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  • कृतज्ञ क्यों बने?
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1989
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  • इन्हें आसानी से लिया जाता है
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    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1989
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1989
w89 10/1 पेज 3

कृतज्ञ क्यों बने?

इस पत्रिका के मुख्य पृष्ठ को देखिये। यह निश्‍चित रूप से हमें याद दिलाता है कि हर जगह व्याप्त गंदगी और कुरूपता के बावजूद, बहुत सारी सुन्दर वस्तुएँ हैं।

क्या आप इन सुन्दर वस्तुओं का मूल्यांकन करते हैं? जरा शान्त और सौम्य रंगों वाले मेघधनुष के बारे में सोचिये जो भीषण तूफान के बाद दृष्टि गोचर होता है। एक जल प्रवात की कल्पना कीजिये या प्राणियों को उनके बच्चों के साथ आखेट करते देखिये। एक सुन्दर फूलों के बगीचे या गेहूँ की फसल से लबालब भरे खेत का विचार करें। जी हाँ! बहुतों के लिए यह एक आम दृश्‍य है। परन्तु आप पर उनका क्या प्रभाव होता है?

इन्हें आसानी से लिया जाता है

सामान्यः जिस का अनुभव बार-बार होता है वह साधारण बात बन जाती है और उसे आसानी से लिया जाता है। यह इस बीसवीं सदी की तेजी से चलती हुई दुनिया में और भी अधिक सत्य है परन्तु ध्यान देने के लिए समय नहीं देना या आशीषों व कृतज्ञता के कारणों को नजर अन्दाज करना भी असिद्ध मानवजाति की न्यूनताओं में से एक है।

दूसरी तरफ भजनहारे दाऊद ने प्रेरणाधीन होकर अक्सर गीतों के द्वारा कृतज्ञता प्रकट की। दाऊद के गीतों में से एक में परमेश्‍वर के प्रति कृतज्ञता का उद्‌गार इस प्रकार किया गया है:

“जब मैं आकाश को जो तेरे हाथों का कार्य है

और चन्द्रमा और तारागण को जो तूने नियुक्‍त किये हैं, देखता हूँ,

तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे,

और आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले?

तू ने उसे अपने हाथों के कार्यों पर प्रभुता दी है;

तू ने उसके पाँवतले सब कुछ कर दिया है।

तब भेड़ बकरी और गाय बैल

और जितने वनपशु है;

आकाश के पक्षी और समुद्र की मछलियाँ

और जितने जीवजन्तु समुद्रों में चलते फिरते हैं

हे यहोवा, हे हमारे प्रभु, तेरा नाम सारी पृथ्वी पर क्या ही प्रतापमय है।​—भजन संहिता ८:३, ४, ६-९.

कृतज्ञता विषाद्‌ को रोक सकती है

सुन्दर चीजों के लिए भजनहारे की कृतज्ञता से अरुचिकर दृश्‍य या कठिन परिस्थितियों से उत्पन्‍न विषाद को हटाया जा सकता है। आपको भी यही अनुभव हो सकता है। कैसे? अपने आसपास की सुन्दर चीजों का मूल्यांकन करके। इस प्रकार से आप अपनी और अपने आसपास के लोगों की खुशी को बढ़ा सकते हैं।

अतः क्यों नहीं प्रतिदिन दिखनेवाली सुन्दरता और आश्‍चर्यों से हमें अपने शुभचिन्तक सृष्टिकर्त्ता के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्‍त करने में मदद मिले? अब हम कृतज्ञ होने के कुछ अतिरिक्‍त कारणों पर विचार करेंगे।

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