आपकी जीवन-शैली—क्या-क्या जोखिम हैं?
कई तरह से स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्थिति बेहतर नज़र आ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की १९९८ की रिपोर्ट कहती है: “आज पहले से कहीं ज़्यादा लोगों को स्वास्थ्य सेवा, साफ पानी और साफ-सफाई की कम-से-कम कुछ सुविधाएँ तो उपलब्ध हैं।” माना कि दुनिया की अधिकतर आबादी आज भी बदहाली में जी रही है, तोभी जैसा ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (BBC) ने रिपोर्ट किया, “पिछले ५० सालों में दुनिया भर में जितनी गरीबी दूर की गयी है उतनी तो उससे पहले के ५०० सालों में भी नहीं की गयी।”
दुनिया की स्वास्थ्य-सेवा व्यवस्थाओं में हुए सुधारों के कारण दुनिया भर में जन्म के समय व्यक्ति का औसत अपेक्षित-जीवन (life expectancy) बढ़ गया है। १९५५ में यह औसत था ४८ साल। १९९५ तक यह बढ़कर ६५ साल हो गया था। इस बढ़ोतरी का एक कारण है बचपन में होनेवाली बीमारियों की रोकथाम।
सिर्फ ४० साल पहले, कुल मरनेवालों में से ४० प्रतिशत तो पाँच साल से कम उम्र के बच्चे होते थे। लेकिन १९९८ तक, दुनिया के बहुत-से बच्चों को खासकर बचपन में होनेवाली बीमारियों से बचाव के टीके लगा दिये गये थे। इसलिए, पाँच साल से कम उम्र में मरनेवाले बच्चे अब कुल मरनेवालों का २१ प्रतिशत रह गये हैं। WHO के अनुसार, हम “निश्चित ही ज़्यादा स्वस्थ और लंबे जीवन की ओर बढ़” रहे हैं।
लेकिन, यदि जीवन-स्थिति में सुधार न हो तो लंबा जीवन किसी काम का नहीं। बेहतर जीवन-शैली की तलाश में बहुतेरे लोग भौतिक सुख-विलास पर ज़्यादा ज़ोर देते हैं। लेकिन, ऐसी जीवन-शैली स्वास्थ्य के लिए अपने ही जोखिम खड़े कर सकती है।
बेहतर जीवन-शैली?
हाल के सामाजिक-आर्थिक विकास से लोगों की जीवन-शैलियों में बहुत बदलाव आया है। आज विकसित देशों में बहुतों के लिए उन सुविधाओं और सेवाओं का लाभ उठाना संभव हो गया है जिनका लाभ पहले सिर्फ अमीर लोग उठा पाते थे। और जबकि इनमें से कुछ उपलब्धियों से लंबे जीवन की संभावना बढ़ी है, लेकिन बहुत लोग ऐसी जीवन-शैली में फँस गये हैं जिसके कारण उनकी ज़िंदगी तबाह हो गई है।
उदाहरण के लिए, ज़्यादा पैसा आ जाने के कारण करोड़ों लोगों ने बेकार की चीज़ें खरीदने में अपना पैसा बरबाद किया है, जैसे लत लगनेवाले नशीले पदार्थ, शराब और तंबाकू। दुःख की बात है कि इसका वही नतीजा हुआ जो होना था। वर्ल्ड वॉच पत्रिका कहती है कि “दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ रहा जन-स्वास्थ्य का खतरा किसी बीमारी से नहीं, एक उत्पादन से है।” पत्रिका आगे बताती है: “२५ साल के अंदर, तंबाकू से होनेवाली बीमारी संक्रामक बीमारी से आगे बढ़कर दुनिया भर में मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाएगी।” इसके अलावा, साइंटिफिक अमॆरिकन कहती है: “हैरानी की बात है कि ३० प्रतिशत जानलेवा कैंसर मूल रूप से धूम्रपान के कारण होते हैं और इतने ही जीवन-शैली के कारण, खासकर लोगों की खाने-पीने की आदतें और व्यायाम की कमी के कारण।”
इसमें कोई शक नहीं कि अपनी जीवन-शैली के बारे में हम जो फैसले करते हैं उनका हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। तो फिर, हम स्वस्थ रहने या अपना स्वास्थ्य सुधारने के लिए क्या कर सकते हैं? क्या सही आहार और व्यायाम काफी हैं? इसके अलावा, एक स्वस्थ जीवन-शैली में मानसिक और आध्यात्मिक बातों की क्या भूमिका है?