बाइबल का दृष्टिकोण
क्या एक अंतरिक्षी दुर्घटना हमारे संसार को नष्ट कर देगी?
मार्च १२, १९९८ में, दुनिया भर में अखबार की सुर्खियों, टीवी के परदों, और इंटरनॆट ने यह अशुभ समाचार फैला दिया: “१.५ किलोमीटर-चौड़ी ग्रहिका उस पथ है जो पृथ्वी के पास से गुज़रेगा।” वैज्ञानिक और आम आदमी यह पता लगाने के लिए इधर-उधर भागे कि असली खतरा कितना बड़ा है। खगोल-विज्ञानियों ने जल्द ही यह निष्कर्ष निकाला कि पृथ्वी पर इसका प्रभाव होने की संभावना शून्य है।
लेकिन, इस उथल-पुथल के बीच एक नयी जागरूकता उत्पन्न हुई है। “खतरे के इस झूठे संकेत के बारे में सबसे उल्लेखनीय बात शायद यह है कि बहुत लोगों ने इसे कोई बड़े आश्चर्य की बात नहीं समझा जबकि यह इतना डरावना था,” यू.एस.न्यूज़ एण्ड वर्ल्ड रिपोर्ट ने कहा। “यह विचार कि हम पृथ्वी पर रहनेवालों को ऐसे और भी पिंडों पर नज़र रखनी चाहिए—और उनके बारे में कुछ करने की योजना बनानी चाहिए—एक-दो दशक पहले अजीब समझा जाता, लेकिन अब वैज्ञानिक और कुछ राजनीतिज्ञ भी यह सोच रहे हैं कि जबकि खतरा बहुत बड़ा नहीं है फिर भी वास्तविक ज़रूर है।”
कुछ खगोल-विज्ञानियों का मानना है कि विश्वव्यापी विनाश करने की क्षमता रखनेवाले करीब २,००० अंतरिक्षी पिंड ऐसे पथों पर चल रहे हैं जो या तो पृथ्वी की कक्षा के बीच से जाता है या उसके पास से गुज़रता है। अनुसंधायकों का कहना है कि यदि उनमें से एक छोटा पिंड भी पृथ्वी से टकरा जाए तो बहुत बड़ा विस्फोट होगा और इतनी ऊर्जा निकलेगी जितनी कि अनेक न्यूक्लियर अस्त्रों के एकसाथ फूटने से निकलेगी। ऐसी घटना के परिणाम हमारे ग्रह और इसके निवासियों, मनुष्यों और पशुओं के लिए एकसमान रूप से विनाशक होंगे।
ऐसे निराशाजनक पूर्वानुमान और हिसाब लगाते समय एक मत को अकसर नज़रअंदाज़ किया जाता है और वह है इस विश्वमंडल के रचयिता, यहोवा परमेश्वर का मत। (भजन ८:३; नीतिवचन ८:२७) बाइबल में उसने इस पृथ्वी और मानवजाति के लिए अपनी इच्छा और उद्देश्य को स्पष्ट रूप से प्रकट किया है। क्या वह एक अंतरिक्षी दुर्घटना को हमारे संसार का विनाश करने की अनुमति देगा?
ईश्वरीय नियंत्रण में विश्वमंडल
क्योंकि यहोवा विश्वमंडल का सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता है तो यह निष्कर्ष निकालना उचित है कि उसके पास उन शक्तियों पर पूर्ण नियंत्रण रखने की क्षमता है जो अंतरिक्षी पिंडों को नियंत्रित करती हैं। बुद्धिमान राजा सुलैमान ने कहा कि यहोवा ने “स्वर्ग को समझ ही के द्वारा स्थिर किया।” (नीतिवचन ३:१९) भविष्यवक्ता यिर्मयाह ने कहा कि परमेश्वर ने “आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है।”—यिर्मयाह ५१:१५.
तारों, ग्रहों, धूमकेतुओं और ग्रहिकाओं जैसे आकाशीय पिंडों की गति के पीछे जो नियम और बल हैं उन्हें यहोवा ने प्रभावी किया है। (यशायाह ४०:२६) लेकिन, ऐसा प्रतीत होता है कि वह निरंतर हस्तक्षेप किये बिना तारों और ग्रहों को अपने लाक्षणिक जन्म, जीवन और मरण के प्राकृतिक चक्रों से गुज़रने देता है। इसमें आकाशीय पिंडों की कुछ भयंकर टक्करें सम्मिलित हैं। हाल का एक उदाहरण है जुलाई १९९४ में हुई टक्कर जिसमें धूमकेतु शूमेकर-लीवी 9 के टुकड़े बृहस्पति ग्रह से जा टकराये।
इसका भूवैज्ञानिक प्रमाण है कि मानवपूर्व इतिहास में अंतरिक्ष से बड़ी-बड़ी चट्टानें पृथ्वी पर आ गिरीं। लेकिन क्या हमारे बसे-बसाये ग्रह पर ऐसी घटना कभी घटेगी? उदाहरण के लिए, यदि १.५ किलोमीटर-चौड़ी ग्रहिका पृथ्वी से टकरा जाए तो क्या होगा? खगोल-विज्ञानी जैक हिल्स का अनुमान है कि उससे इतनी ऊर्जा निकलेगी जो हीरोशिमा को ध्वस्त करनेवाले बम से लाखों गुना ज़्यादा होगी। यदि वह समुद्र से टकराए तो ज्वारीय तरंगें समुद्रतटों को बहा ले जाएँगी। “जहाँ शहर थे,” हिल्स कहता है, “वहाँ पानी ही पानी होगा।” सबसे धूमिल पूर्वानुमान है कि मानवजाति का पूर्ण विनाश हो जाएगा। सर्वनाश का यह पूर्वानुमान क्या इस पृथ्वी के लिए हमारे सृष्टिकर्ता की इच्छा से मेल खाता है? बाइबल दिखाती है कि यहोवा के उद्देश्य में इस ग्रह का खास स्थान है।
हमारी पृथ्वी—एक उद्देश्य के लिए रची गयी
हमारे ग्रह के संबंध में भजनहार कहता है: “स्वर्ग तो यहोवा का है, परन्तु पृथ्वी उस ने मनुष्यों को दी है।” (भजन ११५:१६) यशायाह कहता है कि यहोवा ने “पृथ्वी को रचा और बनाया, उसी ने उसको स्थिर भी किया; उस ने उसे सुनसान रहने के लिये नहीं परन्तु बसने के लिये रचा है।” (यशायाह ४५:१८) पृथ्वी वह मीरास है जो यहोवा ने मानवजाति को दी है। और क्योंकि हमारे सृष्टिकर्ता ने परमेश्वर का भय माननेवाले मनुष्यों के लिए अनंत भविष्य रखा है, पृथ्वी उनके स्थायी घर के रूप में सदा स्थिर रहेगी। भजन १०४:५ हमें आश्वस्त करता है: “[यहोवा] ने पृथ्वी को उसकी नीव पर स्थिर किया है, ताकि वह कभी न डगमगाए।”
यह सच है कि परमेश्वर ने हमारे ग्रह पर कुछ बड़ी विपत्तियाँ आने दी हैं, जिसके कारण पूरे-पूरे इलाकों के लोग मौत का शिकार हुए हैं। इनमें से कुछ विपत्तियाँ—जैसे युद्ध, अकाल और महामारियाँ—पूरी तरह या कुछ हद तक मनुष्यों के लालच, मूर्खता और क्रूरता के कारण आयी हैं। (सभोपदेशक ८:९) दूसरी विपत्तियाँ—जैसे भूकंप, ज्वालामुखीय विस्फोट, बाढ़, और तूफान—प्राकृतिक कारणों से आयी हैं जिन्हें मानवजाति पूरी तरह नहीं समझ पायी है। परमेश्वर के मूल उद्देश्य के विपरीत, मनुष्य अब परिपूर्ण नहीं रहे; वे पापमय हैं। इसके फलस्वरूप, इस समय ऐसी तथाकथित प्राकृतिक दुर्घटनाओं से बचने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से ईश्वरीय सुरक्षा पाने की अपेक्षा नहीं कर सकते।
लेकिन, यहोवा ने किसी भी हालत पृथ्वी पर मनुष्य के अस्तित्त्व को भारी खतरे में नहीं पड़ने दिया है। मनुष्य की सृष्टि के समय से प्रमाणित इतिहास में प्राकृतिक विनाश की ऐसी कोई घटना नहीं जिसने पूरी मानवजाति के अस्तित्त्व को खतरे में डाला हो।a
मानवजाति के बचाव की गारंटी
मानव इतिहास के आरंभ से हमारे सृष्टिकर्ता का उद्देश्य यह रहा है कि मनुष्य ‘फूले-फले और पृथ्वी में भर जाए।’ (उत्पत्ति १:२८; ९:१) उसने प्रतिज्ञा की है कि “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।” (भजन ३७:९, ११, २२, २९) अपनी प्रतिज्ञाओं के बारे में यहोवा पुष्टि करता है: “मेरी युक्ति स्थिर रहेगी और मैं अपनी इच्छा को पूरी करूंगा।”—यशायाह ४६:१०; ५५:११; भजन १३५:६.
छोटे पैमाने पर पार्थिव विपत्ति की संभावना से बाइबल पूरी तरह इनकार नहीं करती जो किसी अंतरिक्षी दुर्घटना के कारण आ सकती है। लेकिन, हम विश्वस्त रह सकते हैं कि यहोवा किसी अंतरिक्षी दुर्घटना को अनुमति नहीं देगा कि पृथ्वी और मानवजाति के लिए उसके व्यक्त उद्देश्य को विफल करे। बाइबल प्रतिज्ञाओं के आधार पर हम विश्वस्त हो सकते हैं कि हमारा ग्रह सदा के लिए बसने योग्य रहेगा—जी हाँ, यह सदा सर्वदा तक मानवजाति का घर रहेगा!—सभोपदेशक १:४; २ पतरस ३:१३.
[फुटनोट]
a नूह के समय का जलप्रलय ईश्वरीय न्याय चुकाने का माध्यम था, लेकिन यहोवा ने निश्चित किया कि कुछ मनुष्य और पशु बचें।—उत्पत्ति ६:१७-२१.