युवा लोग पूछते हैं . . .
गपशप में इतनी भी क्या बुराई है?
“मेरे हाई स्कूल में यह महामारी की तरह फैली हुई है। हमारे यहाँ ड्रग्स, बंदूकें या लड़ाई नहीं—गपशप चलती है। यह बड़ी समस्या है।”—१६-वर्षीया मिशॆल।a
कुछ लोग कहते हैं कि यह बड़ी चटपटी होती है। दूसरे इसे ज़हर कहते हैं। पत्र-पत्रिकाओं और टीवी कार्यक्रमों में इसकी भरमार रहती है। बहुतों की बातचीत में यह मिर्च-मसाले का काम करती है। यह क्या है? यह लोगों और उनके निजी मामलों के बारे में हलकी-फुलकी बातचीत है, जिसे गपशप कहा जाता है।
शायद कोई दूसरी बात हमारा ध्यान इतनी जल्दी नहीं खींच पाती जितना कि ये शब्द, “क्या तुमने ताज़ा खबर सुनी है?” इसके बाद जो बात होती है वह सच भी हो सकती है और झूठ भी—या थोड़ी सच, थोड़ी झूठ। बात जो भी हो, गपशप करने का खिंचाव बहुत ज़बरदस्त हो सकता है। “दूसरों के मामले में दिलचस्पी न लेना बहुत मुश्किल है,” १७-वर्षीया लॉरी कहती है। “आपकी सहेलियों और आपके बीच एक किस्म का समझौता होता है कि जब आपको कोई रसीली बात पता चले तो आप उन्हें भी ज़रूर बताएँ।”
हम ऐसा क्यों करते हैं
हमें गपशप इतनी मज़ेदार क्यों लगती है? एक कारण यह है कि मनुष्य सामाजिक प्राणी है। दूसरे शब्दों में कहें तो लोगों को लोगों में दिलचस्पी होती है। तो फिर यह स्वाभाविक है कि आज नहीं तो कल हम अपने दोस्तों और जान-पहचानवालों के बारे में बात करेंगे और जानना चाहेंगे कि उनके जीवन में आजकल क्या चल रहा है।
क्या यह गलत है? यह हमेशा गलत नहीं होता। अकसर, हलकी-फुलकी बातचीत करते-करते ज़रूरी जानकारी मिल जाती है, जैसे किसकी शादी होनेवाली है, किसके बच्चा हुआ है और कौन बीमार है। पहली सदी के मसीहियों ने भी संगी विश्वासियों का हाल जानना चाहा। (इफिसियों ६:२१, २२; कुलुस्सियों ४:८, ९) सचमुच, दोस्तों और जान-पहचानवालों के बारे में हलकी-फुलकी बातचीत करना जानकारी लेने-देने, साथ ही अच्छे संबंध बनाए रखने का अभिन्न अंग है।
नुकसानदेह गपशप के फँदे
लेकिन, कभी-कभी दूसरों के बारे में बातचीत उनके हित के लिए नहीं, किसी दूसरे कारण से की जाती है। उदाहरण के लिए, १८-वर्षीया डीअड्रा कहती है: “लोग लोकप्रियता पाने के लिए गपशप करते हैं। वे सोचते हैं कि अगर उन्हें उससे ज़्यादा चटपटा किस्सा पता है जो उन्हें अभी-अभी सुनाया गया है तो उनकी [लोकप्रियता] बढ़ेगी।” दूसरों को प्रभावित करने की इच्छा गप्पी को यहाँ तक उकसा सकती है कि सच्चाई को तोड़-मरोड़कर पेश करे। “अगर आपको कहानी मालूम है तो आप उसमें फेर-बदल कर सकती हैं,” १७-वर्षीया रेचल बताती है। “जैसे पेंटिंग में होता है, आप कहानी को मनमर्ज़ी से घुमा-फिराकर पेश कर सकती हैं।”
कभी-कभी, बदला लेने के लिए झूठी अफवाह उड़ायी जाती है। “एक बार मैंने अपनी एक सहेली के बारे में झूठी अफवाह उड़ा दी,” १२-वर्षीया एमी कहती है। “मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसने मेरे बारे में कुछ कह दिया था।” नतीजा? “शुरू में मैंने सोचा, वाह, आखिर मैंने हिसाब चुकता कर ही दिया।” लेकिन एमी आगे बताती है: “जल्द ही बात हाथ से बाहर हो गयी और मुझे पहले से भी ज़्यादा बुरा लगने लगा। बेहतर होता कि मैं अपना मुँह ही न खोलती।”
जैसा एक मानसिक-स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा, यह समझना मुश्किल नहीं कि गपशप कैसे “आग की लपट” की तरह बन सकती है “जिसे हाथ से बाहर होते देर नहीं लगती।” (याकूब ३:५, ६ से तुलना कीजिए।) जब ऐसा होता है तो नतीजे बहुत बुरे हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि ऐसी बात फैल जाती है जिसे गुप्त रखा जाना चाहिए था तो क्या होता है? या तब क्या होता है यदि अफवाह झूठी है और उसे फैलाने के द्वारा आप किसी का नाम बदनाम कर रहे हैं? “मेरे एक दोस्त ने यह अफवाह उड़ा दी कि मैं ड्रग्स लेता हूँ, जो कि झूठ है,” १२-वर्षीय बिल कहता है। “इससे मुझे बहुत चोट पहुँची।”
गंदी गपशप को कुचलना
बाइबल उचित ही कहती है कि “जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं।” (नीतिवचन १८:२१) जी हाँ, हमारे वचन अच्छे काम के औज़ार की तरह या फिर तबाही के हथियार की तरह हो सकते हैं। दुःख की बात है कि आज बहुत सारे लोग अपनी ज़बान का गलत इस्तेमाल करते हैं। वे उनकी तरह हैं जिनके बारे में भजनहार दाऊद ने कहा कि “उन्हों ने अपनी जीभ को तलवार की नाईं तेज़ किया है, और अपने कड़वे वचनों के तीरों को चढ़ाया है; ताकि छिपकर खरे मनुष्य को मारें।”—भजन ६४:२-४.
जो परमेश्वर को प्रसन्न करना चाहते हैं उन्हें झूठी खबरें नहीं फैलानी चाहिए क्योंकि बाइबल कहती है कि “झूठों से यहोवा को घृणा आती है।” (नीतिवचन १२:२२) जानबूझकर ऐसी बात उड़ाना या फैलाना जो आप जानते हैं कि सच नहीं है झूठ बोलने के बराबर है और बाइबल कहती है कि मसीहियों को ‘झूठ बोलना छोड़कर अपने पड़ोसी से सच बोलना चाहिए।’—इफिसियों ४:२५.
सो दूसरे के बारे में कुछ बोलने से पहले अपने आपसे पूछिए: ‘क्या मुझे पता है कि सच्चाई क्या है? जो मैं कह रही हूँ क्या उससे सुननेवाले के मन में दूसरे व्यक्ति के लिए आदर घटेगा? यदि हाँ, तो मैं ऐसी बात क्यों कह रही हूँ?’ याद रखिए: यदि एक बात सच है तो उसका यह अर्थ नहीं कि उसे फैलाया जाए—खासकर यदि उससे किसी का नाम बदनाम होगा।
अपने आपसे यह प्रश्न भी पूछना चाहिए, ‘इस तरह गपशप करने से मेरे नाम पर कैसा असर पड़ेगा?’ जी हाँ, आप गपशप करती हैं तो उससे आपके बारे में भी कुछ पता चलता है। उदाहरण के लिए, क्रिस्टन कहती है: “अगर दूसरे के बारे में बात करने के लिए आपके पास इतना समय है तो आपकी अपनी ज़िंदगी बहुत दिलचस्प नहीं होगी।” लीसा ने पाया कि उसे गप्पी माना जाता था इसलिए उसकी पक्की सहेली का उस पर से विश्वास हट गया। “बात इस हद तक पहुँच गयी कि उसे शक होने लगा कि क्या वह मुझ पर भरोसा कर सकती है,” लीसा कहती है। “मुझे बहुत बुरा लगा—मुझे साबित करना पड़ा कि वह मुझ पर भरोसा कर सकती है।”
यदि आपको गप्पी माना जाता है तो लोग डरने लगेंगे कि कहीं आप उन्हें चोट न पहुँचा दें और वे आपकी संगति में नहीं रहना चाहेंगे। बाइबल का एक नीतिवचन कहता है: “जो लुतराई करता फिरता है वह भेद प्रगट करता है; इसलिये बकवादी से मेल जोल न रखना।” (नीतिवचन २०:१९) लेकिन क्या आपको पता है कि बिना मुँह खोले भी आप नुकसानदेह गपशप को बढ़ावा दे सकती हैं?
सुनना—गपशप का दूसरा पहलू
गपशप करने के लिए कम-से-कम दो लोग चाहिए—एक बोलनेवाला और दूसरा सुननेवाला। जबकि सुननेवाला शायद बोलनेवाले से कम दोषी दिखे, लेकिन बाइबल इस विषय पर थोड़ा फर्क दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। नीतिवचन १७:४ में हम पढ़ते हैं: “कुकर्मी अनर्थ बात को ध्यान देकर सुनता है, और झूठा मनुष्य दुष्टता की बात की ओर कान लगाता है।” सो गप सुननेवाले पर भारी जवाबदेही है। “देखा जाए तो गप सुनना गप मारने से भी बदतर है,” लेखक स्टीफन एम. वाइलन कहता है। ऐसा क्यों है? “गप्पी की बात पर ध्यान लगाने से आप उसे और भी गप मारने के लिए उसकाते हैं,” वाइलन आगे कहता है।
सो जब नुकसानदेह गपशप आपके कानों में पड़ती है तो आपको क्या करना चाहिए? अपने आपको ज़्यादा ही धर्मी दिखाए बिना आप इतना भर कह सकती हैं: ‘चलो कोई दूसरी बात करते हैं’ या ‘मुझे यह बात अच्छी नहीं लग रही। और वह अपनी सफाई देने के लिए यहाँ है भी नहीं।’
लेकिन यदि लोग आपसे कटने लगें क्योंकि आप उनकी बातचीत में हिस्सा नहीं लेतीं तो क्या होगा? एक अर्थ में इससे आपको फायदा ही है। कैसे? याद रखिए कि जो दूसरों के बारे में आपसे गपशप करता है वह शायद आपके बारे में दूसरों से गपशप करे। इसलिए, आप उन युवाओं और वयस्कों से दोस्ती करके अपने आपको काफी मुसीबत से बचा सकती हैं जो अपनी बातों से दूसरों को बदनाम नहीं करते। वाइलन कहता है: “गपशप न मारने के कारण आपको कोई नुकसान नहीं होता बल्कि आप जल्द ही देखेंगे कि आप मुसीबत में पड़ने से बचे हैं। अंत में आपको ही फायदा होगा क्योंकि आपको भरोसेमंद माना जाएगा।”
सबसे बढ़कर, परमेश्वर के साथ आपका सुनाम होगा। वह इसमें दिलचस्पी रखता है कि हम दूसरों के बारे में कैसी बात करते हैं क्योंकि यीशु मसीह ने चिताया: “जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे। क्योंकि तू अपनी बातों के कारण निर्दोष और अपनी बातों ही के कारण दोषी ठहराया जाएगा।”—मत्ती १२:३६, ३७.
तो फिर प्रेरित पौलुस की सलाह पर चलना बुद्धिमानी का काम है: “चुपचाप रहने और अपना अपना काम काज करने . . . का प्रयत्न करो।” (१ थिस्सलुनीकियों ४:११) ऐसा करना आपको परमेश्वर के साथ और दूसरों के साथ अच्छा संबंध बनाए रखने में मदद देगा।
[फुटनोट]
a इस लेख में कुछ नाम बदल दिये गये हैं।
[पेज 22 पर बक्स]
“दुनिया की सबसे बड़ी गपशप मशीन”
क्या तुमने ताज़ा खबर सुनी है? इलॆक्ट्रॉनिक मेल (ई-मेल) के आने से गपशप हाई टॆक हो गयी है। असल में, लेखक सॆथ गॉडन ई-मेल को “दुनिया की सबसे बड़ी गपशप मशीन” कहता है। उसके फायदों को मानते हुए, वह चिताता है: “एक व्यक्ति ऐसी बात कहता है जो शायद सही हो या शायद गलत हो और देखते-ही-देखते हज़ारों लोग उस बात को जान जाते हैं।”
ई-मेल बहुत लोगों तक पहुँच सकता है—और बहुत जल्दी पहुँच सकता है। गॉडन कहता है: “यह संचार का पहला नया तरीका है जिसमें लिखित बात की तरह भार और सोचा-समझा विचार होता है और यह फोन कॉल की तरह बड़ी रफ्तार से पहुँचता है और माँग करता है कि इस पर तुरंत ध्यान दिया जाए।” तो फिर समझदारी इसी में है कि ई-मेल भेजते समय अपने संदेश का उद्देश्य ज़रूर स्पष्ट करें। और जानकारी पक्की न हो तो किसी भी हालत उसे दोस्तों में न फैलाएँ।
[पेज 21 पर तसवीर]
जो दूसरों के बारे में आपसे गपशप करता है . . . वह आपके बारे में दूसरों से भी गपशप कर सकता है