“ईश्वरीय शिक्षा” ज़िला सम्मेलन
वे सभी जन जो यहोवा के द्वारा सिखाए जाना चाहते हैं उत्सुकता से “ईश्वरीय शिक्षा” ज़िला सम्मेलनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। चार-दिवसीय कार्यक्रम शास्त्रीय शिक्षा के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को विशिष्ट करेगा जो कि बढ़ती व्यक्तिगत समस्याओं और संसार की हलचलों के इन समयों में मसीहियों का बचाव करते हैं। ‘जो कुछ खरे उपदेश के विरोध करने में है’ उसका दृढ़ता से विरोध में यह कार्यक्रम उनकी सहायता करेगा। (१ तीमुथियुस १:१०) यह कार्यक्रम उपस्थित होनेवाले सभी जनों को परमेश्वर के वचन का बेहतर शिक्षक होने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा।
अनुकरण करने के लिए हमारे पास क्या ही उत्तम उदाहरण हैं! सर्वश्रेष्ठ शिक्षक स्वयं यहोवा परमेश्वर के अलावा और कोई नहीं है! अतः, एलीहू ने अय्यूब से ठीक ही कहा कि यहोवा “हमें पृथ्वी के पशुओं से अधिक शिक्षा देता, और आकाश के पक्षियों से अधिक बुद्धि देता है।” उसने यहोवा के सम्बन्ध में यह भी पूछा: “उसके समान शिक्षक कौन है?” (अय्यूब ३५:११; ३६:२२) यशायाह ३०:२० (NW) में परमेश्वर का ज़िक्र “महान निर्देशक” के रूप में किया गया है।
शिक्षक के रूप में यहोवा के बाद उसका पुत्र, यीशु मसीह है। वह “गुरु” और “निर्देशक” के रूप में जाना जाता था, और सुसमाचार में इस प्रकार उसका ज़िक्र कुछ ५० बार हुआ है। इसके बावजूद कि उसने अनेक उत्तेजनात्मक चंगाई और अन्य चमत्कार किए, यीशु चिकित्सक के रूप में नहीं बल्कि शिक्षक, निर्देशक के रूप में जाना गया।—मत्ती ८:१९; लूका ५:५; यूहन्ना १३:१३.
अति उपयुक्त रूप से, यीशु ने अपने चेलों और प्रेरितों को अपने जैसा शिक्षक बनना सिखाया। यह हम मत्ती १०:५ से ११:१ में और लूका १०:१-११ में देख सकते हैं। स्वर्गारोहण से थोड़े ही समय पहले, यीशु ने अपने चेलों को सुप्रसिद्ध शिक्षा आदेश दिया जो मत्ती २८:१९, २० में लेखबद्ध है: “इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ।” प्रेरितों के काम की पुस्तक, और मसीही यूनानी शास्त्रों में इस पुस्तक के बाद की उत्प्रेरित पत्रियाँ भी, बताती हैं कि किस प्रकार यीशु के प्रारंभिक अनुयायियों ने उत्साहपूर्वक, कुशलतापूर्वक, और वफ़ादारी से इस शिक्षा आदेश को पूरा किया।
यह शिक्षा का कार्य आज पिछले किसी भी समय से ज़्यादा अत्यावश्यक है। हम इस रीति-व्यवस्था के अन्तिम दिनों में जी रहे हैं, और उसके कारण, जीवन सम्मिलित हैं। लोगों को बड़े बाबुल के पापों में भाग न लेने और उसकी विपत्तियों का हिस्सा न पाने के लिए, उन्हें सिखाया जाना है और बाबुल से निकलने और यहोवा और उसके राज्य की सेवा करने का फ़ैसला करने के लिए उनकी सहायता की जानी है।—प्रकाशितवाक्य १८:४.
यहोवा के सभी गवाहों को अपने शिक्षा आदेश पूरा करने के प्रयासों में सहायता करने के लिए, यहोवा ने अपने संगठन के द्वारा “ईश्वरीय शिक्षा” ज़िला सम्मेलनों का प्रबन्ध किया है। ये चार-दिवसीय सम्मेलन भारत में सितम्बर १९९३ में शुरू होंगे। ऐसा हो कि यहोवा का प्रत्येक समर्पित सेवक इन सम्मेलनों में से कम से कम एक सम्मेलन में उपस्थित होने के लिए निश्चित हो, बृहस्पतिवार दोपहर के आरम्भिक गीत और प्रार्थना से लेकर रविवार दोपहर की समाप्ति प्रार्थना तक उपस्थित हो और एकाग्र ध्यान दे।