“स्वतंत्रता के प्रेमी” ज़िला सम्मेलनों में आपका स्वागत है!
स्वतंत्रता! उस शब्द की ध्वनि कितनी मधुर है! कोई भी ग़ुलामी या क़ैद में रहना पसन्द नहीं करता। याददाश्त में अन्य वर्षों की तुलना में, हाल के वर्षों में उस अपेक्षित राजनीतिक स्वतंत्रता की ओर अधिक प्रगति हुई है।
फिर भी, राजनीतिक स्वतंत्रता जितनी ही वांछनीय है, एक ऐसी स्वतंत्रता मौजूद है जो उस से उतनी ही ज़्यादा महत्त्वपूर्ण और वांछनीय है। यह वह स्वतंत्रता है जिसके बारे में परमेश्वर के पुत्र, यीशु मसीह ने बताया, जब उन्होंने अपने शिष्यों से कहा: “यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।” (यूहन्ना ८:३१, ३२) यह झूठे धार्मिक विश्वासों से स्वतंत्रता, मनुष्य के भय से मुक्ति, पापमय आदतों की दासता से आज़ादी, और कहीं ज़्यादा है।
यही वह स्वतंत्रता है, जो यहोवा के गवाहों द्वारा १९९१ वर्ष के उत्तरार्ध के आरंभ से दुनियाभर में आयोजित किए जानेवाले “स्वतंत्रता के प्रेमी” ज़िला सम्मेलनों का मूल विषय है। वर्ष १९१९ से लेकर, जो कि परमेश्वर के लोगों के बीच अगुवाई लेनेवालों पर लगाए गए सरकारी पाबंदियों के हटा दिए जाने से चिह्नित था, उनकी पवित्र उपासना के संबंध में परमेश्वर के लोग बढ़ती हुई स्वतंत्रता का आनन्द ले रहे हैं।
यह बहुत ही उचित है कि स्वतंत्रता का विषय इन वर्षों के दौरान ईश्वरशासित सम्मेलनों में विशिष्ट किया गया है, जैसे कि “‘स्वतंत्र राष्ट्र का’ ईश्वरशासित सभा” और “‘परमेश्वर के पुत्रों का आज़ादी’ ज़िला सभाएँ।” स्वतंत्रता के विषय पर “द ट्रूथ शॅल मेक यू फ्री” और लाइफ एवरलास्टिंग—इन द फ्रीडम ऑफ द सन्ज़ ऑफ गॉड जैसे प्रकाशनों में भी व्यापक रूप से चर्चा की गया है।
यहोवा के सेवकों की जो ईश्वर-प्रदत्त स्वतंत्रता है, वह सिर्फ़ उन्हीं के कल्याण और आनन्द के लिए नहीं है। जैसा कि हम गलतियों ५:१३ में पढ़ते हैं: “हे भाइयों, तुम स्वतंत्र होने के लिए बुलाए गए हो, परन्तु ऐसा न हो, कि यह स्वतंत्रता शारीरिक कामों के लिए अवसर बने, बरन प्रेम से एक दूसरे के दास बनो।” “स्वतंत्रता के प्रेमी” ज़िला सम्मेलन हमें अपनी स्वतंत्रता के उद्देश्य की क़दर करने, अपनी अमूल्य स्वतंत्रता को दृढ़ पकड़े रहने के लिए समर्थ होने, और उसका सबसे बेहतर रीति से उपयोग कैसे करना है, यह दिखाने में मदद करेगा।
सम्मेलन शुक्रवार सुबह १०:२० को एक संगीत के कार्यक्रम से शुरु होगा, जो हम में आनेवाले आध्यात्मिक भोजन के लिए सही मनःस्थिति विकसित करेगा। पहले दिन का विषय है, “उस सत्य को जानना जो हमें स्वतंत्र करेगा,” जो कि यूहन्ना ८:३२ पर आधारित है। दोपहर से पहले सभापति के स्वागत संबोधन और मूलविचार संबोधन, “हमारी ईश्वर-प्रदत्त स्वतंत्रता का उद्देश्य और प्रयोग,” प्रस्तुत किए जाएँगे। इस भाषण में यहोवा की असीम आज़ादी और उस सापेक्ष स्वतंत्रता के बीच के अन्तर को विशिष्ट किया जाएगा, जो परमेश्वर हमें देते हैं। यह हमें हमारी स्वतंत्रता का सबसे अच्छा प्रयोग करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा। दोपहर के कार्यक्रम में हमारी स्वतंत्रता और हमारी सेवकाई के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जाएगा और अन्त में एक नाटक होगा, जिसका शीर्षक है सच्ची उपासना को आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्र किए गए।
दूसरे दिन का मूल विषय है “हमारी ईश्वर-प्रदत्त स्वतंत्रता में दृढ़ रहना,” जो कि गलतियों ५:१ पर आधारित है। सुबह के कार्यक्रम में एक विचारगोष्ठी होगी जिस में दिखाया जाएगा कि परिवार के वैयक्तिक सदस्य परिवार के दायरे में ईश्वर-प्रदत्त स्वतंत्रता का आनन्द किस तरह ले सकते हैं। बपतिस्मा लेने के लिए तैयार लोग ख़ास तौर से ऐसी बातों की क़दर करेंगे, जिन में बताया जाएगा कि किस तरह समर्पण और बपतिस्मा के ज़रिए स्वतंत्रता हासिल होती है। दोपहर के कार्यक्रम में एक कुतूहल उत्पन्न करनेवाला विचार-विमर्श होगा कि क्या विवाह खुशी की कुंजी है या नहीं। स्वतंत्रता के विभिन्न पहलुओं पर भी एक विचारगोष्ठी होगी और फिर समाप्ति में एक भाषण होगा जो स्वतंत्रता और अनन्त जीवन प्रदान करने के लिए परमेश्वर के मुख्य कर्त्ता पर ध्यान केंद्रित करता है।
रविवार का मूल विषय है “परमेश्वर की आत्मा के अनुरूप हमारी स्वतंत्रता का उपयोग करना,” जो २ कुरिन्थियों ३:१७ पर आधारित है। कार्यक्रम में मत्ती १३:४७-५० में रिकार्ड की गयी यीशु की नीति-कथा पर एक बहुत ही दिलचस्प विचारगोष्ठी प्रस्तुत की जाएगी, जिस में बताया जाएगा कि किस तरह यहोवा के गवाह मनुष्यों को पकड़नेवाले मछुएँ हैं। दोपहर में आम भाषण का शीर्षक है “परमेश्वर की स्वतंत्रता द्वारा चिह्नित नयी दुनिया का स्वागत करना!” इसके बाद ज़िला सम्मेलन के लिए एक नयी विशेषता होगी: उस हफ़्ते के प्रहरीदुर्ग पाठ का सारांश। और कार्यक्रम इस धर्मशास्त्रीय प्रोत्साहन के साथ समाप्त होगा कि हम सब अपने आचरण और अपने गवाही देने के कार्य में अपनी ईश्वर-प्रदत्त स्वतंत्रता का अच्छा उपयोग करने में निरन्तर बढ़ते जाएँ।
स्वतंत्रता के सभी प्रेमियों से हम भजनकार दाऊद के शब्दों में कहते हैं: “परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है!” (भजन ३४:८) इस सम्मेलन में उपस्थित होने के लिए कोई भी प्रयत्न अधूरा न छोड़ें। शुक्रवार सुबह के आरंभ के सत्र से लेकर रविवार दोपहर के समाप्ति के भाषण तक मौजूद रहना अपना कर्तव्य बनाएँ। अगर आप अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के बारे में पूरी तरह से अवगत, एक अच्छी आध्यात्मिक भूख के साथ आएँगे, तो आप सचमुच ही आनन्दित होंगे! (मत्ती ५:३) और हम इस सिद्धान्त को नज़र-अन्दाज़ न करें कि “जो उदारता से बोता है, वह उदारता से काटेगा।” इसका अनुप्रयोग इन बातों पर भी होता है कि हम कितनी उत्सुकता से उपस्थित रहने के लिए पहले से तैयारी करते हैं, और हम कितने अध्यवसाय से कार्यक्रम को, जब इसे पेश किया जाता है, सुनते हैं, तथा हमारे “स्वतंत्रता के प्रेमी” ज़िला सम्मेलनों के सम्बन्ध में हमारे लिए जो भी वालंटियर सेवा के विशेषाधिकार खुले हैं, उन्हें हम कितनी उत्साह से करते हैं।—२ कुरिन्थियों ९:६.