सात बेटों का पालन-पोषण करने की चुनौतियाँ और आशिषें
बर्ट और मार्गरॆट डिकमन की ज़बानी
मेरा जन्म १९२७ में अमरीका के ओमाहा, नब्रास्का में हुआ और मैं दक्षिण डकोटा में बड़ा हुआ। मुझे महामंदी (१९२९-४२) के सालों में अपना लड़कपन याद है। माँ एक किस्म का सूप बनाती थीं जिसे वह भुखमरी सूप कहती थीं। वह पतीली में थोड़ा-सा घी डालकर उसमें थोड़ा पानी मिलातीं और फिर हम अपनी रोटी उसमें डुबा-डुबाकर खाते। उस समय अनेक परिवारों की हालत खराब थी।
मेरे परिवार के लोग धार्मिक नहीं थे—उन्हें स्थानीय प्रोटॆस्टॆंट धर्मों में बहुत पाखंड नज़र आता था। जहाँ तक मेरी बात है, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मैंने सेना में दो साल बिताये और उससे मेरा सोच-विचार प्रभावित हुआ। तभी मुझे शराब और जूए का शौक चढ़ा।
जब मैं सेना से छुट्टी पर था तब मैं स्थानीय डाँस क्लब गया और वहाँ मेरी मुलाकात मार्गरॆट श्लॉट से हुई। वह जर्मन-यूक्रेनियन जाति की थी। हमें प्यार हो गया और तीन महीने की दोस्ती के बाद १९४६ में हमने शादी कर ली। अगले आठ सालों में हमारे सात बेटे हुए और हमने कठिन अनुभव से सीखा कि माता-पिता होना क्या होता है।
वर्ष १९५१ में, आराघर में मुझे बहुत बुरी तरह चोट लग गयी और मेरा आधा बायाँ हाथ कटते-कटते बचा। चमड़ी और हड्डी के इलाज के लिए दो साल तक मुझे अस्पताल में रहना पड़ा। इस बीच, मार्गरॆट ने पाँच बेटों को सँभाला। दोस्तों और पड़ोसियों की मदद से उसने वह मुश्किल समय गुज़ार लिया। जब मैं अस्पताल में था तो मेरे पास जीवन के उद्देश्य के बारे में सोचने के लिए बहुत समय था। मैंने बाइबल पढ़ने की कोशिश की लेकिन उसे समझने में मुझे खास सफलता नहीं मिली।
अस्पताल से लौटने के कुछ ही समय बाद, हम वॉशिंगटन राज्य के ऑपरच्यूनिटी नगर में जा बसे और मैं अपने बहनोई के साथ निर्माण कारोबार में लग गया। अब मार्गरॆट से उसकी कहानी सुनिए।
मुझे पल-भर की फुरसत नहीं थी!
मैं एक फार्म पर पली-बढ़ी जहाँ हम अन्न उपजाते थे, डेयरी पशु पालते थे, और फलों और सब्ज़ियों को तैयार करके डिब्बों में बंद करते थे। काम के बारे में मेरा पक्का अनुशासन था जिसने मुझे जीवन में आनेवाली चुनौतियों के लिए तैयार कर दिया था, और मेरे जीवन में ढेरों चुनौतियाँ आनेवाली थीं। हमने महामंदी का सामना बहुतों से ज़्यादा अच्छी तरह किया क्योंकि हमारे पास थोड़ा-बहुत खाना तो हमेशा ही होता था।
मेरे माता-पिता के पास धर्म के लिए कोई समय नहीं था, हालाँकि मैं कभी-कभार संडे स्कूल जाया करती थी। फिर, १९ साल की उम्र में मेरी शादी बर्ट से हो गयी। हम गिरजे नहीं गये—मेरे माता-पिता के घर की बैठक में हमने एक पादरी की मौजूदगी में छोटी-सी रस्म पूरी की। कुछ ही सालों के अंदर मैंने सात बेटों को जन्म दिया—रिचर्ड, डैन, डग, गैरी, माइकल, कॆन और १९५४ में आखिरी बेटा स्कॉट पैदा हुआ। उन्हें सँभालना छोटा काम नहीं था!
ऑपरच्यूनिटी में एक महिला हमारे घर आयी और उसने बाइबल के बारे में बात की। मैंने उससे पूछा कि क्या वह नरकाग्नि में विश्वास करती है। मुझे उस धर्म-सिद्धांत से बहुत डर लगता था। जब उसने समझाया कि नरकाग्नि बाइबल की शिक्षा नहीं है और अमर आत्मा की शिक्षा भी बाइबल में नहीं है तो मुझे कितनी राहत मिली! मेरे अंदर मरने का डर और दहशत थी और मैं नरकाग्नि का तालमेल प्रेम के परमेश्वर से नहीं कर पाती थी। मैंने तय किया कि मैं इस किस्म के झूठ अपने बच्चों को कभी नहीं सिखाऊँगी।
वर्ष १९५५ में, मैंने “लॆट गॉड बी ट्रू”a पुस्तक की मदद से बाइबल अध्ययन शुरू किया। ठीक तभी पॆंटिकॉस्टल प्रचारक ने अचानक मुझमें दिलचस्पी ली और मुझे यहोवा के साक्षियों से बचाना चाहा! उसने बहुत बड़ी गलती की—वह मुझे नरकाग्नि की शिक्षा देने लगा! उसने तीन पॆंटिकॉस्टल महिलाओं को भी भेजा ताकि मुझे साक्षियों के साथ अध्ययन न करने के लिए राज़ी कर सकें।
इस बीच, बर्ट ने बैठक में से मेरे बाइबल अध्ययन को सुना। बाद में, उसने न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द क्रिस्टियन ग्रीक स्क्रिप्चर्स पढ़ना शुरू किया और उसे कुछ-कुछ समझ आने लगा। उसकी शिफ्ट ड्यूटी थी जो बीच रात को खत्म होती थी। सो जब वह घर पहुँचता था तो मैं बिस्तर में होती थी। एक रात मैं चुपके-से नीचेवाले कमरे में गयी और देखा कि वह चोरी-चोरी मेरी किताबें पढ़ रहा है! मैं दबे पाँव अपने कमरे में लौट आयी और यह सोचकर खुश हुई कि वह खुद ही जाँचकर देख रहा है। कुछ समय बाद उसने भी बाइबल अध्ययन किया और १९५६ में हम बपतिस्मा-प्राप्त साक्षी बन गये।
आठ साल में सात बेटे हुए तो मैंने जाना कि रोज़मर्रा के घर के काम करना, जैसे उन्हें खिलाना, तैयार करना और घर को साफ-सुथरा रखने की कोशिश करना एक चुनौती है। लड़कों ने घर में अपने हिस्से का काम करना सीख लिया। मैंने कई बार कहा है कि मेरे पास बर्तन धोने की एक मशीन नहीं—सात थीं! हर लड़का बारी-बारी से यह ज़रूरी काम करता था। हाँ, बर्ट भी बहुत मदद करता था। उसने बराबर अनुशासन और घर के नियम बनाए रखे और साथ ही संचार का मार्ग भी खुला रखा। लड़के अपने पापा का आदर तो करते थे लेकिन उनसे डरते नहीं थे। बर्ट ने बेटों को लैंगिकता के बारे में भी सिखाया। उसने अपनी इस ज़िम्मेदारी में कभी लापरवाही नहीं की।
हमारा सबसे बड़ा बेटा, रिचर्ड स्वयंसेवा करने के लिए १९६६ में ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क में वॉच टावर सोसाइटी के मुख्यालय गया। घरौंदा छोड़कर पहले बच्चे को जाते देखना मेरे लिए काफी मुश्किल था। हर दिन मेज़ पर वह खाली जगह देखकर मेरा दिल दुखता था। लेकिन मैं खुश थी कि उसे अच्छा अनुभव और प्रशिक्षण मिल रहा है।
आगे की कहानी बर्ट से सुनिए।
अपने लड़कों को बाइबल सिद्धांतों के अनुसार पालना
मेरा और मार्गरॆट का बपतिस्मा स्पोकैन, वॉशिंगटन में एक अधिवेशन में हुआ। अब हमारे सामने अपने लड़कों को बाइबल सिद्धांतों के अनुसार पालने की चुनौती थी—जिसे आप शायद पुराना तरीका कहें। मैं कोई झूठ या कोई दोहरे स्तर नहीं बरदाश्त करता था और लड़के इस बात को जानते थे। हमने उन्हें सिखाया कि यहोवा अच्छे-से-अच्छा पाने का हकदार है।
लेकिन वे यह भी जानते थे कि वे मुझे अपने दिल की बात बता सकते हैं क्योंकि हमारा बड़ा नज़दीकी रिश्ता था और हम बहुत सारे काम एकसाथ करते थे। परिवार में हम सब मिलकर समुद्र किनारे जाने का मज़ा लेते थे, पहाड़ों में पिकनिक मनाते थे और खेल खेलते थे। हमारे पास जानवर थे और एक बगीचा था, और जो भी काम करना होता उसमें सभी लड़के हाथ बँटाते थे। इस तरह उन्होंने काम करना और खेलना सीखा। हमने अपने कामों में संतुलन रखने की कोशिश की।
ईश्वरशासित सैर
जहाँ तक आध्यात्मिक बातों का सवाल है तो राज्यगृह की मसीही सभाओं में हम सब एकसाथ जाते थे और हमारा नियमित पारिवारिक बाइबल अध्ययन होता था। १९५७ में हम सीऎटल, वॉशिंगटन में यहोवा के साक्षियों के अधिवेशन में गये। कार्यक्रम के दौरान एक निवेदन किया गया कि जहाँ परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने के लिए साक्षियों की ज़्यादा ज़रूरत है वहाँ कुछ परिवार जाकर सेवा करें। हमारे परिवार ने सोचा कि यह अच्छा विचार है और हम घर बदलने की योजना बनाने लगे। पहले हम १९५८ में मज़ुअरी गये और फिर १९५९ में मिसीसिपी में बसे।
वर्ष १९५८ में हमने पहली बार बड़ी ईश्वरशासित सैर की। मैंने एक कैंपिंग ट्रेलर गाड़ी बनायी, जिसे हमने पुरानी १९४७ मॉडल की थ्री-सीटर, सिक्स-सिलिंडर डीसोटो से खींचा। उस साल हम सभी नौ जन अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में उपस्थित होने के लिए उस कार में न्यू यॉर्क गये। हमने सड़क पर कई हफ्ते बिताये। पश्चिम तट में स्पोकैन से न्यू यॉर्क तक—जो ४,२०० किलोमीटर से ज़्यादा लंबी दूरी है—हम रास्ते में जगह-जगह कैंपिंग करते गये! लड़के उस सफर को बड़े प्यार से याद करते हैं जब उन्होंने मूल्यवान समय बिताया और बहुत मज़ा किया।
केक से अनुशासन सीखना
उस अधिवेशन में हमें पुस्तक फ्रॉम पैराडाइस लॉस्ट टू पैराडाइस रीगेन्ड की प्रतियाँ मिलीं।b बाइबल के साथ-साथ वह पुस्तक हमारे साप्ताहिक पारिवारिक बाइबल अध्ययन की मूल पाठ बन गयी। सभी लड़कों ने छोटी उम्र में ही पढ़ना सीख लिया था। स्कूल के बाद मार्ज लड़कों के साथ कुछ समय बिताती और जब वे बाइबल पढ़ते तो सुनती। हमने टीवी को उनके दिमाग पर हावी नहीं होने दिया।
हमारे परिवार में अनुशासन और आदर था। एक बार मार्गरॆट ने बड़ा-सा केक बनाया—वह बहुत बढ़िया केक बनाती है। उस दिन के खाने में गाजर भी थी। हम लड़कों को हमेशा प्रोत्साहित करते थे कि सब्ज़ियों को कम-से-कम चखकर तो देखें। डग को गाजर पसंद नहीं थी। उससे कहा गया कि अगर वह गाजर नहीं खाएगा तो उसे केक भी नहीं मिलेगा। फिर भी उसने अपना खाना खत्म नहीं किया। मार्गरॆट ने कहा, “अगर तुम वह गाजर नहीं खाओगे, तो तुम्हारा केक कुत्ते को मिल जाएगा।” मुझे नहीं लगता कि डग ने उसकी बात पर विश्वास किया जब तक कि उसने ब्लैकी को उसका स्वादिष्ट केक खाते नहीं देख लिया! उसने और बाकी लड़कों ने भी उस अनुभव से एक सबक सीखा। माता-पिता होने के नाते, हम जो कहते थे वह करते थे।
ज़िंदगी मज़ेदार थी
मैं और मार्गरॆट मत्ती ६:३३ में दी गयी यीशु की सलाह पर चले: “इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।” हमारे परिवार ने राज्य हितों को पहले रखने की कोशिश की। हम सबको एकसाथ प्रचार के लिए जाने में मज़ा आता था और लड़के बारी-बारी से मेरे साथ घर-घर जाते थे। हर लड़के के पास अपना प्रचार बैग, बाइबल और बाइबल साहित्य था। वे जो भी प्रगति करते हम उसके लिए उन्हें शाबाशी देते। मार्गरॆट अकसर उन्हें प्यार से गले लगाती थी। असल में, हम उन्हें हमेशा स्नेह दिखाते थे। हम हमेशा लड़कों के लिए समय निकालते थे—ज़िंदगी मज़ेदार थी!
जैसे-जैसे लड़के बड़े हुए, उन्हें ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गयीं, जैसे लोगों को सभाओं में लाना, राज्यगृह को खोलना, और दूसरे कामों में हाथ बँटाना। उन्होंने राज्यगृह की कदर करना सीखा कि वह उनकी उपासना का स्थान है और उन्होंने उसका रखरखाव करने में आनंद लिया।
हमने उन्हें प्रोत्साहन दिया कि मसीही सभाओं में अपने विचार व्यक्त करें। उन्होंने ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल में अपने छोटे-छोटे विद्यार्थी भाषण दिये और वहीं धीरे-धीरे उन्होंने वक्ता बनना सीखा। हमारे पाँचवें बेटे माइकल को भाषण देना बिलकुल पसंद नहीं था और उसे मंच पर बहुत मुश्किल होती थी। अपने भाषण के बीच में ही वह निराश होकर आँसू बहाने लगता था क्योंकि वह अपना भाषण खत्म नहीं कर पाता था। समय के बीतने पर उसने इस मुश्किल को पार कर लिया और अब वह विवाहित है, एक सफरी ओवरसियर के रूप में सेवा करता है, अलग-अलग कलीसियाओं से भेंट करता और सप्ताह में कई बार भाषण देता है। कितना बड़ा बदलाव!
लड़कों ने अनुशासन को किस दृष्टिकोण से देखा
सजग होइए! ने माइकल से यह पूछने के लिए संपर्क किया कि पुराने तरीके से पाले-पोसे जाने के बारे में वह क्या सोचता है। “हम पापा को अच्छा अनुशासक मानते थे। मुझे याद है कि किशोरावस्था में मैं एक रेडियो स्टेशन पर काम करने जाता था। मैं एक कार खरीदना चाहता था ताकि पूर्ण-समय की पायनियर सेवकाई में भी हिस्सा ले सकूँ। स्टेशन मैनेजर ने मुझे अपनी टू-डोर फोर्ड मस्टैंग कनवर्टिबल कार बेचनी चाही। वह स्पोट्र्स कार थी जो जवानों के बीच बहुत लोकप्रिय थी। मेरा दिल उस कार पर आ गया, जबकि मैं जानता था कि वह सेवकाई में लोगों को अपने साथ ले जाने के लिए बहुत व्यावहारिक नहीं थी। मैं पापा के पास थोड़ा घबराता हुआ गया। जब मैंने उन्हें इस कार के बारे में बताया तो उन्होंने कहा, ‘आओ इसके बारे में बात करते हैं।’ मैं समझ गया कि उसका क्या मतलब है! उन्होंने मेरे साथ तर्क किया और मुझे एक ज़्यादा व्यावहारिक कार के फायदे बताये। सो मैंने फोर-डोर सिडैन खरीद ली, और अपनी प्रचार नियुक्ति में उसे १,६०,००० किलोमीटर चलाने के बाद मैं बस यही कह सका, ‘पापा की बात फिर सही निकली।’
“जब हम छोटे थे तब कई बार घर बदलना—वॉशिंगटन से मज़ुअरी और फिर वहाँ से मिसीसिपी—रोमांचक अनुभव था। हमने उसका मज़ा लिया। जब हम नौ जन २.५ मीटर बटा ११ मीटर के ट्रेलर में एक साल तक रहे तब भी बड़ा मज़ा आया। हमने व्यवस्थित होना सीखा और छोटी-सी जगह में भी एक दूसरे के साथ मेल से रहना सीखा। हाँ, यह तो है कि हम बाहर जाकर बहुत खेलते थे।
“एक और बात जो मुझे याद है और बहुत पसंद है वह यह है कि पापा हमारे साथ दैनिक पाठ की चर्चा कैसे किया करते थे। १९६६ में वे साउथ लैंसिंग, न्यू यॉर्क में किंगडम फार्म में आयोजित प्राचीनों के स्कूल में उपस्थित हुए। वहाँ उन्होंने देखा कि हर दिन पाठ पर टिप्पणी करने के लिए बॆथॆल परिवार शोध करता है। उन्होंने वही तरीका हमारे पारिवारिक नित्यक्रम में अपना लिया। बारी-बारी से हम सातों भाइयों को हर सुबह शोध करके टिप्पणी करने के लिए नियुक्त किया जाता था। कभी-कभार हम कुड़कुड़ाते तो थे लेकिन इससे हमने शोध करना और अपने विचारों को व्यक्त करना सीखा। इस किस्म की आदतें जीवन भर बनी रहती हैं।
“हमारे लिए मम्मी-पापा ने जो त्याग किये उनसे मैं बहुत प्रभावित हुआ। जब मेरे दो बड़े भाई रिचर्ड और डैन घर के लिए पैसा कमाने के लायक हुए तो हमारे मम्मी-पापा ने उन्हें ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क जाकर वॉच टावर सोसाइटी के विश्व मुख्यालय में स्वयंसेवा करने का प्रोत्साहन दिया। हमारे मम्मी-पापा ने पैसा भी जमा किया ताकि हम पाँच जन मुख्यालय देखने के लिए न्यू यॉर्क जा सकें। इसका मुझ पर बहुत असर हुआ। इसने यहोवा के संगठन के लिए हमारी कदरदानी बढ़ायी।
“अब आगे की कहानी फिर से पापा की ज़बानी सुनिये।”
हमें भी धक्के पहुँचे
दूसरे परिवारों की तरह हमें भी मुश्किलें आयीं और धक्के पहुँचे। जब लड़के जवान हुए तो मुझे उनको सलाह देनी पड़ी कि पहली लड़की पर नज़र पड़ते ही तुरंत शादी करने की न सोचें। हमने यह भी ध्यान रखा कि जब वे किसी लड़की के साथ जाएँ तो उनके साथ हमेशा कोई दूसरा भी रहे। हम चाहते थे कि जीवन साथी चुनने से पहले उनके पास जीवन का कुछ अनुभव हो। कभी-कभी आँसू बहते थे और कभी कुछ समय के लिए दिल भी टूटते थे, लेकिन आगे चलकर उन्होंने बाइबल की सलाह की बुद्धिमत्ता को पहचाना—खासकर “प्रभु में” विवाह करने के बारे में। हमने उनकी बुद्धिमानी के लिए उन्हें शाबाशी दी।—१ कुरिन्थियों ७:३९.
हमारे सातवें बेटे स्कॉट के कारण हमने आँसू बहाए। वह अपने कार्यस्थल पर बुरी संगति में फँस गया। आखिरकार उसे कलीसिया से बहिष्कृत कर दिया गया। इसने हम सबको हिलाकर रख दिया लेकिन हमने प्राचीनों के न्यायिक फैसले का आदर किया। स्कॉट को कठिन अनुभव से सीखना पड़ा कि यहोवा की सेवा करना जीने का सबसे बढ़िया तरीका है।
हमने कभी यह आस नहीं छोड़ी कि वह कलीसिया में लौट आएगा। खुशी की बात है कि पाँच साल के बाद उसे कलीसिया में बहाल कर दिया गया। पीछे मुड़कर देखने पर वह कहता है, “जब मैं बहिष्कृत था और परिवार के साथ मेरी संगति बहुत कम थी, तब भी मुझे पक्का पता था कि मेरा परिवार मुझसे प्रेम करता है। इस बात से मुझे मदद मिली।” स्कॉट उन्नति करता गया और पिछले आठ सालों से प्राचीन के रूप में सेवा कर रहा है।
दुःख के साथ कहना पड़ता है कि हाल के सालों में हमारे दो पोते-पोतियों को बहिष्कृत किया गया। लेकिन हमें यह दिलासा है कि यहोवा से मिली ताड़ना का सकारात्मक फल निकल सकता है।
हमारे जीवन में एक बड़ा बदलाव
आखिरकार १९७८ तक सभी लड़के घर छोड़ गये थे। सालों के दौरान मैंने हीटिंग, वॆंटीलेशन और एअर-कंडिशनिंग के काम में अनुभव पा लिया था। १९८० में मुझे और मार्गरॆट को वॉच टावर सोसाइटी के ब्रुकलिन मुख्यालय में नौ महीने काम करने का आश्चर्यजनक न्यौता मिला। अठारह साल बाद भी हम वहीं हैं!
हमें भरपूर आशिषें मिली हैं। अपने बेटों को पुराने तरीके से, बाइबल सिद्धांतों के अनुसार पालना हमेशा आसान नहीं होता था, लेकिन हमारे किस्से में यह सफल रहा। हमारी वर्तमान पारिवारिक स्थिति यह है कि हमारे पाँच लड़के कलीसिया प्राचीनों के रूप में सेवा कर रहे हैं, और एक सफरी ओवरसियर है। हमारे २० पोते-पोतियाँ हैं और ४ परपोते-परपोतियाँ हैं—और इनमें से अधिकतर सच्चाई में हैं और परमेश्वर के वफादार सेवक हैं।
हमने भजनहार के शब्दों की सच्चाई देखी है: “देखो, लड़के यहोवा के दिए हुए भाग हैं, गर्भ का फल उसकी ओर से प्रतिफल है। जैसे वीर के हाथ में तीर, वैसे ही जवानी के लड़के होते हैं।”—भजन १२७:३, ४.
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित (१९४६); अब नहीं छपती।
b वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।
[पेज 20, 21 पर तसवीरें]
अपने बेटों और बहुओं (दायीं ओर) और पोते-पोतियों (बिलकुल दायीं ओर) के साथ, १९९६ में हमारी शादी की ५०वीं सालगिरह पर