विलियम टिंडेल एक दूरदर्शितावाला पुरुष
विलियम टिंडेल का जन्म “वेल्ज़ की सीमाओं पर,” संभवतः ग्लॉसटरशियर, इंग्लैंड में हुआ था, हालाँकि सुनिश्चित स्थान और तारीख़ तय नहीं की जा सकती। अक्तूबर १९९४ में, इंग्लैंड ने इस व्यक्ति के जन्म की ५००वीं सालगिरह मनायी जिन्होंने “हमें हमारी अंग्रेज़ी बाइबल दी।” इस काम के लिए टिंडेल शहीद हो गए थे। क्यों?
विलियम टिंडेल यूनानी और लातिन के अध्ययन में उत्कृष्ट थे। जुलाई १५१५ में, जब वो तक़रीबन २१ वर्ष के थे, तब उन्होंने ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ़ आर्टस् की डिग्री हासिल की। १५२१ तक वो एक नियुक्त रोमन कैथोलिक पादरी बन गए थे। उस समय मार्टिन लूथर की गतिविधि की वजह से जर्मनी में कैथोलिक धर्म में खलबली मची थी। लेकिन इंग्लैंड तब तक एक कैथोलिक देश बना रहा जब तक कि १५३४ में किंग हेन्री VIII ने अन्ततः रोम के साथ अपना नाता नहीं तोड़ा।
हालाँकि टिंडेल के दिनों में अंग्रेज़ी आम बोली थी, सभी शिक्षण लातिन में था। यह गिरजे और बाइबल की भाषा भी थी। १५४६ में काउन्सिल ऑफ़ ट्रॆन्ट ने दोहराया कि जेरोम की पाँचवीं-शताब्दी लातिन वलगेट को ही केवल इस्तेमाल किया जाना था। लेकिन, इसे केवल शिक्षित लोग ही पढ़ सकते थे। इंग्लैंड के लोगों को अंग्रेज़ी में बाइबल प्राप्त करने और उसे पढ़ने की स्वतंत्रता से क्यों वंचित किया जाए? “जेरोम ने भी बाइबल को अपनी मातृभाषा में अनुवाद किया: तो हम भी क्यों नहीं कर सकते?” यह टिंडेल का तर्क था।
विश्वास का एक क़दम
ऑक्सफ़र्ड में अपना समय पूरा करने और संभवतः कैम्ब्रिज में अतिरिक्त अध्ययन के बाद, टिंडेल ने दो साल तक ग्लॉसटरशियर में जॉन वॉल्श के युवा बेटों को पढ़ाया। इस दौरान उन्होंने अंग्रेज़ी में बाइबल का अनुवाद करने की अपनी इच्छा को संजोया, और उन्हें निःसंदेह इरैस्मस के नए बाइबल पाठ की सहायता से अपने अनुवाद के कौशल को विकसित करने का मौक़ा मिला जिसमें समान्तर स्तंभों में यूनानी और लातिन है। १५२३ में, टिंडेल ने वॉल्श परिवार को छोड़ा और वे लंदन गए। उनका मक़सद था लंदन के बिशप, कथबर्ट टनस्टल से अपने अनुवाद के लिए अनुमति प्राप्त करना।
टनस्टल की मंज़ूरी आवश्यक थी क्योंकि ऑक्सफ़र्ड की एक १४०८ धर्मसभा के नियमों में, जो ऑक्सफ़र्ड के संविधान के नाम से जाना जाता है, बिशप की अनुमति के बिना प्रांतीय भाषा में बाइबल को अनुवाद करने या पढ़ने पर प्रतिबन्ध शामिल था। इस मनाही का विरोध करने की जुर्रत करने के लिए, लॉल्लार्डस् नामक अनेक भ्रमणशील प्रचारकों को विधर्मियों के तौर पर जलाया गया। ये लॉल्लार्डस् वलगेट के एक अंग्रेज़ी अनुवाद, जॉन विक्लिफ़ की बाइबल से पढ़ते थे और उसे वितरित करते थे। टिंडेल ने महसूस किया कि अपने गिरजे और इंग्लैंड के लोगों के लिए, मसीही लेखनों का यूनानी से एक नए, विश्वसनीय अनुवाद में भाषान्तरित करने का समय आ गया है।
बिशप टनस्टल एक विद्वान थे जिन्होंने इरैस्मस को प्रोत्साहित करने के लिए काफ़ी कुछ किया था। अपने कौशल के सबूत के तौर पर, टिंडेल ने टनस्टल की मंज़ूरी के लिए एक कठिन यूनानी पाठ, आइसोक्रेटस के एक भाषण का अनुवाद किया था। टिंडेल ज़रूरत से ज़्यादा ही आशावादी थे कि टनस्टल दोस्ती और संरक्षण का हाथ बढ़ाएँगे और शास्त्र का अनुवाद करने के उनके प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे। बिशप क्या करते?
नामंज़ूरी—क्यों?
हालाँकि टिंडेल के पास परिचय-पत्र था, टनस्टल उनसे भेंट करने को राज़ी नहीं थे। इसलिए टिंडेल ने लिखकर एक इन्टरव्यू की याचना की। टनस्टल अन्ततः टिंडेल से मिलने के लिए राज़ी हुए या नहीं, यह बात स्पष्ट नहीं है लेकिन उनका संदेश था, ‘मेरे घर में जगह नहीं है।’ टनस्टल ने इतना जानबूझकर टिंडेल को क्यों झिड़का?
लूथर द्वारा यूरोप के महाद्वीप में किया जा रहा धर्मसुधार का कार्य कैथोलिक चर्च के लिए बड़ी चिन्ता उत्पन्न कर रहा था, जिसका प्रभाव इंग्लैंड में पड़ा। १५२१ में, किंग हेन्री VIII ने लूथर के विरुद्ध पोप के बचाव में एक ज़ोरदार लिखित-तर्क प्रकाशित किया। कृतज्ञता से पोप ने हेन्री को “धर्मत्राता” ख़िताब प्रदान किया।a हेन्री के कार्डिनल वुलज़ी भी सक्रिय थे, जिन्होंने लूथर की अवैध रूप से आयात की गयी पुस्तकों को नाश किया। पोप, राजा, और उनके कार्डिनल के प्रति वफ़ादार कैथोलिक बिशप के तौर पर, टनस्टल ऐसे किसी भी विचार का दमन करने के लिए कर्त्तव्यबद्ध थे जो शायद विद्रोही लूथर के प्रति सहानुभूतिशील हो। टिंडेल मुख्य संदिग्ध व्यक्ति थे। क्यों?
जब टिंडेल वॉल्श परिवार के साथ रहते थे, तब उन्होंने स्थानीय पादरीवर्ग की अज्ञानता और कट्टरता के विरुद्ध निडरतापूर्वक बात की थी। उनमें जॉन स्टाक्सली एक थे जो टिंडेल को ऑक्सफ़र्ड से जानते थे। वो अंततः कथबर्ट टनस्टल के स्थान पर लंदन के बिशप बने।
टिंडेल के प्रति विरोध एक ऊँचे ओहदे के पादरी के साथ हुए मुक़ाबले से भी स्पष्ट है जिन्होंने कहा: “हमारे लिए यह बेहतर होगा कि हम पोप के नियम के बजाय परमेश्वर के नियम के बिना रहें।” स्मरणीय शब्दों में, टिंडेल का जवाब था: ‘मैं पोप और उसके सारे नियमों को चुनौती देता हूँ। अगर परमेश्वर मुझे ज़िन्दा रहने की अनुमति देता है, तो जल्द ही मैं ऐसा करूँगा कि एक हल जोतनेवाले लड़के के पास आप से ज़्यादा शास्त्र की जानकारी हो।’
टिंडेल को झूठे विधर्म के आरोपों पर वुस्टर डायसिस के प्रशासक के सामने हाज़िर होना पड़ा। “उन्होंने मुझे बहुत बड़ी धमकी दी, और मेरी निन्दा की,” टिंडेल ने बाद में याद किया। उन्होंने आगे कहा कि उनके साथ “कुत्ते” जैसे सलूक किया गया था। लेकिन टिंडेल पर विधर्म का आरोप लगाने के लिए कोई सबूत नहीं था। इतिहासकार मानते हैं कि टनस्टल के निर्णय को प्रभावित करने के लिए इन सब बातों को गुप्त रूप से उन तक पहुँचाया गया।
लंदन में एक साल गुज़ारने के बाद, टिंडेल ने निष्कर्ष निकाला: “नए नियम को अनुवाद करने के लिए लंदन में मेरे प्रभु के महल में कोई जगह नहीं थी, लेकिन साथ ही . . . पूरे इंग्लैंड में इसे करने के लिए कोई जगह नहीं थी।” वो सही थे। लूथर के कार्य द्वारा उत्पन्न दमन के वातावरण में, इंग्लैंड में कौन-सा मुद्रक अंग्रेज़ी में एक बाइबल प्रकाशित करने की जुर्रत करता? सो १५२४ में, टिंडेल ने इंग्लिश चैनल पार किया और कभी नहीं लौटे।
यूरोप को और नयी समस्याएँ
अपनी बहुमूल्य पुस्तकों के साथ, विलियम टिंडेल ने जर्मनी में शरण पायी। वो अपने साथ £१० लाए थे जो लंदन के एक प्रभावशाली व्यापारी, उनके दोस्त हम्फ़री मॉनमथ ने उन्हें कृपापूर्वक दिए थे। उन दिनों यह भेंट यूनानी शास्त्र को छापने में, टिंडेल को समर्थ करने के लिए लगभग पर्याप्त थी जिसे अनुवाद करने की उन्होंने योजना बनायी थी। टिंडेल की सहायता करने और लूथर के साथ सहानुभूति दिखाने के आरोप में मॉनमथ को बाद में गिरफ़्तार किया गया। पूछताछ किए जाने और टावर ऑफ़ लंदन में डाल दिए जाने पर, मॉनमथ को कार्डिनल वुलज़ी से क्षमा के लिए याचना करने के बाद ही रिहा किया गया।
यह स्पष्ट नहीं है कि टिंडेल जर्मनी में ठीक किस जगह गए। कुछ सबूत दिखाते हैं कि वे हैमबर्ग गए, जहाँ उन्होंने शायद एक साल बिताया हो। क्या वे लूथर से मिले? यह अनिश्चित है, हालाँकि मॉनमथ के विरुद्ध आरोप कहता है कि वे मिले थे। एक बात निश्चित है: टिंडेल यूनानी शास्त्र के अनुवाद में पूरी तरह जुटे हुए थे। वो अपनी हस्तलिपि कहाँ छपवा सकते थे? उन्होंने यह कार्य कलोन के पीटर क्वेनटल को सौंप दिया।
तब तक सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, जब तक कि विरोधी जॉन डोबनॆक ने, जो कॉकलीयस के नाम से भी जाने जाते हैं, न जान लिया कि क्या हो रहा था। कॉकलीयस ने उन्हें प्राप्त हुई जानकारी के बारे में तुरन्त हेन्री VIII के एक घनिष्ठ मित्र को ख़बर की जिन्होंने तत्परता से क्वेनटल द्वारा टिंडेल के अनुवाद के मुद्रण पर प्रतिबन्ध लगवा दिया।
टिंडेल और उनका सहायक, विलियम रोइ अपनी जान बचाने के लिए भाग निकले, और अपने साथ मत्ती की सुसमाचार-पुस्तक के उन पन्नों को ले गए जो मुद्रित हो चुके थे। वे वॉर्मस् तक राईन नदी को पार करके गए, जहाँ उन्होंने अपना कार्य समाप्त किया। समय के बीतने पर, टिंडेल के नए नियम के पहले संस्करण की ६,००० प्रतियाँ प्रकाशित की गयीं।b
सफलता—विरोध के बावजूद
अनुवाद करना और मुद्रित करना एक समस्या थी। बाइबलों को ब्रिटेन पहुँचाना उससे बड़ी समस्या थी। चर्च अभिकर्ता और लौकिक अधिकारी इंग्लिश चैनल से जहाज़ी-माल को पार नहीं होने देने के लिए दृढ़संकल्प थे, लेकिन मैत्रीपूर्ण व्यापारियों के पास जवाब था। कपड़े और अन्य माल की गठरियों में छुपाकर, खण्डों को इंग्लैंड के तट तक और स्कॉटलैंड तक चोरी से ले जाया गया। टिंडेल प्रोत्साहित हो गए, लेकिन उनकी लड़ाई तो बस शुरू हुई थी।
फरवरी ११, १५२६ को, ३६ बिशप और गिरजे के अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ कार्डिनल वुलज़ी “बड़ी-बड़ी टोकरियों में भरकर पुस्तकों को आग में झोंके जाते हुए देखने के लिए” लंदन के सेंट पॉलस् कैथड्रल के पास इकट्ठे हुए। उनमें टिंडेल के बहुमूल्य अनुवाद की कुछ प्रतियाँ शामिल थीं। इस पहले संस्करण की अब केवल दो प्रतियाँ मौजूद हैं। एकमात्र सम्पूर्ण प्रति (जिसमें केवल शीर्षक पन्ना नहीं है) ब्रिटिश पुस्तकालय में है। यह व्यंग्यात्मक है कि दूसरी प्रति, जिसमें से ७१ पन्ने गायब हैं, सेंट पॉलस् कैथड्रल के पुस्तकालय में पायी गयी। कोई नहीं जानता कि यह वहाँ कैसे पहुँची।
निडरता से, टिंडेल ने अपने अनुवाद के नए संस्करण प्रकाशित करना जारी रखे, जिन्हें अंग्रेज़ी पादरियों द्वारा बाक़ायदा ज़ब्त कर लिया गया और जला दिया गया। फिर टनस्टल ने पैंतरे बदले। उन्होंने ऑगस्टीन पैकिंगटन नामक एक व्यापारी से एक समझौता किया कि वो टिंडेल द्वारा लिखी गयी कोई भी पुस्तक, जिनमें नया नियम शामिल था, को जला देने के लिए ख़रीद लें। टिंडेल के साथ इसका प्रबन्ध किया गया, जिनके साथ पैकिंगटन ने एक समझौता किया हुआ था। हैली का इतिहास (अंग्रेज़ी) कहता है: “बिशप के पास पुस्तकें थीं, पैकिंगटन के पास कृतज्ञता, और टिंडेल के पास पैसे। उसके बाद जब और नए नियम मुद्रित हुए, तब जल्द ही इंग्लैंड में ढेरों बाइबलें आने लगीं।”
पादरी इतनी बुरी तरह से टिंडेल के अनुवाद के विरोध में क्यों थे? जबकि लातिन वलगेट पवित्र शास्त्र की समझ को अस्पष्ट करने के लिये प्रवृत्त थी, मूल यूनानी से टिंडेल के अनुवाद ने पहली बार अंग्रेज़ों तक स्पष्ट भाषा में बाइबल का संदेश पहुँचाया। उदाहरण के लिए, १ कुरिन्थियों अध्याय १३ में टिंडेल ने यूनानी शब्द अगापे को “दानशीलता” के बजाय “प्रेम” अनुवाद करने का चुनाव किया। उन्होंने गिरजे की इमारतों पर नहीं बल्कि उपासकों पर ज़ोर देने के लिए “गिरजे” के बजाय “कलीसिया” डाला। लेकिन, पादरीवर्ग की बरदाश्त से बाहर हो गया जब टिंडेल ने “याजक” की जगह “प्राचीन” डाल दिया और “प्रायश्चित-कार्य करो” के बजाय “पश्चाताप” इस्तेमाल किया, और इस तरह पादरियों को उनके माने हुए याजकीय अधिकारों से नंगा कर दिया। इस सम्बन्ध में डेविड डैनयल कहते हैं: “शोधन-स्थान नहीं है; कोई पाप-स्वीकरण और प्रायश्चित-कार्य नहीं है। चर्च की दौलत और शक्ति के दो सहारे ढह गए।” (विलियम टिंडेल—एक जीवनी, अंग्रेज़ी) यही वह चुनौती थी जो टिंडेल के अनुवाद ने पेश की, और आधुनिक विद्वेत्ता उसके शब्दों के चुनाव की यथार्थता का पूरी तरह से समर्थन करती है।
एन्टवर्प, विश्वासघात और मौत
१५२६ और १५२८ के बीच, टिंडेल एन्टवर्प को स्थानांतरित हुए, जहाँ वो अंग्रेज़ व्यापारियों के बीच सुरक्षित महसूस कर सकते थे। वहाँ उन्होंने दुष्ट कुबेर का दृष्टान्त, एक मसीही मनुष्य की आज्ञाकारिता, और धर्माधिकारियों का रिवाज़ (अंग्रेज़ी) लिखा। टिंडेल ने अपने अनुवाद का काम जारी रखा और वे इब्रानी शास्त्र के अंग्रेज़ी अनुवाद में परमेश्वर का नाम, यहोवा, को इस्तेमाल करनेवाले पहले व्यक्ति थे। यह नाम २० से भी अधिक बार आता है।
जब तक टिंडेल एन्टवर्प में अपने दोस्त और हितकारी थॉमस पॉइंटस् के साथ रहे, तब तक वो वुलज़ी और उनके गुप्तचरों की साज़िश से सुरक्षित रहे। बीमारों और ग़रीबों की देखभाल करने के लिए वो प्रसिद्ध हो गए। आख़िरकार, अंग्रेज़ हेन्री फिलिपस् ने धूर्ततापूर्वक टिंडेल का विश्वास जीत लिया। परिणामस्वरूप, १५३५ में, टिंडेल से विश्वासघात किया गया और उन्हें ब्रसल्ज़ से दस किलोमीटर उत्तर की ओर विलवॉर्ड केसल ले जाया गया। वहाँ उन्हें १६ महीने तक क़ैद रखा गया।
किसने फिलिपस् को इस काम के लिए ख़रीद लिया यह निश्चितता के साथ नहीं निर्धारित किया जा सकता, लेकिन संदेह की उंगली सीधे बिशप स्टाक्सली की ओर उठती है, जो उस समय लंदन में “विधर्मियों” को जलाने में व्यस्त थे। १५३९ में अपनी मृत्युशय्या पर, स्टाक्सली ने “आनन्द मनाया कि उन्होंने अपने जीवनकाल में पचास विधर्मियों को जलाया था,” डब्ल्यू. जे. हीटन धर्मसुधार की बाइबल (अंग्रेज़ी) में कहते हैं। उस संख्या में विलियम टिंडेल शामिल थे, जिनका पहले गला घोंट दिया गया था और उसके बाद उनके शरीर को अक्तूबर १५३६ में सार्वजनिक रूप से जलाया गया।
कैथोलिक लूवेन विश्वविद्यालय से तीन प्रमुख धर्मविज्ञानी, जहाँ फिलिपस् भर्ती हुए थे, उस आयोग में थे जिसने टिंडेल के मुक़दमे की जाँच की थी। टिंडेल को विधर्म के लिए निन्दित किए जाते और उनके याजकीय पद से उतारे जाते हुए देखने के लिए लूवेन से तीन कैनन-पादरी और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ तीन बिशप भी उपस्थित थे। संभवतः ४२ की उम्र में हुई उनकी मृत्यु पर सभी आनन्दित हुए।
सौ से भी अधिक साल पहले जीवनी-लेखक रॉबर्ट डीमेयस ने कहा, “टिंडेल अपनी निडर ईमानदारी के लिए हमेशा जाने जाते थे।” टिंडेल ने अपने सहकर्मी जॉन फ्रिथ को, जिन्हें स्टाक्सली ने लंदन में जलाया, लिखा: “मैंने अपने अंतःकरण के विरुद्ध परमेश्वर के वचन के एक भी अक्षर को नहीं बदला, ना ही आज मैं ऐसा करूँगा। यदि मुझे इस पृथ्वी पर जो कुछ भी है, चाहे वह सुख, सम्मान, या दौलत हो, दिया जाए, तो भी मैं ऐसा नहीं करूँगा।”
सो इस तरह विलियम टिंडेल ने इंग्लैंड के लोगों को एक ऐसी बाइबल, जिसे वे आसानी से समझ सकते थे, देने के विशेषाधिकार के लिए अपनी जान कुरबान कर दी। उन्होंने क्या ही क़ीमत चुकायी—लेकिन क्या ही बहुमूल्य उपहार!
[फुटनोट]
a फ़ॆडी डेफ़ेनसोर जल्द ही राज्य के सिक्कों पर छापा गया, और हेन्री ने यह ख़िताब उनके उत्तराधिकारियों को भी प्रदान किए जाने का अनुरोध किया। आज ब्रिटिश सिक्कों पर शासक के शीर्ष के पास फ़िड. डेफ़., या मात्र एफ़.डी. लिखा होता है। दिलचस्पी की बात है कि बाद में १६११ के किंग जेम्स वर्शन में किंग जेम्स के प्रति समर्पण में “धर्मत्राता” छापा गया।
b यह संख्या अनिश्चित है; कुछ सूत्र ३,००० कहते हैं।
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प्रारंभिक अनुवाद
बाइबल का आम लोगों की भाषा में अनुवाद करने के लिए टिंडेल का निवेदन अनुचित या पहला नहीं था। दसवीं शताब्दी में ऐंग्लो-सैक्सन में अनुवाद किया गया था। लातिन से अनुवाद की गयी मुद्रित बाइबलें १५वीं शताब्दी के अन्तिम भाग में यूरोप में बिना रोक-टोक के वितरित हुई थीं: जर्मन (१४६६), इटालियन (१४७१), फ्राँसीसी (१४७४), चेक (१४७५), डच (१४७७), और कॆटालन (१४७८) में। १५२२ में, मार्टिन लूथर ने जर्मन में अपना नया नियम प्रकाशित किया था। टिंडेल ने बस यही पूछा था कि इंग्लैंड को भी वही करने की अनुमति क्यों नहीं दी जाए।
[पेज 26 पर चित्रों का श्रेय]
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