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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
w97 9/15 पेज 25-29

बाइबल हम तक कैसे पहुँची—भाग दो

लपटें आकाश को छूने लगीं ज्यों-ज्यों भड़कती उत्सवग्नि में और ईंधन झोंका गया। लेकिन यह कोई ऐसी-वैसी आग नहीं थी। इस धधकती ज्वाला में बाइबलें झोंकी जा रही थीं और पादरी तथा अन्य धर्माधिकारी खड़े देख रहे थे। लेकिन, बरबाद करने के लिए बाइबलें ख़रीदने के द्वारा, लंदन के बिशप ने अनजाने में अनुवादक, विलियम टिंडॆल की मदद की कि और भी संस्करणों का ख़र्च उठा सके!

क्या बात थी जिसने लड़ाई के दोनों पक्षों में ऐसा दृढ़संकल्प उत्पन्‍न किया? एक पिछले अंक में, हमने मध्य युग के अंत तक बाइबल प्रकाशन के इतिहास पर विचार किया। अब हम एक नये युग के आरंभ में आते हैं जब परमेश्‍वर के वचन के संदेश और अधिकार का समाज पर गहरा प्रभाव होनेवाला था।

एक अग्रगामी प्रकट होता है

एक प्रतिष्ठित ऑक्सफ़र्ड विद्वान, जॉन विकलिफ़ ने कैथोलिक चर्च के अबाइबलीय अभ्यासों के विरुद्ध ज़ोरदार ढंग से प्रचार किया और लिखा। उसने अपना अधिकार ‘परमेश्‍वर की व्यवस्था,’ अर्थात्‌ बाइबल पर आधारित किया। उसने अपने विद्यार्थियों, लोलर्डों को पूरे इंग्लैंड में भेजा कि जो भी सुनना चाहे उसे अंग्रेज़ी में बाइबल का संदेश सुनाएँ। वर्ष १३८४ में अपनी मृत्यु से पहले, उसने लातिन से अपने समय की अंग्रेज़ी में बाइबल का अनुवाद शुरू किया।

गिरजे ने विकलिफ़ से घृणा करने के अनेक कारण ढूँढ़ निकाले। पहला, उसने अतिसेवन और अनैतिक आचरण के लिए पादरीवर्ग की निंदा की। साथ ही, विकलिफ़ के अनेक चाहनेवालों ने अपने सैन्य विद्रोहों को उचित ठहराने के लिए उसकी शिक्षाओं का दुरुपयोग किया। पादरियों ने विकलिफ़ की मृत्यु के बाद भी उसी को दोष दिया, जबकि उसने कभी हिंसक विद्रोहों का समर्थन नहीं किया।

पोप जॉन २३वें को १४१२ में लिखे एक पत्र में, आर्चबिशप अरनडल ने उसे “वह निकम्मा और आफ़त का परकाला जॉन विकलिफ़, भद्दी याद, वह पुराने साँप का बेटा, झूठे-मसीह का अग्रदूत और संतान” कहा। इस भर्त्सना के अंत में, अरनडल ने लिखा: “अपने दुष्कर्मों का नपुआ भरने के लिए, उसने मातृ-भाषा में शास्त्र का एक नया अनुवाद करने की युक्‍ति निकाली।” सचमुच, गिरजा अगुवों को इस बात ने सबसे ज़्यादा क्रुद्ध किया कि विकलिफ़ लोगों को उनकी अपनी भाषा में बाइबल उपलब्ध कराना चाहता था।

फिर भी, कुछ प्रमुख व्यक्‍तियों को प्रांतीय भाषाओं में शास्त्र उपलब्ध था। एक थी बोहीमीआ की ऐन, जिसने १३८२ में इंग्लैंड के भावी राजा रिचर्ड द्वितीय से विवाह किया। उसके पास विकलिफ़ द्वारा किया सुसमाचार-पुस्तकों का अंग्रेज़ी अनुवाद था, जिसका वह हमेशा अध्ययन करती थी। जब वह रानी बनी, तब उसके अनुकूल रवैये ने बाइबल के लक्ष्य को बढ़ाने में मदद दी—और मात्र इंग्लैंड में ही नहीं। ऐन ने बोहीमीआ में प्राग विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया कि ऑक्सफ़र्ड आएँ। वहाँ उन्होंने उत्साह से विकलिफ़ की रचनाओं का अध्ययन किया और उनमें से कुछ रचनाओं को वापस प्राग ले गये। प्राग विश्‍वविद्यालय में विकलिफ़ की शिक्षाओं की लोकप्रियता ने बाद में यान हस के लिए समर्थन का कार्य किया, जिसने वहाँ अध्ययन किया और बाद में वहीं पढ़ाया। हस ने पुराना स्लावोनी अनुवाद लेकर एक आसान-सा चॆक अनुवाद किया। उसके प्रयासों से बोहीमीआ और आस-पास के देशों में बाइबल के आम इस्तेमाल को बढ़ावा मिला।

चर्च पलटकर वार करता है

यह सिखाने के लिए भी पादरीगण विकलिफ़ और हस से क्रुद्ध थे कि “शुद्ध पाठ” अर्थात्‌ मूल ईश्‍वर-प्रेरित शास्त्र जिसमें कुछ जोड़ा नहीं गया, “टिप्पणियों” अर्थात्‌ गिरजा-स्वीकृत बाइबलों के हाशियों में भारी पारंपरिक व्याख्याओं से अधिक अधिकार रखता है। ये प्रचारक परमेश्‍वर के वचन का अमिश्रित संदेश आम लोगों को उपलब्ध कराना चाहते थे।

सुरक्षा का झूठा वचन देकर, १४१४ में हस को धोखे से बुलाया गया कि कॉन्सटन्स, जर्मनी की कैथोलिक समिति के सामने अपने विचारों की सफ़ाई दे। समिति २,९३३ पादरियों, बिशपों, और कार्डिनलों से बनी थी। हस ने कहा कि यदि शास्त्र से उसकी शिक्षाओं को ग़लत साबित किया जा सकता है तो वह अपना मत त्याग देगा। समिति के लिए, प्रश्‍न वह नहीं था। उनके अधिकार को उसका चुनौती देना ही उनके लिए पर्याप्त कारण था कि १४१५ में, उसे काठ पर जला दें, जब वह ऊँचे स्वर में प्रार्थना कर रहा था।

इसी समिति ने जॉन विकलिफ़ की निंदा और अपमान में एक अंतिम दुष्कर्म भी किया। उन्होंने यह आदेश दिया कि उसकी हड्डियाँ इंग्लैंड लाकर जलायी जाएँ। यह निर्देश इतना घृणास्पद था कि १४२८ तक इसका पालन नहीं किया गया, जब तक कि पोप ने इसकी माँग नहीं की। लेकिन हमेशा की तरह, ऐसे कड़े विरोध से सत्य के दूसरे प्रेमियों का जोश कम नहीं हुआ। इसके बजाय, इसने परमेश्‍वर के वचन को प्रकाशित करने का उनका निश्‍चय और भी दृढ़ कर दिया।

छपाई का प्रभाव

वर्ष १४५० तक, हस की मृत्यु के मात्र ३५ साल बाद, योहानस गूटनबर्ग ने जर्मनी में वियोज्य टाइप से छपाई शुरू कर दी। उसकी पहली बड़ी रचना थी लातिन वल्गेट का एक संस्करण, जो लगभग १४५५ में पूरा हुआ। वर्ष १४९५ तक पूरी बाइबल या उसके कुछ भाग जर्मन, इटैलियन, फ्रेंच, चॆक, डच, इब्रानी, कैटलन, यूनानी, स्पैनिश, स्लावोनी, पुर्तगाली, और सर्बियाई में—इस क्रम में—छप चुके थे।

डच विद्वान डेसीडरयुस इरैसमस ने १५१६ में यूनानी पाठ का पहला पूरा मुद्रित संस्करण निकाला। इरैसमस की इच्छा थी कि शास्त्र को “सभी लोगों की सभी भाषाओं में अनुवादित किया जाए।” लेकिन, वह स्वयं इसका अनुवाद करने के द्वारा अपनी बड़ी लोकप्रियता को ख़तरे में डालने से हिचकिचाया। फिर भी, दूसरे आये जो ज़्यादा साहसी थे। इन लोगों में से उल्लेखनीय था विलियम टिंडॆल।

विलियम टिंडॆल और अंग्रेज़ी बाइबल

टिंडॆल ने ऑक्सफ़र्ड में शिक्षा पायी और लगभग १५२१ में वह सर जॉन वॉल्श के घर उसके बच्चों के शिक्षक के रूप में आया। वॉल्श के यहाँ बड़ी उदारता से बहुतों को परोसे गये भोजन के समय, आए दिन युवा टिंडॆल की स्थानीय पादरियों के साथ बहस हो जाती थी। टिंडॆल बाइबल खोलकर उन्हें शास्त्रवचन दिखाने के द्वारा उनके विचारों को सीधे-सीधे चुनौती देता था। कुछ समय बाद, वॉल्श दंपति टिंडॆल की बातों से विश्‍वस्त हो गये, और अब पादरियों को उतना नहीं बुलाया जाता था और उतने उत्साह से उनका स्वागत नहीं किया जाता था। स्वाभाविक है, इसने पादरियों को टिंडॆल और उसके विश्‍वासों के प्रति और भी कटु बना दिया।

एक बार एक झगड़े के दौरान, टिंडॆल के एक धार्मिक विरोधी ने घोषित किया: “पोप के नियमों के बिना रहने से बेहतर है कि परमेश्‍वर के नियमों के बिना रहें।” टिंडॆल के विश्‍वास की कल्पना कीजिए जब उसने उत्तर दिया: “मैं पोप और उसके सभी नियमों को चुनौती देता हूँ। अगर परमेश्‍वर मेरी जान बख़्शे, तो कुछ ही सालों में मैं ऐसा करूँगा कि एक हल जोतनेवाले लड़के के पास आपसे ज़्यादा शास्त्र का ज्ञान हो।” टिंडॆल के संकल्प ने ठोस रूप ले लिया था। उसने बाद में लिखा: “मैंने अनुभव से देख लिया था कि आम लोगों को किसी सत्य में स्थापित करना असंभव था, जब तक कि उनकी आँखों के सामने उनकी मातृ-भाषा में शास्त्र को सीधे न रख दिया जाए कि वे पाठ का सार, क्रम, और अर्थ देख सकें।”

तब तक अंग्रेज़ी में कोई बाइबल नहीं छपी थी। सो १५२३ में, टिंडॆल लंदन गया और बिशप टनस्टल से एक अनुवाद कार्य की अनुमति माँगी। दुतकारे जाने पर, उसने अपना उद्देश्‍य पूरा करने के लिए इंग्लैंड छोड़ दिया, और वहाँ कभी नहीं लौटा। कलोन, जर्मनी में, उसके पहले छापाख़ाने पर छापा मारा गया, और टिंडॆल कुछ अनमोल बेजिल्द पन्‍ने लेकर बड़ी मुश्‍किल से भागा। लेकिन वर्म्ज़, जर्मनी में, उसके अंग्रेज़ी “नये नियम” की कम-से-कम ३,००० प्रतियाँ बनीं। इन्हें इंग्लैंड भेजा गया और वहाँ १५२६ से उनका वितरण शुरू हो गया। बिशप टनस्टल ने इन्हीं में से कुछ बाइबलों को ख़रीदकर जलाया था, और अनजाने में टिंडॆल को अपना काम जारी रखने में मदद दी!

शोध से समझ बढ़ती है

स्पष्ट है कि टिंडॆल ने अपने काम में आनंद लिया। जैसे बाइबल का केम्ब्रिज इतिहास (अंग्रेज़ी) कहता है, “शास्त्र ने उसे ख़ुशी दी, और उसकी छंद-गति में कुछ तेज़ी और जान है जो उसकी ख़ुशी को व्यक्‍त करती है।” टिंडॆल का लक्ष्य था कि शास्त्र को यथासंभव सही और सरल भाषा में आम आदमी के लिए उपलब्ध कराए। उसका अध्ययन उसे बाइबलीय शब्दों के वे अर्थ दिखा रहा था जो सदियों से चर्च धर्म-सिद्धांतों में धूमिल हो गये थे। टिंडॆल न तो मृत्यु की धमकी से डरा और न ही अपने शक्‍तिशाली शत्रु सर थॉमस मोर की विषैली कलम से। उसने अपनी खोज अपने अनुवाद में सम्मिलित की।

लातिन के बजाय इरैसमस के पाठ की मौलिक यूनानी से कार्य करते हुए, टिंडॆल ने यूनानी शब्द अगापे का ज़्यादा सही अर्थ व्यक्‍त करने के लिए “दानशीलता” के बदले “प्रेम” इस्तेमाल किया। उसने “चर्च” की जगह “कलीसिया,” “पाप स्वीकार” के बजाय “पश्‍चाताप,” और “पादरियों” के बदले “प्राचीन” भी इस्तेमाल किया। (१ कुरिन्थियों १३:१-३; कुलुस्सियों ४:१५, १६; लूका १३:३, ५; १ तीमुथियुस ५:१७, टिंडॆल) ये बदलाव गिरजे के अधिकार और पादरियों के सामने पाप-स्वीकृति जैसी पारंपरिक धार्मिक प्रथाओं के लिए विनाशक थे।

इसी तरह टिंडॆल ने शब्द “पुनरुत्थान” ही रखा, और शोधन-स्थान तथा मृत्यु-उपरांत चेतना को अबाइबलीय मानकर ठुकरा दिया। मृतकों के संबंध में, उसने मोर को लिखा: “उन्हें स्वर्ग, नरक, और शोधन-स्थान में डालकर, [आप] उन तर्कों को नष्ट कर देते हैं जिनसे मसीह और पौलुस पुनरुत्थान साबित करते हैं।” इस संबंध में, टिंडॆल ने मत्ती २२:३०-३२ और १ कुरिन्थियों १५:१२-१९ का उल्लेख किया। उसने सही रीति से यह विश्‍वास किया कि मृतक एक भावी पुनरुत्थान तक अचेत रहते हैं। (भजन १४६:४; सभोपदेशक ९:५; यूहन्‍ना ११:११, २४, २५) इसका अर्थ था कि मरियम और “संतों” से प्रार्थना करने का पूरा प्रबंध निरर्थक था क्योंकि वे अपनी अचेत अवस्था में न तो सुन सकते थे और न ही मध्यस्थता कर सकते थे।

टिंडॆल इब्रानी शास्त्र का अनुवाद करता है

वर्ष १५३० में, टिंडॆल ने इब्रानी शास्त्र की पहली पाँच पुस्तकों, पंचग्रंथ का एक संस्करण निकाला। इस प्रकार वह बाइबल को इब्रानी से सीधे अंग्रेज़ी में अनुवादित करनेवाला पहला व्यक्‍ति बना। टिंडॆल यहोवा का नाम इस्तेमाल करनेवाला पहला अंग्रेज़ी अनुवादक भी था। लंदन विद्वान डेविड डैनयल लिखता है: “निश्‍चित ही टिंडॆल के पाठक अत्यधिक प्रभावित हुए होंगे कि परमेश्‍वर का नाम नया-नया उजागर हुआ है।”

स्पष्टता का लक्ष्य प्राप्त करने के प्रयास में, टिंडॆल ने एक इब्रानी शब्द का अनुवाद करने के लिए विभिन्‍न अंग्रेज़ी शब्दों का इस्तेमाल किया। लेकिन, उसने निकटता से इब्रानी रचना का पालन किया। फलस्वरूप उसके अनुवाद में इब्रानी की पूर्ण शक्‍ति सुरक्षित है। उसने स्वयं कहा: “इब्रानी बोली के गुण लातिन से हज़ार गुना ज़्यादा अंग्रेज़ी से मिलते हैं। बोलने का तरीक़ा एक जैसा है; सो अनेक स्थानों पर आपको अंग्रेज़ी में बस शब्दशः अनुवाद करने की ज़रूरत है।”

इस मुख्यतः आक्षरिक ढंग ने टिंडॆल के अनुवाद को इब्रानी अभिव्यक्‍तियों से सँवारा है। उनमें से कुछ पहली बार पढ़ने पर काफ़ी नयी-सी लगी होंगी। फिर भी, आगे चलकर बाइबल इतनी सुविदित हो गयी कि इनमें से अनेक अभिव्यक्‍तियाँ अब अंग्रेज़ी भाषा का भाग हैं। “A man after his own heart” (जो १ शमूएल १३:१४ में मिलता है), “passover” और “scapegoat” इसके कुछ उदाहरण हैं। उससे भी बढ़कर, इस प्रकार अंग्रेज़ी बाइबल के पाठक इब्रानी विचार से परिचित हो गये, जिससे उन्हें ईश्‍वर-प्रेरित शास्त्र की और भी अच्छी अंतर्दृष्टि मिली।

बाइबल और टिंडॆल पर प्रतिबंध

अपनी भाषा में परमेश्‍वर के वचन को पढ़ने की संभावना रोमांचक थी। सो कपड़े के गट्ठों में या दूसरी वस्तुओं में छिपाकर, चोरी-चोरी देश में लायी गयी सभी बाइबलों को अंग्रेज़ जनता ख़रीद लेती थी। इस बीच, पादरीवर्ग ने सोचा कि यदि बाइबल को पूर्ण अधिकार समझा जाने लगेगा, तो उनका स्थान निश्‍चित ही गिर जाएगा। इसलिए, अनुवादक और उसके समर्थकों के लिए स्थिति और भी अधिक जीवन-मरण का विषय बन गयी।

चर्च और सरकार साये की तरह उसका पीछा कर रहे थे, सो टिंडॆल ऐन्टवर्प, बॆल्जियम में छिपकर अपना काम करता रहा। फिर भी, सप्ताह के दो दिन वह उस काम में बिताता था जिसे उसने अपना मनबहलाव कहा—दूसरे अंग्रेज़ शरणार्थियों, ग़रीबों और बीमारों की सेवा करना। उसने अपना अधिकतर पैसा इस तरह ख़र्च किया। इससे पहले कि वह इब्रानी शास्त्र के दूसरे भाग का अनुवाद कर पाता, पैसे के लिए एक अंग्रेज़ ने दोस्त का स्वाँग करके टिंडॆल को पकड़वा दिया। विलवूर्द, बॆल्जियम में १५३६ में उसकी हत्या कर दी गयी। उसके अंतिम प्रार्थनापूर्ण शब्द थे, “हे प्रभु, इंग्लैंड के राजा की आँखें खोल।”

वर्ष १५३८ तक, राजा हॆन्री आठवें ने अपने ही अभिप्रायों से आज्ञा दे दी थी कि इंग्लैंड के हर गिरजे में बाइबलें रखी जाएँ। जबकि टिंडॆल को श्रेय नहीं दिया गया, फिर भी जो अनुवाद चुना गया वह मूलतः उसी का था। इस तरह टिंडॆल की रचना इतनी प्रसिद्ध और प्रिय हो गयी कि इसने अंग्रेज़ी में “बाद के अधिकतर अनुवादों का मूल स्वरूप निर्धारित किया।” (बाइबल का केम्ब्रिज इतिहास) टिंडॆल के अनुवाद का लगभग ९० प्रतिशत १६११ के किंग जेम्स वर्शन में सीधे-सीधे उतारा गया।

बाइबल की सुलभता का अर्थ था इंग्लैंड में एक बड़ा बदलाव। गिरजों में रखी गयी बाइबलों पर केंद्रित चर्चाएँ इतनी जीवंत हो गयीं कि कभी-कभी इनके कारण गिरजा सभाओं में बाधा पड़ती थी! “वृद्धजनों ने पढ़ना सीख लिया ताकि वे सीधे-सीधे परमेश्‍वर के वचन को जाँच सकें, और बच्चे सुनने के लिए अपने बड़ों के साथ हो लिये।” (अंग्रेज़ी बाइबल का संक्षिप्त इतिहास, अंग्रेज़ी) इस अवधि में दूसरे यूरोपीय देशों और भाषाओं में भी बाइबल वितरण नाटकीय रूप से बढ़ा। लेकिन इंग्लैंड में बाइबल आंदोलन का एक विश्‍वव्यापी प्रभाव होना था। यह कैसे हुआ? और कैसे आगे की खोज और शोध ने उन बाइबलों पर प्रभाव किया है जिन्हें हम आज इस्तेमाल करते हैं? इस श्रंखला के अगले लेख में हम अपना वृत्तांत समाप्त करेंगे।

[पेज 26 पर तसवीर]

टिंडॆल का १५२६ का “नया नियम”—लपटों से बची एकमात्र ज्ञात पूर्ण प्रति

[चित्र का श्रेय]

© The British Library Board

[पेज 26, 27 पर चार्ट और तसवीरें]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

बाइबल संचारण की मुख्य तिथियाँ

सामान्य युग

विकलिफ़ बाइबल शुरू हुई (१३८४ से पहले)

१४००

हस की हत्या १४१५

गूटनबर्ग —पहली मुद्रित बाइबल लगभग १४५५

१५००

आरंभिक मुद्रित प्रांतीय भाषाएँ

इरैसमस का यूनानी पाठ १५१६

टिंडॆल का “नया नियम” १५२६

टिंडॆल की हत्या १५३६

हॆन्री आठवें की आज्ञा गिरजों में बाइबलें रखी जाएँ १५३८

१६००

किंग जेम्स वर्शन १६११

[तसवीरें]

विकलिफ़

हस

टिंडॆल

हॆन्री आठवाँ

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