विश्व दर्शन
धूम्रपान स्थायी नुकसान पहुँचाता है?
हाल का एक अध्ययन बताता है कि धूम्रपान से धमनियों को स्थायी नुकसान पहुँच सकता है। द जरनल ऑफ दी अमॆरिकन मॆडिकल असोसिएशन में अनुसंधायकों ने रिपोर्ट किया कि सिगरॆट पीना और इसके धूँए के आस-पास रहना भी धमनियों को स्थायी नुकसान पहुँचा सकता है। अध्ययन में ४५ से ६५ साल के बीच के १०,९१४ पुरुषों और स्त्रियों पर ध्यान दिया गया। इस समूह में ऐसे लोग शामिल थे जो सिगरॆट पीते हैं, जिन्होंने सिगरॆट छोड़ दी, जो सिगरॆट नहीं पीते लेकिन आम तौर पर इसके धूँए के आस-पास रहते हैं, और जो न तो सिगरॆट पीते हैं और न ही आम तौर पर इसके धूँए के आस-पास रहते हैं। अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल करके अनुसंधायकों ने इन लोगों की ग्रीवा धमनी की मोटाई नापी। इस मोटाई को तीन साल बाद फिर से नापा गया।
अनुमान सही निकला। नियमित रूप से सिगरॆट पीनेवालों की धमनियों की कठोरता काफी बढ़ गयी थी—उनकी तो ५० प्रतिशत, जिन्होंने पिछले ३३ साल से हर दिन औसतन एक पैकॆट सिगरॆट पी थी। जिन्होंने सिगरॆट छोड़ दी उनकी भी धमनियाँ सिकुड़ी थीं, और यह सिकुड़न कभी सिगरॆट नहीं पीनेवालों की तुलना में २५ प्रतिशत ज़्यादा तेज़ी से आयी—जबकि कुछ ने तो २० साल पहले छोड़ दी थी। जो सिगरॆट नहीं पीते लेकिन उसके धूँए के आस-पास रहते हैं, उनकी धमनियों में ऐसे लोगों से २० प्रतिशत ज़्यादा सिकुड़न देखी गयी जो इस धूँए के आस-पास नहीं आते। अध्ययन के अनुसार, सिगरॆट के धूँए के आस-पास आना हर साल मात्र अमरीका में अंदाज़न ३०,००० से ६०,००० मौतों का कारण माना जा सकता है।
तनाव से कार दुर्घटनाएँ बढ़ती हैं
अपने काम के प्रति एक व्यक्ति की जो मनोवृत्ति है उसका बहुत प्रभाव गाड़ी चलाते समय उसके व्यवहार पर पड़ता है, जर्मनी में स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक कल्याण के व्यावसायिक संघ द्वारा किया गया एक अध्ययन बताता है। जो लोग अपने काम के कारण तनाव में होते हैं उनकी सड़क दुर्घटना होने का खतरा कुछ ज़्यादा ही होता है, स्यूट्डॉइच ट्साटुंग रिपोर्ट करता है। “मालिक या सहकर्मियों के बारे में मन में भरे गुबार के कारण गाड़ी चलाते समय एकाग्रता टूट सकती है,” रिपोर्ट बताती है। अध्ययन में, काम पर जाते या काम से लौटते समय सड़क दुर्घटना करनेवाले ७५ प्रतिशत लोगों ने “एकाग्रता की कमी, बहुत ज़्यादा भागदौड़, समय कम होने के कारण दबाव या तनाव” पर दुर्घटना का दोष लगाया। हालाँकि यह कहा गया है कि नकारात्मक तनाव होने पर अकसर पुरुष दुर्घटना करते हैं, लेकिन अध्ययन ने यह भी पाया कि छोटे बच्चों की माताओं को भी खास खतरा है। अखबार बताता है: “माताएँ अकसर बहुत दबाव में थीं क्योंकि उन्हें समय पर अपने बच्चों को स्कूल से लाना था या दोपहर की छुट्टी के दौरान खाना पकाना था।”
दुनिया में स्वास्थ्य समस्याएँ
“हम २१वीं सदी में प्रवेश करनेवाले हैं और फिर भी हम देखते हैं कि संक्रामक रोग दुनिया भर में ३३% मौतों के ज़िम्मेदार हैं,” विश्व स्वास्थ्य संगठन का डॉ. डेविड हेमैन कहता है। इस समस्या के कई कारण हैं। द जरनल ऑफ दी अमॆरिकन मॆडिकल असोसिएशन कहती है कि इसमें जनसंख्या वृद्धि, असफल वैक्सीनेशन कार्यक्रम, बहुत भीड़-भाड़, पर्यावरण-संबंधी बदलाव और दुनिया भर में जन स्वास्थ्य व्यवस्था में गिरावट का हाथ रहा है। दूसरे कारण हैं पलायन करने की मजबूरी, शरणार्थी और देश-विदेश की यात्रा में बढ़ोतरी—ये सभी बातें संक्रामक रोग फैलाने में योग देती हैं। “असल में इनकी रोकथाम की जा सकती है,” डॉ. हेमैन कहता है। “इन रोगों से लड़ने या इन्हें मिटाने की दवाएँ उपलब्ध हैं।”
बच्चों को रात में बुरे सपने आना आम बात है
लगभग सभी बच्चों को रात में डरावने सपने आते हैं। मैनहाइम, जर्मनी में मानसिक स्वास्थ्य केंद्रीय संस्थान द्वारा किये गये एक अध्ययन के अनुसार १० में से ९ बच्चों को याद रहता है कि सपना देखकर वे जाग गये। आम तौर पर बुरे सपनों में वे देखते हैं कि उनका पीछा किया जा रहा है, वे बहुत ऊँचाई से गिर रहे हैं, या उन पर युद्ध या प्राकृतिक विपदा का असर हो रहा है। अधिकतर किस्सों में ऐसे सपने कल्पना और असल दुनिया की बातों का मिश्रण होते हैं। आम तौर पर लड़के भूल जाते हैं कि उन्होंने क्या सपना देखा था। दूसरी ओर, लड़कियाँ अकसर अपने सपनों के बारे में बात करती या लिखती हैं। बुरे सपनों के कारण हुई चिंता को दूर करने के लिए विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि बच्चों को अपने सपनों के बारे में बात करनी चाहिए, उसकी तसवीर बनानी चाहिए या सपने की कोई बात ऐक्टिंग करके दिखानी चाहिए, बरलीनर ट्साटुंग रिपोर्ट करता है। यदि इन सुझावों पर अमल किया जाए तो कुछ ही हफ्तों के अंदर सपने आना कम हो जाएँगे और डरावने भी नहीं होंगे।
टीवी ज़्यादा, पढ़ना कम
यूनान के ऑडियोविज़ुअल मीडिया इंस्टीट्यूट द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार उस देश के ३५ लाख घरानों के लिए ३८ लाख टीवी हैं; ३ में से १ घराने में वीडियोकॆसॆट रिकॉर्डर भी है। ऐथॆन्स के अखबार टॉ वीमा ने रिपोर्ट किया कि यूनानी लोगों ने १९९६ में औसतन हर दिन करीब चार घंटे टीवी देखा, जबकि १९९० में यह औसत प्रति दिन ढाई घंटे से भी कम था। तो हैरानी की बात नहीं कि पढ़ाई में तेज़ी से गिरावट आयी है। सर्वेक्षण ने प्रकट किया कि आम यूनानी ने १९८९ में ४२.२ अखबार पढ़े, लेकिन १९९५ में यह संख्या गिरकर २८.३ हो गयी थी। पत्रिका पढ़ना भी इसी समय-अवधि में १० प्रतिशत कम हो गया।
बूढ़ों को पूरा पोषण नहीं मिलता
“अकसर बुज़ुर्ग भर-पेट खाना नहीं खाते और इसलिए जल्दी बीमार पड़ते हैं,” फ्रैंकफर्ट, जर्मनी का नासाउइशी नॉइ प्रॆसॆ रिपोर्ट करता है। दस यूरोपीय देशों में ७० साल से ऊपर के २,५०० से ज़्यादा पुरुषों और स्त्रियों का सर्वेक्षण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया। बहुत लोग सोचते हैं कि बुज़ुर्गों को कम भोजन की ज़रूरत है, लेकिन बहुत कम कैलोरी लेने के कारण बीमारियों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है। इसके अलावा, बुज़ुर्गों का भोजन अकसर बहुत पौष्टिक नहीं होता क्योंकि वे एक बार में ढेर सारा खाना बनाकर रख देते हैं और उसे काफी समय तक चलाते हैं। इसके साथ-साथ, बहुत-से बुज़ुर्ग ताज़े फल और सब्ज़ियाँ बहुत कम खाते हैं, खासकर जब उन फलों का मौसम नहीं होता। इस अध्ययन ने अंत में कहा कि चिकित्सकों को बुज़ुर्ग मरीज़ों को याद दिलाना चाहिए कि “अच्छी तरह और नियमित रूप से भोजन करें।” इसने यह सलाह भी दी कि बुज़ुर्गों को ज़्यादा व्यायाम सिखाये जाने चाहिए क्योंकि शारीरिक कसरत से भूख बढ़ती है।
बाइबल २,१९७ भाषाओं में उपलब्ध है
“पिछले साल बाइबल के कुछ हिस्सों का अन्य ३० भाषाओं में अनुवाद किया गया, जिससे कि अब शास्त्र कुल २,१९७ भाषाओं में उपलब्ध है,” जिनीवा, स्विट्ज़रलैंड का ईएनआई बुलॆटिन रिपोर्ट करता है। संपूर्ण बाइबल अब ३६३ भाषाओं में उपलब्ध है, जिसमें ऎस्परैंटो जैसी कृत्रिम भाषा भी सम्मिलित है। यूनाइटॆड बाइबल सोसाइटीज़ (UBS) उन भाषाओं की गिनती रखती है जिनमें बाइबल की कम-से-कम एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। UBS के महासचिव फरगस मैकडॉनल्ड ने कहा कि लक्ष्य तो यह है कि “परमेश्वर के वचन को लोगों की मातृ भाषा में उपलब्ध” कराएँ।