वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w95 4/15 पेज 10-14
  • एक मुद्रक जिसने अपनी छाप छोड़ी

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • एक मुद्रक जिसने अपनी छाप छोड़ी
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • एक परिष्कृत वलगेट
  • राजकीय मुद्रक
  • सॉरबॉन बनाम धर्मसुधार
  • सॉरबॉन आक्रमण करता है
  • धर्मविज्ञानी उसकी बाइबलों पर प्रतिबन्ध लगाते हैं
  • विधर्मी होने का आरोप
  • प्रवासी मुद्रक
  • क्या आपको याद है?
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
  • पाठकों के प्रश्‍न
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2003
  • कोंप्लूटेनसीआन पॉलीग्लोट—अनुवाद करने में खास मददगार
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2004
  • अस्तित्त्व के लिए फ्राँसीसी बाइबल की लड़ाई
    सजग होइए!–1998
और देखिए
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
w95 4/15 पेज 10-14

एक मुद्रक जिसने अपनी छाप छोड़ी

क्या आपने कभी बाइबल में एक पाठ ढूँढना चाहा लेकिन याद नहीं कर पाए कि वह कहाँ है? लेकिन, केवल एक शब्द याद करने के द्वारा, आप बाइबल शब्द-अनुक्रमणिका का इस्तेमाल करते हुए उसे पाने में समर्थ हुए हैं। या शायद आप एक मसीही सभा में उपस्थित हुए हैं जहाँ उपस्थित सैकड़ों, यहाँ तक कि हज़ारों लोग एक शास्त्रवचन के उद्धृत किए जाने के चन्द क्षणों में उसे पढ़ने के लिए अपनी बाइबल खोलने में समर्थ हुए थे।

दोनों ही मामलों में, आप एक व्यक्‍ति के प्रति ऋणी हैं जिससे आप शायद परिचित नहीं हैं। उसने आपके बाइबल अध्ययन को सरल बनाया, और यह निश्‍चित करने में भी एक भूमिका निभायी कि आज हमारे पास सही बाइबल हों। अनेक बाइबलों की संविरचना में भी उसका बड़ा हाथ रहा हैं।

वह व्यक्‍ति था रॉबर एटीएन।a वह एक मुद्रक था, और उसने १६वीं शताब्दी की शुरूआत में पैरिस, फ्रांस में एक मुद्रक के घर में जन्म लिया था। वह पुनर्जागरण और धर्मसुधार का युग था। इन दोनों के लिए मुद्रण-यन्त्र एक माध्यम बन गया। रॉबर का पिता, ऑन्री एटीएन मशहूर मुद्रक था, जिसने पुनर्जागरण के दौरान कुछ सबसे उत्तम पुस्तक संस्करणों को निकाला था। उसके कार्य में पैरिस के विश्‍वविद्यालय और उसके धर्मविज्ञान के स्कूल—सॉरबॉन—के लिए शैक्षिक और बाइबलीय कार्य सम्मिलित थे।

फिर भी, आइए हम अपना ध्यान पुत्र, रॉबर एटीएन पर केंद्रित करें। उसकी औपचारिक शिक्षा के बारे में ज़्यादा मालूम नहीं है। लेकिन कम उम्र से ही, उसने लैटिन भाषा पर दक्षता प्राप्त की और जल्द ही यूनानी और साथ ही इब्रानी भाषा भी सीख ली। अपने पिता से, रॉबर ने मुद्रण की कला सीखी। वर्ष १५२६ में, जब उसने मुद्रक के तौर पर अपने पिता, ऑन्री का काम सम्भाला, तब रॉबर एटीएन उच्च भाषाई स्तरों के विद्वान के तौर पर मशहूर हो चुका था। हालाँकि उसने लैटिन साहित्य और अन्य विद्वत्तापूर्ण कार्यों के संशोधन-सहित संस्करण प्रकाशित किए, उसका पहला और निर्विवाद प्रेम था बाइबल। लैटिन उत्कृष्ट साहित्य के लिए जो कार्य पहले ही किया जा चुका था उसे लैटिन बाइबल के लिए करने को उत्सुक, एटीएन ने जेरोम की लैटिन वलगेट बाइबल के पाँचवीं-शताब्दी के मूल पाठ को यथासंभव उसी तरह पुनःस्थापित करना शुरू किया।

एक परिष्कृत वलगेट

जेरोम ने बाइबल के मूल इब्रानी और यूनानी पाठ से अनुवाद किया था, लेकिन एटीएन के दिन तक, वलगेट एक हज़ार वर्ष से अस्तित्व में रहा था। पीढ़ियों से वलगेट की प्रतिलिपियाँ बनाने के परिणामस्वरूप उसमें अनेक त्रुटियाँ और विकार आ गए थे। इसके अतिरिक्‍त, मध्य-युग के दौरान, मध्यकालीन कल्पकथाओं, भावानुवाद किए गए लेखांशों, और झूठे क्षेपकों के ताने-बाने का महत्त्व बाइबल के ईश्‍वरीय रूप से उत्प्रेरित वचन से ज़्यादा हो गया। ये सब बाइबल के पाठ से इतने उलझ गए थे कि इन्हें उत्प्रेरित लेखनों के तौर पर स्वीकार किया जाने लगा।

जो मौलिक नहीं थे उन सब को हटाने के लिए एटीएन ने पाठालोचन के उन तरीक़ों को लागू किया जिन्हें शास्त्रीय साहित्य के अध्ययन के लिए इस्तेमाल किया जाता था। उसने उपलब्ध सबसे पुरानी और सर्वोत्तम हस्तलिपियाँ ढूँढ निकालीं। पैरिस में और उसके आस-पास तथा एवरे और स्वॉसों जैसे स्थानों के पुस्तकालयों में, उसने अनेक प्राचीन हस्तलिपियाँ ढूँढ निकालीं, जिनमें से एक प्रतीयमानतः छठी शताब्दी की थी। एटीएन ने विभिन्‍न लैटिन पाठों के हर लेखांश की सावधानीपूर्वक तुलना की, और केवल उन लेखांशों को ही चुना जो लगता था कि सबसे ज़्यादा प्रामाणिक हैं। उससे परिणित कार्य, एटीएन की बाइबल, सबसे पहले १५२८ में प्रकाशित हुई और बाइबल की पाठ-यथार्थता को परिष्कृत करने की ओर यह एक महत्त्वपूर्ण क़दम था। एटीएन द्वारा और संशोधित संस्करण प्रकाशित हुए। उससे पहले भी लोगों ने वलगेट को सही करने की कोशिश की थी, लेकिन एटीएन का ही सबसे पहला संस्करण था जिसने एक प्रभावकारी पाठान्तर-सूची प्रदान की। पार्श्‍वों में, एटीएन ने सूचित किया कि कहाँ उसने कुछ संदेहास्पद लेखांशों को नहीं लिया था या कहाँ एक से ज़्यादा अर्थ लगाना संभव था। उसने उन हस्तलिपि स्रोतों को भी लिखा जिन्होंने इन संशोधनों को मान्यता दी।

एटीएन ने अनेक अन्य विशेषताओं को प्रस्तुत किया जो १६वीं शताब्दी के लिए बिलकुल नयी थीं। उसने अप्रमाण पुस्तकों और परमेश्‍वर के वचन के बीच भिन्‍नता की। उसने प्रेरितों की पुस्तक को सुसमाचार-पुस्तकों के बाद और पौलुस की पत्रियों के पहले रखा। हर पृष्ठ के ऊपर, विशिष्ट लेखांशों को ढूँढने में पाठकों की मदद करने के लिए उसने कुछ मुख्य-शब्द प्रदान किए। यह उसका प्रारंभिक उदाहरण था जिसे आज आम तौर पर चल-शीर्षक कहा जाता है। गाढ़े गॉथिक या ब्लैक लेटर टाइपफेस को, जिसकी शुरूआत जर्मनी में हुई थी, इस्तेमाल करने के बजाय, एटीएन उन प्रथम लोगों में से एक था जिसने सम्पूर्ण बाइबल को पतले और पढ़ने में आसान रोमन टाइप में मुद्रित किया। यह रोमन टाइप आज आम इस्तेमाल में है। उसने कुछ लेखांशों को स्पष्ट करने में मदद करने के लिए अनेक अन्योन्य सन्दर्भ और भाषाशास्त्रीय नोट्‌स भी प्रदान किए।

अनेक कुलीन और धर्माधिकारी लोगों ने एटीएन की बाइबल का मूल्यांकन किया, क्योंकि वह वलगेट के किसी अन्य मुद्रित संस्करण से बेहतर थी। खूबसूरती, कारीगरी, और उपयोगिता के लिए, उसका संस्करण मानक बन गया और जल्द ही पूरे यूरोप में नक़ल किया जाने लगा।

राजकीय मुद्रक

“यदि तू ऐसा पुरुष देखे जो कामकाज में निपुण हो, तो वह राजाओं के सम्मुख खड़ा होगा,” नीतिवचन २२:२९ कहता है। एटीएन की कुछ नया प्रस्तुत करने की शिल्पकारिता और भाषाई क्षमता फ्रांस के राजा, फ्रांसिस I के ध्यान से नहीं चूकी। एटीएन लैटिन, इब्रानी, और यूनानी भाषाओं के लिए राजा का मुद्रक बन गया। उसी हैसियत से, एटीएन ने उन प्रकाशनों को निकाला जो आज तक फ्रांसीसी मुद्रण-कला की कुछ श्रेष्ठ-कृतियाँ समझी जाती हैं। वर्ष १५३९ में उसने फ्रांस में मुद्रित की गयी पहली और अत्युत्तम सम्पूर्ण इब्रानी बाइबल को प्रकाशित करना शुरू किया। वर्ष १५४० में उसने अपनी लैटिन बाइबल में चित्र पेश किए। लेकिन मध्य युग की आम बाइबलीय घटनाओं के सामान्य काल्पनिक चित्रणों के बजाय, एटीएन ने पुरातत्त्वीय प्रमाण या बाइबल में ही पायी गयी माप और विवरणों पर आधारित शिक्षाप्रद चित्रों को प्रदान किया। इन काष्ठचित्र मुद्रणों ने ऐसे विषयों का विस्तृत चित्रण दिया जैसे वाचा का सन्दूक, महायाजक के वस्त्र, निवासस्थान, और सुलैमान का मन्दिर।

यूनानी टाइप के विशेष सेट का इस्तेमाल करते हुए, जिसे उसने राजा के हस्तलिपि संग्रहण को मुद्रित करने के लिए मँगवाया था, एटीएन मसीही यूनानी शास्त्र का पहला संशोधन-सहित संस्करण प्रकाशित करने लगा। हालाँकि एटीएन के यूनानी पाठ के पहले दो संस्करण डेसिडिरीयस इरैस्मस के कार्य से ज़्यादा अच्छे नहीं थे, १५५० के तीसरे संस्करण में, एटीएन ने कुछ १५ हस्तलिपियों में से परितुलन और संदर्भों को जोड़ा, जिनमें सा.यु.-पाँचवीं-शताब्दी कोडेक्स बीज़े और सेप्टुआजेंट बाइबल सम्मिलित हैं। एटीएन का यह संस्करण इतने विस्तृत रूप से स्वीकारा गया कि वह बाद में तथाकथित टेक्सटस रिसेपटस, या ‘प्राप्त पाठ’ के लिए आधार बन गया, जिस पर अनेक बाद-के अनुवाद आधारित थे, जिसमें १६११ का किंग जेम्स वर्शन भी सम्मिलित है।

सॉरबॉन बनाम धर्मसुधार

पूरे यूरोप में लूथर और अन्य धर्मसुधारकों के विचारों के फैलने के कारण, लोग जो पढ़ते थे उसे नियंत्रित करने के द्वारा कैथोलिक चर्च ने उनके विचार पर नियंत्रण रखना चाहा। जून १५, १५२० को, पोप लियो X ने एक आदेशपत्र निकाला, जिसमें यह आदेश दिया गया कि किसी कैथोलिक देश में कोई भी पुस्तक, जिसमें “विधर्म” हैं, मुद्रित किया, बेचा, या पढ़ा न जाए। और माँग की कि लौकिक अधिकारी अपने अधिकार-क्षेत्र में आदेशपत्र को लागू करें। इंग्लैंड में, राजा हेन्री VIII ने सेंसर-व्यवस्था के कार्य को कैथोलिक बिशप कथबर्ट टन्सटल पर छोड़ा। लेकिन, यूरोप के अधिकांश भागों में, पोप के बाद, सिद्धान्त के मामलों में निर्विवाद अधिकारी पैरिस के विश्‍वविद्यालय के धर्मविज्ञानियों का संकाय था—सॉरबॉन।

सॉरबॉन कैथोलिक परम्परानिष्ठा की आवाज़ थी। शताब्दियों तक इसे कैथोलिक विश्‍वास के परकोटे के तौर पर देखा जाता था। सॉरबॉन के सेंसरों ने वलगेट के सभी संशोधन-सहित संस्करणों और प्रांतीय अनुवादों का विरोध किया। उन्होंने इसे न सिर्फ़ “गिरजे के लिए बेकार बल्कि हानिकारक” समझा। यह ऐसे वक़्त पर आश्‍चर्यजनक नहीं था जब गिरजे के ऐसे सिद्धान्तों, धर्मक्रियाओं, और परम्पराओं पर धर्मसुधारक संदेह व्यक्‍त कर रहे थे जो शास्त्र के अधिकार पर आधारित नहीं थे। लेकिन, सॉरबॉन के अनेक धर्मविज्ञानियों ने गिरजे के सम्मानित सिद्धान्तों को स्वयं बाइबल के यथार्थ अनुवाद से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण समझा। एक धर्मविज्ञानी ने कहा: “जब एक बार सिद्धान्त मिल जाते हैं, तब शास्त्र पाड़ की तरह हो जाते हैं जिसे दीवार के बनने के बाद हटा दिया जाता है।” संकाय के अधिकांश लोग इब्रानी और यूनानी से अनभिज्ञ थे, फिर भी उन्होंने एटीएन और अन्य पुनर्जागरण विद्वानों के अध्ययन का तिरस्कार किया जो बाइबल में इस्तेमाल किए गए शब्दों के मूल अर्थों को गहराई से खोज रहे थे। सॉरबॉन के एक प्रोफ़ेसर ने यहाँ तक कहने का साहस किया कि “यूनानी और इब्रानी के ज्ञान को फैलाना सभी धर्मों के विनाश को प्रेरित करनेवाले तरीक़े के रूप में कार्यान्वित होगा।”

सॉरबॉन आक्रमण करता है

हालाँकि एटीएन की वलगेट के प्रारंभिक संस्करण संकाय के सेंसरों द्वारा मंज़ूर हो गए, यह बिना विवाद के नहीं हुआ था। १३वीं शताब्दी में, वलगेट विश्‍वविद्यालय के आधिकारिक बाइबल के तौर पर श्रद्धा से सुरक्षित रहा था, और अनेक लोगों के लिए उसके पाठ अचूक थे। वलगेट पर उसके कार्य के लिए संकाय ने सम्मानित विद्वान इरैस्मस की भी निन्दा की। यह तथ्य कुछ लोगों के लिए भयप्रद था कि एक स्थानीय सामान्य मुद्रक के पास आधिकारिक पाठ को सुधारने की हिम्मत होगी।

शायद किसी और बात से ज़्यादा, यह एटीएन के पार्श्‍वर्ती नोट्‌स थे जो धर्मविज्ञानियों को चिन्तित कर रहे थे। नोट्‌स ने वलगेट के पाठ की वैधता पर संदेह डाले। कुछ लेखांशों को स्पष्ट करने की एटीएन की इच्छा उस पर धर्मविज्ञान के क्षेत्र में अनुचित रूप से घुसने के आरोप में परिणित हुई। उसने यह दावा करते हुए आरोप को अस्वीकार किया कि उसके नोट्‌स केवल छोटे सारांश या भाषाशास्त्रीय क़िस्म के थे। उदाहरण के लिए, उत्पत्ति ३७:३५ पर उसके नोट ने समझाया कि शब्द “नरक” [लैटिन, ईन्फरनम] वहाँ एक ऐसे स्थान के रूप में नहीं समझा जा सकता जहाँ दुष्ट लोगों को दण्ड दिया जाता है। संकाय ने इलज़ाम लगाया कि उसने प्राण के अमरत्व और “सन्तों” की मध्यस्थता करने की शक्‍ति को अस्वीकार किया था।

लेकिन, एटीएन को राजा का अनुग्रह और सुरक्षा था। फ्रांसिस I ने पुनर्जागरण अध्ययनों में अत्यधिक दिलचस्पी दिखायी, ख़ासकर अपने राजकीय मुद्रक के कार्य में। कहा जाता है कि फ्रांसिस I ने एटीएन से भेंट की और एक बार धैर्यपूर्वक इंतजार किया जब एटीएन पाठ में कुछ अन्तिम संशोधन कर रहा था। राजा के समर्थन के साथ, एटीएन ने सॉरबॉन का सामना किया।

धर्मविज्ञानी उसकी बाइबलों पर प्रतिबन्ध लगाते हैं

लेकिन १५४५ में, घटनाओं ने सॉरबॉन के संकाय के पूरे प्रकोप को एटीएन पर केंद्रित होने को प्रेरित किया। धर्मसुधारकों के विरुद्ध में अपने को संयुक्‍त दिखाने के फ़ायदों को देखते हुए, पहले ही अपरम्परागत शिक्षणों को सेंसर करने में सहयोग देने के लिए कलोन (जर्मनी), लूवेन (बेलजियम), और पैरिस के कैथोलिक विश्‍वविद्यालय सहमत हो चुके थे। जब लूवेन विश्‍वविद्यालय के धर्मविज्ञानियों ने सॉरबॉन को अपना अचरज व्यक्‍त करते हुए लिखा कि पैरिस की निन्दित पुस्तकों की सूची में एटीएन की बाइबल नहीं दिखाई दी थी, तो सॉरबॉन ने झूठ बोला और उत्तर दिया कि यदि उन्होंने उसे देखा होता तो वे वाक़ई उसकी निन्दा करते। संकाय के अन्दर के एटीएन के दुश्‍मनों ने अब आश्‍वस्त महसूस किया कि लूवेन और पैरिस के संकायों के संयुक्‍त अधिकार फ्रांसिस I को अपने मुद्रक की त्रुटियों को स्वीकार करवाने के लिए पर्याप्त होंगे।

इस दरमियान, अपने दुश्‍मनों के इरादों के बारे में सतर्क किए जाने पर, एटीएन राजा के पास धर्मविज्ञानियों से पहले गया। एटीएन ने सुझाया कि जो त्रुटियाँ धर्मविज्ञानियों ने पायी हैं, यदि वे उसकी एक सूची प्रस्तुत करते, तो वह धर्मविज्ञानियों के संशोधनों के साथ इन्हें मुद्रित करने और बेची गयी प्रत्येक बाइबल के साथ इन्हें सम्मिलित करने के लिए पूर्णतया राज़ी था। इस समाधान को राजा की सहमति मिल गयी। उसने अपने राजकीय वाचक, पीएर डू शास्टल से मामले की देखभाल करने के लिए कहा। अक्‍तूबर १५४६ में संकाय ने डू शास्टल को विरोध प्रकट करते हुए लिखा कि एटीएन की बाइबल “उन लोगों के लिए भोजन” था “जो हमारे विश्‍वास को अस्वीकार करते हैं और वर्तमान . . . विधर्मों का समर्थन करते हैं” और वे त्रुटियों से इतनी भरी हुई थीं कि वे अपनी “सम्पूर्णता में मिटा दिए जाने और नष्ट कर दिए जाने” के योग्य थीं। चूँकि वह क़ायल नहीं हुआ, राजा ने अब व्यक्‍तिगत रूप से संकाय को निन्दाओं को प्रस्तुत करने का आदेश दिया ताकि वे एटीएन की बाइबल के साथ मुद्रित किए जा सकें। उन्होंने ऐसा करने का वादा किया, लेकिन वास्तव में उन्होंने तथाकथित त्रुटियों की विस्तृत सूची प्रस्तुत करने से बचने के लिए हर संभव कार्य किया।

फ्रांसिस I की मौत मार्च १५४७ में हुई और उसकी मृत्यु के साथ एटीएन ने सॉरबॉन की शक्‍ति के विरुद्ध अपना सबसे शक्‍तिशाली सहायक खो दिया। जब ऑन्री II गद्दी पर बैठा, तो उसने अपने पिता के आदेश को नवीकृत किया कि संकाय अपनी निन्दाओं को प्रस्तुत करें। फिर भी, यह देखने पर कि कैसे जर्मन शासक राजनैतिक लक्ष्यों के लिए धर्मसुधार को इस्तेमाल कर रहे थे, ऑन्री II राजकीय मुद्रक की बाइबलों के तथाकथित लाभ या हानि से ज़्यादा फ्रांस को कैथोलिक और उसके नए राजा के अधीन संयुक्‍त रखने के प्रति चिन्तित था। दिसम्बर १०, १५४७ को, राजा के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय किया कि एटीएन की बाइबलों की बिक्री को तब तक रोका जाना चाहिए जब तक कि धर्मविज्ञानी निन्दाओं की अपनी सूची को प्रस्तुत न कर सकें।

विधर्मी होने का आरोप

संकाय ने अब एटीएन के मुक़दमे को विशेष अदालत को सौंपने के तरीक़े ढूँढे जो विधर्म के मामलों का न्याय करने के लिए हाल में ही स्थापित की गयी थी। जिस ख़तरे में एटीएन था, उससे वह भली-भांति अवगत था। अपने स्थापित होने के दो साल के अन्दर ही, अदालत शानब्रे आरडॉन्ट, या “जलता हुआ कमरा” के रूप में प्रचलित हो गयी। कुछ ६० शिकारों को सूली पर चढ़ाया गया, जिनमें कुछ मुद्रक और पुस्तक विक्रेता सम्मिलित थे जिन्हें प्लेस मोबर में ज़िन्दा जलाया गया था। यह स्थान एटीएन के घर के बहुत क़रीब था। उसके विरुद्ध कोई भी छोटा-सा सुराग पाने के लिए, एटीएन के घर की बारंबार तलाशी ली गयी। कुछ ८० से भी अधिक गवाहों से पूछताछ की गयी। यदि उसे विधर्म का दोषी सिद्ध किया जा सके तो जानकारी देनेवालों को एटीएन की व्यक्‍तिगत संपत्ति का चौथा भाग देने का वादा किया गया। फिर भी, उनका एकमात्र सबूत वह था जो एटीएन ने अपनी बाइबलों में खुलेआम मुद्रित किया था।

फिर से राजा ने आदेश दिया कि संकाय की निन्दाओं की सूची को उसके सर्वोच्च न्यायालय को सौंप दिया जाए। जिद्द पर अड़े हुए, संकाय ने उत्तर दिया कि ‘धर्मविज्ञानियों की यह आदत नहीं है कि विधर्मी के तौर पर जिस चीज़ की वे निन्दा करते हैं उसके कारणों को लिखित रूप में व्यक्‍त करें, बल्कि वे मौखिक शब्दों से ही उत्तर देते हैं, जिसे आपको विश्‍वास करना चाहिए, अन्यथा लिखते रहने का कोई अन्त नहीं होगा।’ ऑन्री ने चुपचाप स्वीकार किया। अन्तिम प्रतिबन्ध लगाया गया। लगभग सभी बाइबलीय कार्य, जो एटीएन ने कभी प्रस्तुत किया था, की निन्दा की गयी। हालाँकि वह प्लेस मोबर में ज़िन्दा जलाए जाने से बच गया था, उसने अपनी बाइबलों पर सम्पूर्ण प्रतिबन्ध और अतिरिक्‍त उत्पीड़न की संभावना की परिस्थितियों के अधीन फ्रांस छोड़ने का निर्णय किया।

प्रवासी मुद्रक

नवम्बर १५५० में, एटीएन ने जनिवा, स्विट्‌ज़रलैंड को निवास-परिवर्तन किया। संकाय ने फ्रांस में वलगेट के सिवाय किसी भी बाइबल को प्रकाशित करना ग़ैरकानूनी बना दिया था। जो वह चाहता था अब उसे प्रकाशित करने को स्वतंत्र, एटीएन ने १५५१ में समान्तर स्तंभों में दो लैटिन अनुवाद (वलगेट और इरैस्मस) के साथ अपने यूनानी ‘नए नियम’ को पुनर्मुद्रित किया। इसके बाद, १५५२ में, उसने इरैस्मस के लैटिन पाठ के साथ समान्तर स्तंभों में यूनानी शास्त्र का फ्रांसीसी में अनुवाद किया। इन दो संस्करणों में, एटीएन ने बाइबल के पाठ को क्रमांकित आयतों में विभाजित करने की अपनी प्रणाली को पेश किया—वही प्रणाली जो आज सर्वत्र इस्तेमाल की जाती है। हालाँकि दूसरों ने आयत विभाजन के लिए विभिन्‍न तरीक़ों की पहले कोशिश की थी, एटीएन का आयत विभाजन स्वीकृत रूप बन गया। वर्ष १५५३ की उसकी फ्रांसीसी बाइबल सबसे पहली सम्पूर्ण बाइबल थी जिसने उसके आयत विभाजनों को प्रदान किया।

एटीएन की १५५७ की दो-अनुवाद वाली लैटिन बाइबल, पूरे इब्रानी शास्त्र में परमेश्‍वर के व्यक्‍तिगत नाम, यहोवा, के अपने उपयोग में भी अनोखी है। दूसरे भजन के पार्श्‍व में, उसने लिखा कि इब्रानी चतुर्वर्णी शब्द )‏(יהוה‏ के लिए एदोनाइ का प्रतिस्थापन सिर्फ़ यहूदी अंधविश्‍वास पर आधारित था और उसे अस्वीकार करना चाहिए। इस संस्करण में, एटीएन ने उन लैटिन शब्दों को सूचित करने के लिए तिरछे टाइप इस्तेमाल किए जिन्हें इब्रानी के अर्थ को लैटिन में पूरी तरह व्यक्‍त करने के लिए जोड़ा गया था। अन्य बाइबलों में यह तकनीक बाद में अपनायी गयी, एक बपौती जो ज़ोर देने के लिए तिरछे टाइप के आधुनिक उपयोग के आदी आज के पाठकों को अकसर उलझन में डालती है।

अपने ज्ञान को दूसरों को सुलभ कराने के लिए दृढ़, एटीएन ने पवित्र शास्त्र के प्रकाशन के प्रति अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे लोग जो आज परमेश्‍वर के वचन का मूल्यांकन करते हैं, उसके प्रयासों और अन्य लोगों की मेहनत के प्रति आभारी हो सकते हैं जिन्होंने बाइबल के शब्दों को जैसे वे मूलत: लिखे गए थे, उघारने के लिए परिश्रम किया। जो प्रक्रम उन्होंने शुरू किया वह आज भी जारी है। ऐसा तब होता है जब हम प्राचीन भाषाओं का ज़्यादा यथार्थ ज्ञान प्राप्त करते हैं और परमेश्‍वर के वचन की ज़्यादा पुरानी और ज़्यादा यथार्थ हस्तलिपियों को खोज निकालते हैं। अपनी मृत्यु (१५५९) से कुछ समय पहले, एटीएन यूनानी शास्त्र के एक नए अनुवाद पर कार्य कर रहा था। उससे पूछा गया था: “इसे कौन खरीदेगा? इसे कौन पढ़ेगा?” उसने विश्‍वस्त होकर उत्तर दिया: ‘ईश्‍वरीय भक्‍ति के सभी उच्च शिक्षित मनुष्य।’

[फुटनोट]

a वह अपने लातीनी नाम, स्टीफॆनस, और अपने अंग्रेज़ी नाम, स्टीवन्स, से भी जाना जाता है।

[पेज 10 पर तसवीरें]

रॉबर एटीएन के प्रयासों ने बाइबल विद्यार्थियों की अनेक पीढ़ियों को मदद दी है

[चित्र का श्रेय]

Bibliothe’que Nationale, Paris

[पेज 12 पर तसवीरें]

एटीएन के शिक्षाप्रद चित्र पीढ़ियों तक नक़ल किए गए

[चित्र का श्रेय]

Bibliothe’que Nationale, Paris

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें