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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1989
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कुख़्यात “वेश्‍या” उसका विनाश

“हे लोगों, याह की स्तुति करो! उद्धार, और महिमा, और सामर्थ हमारे परमेश्‍वर ही की है, क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और ठीक हैं। इसलिए कि उस ने उस बड़ी वेश्‍या का, जो अपने व्यभिचार से पृथ्वी को भ्रष्ट करती थी, न्याय किया, और उस से अपने दासों के लोहू का पलटा लिया है।”​—प्रकाशितवाक्य १९:१, २.

१. बड़ी वेश्‍या ने “पृथ्वी के राजाओं” के साथ किस तरह व्यभिचार किया है, और इसका परिणाम क्या हुआ है?

हम जो कुछ भी विचार-विमर्श करते आए हैं, वह काफ़ी गंभीर है। परंतु, हमें ग़ौर करना चाहिए कि प्रकाशितवाक्य १७:२ “पृथ्वी के राजाओं” के साथ बड़ी वेश्‍या के व्यभिचार के विषय भी बताता है। हालाँकि उसका पतन हुआ है, वह अब भी काफ़ी हद तक इस संसार की सहेली है, और वह अपने उद्देश्‍यों को पूरा करने के लिए सांसारिक शासकों से चालबाज़ी से काम निकालने की कोशिश करती है। (याकूब ४:४) बड़ी बाबेलोन और राजनीतिक शासकों के बीच नाजायज़ संबंधों से बननेवाली इस आत्मिक वेश्‍यावृत्ति के फलस्वरूप करोड़ों निर्दोष लोगों को बेवक्‍त मौत के घाट उतारा गया है। यह पर्याप्त मात्रा में बुरा था ही कि बड़ी वेश्‍या विश्‍व युद्ध I में, लड़ाई के दोनों पक्ष में अंतर्ग्रस्त थी। लेकिन विश्‍व युद्ध II से संबंधित उसके पाप निश्‍चय ही “स्वर्ग तक पहुँच गए हैं”! (प्रकाशितवाक्य १८:५) हम ऐसा क्यों कहते हैं?

२. (अ)फ्रांज़ फ़ॉन पापेन ने आडॉल्फ हिट्‌लर को जर्मनी का शासक बनने की मदद किस तरह की, और पहले के जर्मन चांसलर ने उस पेपल सामंत का वर्णन किस तरह किया? (ब) नाट्‌ज़ी सरकार और वैटिकन के बीच की धर्मसन्धि में, कौनसे दो खण्डवाक्य गुप्त रखे गए? (फुटनोट देखें.)

२ ख़ैर, एक उदाहरण के तौर पर, अत्याचारी ॲडोल्फ हिट्‌लर जर्मनी का चांसलर​—और तानाशाह​—किस तरह बन गया? यह एक पेपल सामंत के राजनीतिक षड्यंत्र के ज़रिए हुआ, जिसका वर्णन पूर्वगामी जर्मन चांसलर, कुर्त फ़ॉन श्‍लाइशर ने कुछ इस प्रकार किया कि “वह इस तरीक़े का गद्दार है जिसके सामने यहूदा इसकरियोती भी एक संत नज़र आता है।” यह फ्रांज़ फ़ॉन पापेन था, जिसने हिट्‌लर के नीचे साम्यवाद का विरोध और जर्मनी को एक कर देने के लिए कैथोलिक ॲक्शन (एक गुट) और उद्योग में के सर्वप्रमुख व्यक्‍तियों को संघबद्ध किया। विश्‍वासघात के सौदे के अनुसार, फ़ॉन पापेन को उप-चांसलर बना दिया गया। हिट्‌लर ने फ़ॉन पापेन के नेतृत्त्व में एक प्रतिनिधि-मण्डल को नाट्‌ज़ी सरकार और वैटिकन के बीच एक धर्मसन्धि की व्यवस्था करने के लिए रोम भेज दिया। पोप पायस XI ने जर्मन उपराजदूतों को बताया कि वह कितना खुश था कि “अब जर्मन सरकार के अध्यक्ष-स्थान पर एक ऐसा आदमी है जो अटल रूप से साम्यवाद के विरुद्ध है,” और जुलाई २०, १९३३ के रोज़, वैटिकन में एक विस्तृत समारोह में, कार्डिनल पाचेल्ली ने (जो जल्द ही पोप पायस XII बननेवाला था), धर्मसन्धि पर हस्ताक्षर किया।a

३. (अ)एक इतिहासकार ने नाट्‌ज़ी सरकार और वैटिकन के बीच की धर्मसन्धि के बारे में क्या लिखा? (ब) वैटिकन में आयोजित उत्सवों के दौरान, फ्रांज़ फ़ॉन पापेन को क्या सम्मान प्रदान किया गया? (क) फ्रांज़ फ़ॉन पापेन ने ऑस्ट्रिया के नाट्‌ज़ी अधीनीकरण में क्या भूमिका अदा की?

३ एक इतिहासकार लिखता है: “[वैटिकन के साथ] की धर्मसन्धि हिट्‌लर के लिए एक बड़ी जीत थी। इस से उसे बाहरी दुनिया से प्राप्त पहला नैतिक अनुमोदन मिला, और वह भी एक बहुत ही गौरवशाली सूत्र से।” वैटिकन में हो रहे उत्सवों के दौरान, पाचेल्ली ने फ़ॉन पापेन को पायस के धर्मसंघ के ग्रैन्ड क्रॉस का उच्च पेपल पदक प्रदान किया।b १९४८ में छपी, अपनी किताब, बढ़नेवाली आँधी (द गॅद्‌रिंग स्टॉर्म) में, विंस्टन चर्चहिल बताता है कि फ़ॉन पापेन ने आगे किस तरह ऑस्ट्रिया के नाट्‌ज़ी अधीनीकरण के लिए चर्च का समर्थन हासिल करने “एक अच्छे कैथोलिक के तौर पर अपने नाम” का उपयोग किया। १९३८ में, हिट्‌लर के जन्मदिन के सम्मानार्थ, कार्डिनल इन्‍निट्‌ज़र ने आदेश दिया कि सभी ऑस्ट्रियायी चर्चें स्वस्तिका ध्वज फहराए, अपने घण्टे बजाए, और नाट्‌ज़ी तानाशाह के लिए प्रार्थना करे।

४, ५. (अ) वैटिकन के सिर पर रक्‍तपात का एक घोर अपराध क्यों है? (ब) जर्मन कैथोलिक बिशपों ने हिट्‌लर को खुला समर्थन कैसे दिया?

४ इसीलिए वैटिकन के मत्थे रक्‍तपात का भारी अपराध बना रहता है! बड़ी बाबेलोन का एक प्रमुख हिस्सा होने के नाते, इसने हिट्‌लर को सत्ता दिलाने में और उसे “नैतिक” समर्थन देने में अर्थपूर्ण रूप से मदद की। हिट्‌लर की नृशंसता को मौन रूप से सहमति देकर वैटिकन और आगे गया। नाट्‌ज़ी आतंक के उस दीर्घ दशक के दौरान, जब लाखों कैथोलिक सैनिक नाट्‌ज़ी शासन का गौरव कायम रखने के लिए लड़ और मर रहे थे और जब करोड़ों अन्य अभागे लोग हिट्‌लर के गैस कमरों में परिसमाप्त किए जा रहे थे, तब भी रोमी धर्मगुरु चुप रहा।

५ जर्मन कैथोलिक बिशपों ने हिट्‌लर को खुला समर्थन भी दिया। जिस दिन जापान, उस समय जर्मनी के युद्धकालीन साझेदार, ने पर्ल हार्बर पर चोरी-छिपे आक्रमण किया, उसी दिन द न्यू यॉर्क टाइमस्‌ में यह रिपोर्ट छपी गयी थी: “फुलडा में एकत्र हुए जर्मन कैथोलिक बिशपों के कांफ़रेन्स ने सभी दैवी अनुष्ठान के आरंभ और अंत में पढ़े जाने के लिए एक ख़ास ‘युद्ध प्रार्थना’ के प्रवर्तन की सिफ़ारिश की है। प्रार्थना में जर्मन हथियार को विजय-प्राप्ति की आशीष देने और सभी सैनिकों की जानें और स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए ईश्‍वर से याचना की जाती है। इस के अतिरिक्‍त बिशपों ने कैथोलिक पादरियों को सीखाया कि वे महीने में कम से कम एक बार एक ख़ास इतवार-प्रवचन रखें जिस में वे ‘ज़मीन पर, समुद्र पर, और आकाश में’ के जर्मन सैनिकों को याद करें।”

६. अगर वैटिकन और नाट्‌ज़ियों के बीच कोई आत्मिक व्यभिचार न होता तो दुनिया शायद कौनसी बड़ी व्यथा और अत्याचार से बची होती?

६ यदि वैटिकन और नाट्‌ज़ियों के बीच कोई प्रणय संबंध नहीं होते, तो शायद यह दुनिया, युद्ध में कई बीसियों करोड़ सैनिक और असैनिक लोगों की हत्या की, तथा ग़ैर-आर्य होने की वजह से साठ लाख यहूदियों के खून की, और​—यहोवा की नज़रों में सबसे क़ीमती​—दोनों अभिषिक्‍त और “अन्य भेड़” वर्ग के उसके हज़ारों गवाहों के, जिन में से कई गवाह नाट्‌ज़ी नज़रबंदी शिबिरों में मरे, बड़े अत्याचार सहने की घोर यंत्रणा से बची गयी होती।​—यूहन्‍ना १०:१०, १६.

वेश्‍या का सूक्ष्म निरीक्षण

७. प्रेरित यूहन्‍ना उसके बड़ी वेश्‍या के निकट निरीक्षण का किस तरह वर्णन करता है?

७ प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी में इस के बाद प्रकट होनेवाला दर्शन कितना उपयुक्‍त है! अब अध्याय १७, आयत ३ से ५ पढ़कर हम यूहन्‍ना को स्वर्गदूत के बारे में यह कहता हुआ पाते हैं: “तब वह मुझे आत्मा के बल में वीराने में ले गया। और मैं ने किरमिजी रंग के पशु पर, जो निन्दा के नामों से भरा हुआ था और जिस के सात सिर और दस सींग थे, एक स्त्री को बैठे हुए देखा। यह स्त्री बैजनी, और किरमिजी कपड़े पहने थी, और सोने और बहुमोल मणियों और मोतियों से सजी हुई थी, और उसके हाथ में एक सोने का कटोरा था जो घृणित वस्तुओं से और उसके व्यभिचार की अशुद्ध वस्तुओं से भरा हुआ था। और उसके माथे पर यह नाम लिखा था, एक रहस्य: ‘बड़ी बाबेलोन, पृथ्वी की वेश्‍याओं और घृणित वस्तुओं की माता।’” (न्यू.व.)

८. (अ) बड़ी वेश्‍या अपने कटोरे में क्या रखती है जिस से वह अपनी पहचान दिलाती है? (ब) बड़ी बाबेलोन प्रतीकात्मक रूप से “बैजनी और किरमिजी रंग के कपड़े पहने” और “सोने, और बहुमोल मणियों और मोतियों” से किस तरह सजी हुई है?

८ यहाँ यूहन्‍ना बड़ी बाबेलोन का निरीक्षण निकट से करता है। वह सचमुच उस विराने की सदस्या होने योग्य है, उन जंगली पशुओं के बीच जो उस में निवास करते हैं। यह बड़ी वेश्‍या अपने कटोरे में जो वस्तुएँ रखती है, उस से उसकी पहचान स्पष्ट रूप से होती है, हालाँकि यह बाहर से भ्रमजनक रूप से बहुमूल्य-सा लगता है। वह एक ऐसे घूँट में से पीती है जो परमेश्‍वर के दृष्टिकोण से घिनौना है। संसार के साथ उसकी मैत्री, उसके झूठे धर्मसिद्धान्त, उसकी नैतिक अनुज्ञेयता, राजनीतिक सत्ताओं के साथ उसकी इश्‍क़बाज़ी​—यहोवा, “सारी पृथ्वी का न्यायी,” इन में से कोई भी बातें बरदाश्‍त नहीं करता। (उत्पत्ति १८:२२-२६; प्रकाशितवाक्य १८:२१, २४) ओहो, कितनी सुंदरता से वह खुद को सजाती है! वह उसके शानदार वास्तुकला और रंगीन-काँच वाले गौरवमय कैथिड्रलों, उसके रत्नजटित स्तूपों और वटों (मठों), उसके चिर-सम्मानित मंदिरों और तीर्थ-मंदिरों के लिए सुप्रसिद्ध है। बड़ी वेश्‍या के ठहराए शैलीबद्ध फ़ैशनों के बिल्कुल अनुसार, उसके पादरी और मुनी सिंदूरी, बैंजनी, और केसरी रंग के कीमती कपड़ों से सजे हैं।​—प्रकाशितवाक्य १७:१.

९. बड़ी बाबेलोन का रक्‍तपात के अपराध का कौनसा लंबा इतिहास है, और उसके बारे में यूहन्‍ना अपना वर्णन उचित रूप से किस तरह समाप्त करता है?

९ परंतु, सबसे निन्दनीय बात तो उसकी रक्‍तपिपासा है। उस विषय में यहोवा को एक पुराना हिसाब चुकता करना है! उसने आधुनिक-समय के रक्‍तपिपासु तानाशाहों का समर्थन किया है, और रक्‍तपात का उसका घृण्य इतिहास पहले के कई सदियों तक पसारता है, धार्मिक युद्धों से लेकर इंक्विज़िशन और क्रूसेड्‌स तक, जी हाँ, कुछेक प्रेरितों की शहादत और परमेश्‍वर के अपने पुत्र, प्रभु यीशु मसीह, के क़त्ल तक और उसके परे भी फैलता है। (प्रेरितों के काम ३:१५; इब्रानियों ११:३६, ३७) इन सभी बातों के साथ अधिक अर्वाचीन समय में अग्निवर्षक दल, फाँसी, कुल्हाड़ी, गिलोटिन, तलवार, और क़ैदखानों और नज़रबंदी शिबिरों में अमानुषिक व्यवहार से की गईं यहोवा के गवाहों की हत्याओं को भी जोड़ दीजिए। फिर यह कोई अचम्भे की बात नहीं कि यूहन्‍ना अपना वर्णन यह कहकर समाप्त करता है: “और मैं ने उस स्त्री को पवित्र लोगों के लोहू और यीशु के गवाहों के लोहू पीने से मतवाली देखा”!​—प्रकाशितवाक्य १७:६.

‘स्त्री और पशु का रहस्य’

१०. (अ) बड़ी वेश्‍या ने यहोवा के गवाहों को आज तक किस तरह उत्पीड़ित किया है? (ब) बड़ी बाबेलोन के पादरी किस तरह के अगुआ हैं?

१० यूहन्‍ना ने जो कुछ भी देखा, उसे देखकर वह “बड़े ताज्जुब के साथ चकित हो गया।” आज, हम भी ताज्जुब करते हैं! १९३० और १९४० के दशकों में बड़ी वेश्‍या ने यहोवा के विश्‍वासु गवाहों को उत्पीड़ित करने और उन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कैथोलिक ॲक्शन और राजनीतिक साज़िश का इस्तेमाल किया। आज तक, जहाँ कहीं वह पर्याप्त मात्रा में प्रभाव डाल सकती है, बड़ी बाबेलोन यहोवा के गवाह, जो परमेश्‍वर के राज्य की शानदार आशा घोषित करते हैं, उनके काम में रुकावट डालती, उन पर पाबंदी लगाती, और उनके विषय ग़लत बयान देती रहती है। बड़ी वेश्‍या के धार्मिक संगठनों में करोड़ों को क़ैद रखने के ज़रिए, उसका पादरी वर्ग अन्धों को विनाश के गड़हे की ओर मार्ग दिखाकर, ‘अन्धों के अन्धे मार्ग दिखाने वालों’ के रूप में काम करते हैं। यह कुख़्यात वेश्‍या प्रेरित पौलुस के साथ यह कभी, कभी न कह पाती: “मैं . . . तुम से गवाही देकर कहता हूँ, कि मैं सब के लोहू से निर्दोष हूँ।”​—मत्ती १५:७-९, १४; २३:१३; प्रेरितों के काम २०:२६.

११, १२. कुख़्यात वेश्‍या को उठानेवाले “किरमिजी रंग के जंगली पशु” का रहस्य क्या है, और १९४२ में इस रहस्य के बारे में यहोवा के गवाहों को कौनसा प्रबोधन मिला?

११ यूहन्‍ना के ताज्जुब को ग़ौर करते हुए, स्वर्गदूत ने उस से कहा: “तू क्यों चकित हुआ? मैं इस स्त्री, और उस जंगली पशु का, जिस पर वह सवार है, और जिस के सात सिर और दस सींग हैं, तुझे भेद बताऊँगा।” (प्रकाशितवाक्य १७:७, न्यू.व.) यह “पशु” क्या है? ६०० से भी अधिक वर्ष पहले, भविष्यद्वक्‍ता दानिय्येल ने दार्शनिक पशुओं को देखा था, और उसे यह समझाया गया था कि ये “राजाओं,” या राजनीतिक शासनों को चित्रित करते थे। (दानिय्येल ७:२-८, १७; ८:२-८, १९-२२) यूहन्‍ना यहाँ दर्शन में ऐसे शासनों का एक सम्मिलन देखता है​—‘किरमिजी रंग का जंगली पशु।’ यह मानव-निर्मित राष्ट्र-संघ है जो विश्‍व मंच पर १९२० में प्रकट हुआ लेकिन जब १९३९ में विश्‍व युद्ध II छिड़ गया, तब वह निष्क्रियता के अथाह-कुण्ड में डूब गया। फिर भी, “इस स्त्री, और उस जंगली पशु का . . . भेद” क्या है?

१२ भगवत्कृपा से, १९४२ में उस रहस्य पर यहोवा के गवाहों ने प्रबोधन प्राप्त किया। विश्‍व युद्ध II का प्रकोप तब अपनी पराकाष्ठा पर था, और कई लोगों ने सोचा कि वह आरमागेडोन तक बढ़ता। लेकिन यहोवा को एक अलग ही विचार था! उसके गवाहों को अभी बहुत सारा काम करना था! सितंबर १८-२०, १९४२ के उनके न्यू वर्ल्ड थियोक्रॅटिक सभा में, जहाँ मूल शहर क्लीवलैंड, ओहाइओ, संयुक्‍त राज्य अमरीका में ५१ अन्य जगहों के साथ दूरध्वनि से जोड़ा गया था, नेथन एच. नॉर, वॉचटावर सोसाइटी के सभापति, ने आम भाषण, “शांति​—क्या यह बनी रह सकती है?” दिया। उसके अंतर्गत उसने प्रकाशितवाक्य १७:८ का पुनर्निरीक्षण किया, जहाँ “किरमिजी रंग के जंगली पशु” के बारे में कहा गया है कि वह “पहले तो था, पर अब नहीं, और अथाह कुण्ड से निकलकर विनाश में पड़ेगा।” उसने दिखाया कि राष्ट्र-संघ किस तरह १९२० से लेकर १९३९ तक “था”। फिर राष्ट्र-संघ के निधन की वजह से “अब नहीं” की अवस्था पहुँची गयी। लेकिन विश्‍व युद्ध II के बाद, राष्ट्रों का यह सम्मिलन अथाह कुण्ड से बाहर निकलने वाला था। क्या वह बाइबल-आधारित पूर्वसूचना परिपूर्ण हुई? यह बिल्कुल हुई! १९४५ में वह अंतर्राष्ट्रिय “जंगली पशु” संयुक्‍त राष्ट्र संघ के रूप में अपने अथाह कुण्ड से सामने आया।

१३. संयुक्‍त राष्ट्रीय “पशु” के साथ बड़ी बाबेलोन ने अपना वेश्‍या जैसा आचरण किस रीति से जारी रखा है?

१३ हालाँकि बड़ी बाबेलोन अपने पतन की वजह से कमज़ोर हुई है, उसने संयुक्‍त राष्ट्रीय “पशु” के साथ अपना वेश्‍या-सा आचरण जारी रखा है। उदाहरणार्थ, जून १९६५ में, दुनिया भर के तथाकथित मसीही और ग़ैर-मसीही धर्मों के सात प्रमुख शाखाओं के पदाधिकारी, जिनके बारे में कहा गया है कि वे दुनिया की आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं, संयुक्‍त राष्ट्र की २०वीं वर्षगाँठ मनाने के लिए सॅन फ्रॅन्सिसको में एकत्रित हुए।c उसी वर्ष, पोप पॉल VI ने संयुक्‍त राष्ट्र का वर्णन “मैत्री और शांति की आख़री आशा,” ऐसे किया, और बाद में पोप जॉन पॉल II ने उसकी आशा प्रकट की कि “संयुक्‍त राष्ट्र शांति और न्याय का सर्वोच्च न्यायालय सदा बना रहेगा।” १९८६ में झूठे धर्म के विश्‍व-व्याप्त साम्राज्य ने संयुक्‍त राष्ट्र संघ के अंतर्राष्ट्रिय शांति वर्ष का समर्थन करने में अगुवाई ली। पर क्या सच्ची शांति और सुरक्षा उनके धार्मिक प्रार्थनाओं के उत्तर में आयी? बिल्कुल नहीं! अधिकाधिक, संयुक्‍त राष्ट्र के सदस्य-राष्ट्र दिखा रहे हैं कि उन्हें बड़ी वेश्‍या के लिए कोई असली प्रेम नहीं।

वेश्‍या को समाप्त करना

१४. संयुक्‍त राष्ट्रीय “पशु” को कौनसा ख़ास कार्य करना है, और परमेश्‍वर के स्वर्गदूत ने इसका वर्णन किस तरह किया है?

१४ ठीक समय पर, “किरमिजी रंग के जंगली पशु” को खुद विनष्ट होना है। लेकिन इसके घटित होने से पहले, और परमेश्‍वर के लोगों पर उसके आख़री पाशविक आक्रमण से भी पहले, उस संयुक्‍त राष्ट्रीय पशु को एक ख़ास काम पूरा करना है। यहोवा ‘जंगली पशु और उसके सैन्य सींगों के मन में अपनी मनसा’ डालता है। इसका नतीजा? परमेश्‍वर का स्वर्गदूत जवाब देता है: “और जो दस सींग तू ने देखे, वे और जंगली पशु उस वेश्‍या से बैर रखेंगे, और उसे लाचार और नंगी कर देंगे; और उसका माँस खा जाएँगे, और उसे आग में जला देंगे।” “उस ने अपनी बड़ाई की और सुख-विलास किया,” लेकिन अब ये सब उलटा हुआ है। उसके शानदार धार्मिक इमारतें और सुविस्तृत सम्पत्ति उसे नहीं बचा पाएँगे। जैसे स्वर्गदूत कहता है: “इस कारण एक ही दिन में उस पर विपत्तियाँ आ पड़ेंगी, अर्थात्‌ मृत्यु, और शोक, और अकाल, और वह आग में भस्म कर दी जाएगी, क्योंकि उसका न्यायी प्रभु परमेश्‍वर शक्‍तिमान है।”​—प्रकाशितवाक्य १७:१६, १७; न्यू.व.; १८:७, ८.

१५. वेश्‍या के राजनीतिक उप-पतियों के साथ साथ बड़े व्यापार के धनी-मानी व्यक्‍ति उसके निधन के विषय कैसी प्रतिक्रिया दिखाएँगे?

१५ उसके राजनीतिक उप-पति यह कहते हुए उसके निधन का शोक करेंगे: “हे बड़े नगर, बाबेलोन! हे दृढ़ नगर, हाय! हाय! घड़ी ही भर में तुझे दण्ड मिल गया है!” उसी तरह, बड़े व्यापार के धनी-मानी व्यक्‍ति, जिन्होंने उसके साथ बेईमान मुनाफ़ा बनाया, वे “रोते और कलपते हुए कहेंगे, ‘हाय! हाय! . . . घड़ी ही भर में उसका ऐसा भारी धन नाश हो गया!”​—प्रकाशितवाक्य १८:९-१७, न्यू.व.

१६. बड़ी वेश्‍या के विनाश पर परमेश्‍वर के लोग कैसी प्रतिक्रिया दिखाएँगे, और प्रकाशितवाक्य इसे किस प्रकार सत्य सिद्ध करता है?

१६ परंतु, परमेश्‍वर के अपने लोग कैसी प्रतिक्रिया दिखाएँगे? स्वर्गदूत के शब्दों में ये सब सम्मिलित हैं: “हे स्वर्ग, और हे पवित्र लोगों, और प्रेरितों, और भविष्यद्वक्‍ताओं, उस पर आनन्द करो, क्योंकि परमेश्‍वर ने न्याय करके उस से तुम्हारा पलटा लिया है!” बड़ी बाबेलोन बड़े बल से गिरायी गयी होगी, ताकि फिर कभी यहोवा के पवित्र नाम पर बदनामी न ला सके। बड़ी वेश्‍या का विनाश उत्सव और यहोवा की स्तुति में विजय गीत आवश्‍यक करता है। हल्लेलूयाह सहगान की श्रृंखला के पहले सहगान के तौर से, यह आनन्दमयी टेक गुंज उठेगी: “हे लोगों, (हल्लेलूयाह) याह की स्तुति करो! उद्धार, और महिमा, और सामर्थ हमारे परमेश्‍वर ही की है, क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और ठीक हैं। इसलिए कि उस ने उस बड़ी वेश्‍या का, जो अपने व्यभिचार से पृथ्वी को भ्रष्ट करती थी, न्याय किया, और उस से अपने दासों के लोहू का पलटा लिया है।”​—प्रकाशितवाक्य १८:२०-१९:३.

१७. बड़ी वेश्‍या के समापन के बाद, परमेश्‍वर के न्यायदंड कार्य किस तरह परिपूर्णता तक जारी रहेंगे?

१७ जैसे “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु,” यीशु मसीह, आरमागेडोन पर “सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुंड में दाख रौंदेगा,” वैसे परमेश्‍वर के न्यायदंड कृत्य जल्दी ही परिपूर्णता तक पहुँचेंगे। तब वह दुष्ट शासकों और पृथ्वी पर के शैतान के संगठन के बाक़ी सभी लोगों को समाप्त करेगा। सड़ा माँस खाने वाले पक्षी उनकी लाशें निगल जाएँगे। (प्रकाशितवाक्य १६:१४, १६; १९:११-२१) हमें कितना आनन्दित होना चाहिए कि हमारी सुंदर पृथ्वी पर से सभी अपवित्र, गंदी, और दूषित करनेवाली चीज़ें निकालने का परमेश्‍वर का नियत समय निकट है!

१८. प्रकाशितवाक्य की किताब की भव्य पराकाष्ठा क्या है?

१८ क्या यह प्रकाशितवाक्य की किताब की पराकाष्ठा है? नहीं, अभी नहीं! इसलिए कि स्वर्ग में १,४४,००० के पूर्ण हुए पुनरुत्थान के साथ, मेम्ने की शादी होती है। उसकी “दुल्हन,” जो अपने पति के लिए सजी-सँवरी है, “नए आकाश” में प्रतिष्ठापित की जाती है, और वहाँ से वह, प्रतीकात्मक रूप से, ‘सब कुछ नया कर देने’ के लिए यहोवा का उद्देश्‍य पूरा करने में अपने दूल्हे की सहधर्मिणी के रूप में नीचे आती है। दुल्हन की आत्मिक सुंदरता पवित्र नगर, नयी यरूशलेम, की है, जो सर्वशक्‍तिमान यहोवा परमेश्‍वर अपनी महिमा से प्रकाशमान करता है, और उसका दीया मेम्ना है। (प्रकाशितवाक्य २१:१-५, ९-११, २३) तो यहीं प्रकाशितवाक्य अपनी पराकाष्ठा पर पहुँचती है, जब यहोवा के नाम का पवित्रिकरण हुआ होगा, और मेम्ना, यीशु मसीह के साथ साथ उसकी दुल्हन, नयी यरूशलेम, पार्थीव परादीस में आज्ञाकारी मानवजाति को अनन्त जीवन से आशीर्वाद-प्राप्त कराने का कार्य करने लगे होंगे।

१९. (अ) बड़ी बाबेलोन से निकल आने के अलावा, उद्धार के लिए और क्या आवश्‍यक है? (ब) कौनसा अत्यावश्‍यक निमंत्रण अभी तक खुला है और हमारी कैसी प्रतिक्रिया होनी चाहिए?

१९ क्या आप झूठे धर्म की छल-कपट के विषय सचेत होकर बड़ी बाबेलोन से बाहर निकल आए हैं? और क्या आपने बपतिस्मा की ओर ले जाने वाले हार्दिक आत्म-समर्पण में, मसीह यीशु के ज़रिए, यहोवा परमेश्‍वर के पास आने का अगला कदम उठाया है? यह भी उद्धार के लिए परमावश्‍यक है! जैसे-जैसे यहोवा का आख़री न्यायदंड निष्पादित करने का नियत समय निकट आता है, वैसे-वैसे यह निमंत्रण प्रेरक अत्यावश्‍यकता से गूँजती है: “और आत्मा और दुल्हन दोनों कहती हैं: ‘आ!’” ऐसा हो कि सभी जो उस आह्वान की ओर ध्यान देंगे, वे यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करेंगे तथा और अन्यों को “आ!” कहने में उत्साही बनेंगे। जी हाँ, “जो प्यासा हो, वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले।” (प्रकाशितवाक्य २२:१७) निमंत्रण अब भी जारी है। आप सचमुच आनन्दित होंगे अगर आप अपना पक्ष लेकर यहोवा के समर्पित बपतिस्मा प्राप्त लोगों के एक सदस्य के तौर से परमेश्‍वर के सिंहासन और मेम्ने के सामने उस पक्ष को बनाए रखेंगे। नियत समय आपकी विचारणा से कई अधिक निकट है! जी हाँ, प्रकाशितवाक्य की भव्य पराकाष्ठा समीप है!

[फुटनोट]

a सुस्पष्ट वजहों से, उस समय धर्मसन्धि के दो खण्डवाक्य गुप्त रखे गए थे, वे जो सोवियत यूनियन के विरुद्ध एक सामूहिक आगाड़ी और हिट्‌लर की सेना में जबरन भर्ती किए गए कैथोलिक पादरियों के कार्यों से संबंधित थे। ऐसी जबरन भर्ती वरसाई की सन्धि (१९१९), जिस से जर्मनी बाँधा हुआ था, उसके उल्लंघन में थी; इस खण्डवाक्य की खुली जानकारी वरसाई के अन्य हस्ताक्षर कर्ताओं को घबरा दिया होता।

b फ्रांज़ फ़ॉन पापेन उन नाट्‌ज़ियों के बीच था जिनकी १९४० के दशक के आख़री हिस्से में, न्यूरेम्बर्ग, जर्मनी में, युद्ध अपराधियों के तौर से न्यायिक जाँच की गयी थी। उसे रिहा किया गया लेकिन बाद में उसने नाट्‌ज़ीवादी प्रभावों को दूर करनेवाले एक जर्मन अदालत से कड़ी सज़ा पायी। कुछ और समय बाद, १९५९ में, उसे एक पेपल प्रिवी चेंबर्लेन (पेपल निजी प्रबंधक) बनाया गया।

c इस सभा पर टीका करते हुए, पोप पौल VI ने कहा: “यह कितना सही और उचित है कि बीस साल पहले संयुक्‍त राष्ट्र संघ के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर होने के संस्मारक समारोहों में एक धार्मिक सभा का भी समावेश किया गया है।”

इस सप्ताह के प्रहरीदुर्ग अध्ययन की समाप्ति के तौर से, संचालक को उत्तरवर्ती प्रस्ताव को पढ़वा लेकर, साथ दिए प्रश्‍नों की सहायता से उसका पुनर्निरीक्षण करना चाहिए। यह वही प्रस्ताव है जो १९८८ में दुनिया भर यहोवा के गवाहों के “दैवी न्याय” ज़िला सम्मेलनों में, “कुख़्यात ‘वेश्‍या’​—उसका पतन और विनाश,” इस भाषण के अंत में पेश किया गया था।

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पोप की ख़मोशी

एच. डब्ल्यू. ब्लड्‌-रायन अपनी किताब फ्रांज़ फ़ॉन पापेन​—उसका जीवन और कालावधि में, जो १९३९ में प्रकाशित हुई, उन साज़िशों का ब्योरेवार वर्णन करता है, जिन के ज़रिए उस पेपल सामंत ने हिट्‌लर को सत्ताधिकार दिला दिया और नाट्‌ज़ियों के साथ वैटिकन की धर्मसन्धि का प्रबंध किया। वे भयानक हत्याकांड, जिन में यहूदी, यहोवा के गवाह, और अन्यों का समावेश था, उन के संबंध में लेखक कहता है: “पाच्चेली [पोप पायस XII] क्यों ख़ामोश रहा? इसलिए कि पश्‍चिमी जर्मन लोगों के एक पवित्र रोमी साम्राज्य के लिए फ़ॉन पापेन की योजना में, उसने भविष्य में फिर से लौकिक सत्ता का आसन धारण किए हुए वैटिकन के साथ साथ, एक ज़्यादा प्रभावशाली कैथोलिक चर्च की कल्पना की। . . . वही पाच्चेली अब आत्मिक तानाशाही का अधिकार जता रहा है, फिर भी हिट्‌लर-से आक्रमण और उत्पीड़न पर ज़रा सी भी आवाज़ नहीं उठी है। . . . जैसे मैं ये पंक्‍तियाँ लिखता हूँ, हत्याकाण्ड के तीन दिन गुज़रें हैं, और अब तक प्रतियोगियों, जिन के लगभग आधे लोग कैथोलिक हैं, उन के प्राणों के लिए वैटिकन के मुँह से एक भी प्रार्थना नहीं निकली है। जब ये आदमी, अपनी सारी पार्थीव प्रभावकारिता से वंचित होकर अपने परमेश्‍वर, जो हिसाब माँगेगा, के सामने खड़ा होंगे, तब का लेखा-जोखा डरावना होगा। उनका बहाना क्या हो सकता है? कुछ नहीं!”

[पेज 15 पर बक्स]

वैटिकन की संबद्धता

मार्च ६, १९८८, के द न्यू यॉर्क टाइमस्‌ ने रिपोर्ट किया कि १९८८ के लिए वैटिकन ने $६.१८ करोड़ के रिकार्ड बजट घाटे की अपेक्षा की। अख़बार ने बताया: “अनुमानतः एक प्रधान ख़र्च लेनदारों को लगभग $२५ अरब अदा करने के लिए १९८८ में दिया गया वचन संबद्ध करता है। १९८२ में मिलान के उस बैंक की हार से पहले, उसके साथ वैटिकन के गहरे संबंध थे।” सचमुच, इस स्कैंडल (अपकीर्ति) में वैटिकन इतने गहरे रीति से उलझा हुआ है कि वैटिकन ने तीन वैटिकन उच्च पदाधिकारियों को, जिन में एक अमरीकी आर्चबिशप शामिल है, सरकार के हाथों सौंपने के लिए, कि इट्‌ली के न्यायालयों में उन पर मुक़दमा चलाया जा सके, साफ़ इंकार किया है!

[पेज 12 पर तसवीरें]

वैटिकन फ़ॉन पापेन और हिट्‌लर के साथ घोर रक्‍तपात के अपराध में साझीदार है

[चित्रों का श्रेय]

UPI/Bettmann Newsphotos

UPI/Bettmann Newsphotos

[पेज 15 पर तसवीरें]

परमेश्‍वर के राज्य का समर्थन करने के बजाय, पापों ने संयुक्‍त राष्ट्र को ‘शांति की आख़री आशा’ घोषित किया है

[चित्र का श्रेय]

Insets: UN photos

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