अपने पाँच बेटों के लिए मैं यहोवा का धन्यवाद करती हूँ
हॆलन सॉलस्बरी की ज़बानी
मार्च २, १९९७ का दिन, मेरी ज़िंदगी के दुखी-दिनों में से एक था। उस दिन करीब ६०० रिश्तेदार और दोस्त विलमिंग्टन डेलावर अमरीका में, मेरे प्यारे पति डीन के अंतिम संस्कार के लिए जमा हुए थे। मेरे पति यहोवा के साक्षियों की एक कलीसिया में मसीही प्राचीन और प्रिसाइडिंग ओवरसियर थे। शादी के बाद उनके साथ बिताए ४० हसीन सालों के बारे में जब मैं याद करती हूँ तो ऐसी बहुत-सी बातें हैं जिनके लिए मैं शुक्रगुज़ार हूँ। मैं जानती हूँ कि डीन हमेशा के लिए नहीं मरा है, भविष्य में हम डीन को देख सकेंगे, क्योंकि वह सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर के स्मरण में है।
हाई स्कूल खत्म करने के बाद, १९५० में डीन एयर-फोर्स में भरती हो गया। वह धार्मिक व्यक्ति नहीं था और कैथोलिक चर्च की शिक्षाओं का विरोध करता था जो उस समय मुझे बेहद प्यारी थीं। मगर हम दोनों इस बात पर सहमत हो गए कि अपने बच्चों का पालन-पोषण हम कैथोलिक धर्म के अनुसार करेंगे। हर रात हम घुटनों के बल बैठकर मन-ही-मन प्रार्थना करते। मैं अपनी कैथोलिक प्रार्थनाएँ दोहराती और डीन अपने दिल की बात कहता। एक-एक करके साल बीतते गए और हमारे पाँच बेटे पैदा हुए: बिल, जिम, डीन जूनियर, जो, और चार्ली।
मैं बिला नागा चर्च जाया करती थी और हमेशा लड़कों को भी साथ ले जाया करती। मगर चर्च से मेरा मन उखड़ गया था, खासकर वियतनाम-युद्ध में चर्च का हाथ होने की वज़ह से। एक दिन कार्डिनल स्पैलमैन ने उन लोगों से जो युद्ध में हिस्सा लेने के लिए अमरीका पर उँगली उठा सकते थे कहा: “मेरा देश मेरा है चाहे गलत हो या ठीक।” तब मैंने सोचा बेशक मेरा चर्च युद्ध में शामिल है मगर अपने बेटों को मैं युद्ध में नहीं जाने दूँगी। इसके बावजूद मैं प्रार्थना करती कि कम से कम मेरा एक लड़का पादरी बन जाए और मेरा पति कैथोलिक बन जाए।
सोच-विचार में बदलाव
एक शनिवार की शाम मैं अपने कुछ कैथोलिक जान-पहचानवालों और हमारे यहाँ के पादरी के साथ पार्टी मना रहे थे। हम खा-पी और खूब मज़ा कर रहे थे, तभी एक औरत ने पादरी से पूछा: “फादर, क्या यह सचमुच बड़ा पाप होगा अगर आज की पार्टी की तरह किसी पार्टी के बाद, हम अगली सुबह जाग नहीं पाते और मास के लिए नहीं जा पाते?”
उसने जवाब दिया, “नहीं नहीं, इसमें कुछ गलत नहीं। मंगलवार की रात को मेरे घर पर मास होती है। तुम मास के लिए वहाँ आ सकती हो और अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा कर सकती हो।”
मुझे बचपन से सिखाया गया था कि चाहे कुछ भी क्यों न हो हर रविवार मास के लिए ज़रूर जाना चाहिए। इसलिए जब मैंने पादरी की बात का विरोध किया तो उसने गुस्से में लाल-पीला होकर मुझे गालियाँ दी और कहा कि किसी औरत को पादरी को सिखाने की ज़रूरत नहीं।
मैंने अपने मन में सोचा, ‘क्या मैं अपने बेटों को इस जैसा बनाने के लिए ही प्रार्थना करती रही हूँ?’ जबकि मैं जानती थी कि सभी पादरी उसके जैसे नहीं, फिर भी उस बात से मैं सोच में पड़ गई।
दशक १९६० के मध्य में यहोवा के साक्षी पॆन्सिलवेनिया के फिलडेलफिया में हमारे घर आए और कुछ समय बाद न्यूअर्क, डेलावर में भी। जबकि मैं उनके मसीही जोश की दाद देती थी, फिर भी मैं उनसे हमेशा कहती: “मुझे माफ करना। मुझे रुचि नहीं है क्योंकि मैं एक कैथोलिक हूँ।”
वर्ष १९७० के नवम्बर की एक ठण्डी सुबह, साक्षी फिर से आए। उन्होंने बाइबल के बारे में एक सवाल पूछा और भजन ११९:१०५ पढ़ा: “तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।” ये शब्द मेरे दिमाग में बैठ गए। मुझे याद है कि मैं अपने मन में सोचने लगी थी, बाइबल! शायद यही जवाब है। मगर मेरे पास तो बाइबल ही नहीं थी।’ मुझे सिखाया गया था कैथोलिकों को बाइबल की कोई ज़रूरत नहीं है, यह हमें समझ नहीं आएगी, क्योंकि बाइबल सिर्फ पादरियों के पढ़ने और समझाने के लिए है। मैं सोचती थी कि अपने पास बाइबल न रखकर मैं एक वफादार कैथोलिक बन रही हूँ।
उस दिन मैंने साक्षियों से बाइबल समझने में मदद करनेवाली किताब ले ली, उसका नाम था सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है। उसे मैंने उसी हफ्ते में पढ़ डाला और मुझे विश्वास हो गया कि मैंने सच्चाई को ढूंढ लिया है! अगली बार साक्षी दो बाइबल लेकर आए जिनमें से एक कैथोलिक अनुवाद था। मैं तो यह देखकर चौंक गई कि जो शास्त्र-वचन उस बाइबल समझानेवाली किताब में दिए गए थे, वे सब कैथोलिक बाइबल में थे। फिर घर पर मेरे साथ बाइबल स्टडी करना शुरू कर दिया गया, मैं उन्नति करती चली गई और अगस्त १९७२ में मेरा और मेरी बहन सैली का भी बपतिस्मा हुआ, क्योंकि उसने भी बाइबल स्टडी शुरू कर दी थी।
मेरे पति डीन ने कभी मेरा विरोध तो नहीं किया मगर वे चौंक ज़रूर गए थे क्योंकि वे देख रहे थे कि मैं कैथोलिक धर्म को छोड़कर किसी दूसरे धर्म में रुचि ले रही थी। वे हमारी बातें सुनते और हम पर नज़र भी रखते। पहले मैं बच्चों पर हमेशा बहुत रहती थी। मगर मैंने अब यह सीखा कि बाइबल “क्रोध, और कलह, और निन्दा” का विरोध करती है। (इफिसियों ४:३१, ३२) इसके अलावा, चीख-चीखकर बच्चों को शिक्षा नहीं दी जाती। एक बार, मैंने अपने पति को अपनी माँ से यहोवा के साक्षियों के बारे में यह कहते हुए सुना: “माँ जी, वे लोग दूसरों को सलाह देते हैं उस पर खुद भी चलते हैं!” उसके कुछ ही समय बाद मेरे पति ने भी बाइबल स्टडी करना शुरू कर दिया। और जनवरी १९७५ में, डीन भी बपतिस्मा प्राप्त साक्षी बन गए।
अपने पाँच बेटों को सिखाना
जब मैंने किंगडम हॉल जाना शुरू किया तब मैं सोचती थी कि मेरे बेटों के लिए सभाओं में इतने समय तक बैठ पाना मुश्किल होगा। इसलिए मैं उन्हें घर पर, उनके पिता के पास ही छोड़ जाती। अकेले मैं आराम से बिना किसी झंझट के चली जाती थी। मगर एक दिन जब मसीही सभाओं की अवधि के बारे में, एक वक्ता ने सभा में पूछा: “क्या आपने कभी सोचा है कि आपके बच्चे कितनी अवधि तक टीवी सैट के सामने बैठे रह सकते हैं?” तभी मेरे दिमाग में आया कि मेरे लड़के घर पर यही तो कर रहे हैं! मैंने तुरंत ठान लिया कि ‘आगे से ऐसा नहीं होगा! मैं उन्हें अपने साथ सभाओं में लाऊँगी!’ मेरे पति इस बात पर राज़ी हो गए कि लड़कों को मैं ले जा सकती हूँ, फिर कुछ समय बाद डीन ने भी जाना शुरू कर दिया।
लगातार सभाओं में जाने से हमारे परिवार में स्थिरता और एकता बढ़ी। और इससे भी ज़्यादा, डीन और मैंने हमेशा माता-पिता की भूमिका निभाने की कला को निखारने की कोशिश की, जब हमसे गलती होती तो हम उसे स्वीकार करते और बाइबल के निर्देशनों को बड़े ध्यान से जीवन में लागू करते। हमने कभी दोहरे स्तर नहीं अपनाए। जो मेरे पति और मेरे लिए सही था, वही हमारे बेटों के लिए भी सही था। हम सबके लिए नियमित रूप से लोगों के पास जाकर प्रचार करना ज़रूरी था।
जब मनोरंजन की बात आती, तो मार-धाड़ और अनैतिक फिल्म देखना मना था। हम हमेशा साथ-मिलकर अच्छा मनोरंजन करते थे जिसमें स्केटिंग, बॉलिंग, गॉल्फ खेलना, मेले जाना, पिक्निक जाना, और शुक्रवार की रात को पीत्ज़ा का मज़ा उठाना शामिल था। डीन हमारे परिवार का एक अच्छा मुखिया था। शादी के बाद की अपनी पूरी ज़िंदगी में हमने महसूस किया कि जीने का यही सही तरीका है।—इफिसियों ५:२२, २३.
जब १९७० में मैंने यहोवा के साक्षियों से सच्चाई सीखना शुरू किया था तब बिली १२ साल, जिमी ११ साल, डीन जूनियर ९ साल, जो ७ साल, और चार्ली २ साल का था। उनको चर्च जाने की आदत तो पहले से ही पड़ चुकी थी, मगर अब वे बाइबल सीख रहे थे। ऐसा करने में हमें बहुत मज़ा आता था। मैं उनसे कहती: “देखो! इसे देखो! जल्दी आओ!” वे सब आते और फिर हम उस जानकारी पर बात-चीत करते जो हमारे लिए एकदम नई थी। पृथ्वी पर सबसे ज़्यादा अधिकारिक पुस्तक बाइबल का अध्ययन करते हुए लड़के सीख रहे थे कि उन्हें यहोवा को प्यार करना है और क्योंकि वह हमारा परमेश्वर और सृष्टिकर्ता है उन्हें यहोवा परमेश्वर को लेखा देना है—सिर्फ अपने माता-पिता को ही नहीं।
बाइबल सच्चाई सीखने से पहले हमारे सिर पर बहुत कर्ज़ चढ़ चुका था। कुछ कर्ज़ चुकाने के लिए हमने अपना घर बेच दिया और किराए के घर में रहने लगे। हमने अपनी नई कार भी बेच दी और पुरानी कार खरीद ली। हमने कोशिश की कि जितना हो सके सादा जीवन जिए। इसलिए ऐसा सम्भव हो सका कि मैं घर पर बच्चों के साथ रहती बजाए इसके कि बाहर नौकरी करने जाती। हमने यह महसूस किया था कि हमारे बेटों को घर पर अपनी माँ की ज़रूरत है। नौकरी न करने की वज़ह से दिन में जब लड़के स्कूल में होते तब मैं ज़्यादा समय मसीही सेवकाई में भी बिता पाती। फिर सितम्बर १९८३ में मैं पायनियर (फुल-टाइम सेवक) बन गई। यह बात सच है कि हमारे लड़कों को बेहतरीन भौतिक वस्तुएँ हमेशा तो नहीं मिल पाती थीं फिर भी उन्होंने कभी बहुत ज़्यादा कमी महसूस नहीं की। हमारे हरेक लड़के ने टैक्निकल स्कूल में जाकर कुछ न कुछ हुनर सीखा जैसे खेती-बाड़ी, बढ़ईगिरी, ऑटो मकैनिक का काम, और ग्राफिक आर्ट। इस तरह वे अपने पैरों पर खड़े हो गए।
अकसर मैं अपने पारिवारिक जीवन के बारे में सोचती और खुद से कहती, ‘हमारे पास भौतिक चीज़ें कम हैं इसके बावजूद मुझे लगता है कि हमारा परिवार पूरी दुनिया के सुखी परिवारों में से एक है।’ थोड़े समय बाद डीन को और लड़कों को भी कलीसिया में ज़िम्मेदारियाँ मिलने लगीं। वर्ष १९८२ में डीन को मसीही प्राचीन नियुक्त किया गया। आठ साल बाद, १९९० में हमारा सबसे बड़ा बेटा बिल प्राचीन नियुक्त हुआ। उसी साल जो और बाद में डीन जूनियर को १९९१ में, चार्ली को १९९२ में, और जिम को १९९३ में, प्राचीन नियुक्त किया गया।
मैं मानती हूँ कि माता-पिता होने के नाते हमने कुछ गलतियाँ कीं, और जो अच्छाइयाँ हमने कीं वे सब याद रख पानी तो मुश्किल हैं। जब मेरे बेटों से एक दोस्त ने पूछा कि जब तुम शुरू-शुरू में मसीही बने थे तब की कौन-सी बातें तुम्हें याद हैं खासकर बाइबल के कौन-से सिद्धांत तुमने बचपन में सीखे, जिससे तुमने उन्नति की और आज मसीही प्राचीन बन पाए हो। उनके जवाब सुनकर मेरा दिल भर आया।
मेरे बेटों का यह कहना है
बिल: “रोमियों १२:९-१२ से जो हमने सीखा, वह मेरे दिमाग में बैठ गया। वहाँ हम ऐसा पढ़ते हैं ‘भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर मया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो। . . . आत्मिक उन्माद में भरे रहो। . . . आशा में आनन्दित रहो।’ मेरे माता-पिता में यह करके दिखाने का गुण था कि लोगों को प्यार करने का क्या मतलब होता है। कोई भी आदमी इस बात को देख सकता था कि जब मेरे माता-पिता लोगों को प्यार दिखाते थे तो उन्हें कितनी खुशी मिलती थी। हमारे परिवार का माहौल एकदम प्यार-भरा होने की वज़ह से हमारे सोचने का ढंग बाइबल की सच्चाई के मुताबिक हो गया था। और इस बात ने हमें सच्चाई पर अटल रहने में मदद की। मेरे माता-पिता ने बाइबल की सच्चाई से बेहद प्यार किया। इसका नतीजा यह हुआ कि मेरे लिए सच्चाई को प्यार करना और इस पर चलना कभी मुश्किल नहीं हुआ।”
जिम: “एक बहुत अच्छा सिद्धांत जो मुझे याद आता है वह है मत्ती ५:३७: ‘तुम्हारी बात हां की हां, या नहीं की नहीं हो; क्योंकि जो कुछ इस से अधिक होता है वह बुराई से होता है।’ मेरे भाई और मैं हमेशा जानते थे कि हमारे माता-पिता हमसे किस बात की उम्मीद रखते हैं, साथ-ही वे हमारे लिए इस बात का ज़िंदा उदाहरण थे कि एक मसीही को कैसा होना चाहिए। हमेशा वे दोनों एक-मत रहते और कभी बहस नहीं करते। अगर वे दोनों कभी किसी बात पर असहमत रहे भी होंगे तो हम लड़कों को उस बात का पता नहीं चला। उन दोनों में एकता होने के कारण हम सब पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। हम अपने पापा-मम्मी को नाखुश नहीं करना चाहते थे, और सबसे बढ़कर यहोवा परमेश्वर को।”
डीन: “नीतिवचन १५:१ कहता है: ‘कोमल उत्तर सुनने से जलजलाहट ठण्डी होती है, परन्तु कटुवचन से क्रोध धधक उठता है।’ पापा नरम-मिज़ाज थे। मुझे ऐसा कोई वाकया याद नहीं कि जब उनके साथ मेरी बहस हुई हो—युवावस्था के दौरान भी कभी ऐसा नहीं हुआ। हमेशा वे नरमी से बात करते, तब भी जब वे परेशान होते थे। कभी-कभी सज़ा के तौर पर वे मुझे अपने कमरे में जाने के लिए कहते, या फिर कुछ ज़िम्मेदारी ले लेते, मगर हम बहस कभी नहीं करते थे। वे हमारे सिर्फ पिता ही नहीं थे, हमारे दोस्त भी थे। और हमने कभी यह नहीं चाहा कि उनको निराश करें।”
जो: “२ कुरिन्थियों १०:५ में बाइबल ‘हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना देने’ के बारे में कहती है। हमें घर में सिखाया गया कि यहोवा के स्तरों और निर्देशनों के प्रति हमें आज्ञाकारी रहना है। सच्चाई ही हमारी ज़िंदगी थी। सभाओं में हाज़िर होना जीवन का मार्ग। सभा की शाम को सभा में ना जाकर कुछ और काम करने के बारे में आज भी मैं नहीं सोच सकता। साथ-ही, मसीही सेवकाई करना हमारी ज़िंदगी का नियमित कार्य था—इसकी जगह कोई दूसरी चीज़ नहीं ले सकती थी। हमारे दोस्त किंगडम हॉल के थे बाहर ढूढ़ने की हमें ज़रूरत ही नहीं थी। इससे ज़्यादा एक पिता और क्या कर सकता है कि वह अपने बेटों को जीवन के मार्ग पर चलना सिखा दे!”
चार्ली: “नीतिवचन १:७ मेरे दिमाग में बैठा हुआ है। इसमें ऐसे लिखा है: ‘यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है; बुद्धि और शिक्षा को मूढ़ ही लोग तुच्छ जानते हैं।’ मेरे पापा-मम्मी ने हमको यह देखने में मदद दी कि यहोवा सचमुच में है और यह भी समझने में मदद की कि उसका भय मानने और उसे प्यार करने का कितना महत्व है। वे हमसे ऐसा कहकर तर्क करते: ‘सिर्फ हमारे कहने पर कोई काम मत करो। तुम क्या सोचते हो? तुम क्या सोचते हो कि जब यहोवा यह देखेगा तो कैसा महसूस करेगा? तुम क्या सोचते हो कि जब शैतान देखेगा तो वह कैसा महसूस करेगा?’
उनके ऐसा करने से हमें असल बात समझ आ जाती थी। पापा-मम्मी हमेशा हमारे साथ नहीं रह सकते थे। वे हमारे लिए बस इतना ही कर सकते थे कि बाइबल की सच्चाई को हमारे दिलो-दिमाग में बैठा दें, ताकि जब हम अपने स्कूल में, नौकरी पर या अपने दोस्तों के साथ हों तो कुछ ऐसा ना करें जिससे यहोवा नाराज़ हो, इस भय से हमें बहुत फायदा हुआ—और आज तक यह भय हमारे अंदर बसा है।
“मम्मी हमेशा अपनी पायनियर सेवकाई के बारे में और सेवकाई के अच्छे अनुभवों के बारे में हमें बतातीं। सेवकाई के बारे में मम्मी हमेशा बहुत सकारात्मक थीं, और इससे हम सब पर बहुत अच्छा असर पड़ा। उनकी तरह हम भी लोगों के प्रति प्रेम बढ़ा सके और इस बात को समझने लगे कि घर-घर में प्रचार के लिए जाना बहुत आनंददायी हो सकता है।”
एहसानमंद होने की वज़ह
मेरे बेटों की शादी हो चुकी है और मेरी पाँच प्यारी-प्यारी बहुएँ हैं, सभी वफादारी से यहोवा परमेश्वर की सेवा कर रहे हैं। मुझे यह भी आशीष मिली है कि मैं पाँच और लड़कों का मुँह देख सकूँ—जी हाँ, पाँच पोतों का! उन्हें भी उस तरह पाला-पोसा जा रहा है कि यहोवा को प्यार करें और उसके राज्य को अपने जीवन में दृढ़ता-से पहला स्थान दें। हम प्रार्थना करते हैं कि एक दिन ये भी प्राचीन बनेंगे, जैसे इनके पिता और दादा जी बने।
डीन की मौत के थोड़े ही समय बाद, मेरे एक बेटे ने लिखा: “पापा की मौत हो गई अब मुझे उनकी कमी बहुत खला करेगी। उन्हें कोई पीड़ा नहीं है, कोई कष्ट नहीं है, उनके लिए कोई ऑपरेशन, सूइयाँ और ट्यूब नहीं हैं—सिर्फ शांति है। उनकी मौत से पहले मैं उन्हें गुड-बॉय नहीं बोल सका। हमेशा वैसा नहीं घटता जैसा हम चाहते हैं। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूँ कि मैंने ठान लिया है कि मुझे अपनी ज़िंदगी इस तरह जीनी है जिससे मैं उन्हें हैलो कह सकूँ!”
इतना प्यारा पति देने के लिए मैं यहोवा का कितना धन्यवाद करती हूँ और पुनरुत्थान की आशा के लिए भी जो यहोवा ने हमें दी है! (यूहन्ना ५:२८, २९) अपने पाँच बेटों के लिए भी मैं यहोवा का धन्यवाद करती हूँ!
[पेज 17 पर तसवीर]
आज हॆलन सॉलस्बरी और उसका परिवार