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  • मसोरा लेखक कौन थे?
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
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w95 9/15 पेज 26-29

मसोरा लेखक कौन थे?

“सत्य के परमेश्‍वर,” यहोवा ने अपने वचन, बाइबल को सुरक्षित रखा है। (भजन ३१:५, NHT) लेकिन चूँकि सत्य के बैरी, शैतान ने इसे भ्रष्ट और नाश करने की कोशिश की है, बाइबल हमारे पास मौलिक रूप से जैसे लिखी गयी थी वैसे ही कैसे पहुँची?—मत्ती १३:३९ देखिए।

इसका उत्तर कुछ हद तक प्रोफ़ॆसर रॉबर्ट गॉर्डिस की टिप्पणी से मिल सकता है: “मसोरा लेखक या ‘परम्परा के रक्षक’ नामक इब्रानी शास्त्रियों की उपलब्धि का पर्याप्त रूप से मूल्यांकन नहीं किया गया है। इन गुमनाम शास्त्रियों ने अति सावधानी और प्रेममय चिन्ता के साथ पवित्र पुस्तक की प्रतिलिपि बनायी।” हालाँकि इनमें से अधिकांश प्रतिलिपिक आज हमारे लिए गुमनाम हैं, मसोरा लेखकों के एक परिवार का नाम स्पष्ट रूप से अभिलिखत है—बॆन ऐशर। हम उनके और उनके संगी मसोरा लेखकों के बारे में क्या जानते हैं?

बॆन ऐशर परिवार

बाइबल के उस भाग की जो मूलतः इब्रानी में लिखा गया था, और जो अकसर पुराना नियम कहलाता है, यहूदी शास्त्रियों ने यथार्थता से प्रतिलिपि बनायी थी। सामान्य युग छठी से दसवीं शताब्दी तक, इन प्रतिलिपिकों को मसोरा लेखक कहा जाता था। उनके काम में क्या सम्मिलित था?

शताब्दियों तक इब्रानी केवल व्यंजनों के साथ लिखी जाती थी, स्वर पाठक स्वयं जोड़ता था। लेकिन मसोरा लेखकों के समय तक, इब्रानी का सही उच्चारण खोता जा रहा था क्योंकि अनेक यहूदी अब इस भाषा में निपुण नहीं थे। बाबुल और इस्राएल में मसोरा लेखकों के समूहों ने व्यंजनों के आस-पास लगाने के लिए चिन्ह विकसित किए जो बोलने के लहज़े और स्वरों के सही उच्चारण को सूचित करते। कम से कम तीन भिन्‍न प्रणालियाँ विकसित की गयीं, लेकिन एक जो सबसे अधिक प्रभावकारी साबित हुई वह बॆन ऐशर परिवार के गृह-नगर, गलील सागर के पास, तिबिरियास के मसोरा लेखकों की थी।

स्रोत इस अनोखे परिवार से मसोरा लेखकों की पाँच पीढ़ियों की सूची देते हैं, जिसमें पहला है ऐशर जो सा.यु. आठवीं शताब्दी का प्राचीन था। अन्य थे नहेमायाह बॆन ऐशर, ऐशर बॆन नहेमायाह, मूसा बॆन ऐशर, और अंततः सा.यु. दसवीं शताब्दी का हारून बॆन मूसा बॆन ऐशर।a ये पुरुष उन के अग्रगामियों में से थे जो ऐसे लिखित चिन्हों में दक्षता पा रहे थे जिनसे उनकी समझ के अनुसार इब्रानी बाइबल पाठ का जो सही उच्चारण था उसे सर्वोत्तम रीति से अभिव्यक्‍त किया जाता। इन चिन्हों को विकसित करने के लिए, उन्हें इब्रानी व्याकरण-वर्गीकरण का आधार निश्‍चित करना था। इब्रानी व्याकरण के लिए नियमों का कोई स्पष्ट वर्गीकरण कभी अभिलिखित नहीं किया गया था। इसलिए, कहा जा सकता है कि ये मसोरा लेखक पहले इब्रानी वैयाकरणों में से थे।

बॆन ऐशर पारिवारिक परम्परा का अन्तिम मसोरा लेखक, हारून वह पहला व्यक्‍ति था जिसने इस जानकारी को अभिलिखित और संपादित किया। उसने इसे एक कृति में किया जिसका शीर्षक था “सॆफॆर दिकदुकाई हा-तीअमिम।” यह इब्रानी व्याकरण के नियमों की पहली पुस्तक थी। यह पुस्तक आनेवाली शताब्दियों में अन्य इब्रानी वैयाकरणों के कार्य का आधार बन गयी। लेकिन यह मसोरा लेखकों के अधिक महत्त्वपूर्ण कार्य का मात्र एक उपफल था। वह कार्य क्या था?

हाथी-जैसी याददाश्‍त की ज़रूरत

मसोरा लेखकों की मुख्य चिन्ता थी बाइबल पाठ के हर शब्द, यहाँ तक कि हर अक्षर का यथार्थ संचारण। यथार्थता निश्‍चित करने के लिए, मसोरा लेखकों ने हर पृष्ठ के किनारे के पार्श्‍वों को वह जानकारी लिखने के लिए प्रयोग किया जो पिछले प्रतिलिपिकों द्वारा अनजाने में या जानबूझकर पाठ में किए गए किसी भी संभव परिवर्तन को सूचित करती। इन पार्श्‍व टिप्पणियों में, मसोरा लेखकों ने अजीब शब्द-रूप और संधियाँ भी लिखीं, और चिन्ह लगाया कि ये एक पुस्तक में या पूरे इब्रानी शास्त्र में कितनी बार आए। ये टिप्पणियाँ अति संक्षिप्त कोड में अभिलिखित की गयीं, चूँकि जगह कम थी। अतिरिक्‍त प्रति-जाँच के साधन के रूप में, उन्होंने कुछ पुस्तकों के बीचवाले शब्द और अक्षर को चिन्हित किया। यह निश्‍चित करने के लिए कि यथार्थ प्रतिलिपि बनायी गयी है वे बाइबल के हर अक्षर को गिनने की हद तक गए।

पृष्ठ के ऊपर और नीचे के पार्श्‍वों में, मसोरा लेखकों ने किनारों के पार्श्‍वों में दी गयी कुछ संक्षिप्त टिप्पणियों के सम्बन्ध में अधिक विस्तृत टिप्पणियाँ लिखीं।b ये उनके कार्य की प्रति-जाँच करने में सहायक थीं। चूँकि तब बाइबल का आयतों में विभाजन नहीं हुआ था और बाइबल की कोई शब्दानुक्रमणिका नहीं थी, मसोरा लेखकों ने यह प्रति-जाँच करने के लिए बाइबल के अन्य भागों को कैसे देखा? ऊपर और नीचे के पार्श्‍वों में, उन्होंने एक समान आयत का भाग सूचीबद्ध किया उन्हें यह याद दिलाने के लिए कि वहाँ सूचित शब्द बाइबल में कौन-सी दूसरी जगह पाया गया या पाए गए थे। जगह की कमी के कारण, वे अकसर एक मुख्य शब्द लिखते जो उन्हें हर समान आयत की याद दिलाता। इन पार्श्‍व टिप्पणियों के उपयोगी होने के लिए, इन प्रतिलिपिकों को वस्तुतः सम्पूर्ण इब्रानी शास्त्र कण्ठस्थ करना होता।

जो सूचियाँ पार्श्‍वों के लिए ज़्यादा लम्बी थीं उन्हें हस्तलिपि के अन्य भाग में डाल दिया जाता था। उदाहरण के लिए, उत्पत्ति १८:३ के किनारे के पार्श्‍व में दी गयी मसोरा टिप्पणी तीन इब्रानी अक्षर, קלד दिखाती है। यह संख्या १३४ का इब्रानी तुल्य है। हस्तलिपि के अन्य भाग में एक सूची दी गयी है जो १३४ स्थानों का संकेत करती है जहाँ मसोरा-पूर्व प्रतिलिपिकों ने जानबूझकर इब्रानी पाठ से यहोवा नाम को हटा दिया था, और उसके बदले में “प्रभु” शब्द डाल दिया था।c हालाँकि मसोरा लेखक इन परिवर्तनों से अवगत थे, उन्होंने उन तक पहुँचे पाठ में फेर-बदल करने की धृष्टता नहीं की। इसके बजाय, उन्होंने इन परिवर्तनों को पार्श्‍व टिप्पणियों में सूचित किया। लेकिन मसोरा लेखकों ने पाठ को न बदलने के लिए इतनी अधिक सावधानी क्यों बरती, जबकि पिछले प्रतिलिपिकों ने उसमें फेर-बदल की थी? क्या यहूदी विश्‍वास की उनकी रीति उनके पूर्वजों की रीति से भिन्‍न थी?

वे क्या विश्‍वास करते थे?

मसोरा लेख-सम्बन्धी प्रगति की इस अवधि के दौरान, यहूदीवाद जड़ीभूत वैचारिक लड़ाई में अंतर्ग्रस्त था। सामान्य युग प्रथम शताब्दी से राबीनी यहूदीवाद अपना नियंत्रण बढ़ाता रहा था। तालमद के लेखन और रब्बियों द्वारा व्याख्याओं के कारण मौखिक नियम की राबीनी व्याख्या के सामने बाइबलीय पाठ दूसरे स्थान पर जा रहा था।d इसलिए, बाइबल पाठ की ध्यानपूर्ण सुरक्षा अपना महत्त्व खो सकती थी।

आठवीं शताब्दी में, कैराइट नामक एक समूह ने इस प्रवृत्ति के विरुद्ध विद्रोह किया। व्यक्‍तिगत बाइबल अध्ययन के महत्त्व पर ज़ोर देने के लिए उन्होंने रब्बियों और तालमद के अधिकार और व्याख्याओं को अस्वीकार किया। उन्होंने केवल बाइबल पाठ को अपने अधिकार के रूप में स्वीकार किया। इस ने उस पाठ के यथार्थ संचारण की ज़रूरत को बढ़ाया, और मसोरा लेख-सम्बन्धी अध्ययनों ने नया प्रेरक-बल प्राप्त किया।

किस हद तक राबीनी अथवा कैराइट विश्‍वास में से किसी ने भी मसोरा लेखकों को प्रभावित किया? इब्रानी बाइबल हस्तलिपियों का एक विशेषज्ञ, एम. एच. गोशन-गॉटस्टाइन कहता है: “मसोरा लेखक विश्‍वस्त थे . . . कि वे एक प्राचीन परम्परा को क़ायम रख रहे थे, और जानबूझकर उसके साथ हस्तक्षेप करना उनके लिए संभव अति बुरा अपराध होता।”

मसोरा लेखक बाइबल पाठ की सही प्रतिलिपि बनाने को एक पवित्र कार्य समझते थे। हालाँकि वे व्यक्‍तिगत रूप से शायद अन्य धार्मिक कारणों से अत्यधिक प्रेरित हुए हों, फिर भी ऐसा प्रतीत होता है कि मसोरा लेख-सम्बन्धी कार्य अपने आप में वैचारिक वाद-विषयों से प्रभावित नहीं हुआ था। अति संक्षिप्त पार्श्‍व टिप्पणियों ने धर्म-विज्ञानी बहस के लिए शायद ही कोई जगह छोड़ी। स्वयं बाइबल पाठ उनके जीवन की चिन्ता थी; वे उसमें फेर-बदल नहीं करते।

उनके कार्य से लाभ उठाना

हालाँकि शारीरिक इस्राएल अब परमेश्‍वर के चुने हुए लोग नहीं थे, ये यहूदी प्रतिलिपिक परमेश्‍वर के वचन की यथार्थ सुरक्षा के लिए पूर्ण रूप से समर्पित थे। (मत्ती २१:४२-४४; २३:३७, ३८) बॆन ऐशर परिवार और अन्य मसोरा लेखकों की उपलब्धि का सार रॉबर्ट गॉर्डिस द्वारा उपयुक्‍त रूप से दिया गया है, जिसने लिखा: “उन नम्र लेकिन अदम्य कर्मियों ने . . . बाइबलीय पाठ को हानि या बदलाव से बचाकर रखने का अपना अति कठिन और भारी काम गुमनामी में किया।” (बाइबलीय पाठ अपनी रचना में, अंग्रेज़ी) इसके फलस्वरूप, जब लूथर और टिन्डेल जैसे १६वीं शताब्दी सुधारकों ने गिरजे के अधिकार का विरोध किया और सबके पढ़ने के लिए बाइबल का अनुवाद सामान्य भाषाओं में करना शुरू किया, तो उनके पास अपने कार्य के आधार के रूप में प्रयोग करने के लिए एक अच्छी तरह सुरक्षित रखा गया इब्रानी पाठ था।

मसोरा लेखकों का कार्य आज भी हमें लाभ पहुँचाता है। उनके इब्रानी पाठ पवित्र शास्त्र का नया संसार अनुवाद (अंग्रेज़ी) के इब्रानी शास्त्र का आधार हैं। समर्पण की उसी आत्मा और यथार्थता के लिए चिन्ता के साथ इस अनुवाद का अनेक बोलियों में अनुवाद किया जाना जारी है जो प्राचीन मसोरा लेखकों ने दिखायी थी। हमें यहोवा परमेश्‍वर के वचन पर ध्यान लगाने में वैसी ही आत्मा दिखानी चाहिए।—२ पतरस १:१९.

[फुटनोट]

a इब्रानी में “बॆन” का अर्थ है “पुत्र।” अतः बॆन ऐशर का अर्थ है “ऐशर का पुत्र।”

b किनारों के पार्श्‍वों में दी गयी मसोरा टिप्पणियों को लघु मसोरा कहा जाता है। ऊपर और नीचे के पार्श्‍वों में दी गयी टिप्पणियों को बड़ा मसोरा कहा जाता है। हस्तलिपि में किसी अन्य स्थान पर दी गयी सूचियों को अन्तिम मसोरा कहा जाता है।

c संदर्भ सहित पवित्र शास्त्र का नया संसार अनुवाद (अंग्रेज़ी) में परिशिष्ट 1B देखिए।

d मौखिक नियम और राबीनी यहूदीवाद पर अधिक जानकारी के लिए, वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित क्या कभी युद्ध बिना एक संसार होगा? (अंग्रेज़ी) ब्रोशर के पृष्ठ ८-११ देखिए।

[पेज 28 पर बक्स]

इब्रानी उच्चारण की प्रणाली

स्वर प्रतीकों और उच्चारण चिन्हों को अभिलिखित करने के सर्वोत्तम तरीक़े की खोज मसोरा लेखकों के बीच शताब्दियों तक चली। अतः, बॆन ऐशर परिवार की हर पीढ़ी के साथ निरन्तर विकास देखना आश्‍चर्य की बात नहीं है। विद्यमान हस्तलिपियाँ बॆन ऐशर परिवार के केवल अंतिम दो मसोरा लेखकों, मूसा और हारून की शैलियों और तरीक़ों को चित्रित करती हैं।e इन हस्तलिपियों का तुलनात्मक अध्ययन दिखाता है कि हारून ने उच्चारण और अभिलेखन के कुछ छोटे मुद्दों पर नियम विकसित किए जो उसके पिता, मूसा के नियमों से भिन्‍न थे।

हारून बॆन ऐशर का समकालिक बॆन नप्ताली था। मूसा बॆन ऐशर की कैरो पाण्डुलिपि में अनेक ऐसी व्याख्याएँ हैं जिनका श्रेय बॆन नप्ताली को दिया जाता है। इसलिए, या तो बॆन नप्ताली ने स्वयं मूसा बॆन ऐशर के अधीन अध्ययन किया था अथवा उन दोनों ने एक अधिक प्राचीन सामान्य परम्परा को सुरक्षित रखा। अनेक विद्वान बॆन ऐशर और बॆन नप्ताली की प्रणालियों के बीच की भिन्‍नताओं की बात करते हैं, लेकिन एम. एच. गोशन-गॉटस्टाइन लिखता है: “बॆन ऐशर परिवार के अन्दर दो उपप्रणालियों की बात करना और व्याख्याओं की विषमता को इस प्रकार कहना सही प्रतीत होगा: बॆन ऐशर बनाम बॆन ऐशर।” सो केवल एक बॆन ऐशर तरीक़े की बात करना यथार्थ नहीं होगा। यह अन्तर्निहित श्रेष्ठता का परिणाम नहीं था कि हारून बॆन ऐशर के तरीक़े अन्तिम स्वीकार्य रूप बन गए। सिर्फ़ इसलिए कि १२-वीं शताब्दी के तालमदीय विद्वान मूसा मैमोनाइड्‌स ने हारून बॆन ऐशर पाठ की प्रशंसा की, इसे प्राथमिकता दी गयी।

[Artwork—Hebrew characters]

स्वर नुक़तों और स्वरभेद चिन्हों के साथ और बिना निर्गमन ६:२ का एक भाग

[फुटनोट]

e कैरो पाण्डुलिपि (सा.यु. ८९५), जिसमें केवल पहले और बाद के भविष्यवक्‍ता हैं, मूसा के तरीक़ों का एक उदाहरण देता है। अलीप्पो (लगभग सा.यु. ९३०) और लेनिनग्राद (सा.यु. १००८) पाण्डुलिपियों को हारून बॆन ऐशर के तरीक़ों के उदाहरण समझा जाता है।

[पेज 26 पर तसवीर]

तिबिरियास, आठवीं से दसवीं शताब्दी तक मसोरा लेखकों की गतिविधियों का केंद्र

[चित्र का श्रेय]

Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.

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