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अपनी वक्‍तव्य क्षमता और शिक्षण क्षमता कैसे सुधारें
ht अध्या. 16 पेज 76-79

अध्ययन १६

विषय क्षेत्र सेवकाई के लिए अनुकूल किया गया

१-३. हमारे विषय को क्षेत्र सेवकाई के अनुरूप करना सीखना महत्त्वपूर्ण क्यों है?

आज मसीही सेवकों के तौर पर हमारे काम का एक अहम भाग परमेश्‍वर के वचन का ऐसे लोगों को प्रचार करना और सिखाना शामिल करता है जो बाइबल के बारे में बहुत ही कम जानते हैं। उनमें से कुछ लोगों के पास बाइबल रही ही नहीं हैं; दूसरों के पास मात्र शैल्फ़ में एक प्रति है। इसका अर्थ है कि यदि हम जो कहते हैं उसका उन्हें पूरा फ़ायदा प्राप्त करना है तो इसे हमें उनकी परिस्थितियों के अनुकूल करना है। इसका अर्थ यह नहीं कि हम संदेश को बदल देंगे, परन्तु जिस तरह की भाषा को वे समझते हैं उसमें इसे व्यक्‍त करने का हम एक ख़ास प्रयास करते हैं। वास्तव में इस प्रकार अपने विषय को अनुकूल बनाने के लिए कहा जाना इस बात की एक कसौटी है कि हम स्वयं उस बात को कितनी अच्छी तरह समझते हैं।

२ अनुकूल बनाने का अर्थ है नई परिस्थितियों का सामना करने के लिए बदल करना, अनुरूप होना। इसका अर्थ है कि किसी चीज़ को अपने या दूसरे की संतुष्टि के संगत बनाना। विषय को क्षेत्र सेवकाई के अनुकूल बनाने के बारे में विचार करने के द्वारा क्षेत्र सेवकाई या किसी अन्य भाषण में प्रस्तुतियों को किसी ख़ास श्रोतागण और ख़ासकर क्षेत्र सेवकाई में मिले नए दिलचस्पी रखनेवाले व्यक्‍तियों के लिए सरल और समझने योग्य बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर देना चाहिए। अतः, स्कूल में इस गुण पर कार्य करते वक़्त आपको हमेशा अपने श्रोतागण को उस दृष्टिकोण से देखना है जिससे आप उन लोगों को देखते हैं जिन्हें आप घर-घर के गवाही कार्य में मिलते हैं।

३ इसका अर्थ यह नहीं कि इस गुण पर कार्य करते वक़्त आपके भाषण को एक घर-घर की प्रस्तुति के रूप में होना चाहिए। सभी भाषण जिस रीति से प्रस्तुत किए जाते हैं वह स्कूल के आपके वर्तमान निर्देशनों के अनुसार समान होंगे। इसका अर्थ यह है कि चाहे आप जिस तरह की भी प्रस्तुति कर रहे हों, जिन तर्कों को आप विकसित करते हैं, और जिस भाषा का आप इस्तेमाल करते हैं, वह उस प्रकार की होगी जैसे कि आप उन लोगों के साथ इस्तेमाल करेंगे जिन्हें आप क्षेत्र सेवकाई में मिलते हैं। क्योंकि हमारा अधिकांश बोलना क्षेत्र सेवकाई में होता है, इससे आपको सरल रीति से, उस स्तर पर बात करने की ज़रूरत के बारे में सचेत होने में मदद मिलनी चाहिए जिसे क्षेत्र सेवकाई में मिले अधिकांश लोग समझते हैं। अध्ययन २१ में आपने इस गुण के बारे में कुछ तैयारी की है। इसकी विशिष्ट ज़रूरत और महत्त्व की वजह से अब इस पर अलग ध्यान दिया जाना है।

४, ५. समझाइए कि हमारी अभिव्यक्‍तियाँ आम जनता के समझनेयोग्य क्यों बनायी जानी चाहिए।

४ अभिव्यक्‍तियाँ आम जनता के समझनेयोग्य बनायी गयीं। इस गुण की ज़रूरत उन अभिव्यक्‍तियों से प्रदर्शित होती है जिनका कुछ भाई घर-घर की सेवकाई और नए अध्ययनों में इस्तेमाल करते हैं। शास्त्रवचनों की हमारी समझ ने हमें एक ऐसी शब्दावली प्रदान की है जो आम लोगों को मालूम नहीं है। हम “शेषवर्ग,” “अन्य भेड़,” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। यदि हम उनका अपनी बातचीत में इस्तेमाल करते हैं, तो ऐसी अभिव्यक्‍तियाँ साधारणतः उन लोगों के लिए कोई अर्थ नहीं रखती जिन्हें हम क्षेत्र सेवा में मिलते हैं। उन्हें समझनेयोग्य होने के लिए उपयुक्‍त समानार्थक अभिव्यक्‍ति या स्पष्टीकरण का इस्तेमाल करते हुए स्पष्ट किया जाना चाहिए। “अरमगिदोन” और “राज्य की स्थापना” के बारे में ज़िक्र करने का भी कोई अर्थ नहीं जब तक कि उनके अर्थ के बारे में कुछ स्पष्टीकरण न दिया जाए।

५ इस पहलू पर विचार करते हुए, आपका सलाहकार अपने आप से पूछेगा, क्या बाइबल सच्चाई से अपरिचित एक व्यक्‍ति उस मुद्दे या अभिव्यक्‍ति को समझेगा? ज़रूरी नहीं कि वह आपको ऐसे ईश्‍वरशासित पदों का इस्तेमाल करने से निरुत्साहित करे। ये हमारी शब्दावली के भाग हैं और हम चाहते हैं कि नए दिलचस्पी रखनेवाले लोग उनसे परिचित हों। लेकिन यदि आप इनमें से किसी पद का इस्तेमाल करते हैं तो वह ध्यान देगा कि वे समझाए गए हैं कि नहीं।

६-८. अपने भाषणों को तैयार करते वक़्त, उपयुक्‍त मुद्दों को चुनने में हमें सावधान क्यों होना चाहिए?

६ उपयुक्‍त मुद्दे चुने गए। सेटिंग पर निर्भर करते हुए, क्षेत्र सेवा में प्रस्तुत करने के लिए आपके विचारों का चयन भी अलग होगा, जैसे कि आप जिन पदों का इस्तेमाल करते हैं वे भिन्‍न होते हैं। यह इसलिए है क्योंकि साधारणतः ऐसी कुछ बातें हैं जिन्हें हम नए दिलचस्पी रखनेवाले से चर्चा न करने का चुनाव करते हैं। ऐसी परिस्थितियों में विषय का चयन पूर्णतः आप पर निर्भर करता है। लेकिन जब आपको स्कूल में एक नियुक्‍ति दी जाती है तो जिस विषय को पूरा करने की आपसे अपेक्षा की जाती है वह आपके लिए पहले से ही चुना हुआ है। आपकी नियुक्‍ति में जो शामिल है मात्र उससे ही आप चुन सकते हैं। आपको क्या करना चाहिए?

७ सबसे पहले, क्योंकि जिन मुद्दों को आप इस्तेमाल कर सकते हैं वे सीमित हैं, आपको अपने भाषण के लिए एक सेटिंग चुनना पड़ेगा जो उपयुक्‍त मुद्दों के सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की अनुमति देगा। आपका सलाहकार उन मुद्दों में जिन्हें आप चुनते हैं और जिस रीति से वे आपके भाषण की परिस्थितियों में ठीक बैठते हैं, उसके बारे में दिलचस्पी रखेगा। यह इसलिए है क्योंकि इस विचाराधीन गुण में आप क्षेत्र सेवकाई के उन विभिन्‍न पहलुओं को प्रदर्शित कर रहे हैं जो विभिन्‍न प्रकार की जानकारी की माँग करते हैं। उदाहरण के लिए, आप एक नए दिलचस्पी रखनेवाले व्यक्‍ति को एक सभा के लिए आमंत्रित करते वक़्त और एक दर-दर की प्रस्तुति करते वक़्त उसी विषय को इस्तेमाल नहीं करेंगे। सो चाहे आपकी नियुक्‍ति गृहस्वामी के साथ एक चर्चा हो या मंच पर से एक साधारण भाषण हो, आप जो कहते हैं और नियुक्‍त विषय के कौन-से मुद्दे आप चुनते हैं उससे उस विशिष्ट श्रोतागण की पहचान कराइए जिन्हें आप सम्बोधित कर रहे हैं।

८ यह निश्‍चित करने के लिए कि मुद्दे उपयुक्‍त हैं या नहीं, आपका सलाहकार आपके भाषण के उद्देश्‍य पर विचार करेगा। घर-घर की भेंट में आपका उद्देश्‍य सामान्यतः सिखाना और अधिक अध्ययन करने के लिए गृहस्वामी को उकसाना है। पुनःभेंट में आपका उद्देश्‍य है दिलचस्पी को बढ़ाना, और यदि संभव हो तो, एक गृह बाइबल अध्ययन आरम्भ करना। यदि यह एक अध्ययन के बाद की प्रस्तुति है, तो यह गृहस्वामी को सभा में उपस्थित होने या क्षेत्र सेवकाई में भाग लेने इत्यादि के लिए उकसाने के लिए है।

९, १०. हम कैसे निश्‍चित कर सकते हैं कि जिन मुद्दों को हमने चुना है वे उपयुक्‍त हैं?

९ जी हाँ, सेवा के उसी पहलू में भी, श्रोतागण के अनुसार आपके मुद्दों का चयन शायद अलग-अलग हो। अतः इस बात को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। आपके नियुक्‍त विषय में वे मुद्दे जो आपके लक्ष्य के लिए उपयुक्‍त नहीं हैं उन्हें आपके भाषण में नहीं लाया जाना चाहिए।

१० इन कारणों को ध्यान में रखते हुए, भाषण को तैयार करने से पहले सेटिंग चुना जाना चाहिए। अपने आपसे पूछिए: मैं क्या निष्पन्‍न करना चाहता हूँ? इस उद्देश्‍य को पूरा करने के लिए कौन-से मुद्दे ज़रूरी हैं, और इन मुद्दों को कैसे समंजित किया जाना चाहिए ताकि वे भाषण की परिस्थितियों के अनुरूप हों? जब आप इन बातों का निर्णय कर लेते हैं तो उपयुक्‍त मुद्दे बिना मुश्‍किल के चुने जा सकते हैं और उस प्रकार व्यक्‍त किए जा सकते हैं कि वह जानकारी क्षेत्र सेवकाई के लिए अनुकूल हो।

११-१३. जिस विषय को हमने प्रस्तुत किया है उसका व्यावहारिक महत्त्व बताना क्यों महत्त्वपूर्ण है?

११ विषय का व्यावहारिक महत्त्व विशिष्ट किया गया। विषय का व्यावहारिक महत्त्व विशिष्ट करने का अर्थ है गृहस्वामी को स्पष्टतः दिखाना कि इसका उससे सम्बन्ध है, कि यह कुछ ऐसी बात है जिसकी उसे ज़रूरत है या जिसका वह इस्तेमाल कर सकता है। भाषण की शुरूआत से गृहस्वामी को समझना चाहिए कि “मैं इसमें शामिल हूँ।” यह श्रोतागण के ध्यान को प्राप्त करने के लिए ज़रूरी है। लेकिन उस ध्यान को बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि पूरे भाषण के दौरान नियमित रूप से विषय का वही व्यक्‍तिगत अनुप्रयोग जारी रखें।

१२ इसमें मात्र श्रोतागण सम्पर्क और आपके श्रोतागण को तर्क करने में मदद देने से अधिक शामिल है। अब आपको आगे बढ़ना है और वास्तव में अपने गृहस्वामी को विषय के अनुप्रयोग में शामिल करना है। क्षेत्र सेवकाई में हमारा उद्देश्‍य है लोगों को परमेश्‍वर के वचन की सच्चाई सिखाना और उद्धार के मार्ग के बारे में सीखने के लिए मदद देना। अतः, व्यवहार-कुशलता और विचारशीलता से आपको अपने गृहस्वामी को उन व्यावहारिक फ़ायदों के बारे में बताना है जो उसे प्राप्त होंगे, यदि वह आप जो कह रहे हैं उसे सुनेगा और उस पर कार्य करेगा।

१३ हालाँकि भाषण गुण का यह पहलू आख़िर में बताया गया है, ऐसा इसलिए नहीं है कि वह सबसे कम महत्त्वपूर्ण है। यह एक अत्यावश्‍यक मुद्दा है और इसे कभी नज़रंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। इस पर कार्य कीजिए, क्योंकि यह क्षेत्र सेवकाई में महत्त्वपूर्ण है। आप अपने गृहस्वामी के ध्यान को कुछ समय तक भी बनाएँ नहीं रख सकेंगे यदि वह यह बात स्पष्टतः नहीं समझ सकता है कि आप जो कह रहे हैं वह उसके अपने जीवन में कुछ महत्त्व का है।

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