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  • वह दिन जो “धधकते भट्ठे का सा” है

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  • वह दिन जो “धधकते भट्ठे का सा” है
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
w95 4/15 पेज 20-25

वह दिन जो “धधकते भट्ठे का सा” है

“देखो, वह धधकते भट्ठे का सा दिन आता है।” —मलाकी ४:१.

१. मलाकी ४:१ से सम्बन्धित कौन-से प्रश्‍न उठते हैं?

इन अन्तिम दिनों के दौरान, क्या ही ख़ुश हैं वे लोग जिनका नाम यहोवा अपनी स्मरण की पुस्तक में लिखने के लिए चुनता है। लेकिन उन लोगों के बारे में क्या जो उस विशेषाधिकार के लिए योग्य नहीं हो पाते हैं? चाहे वे शासक हों या मात्र साधारण लोग, उनका परिणाम क्या होगा यदि वे परमेश्‍वर के राज्य के उद्‌घोषकों का और उनके संदेश का तिरस्कार करते हैं? मलाकी लेखा लेने के दिन के बारे में बात करता है। अध्याय ४, आयत १ में हम यों पढ़ते हैं: “क्योंकि देखो, वह धधकते भट्ठे का सा दिन आता है, जब सब अभिमानी और सब दुराचारी लोग अनाज की खूंटी बन जाएंगे; और उस आनेवाले दिन में वे ऐसे भस्म हो जाएंगे कि उनका पता तक न रहेगा [उनकी न जड़ न डालियां छोड़ेगा, फुटनोट], सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।”

२. यहेजकेल द्वारा यहोवा के न्याय का कौन-सा सजीव विवरण दिया गया है?

२ अन्य भविष्यवक्‍ता भी यहोवा द्वारा राष्ट्रों के न्याय करने की तुलना भट्ठे की प्रचंड गर्मी से करते हैं। कितने उपयुक्‍त ढंग से यहेजकेल २२:१९-२२, धर्मत्यागी मसीहीजगत के सम्प्रदायों का परमेश्‍वर द्वारा न्याय किए जाने पर लागू होता है! वह यों कहता है: “प्रभु यहोवा उन से यों कहता है, इसलिये कि तुम सब के सब धातु के मैल के समान बन गए हो, सो देखो, मैं तुम को . . . इकट्ठा करने पर हूं। जैसे लोग चान्दी, पीतल, लोहा, शीशा, और रांगा इसलिये भट्ठी के भीतर बटोरकर रखते हैं कि उन्हें आग फूंककर पिघलाएं, वैसे ही मैं तुम को अपने कोप और जलजलाहट से इकट्ठा करके वहीं रखकर पिघला दूंगा। मैं तुम को वहां बटोरकर अपने रोष की आग से फूंकूंगा, और तुम उसके बीच पिघलाए जाओगे। जैसे चान्दी भट्ठी के बीच में पिघलाई जाती है, वैसे ही तुम उसके बीच में पिघलाए जाओगे; तब तुम जान लोगे कि जिस ने हम पर अपनी जलजलाहट भड़काई है, वह यहोवा है।”

३, ४. (क) पादरी वर्ग ने कौन-सा पाखण्डी दावा किया है? (ख) धर्म का कौन-सा घृणित रिकार्ड है?

३ वाक़ई एक प्रभावशाली दृष्टान्त! पादरी वर्ग को, जो यहोवा के नाम का प्रयोग करने से कतराया है, यहाँ तक कि उस पवित्र नाम की निन्दा की है, लेखा लेने के उस दिन का सामना करना पड़ेगा। धृष्टता से, वे दावा करते हैं कि वे और उनके राजनैतिक मित्र-राष्ट्र परमेश्‍वर के राज्य को पृथ्वी पर स्थापित करेंगे, या कम-से-कम पृथ्वी को राज्य के लिए एक योग्य स्थान बना देंगे।

४ धर्मत्यागी मसीहीजगत भयंकर युद्ध लड़ने में राजनैतिक शासकों के साथ मिल गया है। इतिहास में मध्ययुगीन समयों के धर्मयुद्धों का, स्पेनिश परीक्षण के अनिवार्य धर्म-परिवर्तनों का, १७वीं शताब्दी में यूरोप को लगभग तबाह कर देनेवाले तीस साल के युद्ध का, और १९३० के दशक में कैथोलिक धर्म के लिए स्पेन को सुरक्षित रखने के लिए लड़े गए स्पेनिश गृह युद्ध का अभिलेख है। सबसे बड़ा रक्‍तपात हमारी शताब्दी के दो विश्‍वयुद्धों में हुआ, जब संगी विश्‍वासियों के साथ-साथ दूसरे धर्मों के लोगों की भी अन्धाधुन्ध हत्या करते हुए, कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट खुली प्रतियोगिता में लग गए। कुछ ही समय पहले, आयरलैंड में कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट के बीच, भारत में धार्मिक दलों के बीच, भूतपूर्व यूगोस्लाविया में धार्मिक समूहों के बीच, ख़ूनी लड़ाइयाँ हुई हैं। धार्मिक इतिहास के पन्‍ने यहोवा के हज़ारों विश्‍वासी साक्षियों के शहादत के खून से भी रंगे हुए हैं।—प्रकाशितवाक्य ६:९, १०.

५. झूठे धर्म पर कौन-सा न्याय आनेवाला है?

५ उसके समर्थकों के संग बड़े बाबुल अर्थात्‌ झूठे धर्म के विश्‍व साम्राज्य पर यहोवा के आनेवाले न्यायदण्ड की न्यायशीलता को हम आसानी से समझ सकते हैं। यह न्यायदण्ड प्रकाशितवाक्य १८:२१, २४ में वर्णित है: “एक बलवन्त स्वर्गदूत ने बड़ी चक्की के पाट के समान एक पत्थर उठाया, और यह कहकर समुद्र में फेंक दिया, कि बड़ा नगर बाबुल ऐसे ही बड़े बल से गिराया जाएगा, और फिर कभी उसका पता न मिलेगा। और भविष्यद्वक्‍ताओं और पवित्र लोगों, और पृथ्वी पर सब घात किए हुओं का लोहू उसी में पाया गया।”

६. (क) कौन अनाज की खूंटी बन जाएंगे और क्यों? (ख) उन लोगों के लिए जो यहोवा का भय मानते हैं, क्या आश्‍वासन है?

६ समय आने पर, धार्मिकता के सभी दुश्‍मन, और जो उनका समर्थन करते हैं, “अनाज की खूंटी बन जाएंगे।” यहोवा का दिन उनमें धधकते भट्ठे का सा जलेगा। “उनकी न जड़ न डालियां छोड़ेगा।” लेखा लेने के उस दिन में, छोटे बच्चों, या डालियों, के साथ उनकी जड़ों, उनके माता-पिता, जिनका इन बच्चों पर निरीक्षण है, पर यहोवा के परीक्षण के मुताबिक़ न्यायपूर्ण रीति से व्यवहार किया जाएगा। दुष्ट माता-पिताओं को अपने दुष्ट तरीक़ों को जारी रखने के लिए कोई वंशज नहीं मिलेगा। लेकिन जो परमेश्‍वर के राज्य की प्रतिज्ञाओं में विश्‍वास करते हैं हिलाए नहीं जाएँगे। इब्रानियों १२:२८, २९ (NHT) इसलिए उपदेश देता है: “आओ, हम कृतज्ञ होकर आदर और भय सहित परमेश्‍वर की ऐसी उपासना करें जो उसे ग्रहणयोग्य हो, क्योंकि हमारा परमेश्‍वर भस्म करने वाली आग है।”

क्या यहोवा एक क्रूर परमेश्‍वर है?

७. उसके न्याय के बीच में यहोवा का प्रेम कैसे प्रविष्ट होता है?

७ क्या इसका यह अर्थ है कि यहोवा एक क्रूर, प्रतिशोधी परमेश्‍वर है? निश्‍चय ही नहीं! १ यूहन्‍ना ४:८ में, प्रेरित एक आधारभूत सच्चाई बताता है: “परमेश्‍वर प्रेम है।” फिर, आयत १६ में वह ज़ोर देता है। वह कहता है: “परमेश्‍वर प्रेम है: और जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्‍वर में बना रहता है; और परमेश्‍वर उस में बना रहता है।” मानवजाति के प्रति उसके प्रेम की वजह से ही यहोवा इस पृथ्वी को सब दुष्टता से साफ़ करने का उद्देश्‍य करता है। हमारा प्रेममय, दयालु परमेश्‍वर घोषणा करता है: “मेरे जीवन की सौगन्ध, मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्‍न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे; . . . तुम अपने अपने बुरे मार्ग से फिर जाओ; तुम क्यों मरो?”—यहेजकेल ३३:११.

८. यूहन्‍ना ने प्रेम पर कैसे ज़ोर दिया, इसके बावजूद उसने अपने आपको गर्जन का पुत्र भी कैसे दिखाया?

८ जितनी बार सुसमाचार के बाक़ी के तीनों लेखकों ने मिलकर अगापे, सैद्धान्तिक प्रेम, का ज़िक्र किया है, उससे कहीं ज़्यादा बार यूहन्‍ना ने ज़िक्र किया है। फिर भी, मरकुस ३:१७ में, स्वयं यूहन्‍ना को “गर्जन के पुत्र” के रूप में वर्णित किया गया है। यहोवा की ओर से उत्प्रेरणा के द्वारा ही यह हुआ कि इस गर्जन के पुत्र ने बाइबल की अन्तिम पुस्तक, प्रकाशितवाक्य के भविष्यसूचक संदेशों को लिखा, जो यहोवा को एक ऐसे परमेश्‍वर के रूप में चित्रित करते हैं जो न्याय कार्यान्वित करता है। यह पुस्तक न्यायिक अभिव्यक्‍तियों से भरी है, जैसे कि ‘परमेश्‍वर के प्रकोप के बड़े रस का कुण्ड,’ ‘परमेश्‍वर के प्रकोप के सात कटोरे,’ और “सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट।”—प्रकाशितवाक्य १४:१९; १६:१; १९:१५.

९. यहोवा के न्याय पर यीशु ने कौन-सी अभिव्यक्‍तियाँ कीं, और उसकी भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हुईं?

९ जब वह पृथ्वी पर था, तब हमारे प्रभु यीशु मसीह ने, जो “अदृश्‍य परमेश्‍वर का प्रतिरूप है,” यहोवा के न्याय की साहसपूर्वक घोषणा की। (कुलुस्सियों १:१५) उदाहरण के लिए, मत्ती अध्याय २३ की सात हाय हैं जो उसने अपने समय के धार्मिक पाखण्डियों के विरुद्ध स्पष्टवादिता से घोषित कीं। उसने अपने उस निन्दात्मक न्यायदंड को इन शब्दों से समाप्त किया: “हे यरूशलेम, हे यरूशलेम; तू जो भविष्यद्वक्‍ताओं को मार डालता है, और जो तेरे पास भेजे गए, उन्हें पत्थरवाह करता है, कितनी ही बार मैं ने चाहा कि जैसे मुर्ग़ी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे इकट्ठे करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बालकों को इकट्ठे कर लूं, परन्तु तुम ने न चाहा। देखो, तुम्हारा घर तुम्हारे लिये उजाड़ छोड़ा जाता है।” सैंतीस सालों के बाद, जनरल टाइटस के अधीन रोमी सैनिक द्वारा न्याय कार्यान्वित किया गया था। वह एक भयानक दिन था, उस दिन का भविष्यसूचक जो सारे मानव के अनुभव में सबसे अधिक भय-प्रेरक दिन साबित होगा—यहोवा का दिन, जल्द ही शुरू होनेवाला।

“सूर्य” उदय होता है

१०. “धर्म का सूर्य” परमेश्‍वर के लोगों के लिए कैसे हर्ष लाता है?

१० यहोवा ज्ञात कराता है कि उसके दिन में बचनेवाले होंगे। वह इनका ज़िक्र मलाकी ४:२ में करता है। वह कहता है: “तुम्हारे लिये जो मेरे नाम का भय मानते हो, धर्म का सूर्य उदय होगा, और उसकी किरणों के द्वारा तुम चंगे हो जाओगे [उसके पंखों में चंगापन, फुटनोट]।” धर्म का वह सूर्य स्वयं यीशु मसीह के सिवाय कोई दूसरा नहीं है। वह “जगत की” आध्यात्मिक “ज्योति” है। (यूहन्‍ना ८:१२) वह कैसे उदय होता है? वह अपने पंखों में चंगापन लिए हुए निकलता है—पहले आध्यात्मिक चंगाई, जिसका अनुभव हम आज भी कर सकते हैं, और फिर आनेवाले नए संसार में, सब राष्ट्रों के लोगों के लिए शारीरिक चंगाई। (मत्ती ४:२३; प्रकाशितवाक्य २२:१, २) लाक्षणिक रीति से, जैसे मलाकी ने कहा, चंगे किए हुए जन “निकलकर पाले हुए बछड़ों की नाई” जिन्हें थान से मुक्‍त किया गया हो ‘कूदेंगे और फांदेंगे।’ पुनरुत्थित किए गए जन भी, जिन्हें मानवी परिपूर्णता को प्राप्त करने की प्रत्याशा के साथ जिलाया जाता है, क्या ही हर्ष का अनुभव करेंगे!

११, १२. (क) दुष्टों का क्या परिणाम होनेवाला है? (ख) परमेश्‍वर के लोग कैसे ‘दुष्टों को लताड़ डालते’ हैं?

११ लेकिन, दुष्टों के बारे में क्या? मलाकी ४:३ में हम यों पढ़ते हैं: “तुम दुष्टों को लताड़ डालोगे, अर्थात्‌ मेरे उस ठहराए हुए दिन में वे तुम्हारे पांवों के नीचे की राख बन जाएंगे, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।” उससे प्रेम करनेवालों की रक्षा करते हुए, हमारे योद्धा-परमेश्‍वर ने निर्दयी दुश्‍मनों को सत्यानाश करके पृथ्वी से साफ़ कर दिया होगा। शैतान और उसके पिशाचों को क़ैद कर दिया गया होगा।—भजन १४५:२०; प्रकाशितवाक्य २०:१-३.

१२ परमेश्‍वर के लोग दुष्टों का नाश करने में कोई भाग नहीं लेते। तब, वे कैसे ‘दुष्टों को लताड़ डालते’ हैं? वे एक बड़े विजय उत्सव में हिस्सा लेने के द्वारा इसे लाक्षणिक रूप से करते हैं। निर्गमन १५:१-२१ एक ऐसे उत्सव का वर्णन करता है। यह लाल समुद्र में फ़िरौन और उसकी सेना के नाश होने के बाद हुआ। यशायाह २५:३-९ (NHT) की पूर्ति में, “निर्दयी” लोगों को हटाने के बाद परमेश्‍वर की इस प्रतिज्ञा से जुड़ा हुआ एक विजय-भोज होगा: “वह मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा, और अपनी प्रजा की नामधराई सारी पृथ्वी पर से दूर करेगा; क्योंकि यहोवा ने ऐसा कहा है। और उस समय यह कहा जाएगा, देखो, हमारा परमेश्‍वर यही है; . . . यहोवा यही है; हम उसकी बाट जोहते आए हैं। हम उस से उद्धार पाकर मगन और आनन्दित होंगे।” इस हर्ष में, प्रतिशोध या विद्वेषपूर्ण संतुष्टि नहीं है, बल्कि यहोवा के नाम को पवित्रिकृत होते और पृथ्वी को संयुक्‍त मानवजाति द्वारा शांतिपूर्ण निवास के लिए साफ़ किया हुआ देखने का अत्यधिक आनन्द है।

एक महान शैक्षिक कार्यक्रम

१३. “नयी पृथ्वी” में कौन-सी शिक्षा दी जाएगी?

१३ मलाकी ४:४ में, यहूदियों को ‘मूसा की व्यवस्था . . . को स्मरण’ करने के लिए समझाया गया था। सो आज जैसे गलतियों ६:२ में उल्लिखित है, हमें “मसीह की व्यवस्था” का पालन करने की ज़रूरत है। निःसंदेह अरमगिदोन के उत्तरजीवियों को इस पर आधारित अतिरिक्‍त उपदेश प्रदान किए जाएँगे, और ये उपदेश संभवतः प्रकाशितवाक्य २०:१२ की ‘पुस्तकों’ में लिखे हो सकते हैं जिन्हें पुनरुत्थान के समय खोला जाएगा। वह क्या ही महान दिन होगा जब पुनरुत्थित मृत जन “नयी पृथ्वी” की जीवन-शैली का अनुकरण करने के लिए शिक्षित किए जाएँगे!—प्रकाशितवाक्य २१:१.

१४, १५. (क) आधुनिक-दिन एलिय्याह की पहचान कैसे की गयी है? (ख) एलिय्याह वर्ग कौन-सी ज़िम्मेदारी पूरी करता है?

१४ वह यहोवा द्वारा उल्लेख किए गए उस शैक्षिक कार्य का विस्तार होगा, जो मलाकी ४:५ में अभिलिखित है: “देखो, यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले, मैं तुम्हारे पास एलिय्याह नबी को भेजूंगा।” वह आधुनिक-दिन एलिय्याह कौन है? जैसे मत्ती १६:२७, २८ में दिखाया गया है, ‘अपने राज्य में आने’ के बारे में ज़िक्र करते हुए, यीशु ने कहा: “मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।” छः दिनों के बाद, पतरस, याकूब, और यूहन्‍ना के साथ एक पहाड़ पर, “उन के साम्हने उसका रूपान्तर हुआ और उसका मुंह सूर्य की नाईं चमका और उसका वस्त्र ज्योति की नाईं उजला हो गया।” क्या वह इस दर्शन में अकेला था? जी नहीं, क्योंकि “देखो, मूसा और एलिय्याह उसके साथ बातें करते हुए उन्हें दिखाई दिए।”—मत्ती १७:२, ३.

१५ इसका क्या अर्थ हो सकता है? न्याय करने के लिए उसके आगमन के समय में इसने यीशु की ओर बड़े मूसा के तौर पर संकेत किया जैसे कि भविष्यवाणी की गयी थी। (व्यवस्थाविवरण १८:१८, १९; प्रेरितों ३:१९-२३) तब एक अत्यावश्‍यक कार्य को पूरा करने के लिए वह आधुनिक-दिन एलिय्याह के साथ सम्बन्धित होता। वह अत्यावश्‍यक कार्य है, यहोवा के बड़े और भय-प्रेरक दिन के शुरू होने से पहले पूरी पृथ्वी में राज्य का यह सुसमाचार प्रचार करना। इस “एलिय्याह” के कार्य का वर्णन करते हुए, मलाकी ४:६ कहता है: “वह माता-पिता के मन को उनके पुत्रों की ओर, और पुत्रों के मन को उनके माता-पिता की ओर फेरेगा; ऐसा न हो कि मैं आकर पृथ्वी को सत्यानाश करूं।” अतः “एलिय्याह” की पहचान पृथ्वी पर अभिषिक्‍त मसीहियों के विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग के रूप में की गयी है, जिन्हें स्वामी अर्थात्‌ यीशु ने अपनी सारी संपत्ति सौंपी है। इसमें विश्‍वास के घराने को “समय पर” आवश्‍यक आध्यात्मिक “भोजन” प्रदान करना सम्मिलित है।—मत्ती २४:४५, ४६.

१६. एलिय्याह वर्ग के कार्य के द्वारा कौन-से आनन्दप्रद परिणाम प्राप्त हुए हैं?

१६ आज संसारभर में, हम उस भरण-पोषण के कार्यक्रम के आनन्दप्रद परिणाम देख सकते हैं। प्रहरीदुर्ग पत्रिका के हर अंक की १२० भाषाओं में १,६१,००,००० छपाई होती है। इनमें से ९७ भाषाएँ साथ-साथ प्रकाशित की जाती हैं और साथ ही ये पृथ्वी को ‘राज्य के इस सुसमाचार’ से भर रही है। (मत्ती २४:१४) अनेक भाषाओं में अन्य प्रकाशनों को यहोवा के साक्षियों के प्रचार और सिखाने के कार्य के अनेक पहलुओं में इस्तेमाल किया जाता है। एलिय्याह वर्ग अर्थात्‌ विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास, ‘उन’ सब लोगों के लिए जो “अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत हैं,” प्रचुरता में प्रबन्ध करने के प्रति सतर्क है। (मत्ती ५:३, NW) इसके अतिरिक्‍त, जो इस राज्य आशा को स्वीकारते हैं और उसके अनुसार कार्य करते हैं, एक अद्‌भुत विश्‍वव्यापी एकता में बन्ध जाते हैं। यह “हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा” में से एक बड़ी भीड़ को सम्मिलित करता है। (प्रकाशितवाक्य ७:९) जब यह कार्य उस हद तक पूरा हो जाएगा जिस हद तक यहोवा चाहता है, तब उसके बड़े और भय-प्रेरक दिन में अन्त आ जाएगा।

१७. यहोवा का भय-प्रेरक दिन कब शुरू होगा?

१७ वह भय-प्रेरक दिन एकाएक कब शुरू होगा? प्रेरित पौलुस उत्तर देता है: ‘जैसे रात्रि में चोर आता है, वैसे ही प्रभु [यहोवा, NW] का दिन भी आएगा। जब लोग कह रहे होंगे [शायद एक अनोखे तरीक़े से], “शान्ति और सुरक्षा है,” तब जैसे गर्भवती स्त्री पर सहसा प्रसव पीड़ा आ पड़ती है, वैसे ही उन पर भी विनाश आ पड़ेगा, और वे बच न सकेंगे।’—१ थिस्सलुनीकियों ५:२, ३, NHT.

१८, १९. (क) ”शान्ति और सुरक्षा” की घोषणा कैसे की जाती है? (ख) यहोवा के लोग कब राहत पाएँगे?

१८ इस भविष्यवाणी में “वे” कौन हैं? वे राजनैतिक नेता हैं जो दावा करते हैं कि वे इस हिंसक संसार के खण्डित भागों से एक संयुक्‍त नयी व्यवस्था बना सकते हैं। उनकी बेतुकी उत्पत्ति, राष्ट्र संघ और संयुक्‍त राष्ट्र, ऐसा नहीं कर पाए हैं। जैसे यहोवा के भविष्यवक्‍ता ने पूर्वबताया, वे अब भी ‘शान्ति है, शान्ति, कहते हैं परन्तु शान्ति कुछ भी नहीं।’—यिर्मयाह ६:१४; ८:११; १४:१३-१६.

१९ इसी बीच, यहोवा के लोग इस भक्‍तिहीन संसार के दबावों और सताहटों को सहते हैं। लेकिन जल्द ही, जैसे २ थिस्सलुनीकियों १:७, ८ में कहा गया है, वे राहत पाएँगे जब “प्रभु यीशु अपने सामर्थी दूतों के साथ, धधकती हुई आग में स्वर्ग से प्रगट होगा। और जो परमेश्‍वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते उन से पलटा लेगा।”

२०. (क) सपन्याह और हबक्कूक उस दिन के बारे में जो “धधकते भट्ठे का सा” है क्या भविष्यवाणी करते हैं? (ख) ये भविष्यवाणियाँ क्या सलाह और प्रोत्साहन देती हैं?

२० वह कितना जल्द होगा? हम में से अनेक जन काफ़ी समय से इन्तज़ार कर रहे हैं। इसी बीच, नम्र जनों की बड़ी संख्या जो बचेंगी सपन्याह २:२, ३ में पाए गए बुलावे का उत्तर दे रही है: ‘यहोवा को ढूंढते रहो; धर्म को ढूंढो, नम्रता को ढूंढो; सम्भव है तुम यहोवा के क्रोध के दिन में शरण पाओ।’ फिर, सपन्याह ३:८ में यह प्रोत्साहन है: “इस कारण यहोवा की यह वाणी है, कि जब तक मैं नाश करने को न उठूं, तब तक तुम मेरी बाट जोहते रहो। मैं ने यह ठाना है कि जाति-जाति के और राज्य-राज्य के लोगों को मैं इकट्ठा करूं, कि उन पर अपने क्रोध की आग पूरी रीति से भड़काऊं; क्योंकि सारी पृथ्वी मेरी जलन की आग से भस्म हो जाएगी।” अन्त निकट है! यहोवा उस दिन और घड़ी के बारे में जानता है और अपनी समय-सारणी को नहीं बदलेगा। आइए हम धैर्यपूर्वक धीरज धरें। “क्योंकि इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होनेवाली है, वरन इसके पूरे होने का समय वेग से आता है; इस में धोखा न होगा। चाहे इस में विलम्ब भी हो, तौभी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्‍चय पूरी होगी और उस में देर न होगी।” (हबक्कूक २:३) यहोवा का भय-प्रेरक दिन शीघ्रता से और भी निकट आता है। याद रखिए, उस दिन में देर न होगी!

पुनर्विचार के तौर पर:

◻ यहोवा के भय-प्रेरक दिन में शासकों और शासित लोगों की स्थिति कैसी होगी?

◻ यहोवा किस प्रकार का परमेश्‍वर है?

◻ परमेश्‍वर के लोगों के लिए किस क़िस्म की शिक्षा का वर्णन किया गया है?

◻ अन्त की निकटता को देखते हुए परमेश्‍वर के भविष्यवक्‍ता हमें कैसे प्रोत्साहन देते हैं?

[पेज 21 पर तसवीरें]

स्पेनिश परीक्षण के दौरान अनेक लोगों को कैथोलिक धर्म में धर्म-परिवर्तन करने के लिए ज़बरदस्ती की गयी थी

[चित्र का श्रेय]

The Complete Encyclopedia of lllustration/J. G,  Heck

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