धर्म और नाट्ज़ीवाद
“हिट्लर . . . के सरकार में एक कैथोलिक उप-चांसलर था और लगभग शासन के पहले ही दिन से फ्रांज़ फ़ॉन पापेन नए राइख़ (जर्मन राज्य) के समर्थन के लिए कैथोलिक गुटों को आकृष्ट कराने के लिए एक ढँढोरची बन गया। राइख़ के हर हिस्से में, विश्वासीगण को आडॉल्फ हिट्लर को विवेकशून्य आज्ञापालन देने के लिए, फ़ॉन पापेन की आवाज़ प्रोत्साहित करते हुए सुनी जा सकती थी।”
“१९३३ के प्रारंभिक भाग में, जर्मनी में कैथोलिक कर्म और विचार के संस्था निगम ने, जिसका नेतृत्व उस समय [फ्रांज़] फ़ॉन पापेन ने किया, निम्नलिखित औपचारिक घोषणा की: ‘हम जर्मन कैथोलिक लोग, अपने सारे जीव और अपनी सारी दृढ़ धारणाओं समेत, आडॉल्फ हिट्लर और उसकी सरकार का समर्थन करेंगे। पितृभूमि के लिए उसके प्रेम, उसकी कर्मशक्ति, और उसके राजमर्मज्ञोचित बुद्धि पर हम अचरज करते हैं। . . . जर्मन कैथोलिकवाद . . . को थर्ड राइख़ (जर्मन राज्य) के निर्माण में एक सक्रिय भाग लेना चाहिए।’”
फ्रांज़ फ़ॉन पापेन जर्मनी में जिस नाट्ज़ी सरकार की सेवा में था, उसके और रोम में वैटिकन के बीच एक धर्मसंधि प्राप्त करने में सहायक था। जुलाई २०, १९३३, के रोज़ उस धर्मसंधि पर दस्तख़त किए गए। एक विशेष विज्ञप्ति ने बताया: “कार्डिनल और राज्य सचिव पाच्चेली [बाद में पोप पायस XII] ने आज उप-चांसलर फ़ॉन पापेन को ग्रॅन्ड क्रॉस ऑफ दी ऑर्डर ऑफ पायस, यह पद प्रदान किया . . . उप-चांसलर फ़ॉन पापेन ने कार्डिनल राज्य सचिव को राइख़-सरकार की तरफ़ से भेंटस्वरूप माइस्सेन (दक्षिण-पूर्वी पूर्वी जर्मनी का एक शहर) के सफ़ेद चीनी-मिट्टी से बनी एक मॅडोन्ना पेश किया। . . . सभी भेंटों पर ये समर्पण वचन थे: ‘१९३३ राइख़ धर्मसंधि की एक यादगार।’”—सभी उद्धरण एच. डब्ल्यू. ब्लड्-रायन द्वारा लिखित किताब, फ्रांज़ फ़ॉन पापेन—हिज़ लाइफ़ ॲन्ड टाइमस् (फ्रांज़ फ़ॉन पापेन—उसका जीवन और कालावधि) से लिए गए हैं.