लेनेवाले चालक प्रायः अपनी क्षमताओं पर ज़्यादा ही भरोसा करते हैं। फलस्वरूप, कुछ नशेड़ी ख़तरनाक गति से अपनी गाड़ी चलाते हैं। दूसरे गाड़ी टेढ़ी-मेढ़ी चलाते हैं, क्योंकि उनकी परख मंद पड़ गयी होती है।
तनाव का चालक पर जो प्रभाव होता है उस पर भी विचार कीजिए। मैनचॆस्टर यूनिवर्सिटी का प्रोफ़ॆसर कैरी कूपर मानता है कि १९९० के दशक में दैनिक जीवन के तनाव और अनिश्चितताएँ ही अधिकतर राह रोष का कारण हैं। “चालक अधिक तनाव में रहने लगे हैं और हिंसक हमलों की संख्या बढ़ रही है,” रॉयल ऑटोमोबाइल क्लब का एक प्रवक्ता कहता है। एक व्यस्त जन संपर्क अधिकारी जो आजकल काम पर आने-जाने में कई घंटे बिताती है, यह स्वीकार करती है कि वह अब उतनी सहनशील नहीं रही जितनी पहले हुआ करती थी। “अब मैं जल्दी से झल्ला जाती हूँ और ऐसी छोटी-मोटी बातों को लेकर चिड़चिड़ा जाती हूँ जिन पर पहले मैं कभी ध्यान भी नहीं देती थी,” द सन्डे टाइम्स उसे ऐसा कहते हुए रिपोर्ट करता है। शायद आप भी ऐसा ही महसूस करते हों। यदि हाँ, तो आप क्या कर सकते हैं?
राह रोष भड़काने से दूर रहिए
इस बात को समझिए कि दूसरे चालक सिद्ध नहीं। कभी-कभार वे नियम तोड़ेंगे। इस बात का ध्यान रखकर गाड़ी चलाइए। पहले से सोचिए। उदाहरण के लिए, आप शायद एक बहुपथ मुख्यमार्ग के किनारेवाले पथ या धीमी-गति पथ पर गाड़ी चलाएँ। लेकिन फिर आप एक संगम-बिंदु पर पहुँचते हैं जहाँ कोई छोटा रास्ता मुख्यमार्ग से मिल जाता है कि वहाँ का यातायात मुख्यमार्ग पर आ सके। सामने आप देख सकते हैं कि एक गाड़ी छोटे रास्ते से मुख्यमार्ग पर आ रही है। क्या आप तर्क करते हैं कि आप वहाँ पहले से थे, कि आपको अपने पथ में गाड़ी चलाने का अधिकार है? आप छोटे रास्ते से आनेवाली गाड़ियों को जगह क्यों दें? यदि जगह है तो भी आप दूसरे पथ पर क्यों जाएँ ताकि उस चालक को मुख्यमार्ग पर आने का मौक़ा मिले? लेकिन सोचिए, यदि आप अपने पथ पर रहने और अपनी गति बनाए रखने की ज़िद्द पर अड़े रहें तो क्या होगा? शायद मुख्यमार्ग पर आनेवाला चालक भी वैसा ही सोचे। यह तो अवश्य है कि किसी को रास्ता देना पड़ेगा; नहीं तो दुर्घटना हो जाएगी।
जो चालक राह रोष भड़काने से दूर रहना चाहता है वह सामने देखकर और विचारशीलता से गाड़ी चलाकर बुद्धिमानी करता है। दे सके तो वह जगह देता है, और क्रोधित नहीं होता जब दूसरा चालक उसके प्रति दिखायी गयी शिष्टता के लिए आभार नहीं जताता। ब्रिटॆन के इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड मोटरिस्ट्स का एक प्रतिनिधि अनुमान लगाता है कि प्रति ३ चालकों में से १ को ख़तरनाक मनोवृत्ति समस्या है। जबकि ये चालक अपनी गाड़ियों को कुशलतापूर्वक चला सकते हैं, उनमें शिष्टता की कमी है। वह उन्हें “कुशल परंतु अशिष्ट चालक” कहता है।
अधिकांश चालक कभी-कभार सड़क पर दूसरों को अनदेखा कर देते हैं। लेकिन यह आपका भी ऐसा करना उचित नहीं ठहराता। संभव परिणामों पर विचार कीजिए। निश्चित ही आप अपनी ज़िद्द के कारण दुर्घटना नहीं चाहेंगे। अपनी भावनाओं को हावी मत होने दीजिए। एक चालन विशेषज्ञ सलाह देता है: “आपको सड़क पर कभी-भी आक्रामकता के प्रति जैसे-को-तैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए।” राह रोष दिखानेवालों में शामिल होने से इनकार कर दीजिए!
क्या आप इसका शिकार हैं?
लगभग हर चालक कभी-न-कभी राह रोष का शिकार हुआ है। मुक्का दिखाना, गालियाँ बकना, आक्रामक ढंग से गाड़ी चलाना, ये सभी बातें भयभीत कर सकती हैं और करती भी हैं। निश्चित ही सबसे अच्छी सुरक्षा है मुठभेड़ से बचना। इसके शिकार एक व्यक्ति ने ख़तरा महसूस किया जब एक संगी चालक उससे आगे निकलना चाहता था। अंततः, वह क्रोधित चालक उससे आगे निकल गया, बीच में घुस गया, और गति इतनी धीमी कर ली कि इस व्यक्ति को डर था कि कहीं उनकी गाड़ियों में टक्कर न हो जाए। ऐसा कुछ दूरी तक चलता रहा और केवल तब जाकर रुका जब राह रोष का शिकार यह व्यक्ति दूसरे मार्ग पर मुड़ गया।
यदि आप देखते हैं कि दूसरे चालक आपसे आगे निकलना चाहते हैं, तो उन्हें जितना हो सके रास्ता दीजिए। इस बात पर अड़े रहने से बचिए कि आपको सड़क पर अपनी ही जगह में रहने का अधिकार है। यदि आपने जानबूझकर दूसरों को खीज दिलायी है, तो क्षमा माँगिए। अनजाने में भी किसी को नाराज़ कर दिया हो, तो इशारा करके क्षमा माँग लीजिए। याद रखिए कि कोमल वचन रोष को ठंडा कर सकते हैं।
लेकिन यदि किसी कारण आप राह-रोष हमले के शिकार हैं, तो बदला मत लीजिए। “जैसे-को-तैसा मत दीजिए,” फ़ोकस पत्रिका सलाह देती है। “अपनी गाड़ी में ऐसी वस्तुएँ लेकर मत चलिए जो ख़तरनाक शस्त्र के रूप में काम आ सकती हैं।” दूसरे सुझाव: अपनी गाड़ी के दरवाज़े को लॉक करके और खिड़कियाँ बंद करके रखिए। आक्रमणकारी से नज़रें मत मिलाइए।
राह रोष से निपटने के उपर्युक्त सुझाव नये नहीं हैं। ये लंबे अरसे पहले इस्राएल के राजा दाऊद द्वारा दी गयी सलाह से मेल खाते हैं: “कुकर्मियों के कारण क्रोधित मत हो,” उसने सलाह दी। “अधर्म करनेवालों से ईर्ष्या मत कर। क्रोध से दूर रह और रोष को छोड़।”—भजन ३७:१, ८, NW.
जबकि राह रोष बढ़ रहा है पर इसे अपने अंदर मत बढ़ने दीजिए!
[पेज 18 पर बक्स]
राह रोष पर क़ाबू पाना
ऑटोमोबाइल एसोसिएशन कहती है कि राह रोष दूर करने के संबंध में, “रुख़ बदलना भी प्रति-उपाय निकालने के जितना ही महत्त्वपूर्ण है।” अपने और राह पर चल रहे दूसरों के चालन कौशल के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना राह रोष से निपटने के लिए अत्यावश्यक है। हालाँकि दूसरों की ग़लतियाँ आपको साफ़ दिखायी देती हैं, लेकिन अपने चालन दोषों को भी नज़रअंदाज़ मत कीजिए। इस सच्चाई को स्वीकार कीजिए कि ऐसे चालक होते हैं जो सड़क के नियम तोड़ते हैं। गाड़ी चलाते समय निश्चित कीजिए कि आप पूरी तरह सतर्क हैं। थकान तनाव में योग देती है। क्षण भर के लिए एकाग्रता भंग होने के घातक परिणाम हो सकते हैं।
निम्नलिखित सलाह पर भी विचार कीजिए, और ध्यान दीजिए कि कैसे यह बुद्धिमान राजा सुलैमान के नीतिवचनों से मेल खाती है।
• क्या आपकी सवारियों को आपका क्रोध दिखता है? शायद वे सुझाव देते हैं कि आप शांत हो जाएँ। उनकी सलाह को ठुकराकर यह मत कहिए कि गाड़ी मैं चला रहा हूँ या आप। याद रखिए, शांत स्वभाव ज़्यादा स्वास्थ्यकर होता है और यह शायद आपको सचमुच ज़्यादा लंबे समय तक जीने में मदद दे! “शान्त मन, तन का जीवन है।”—नीतिवचन १४:३०.
• दूसरे चालक के बारे में सोचिए, और समस्याओं से दूर रहिए। “बुद्धिमान डरकर बुराई से हटता है, परन्तु मूर्ख ढीठ होकर निडर रहता है।”—नीतिवचन १४:१६.
• क्षमा-भाव में इशारा करके या दो शब्द कहकर क्रोध को ठंडा कीजिए। “कोमल उत्तर सुनने से जलजलाहट ठण्डी होती है।”—नीतिवचन १५:१.
• हो सकता है कि दूसरे राह रोष दिखाएँ, लेकिन आपको उनकी नक़ल करने की ज़रूरत नहीं। “क्रोधी मनुष्य का मित्र न होना।”—नीतिवचन २२:२४.
• दूसरों के झगड़ों में उलझने से दूर रहिए। “झगड़ा बढ़ने से पहिले उसको [उस स्थान को] छोड़ देना उचित है।”—नीतिवचन १७:१४.