वॉचटावर शैक्षिक केंद्र मिशनरियों को भेजता है
गिलियड नामक वॉचटावर बाइबल स्कूल ने विविध स्थानों में कक्षाओं को आयोजित किया है। १९४३ और १९६० के बीच, साऊथ लैन्सिंग, न्यू यॉर्क, अमरीका की सुविधाओं में, ९५ देशों से आए विद्यार्थियों की ३५ कक्षाओं ने ख़ास प्रशिक्षण प्राप्त किया। बाद में यह स्कूल ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क में विश्व मुख्यालय में स्थानांतरित हुआ, जहाँ यह क़रीब २८ सालों तक चला। १९८८ से १९९५ की शुरूआत तक, गिलियड स्कूल की कक्षाएँ वॉलकिल, न्यू यॉर्क में आयोजित की गयीं।
इन सालों के दौरान इस स्कूल ने अपने कार्य-क्षेत्र का विस्तार किया है। इसके निर्देशन के अधीन मॆक्सिको में तीन कक्षाओं को शिक्षण का दस-सप्ताह का कोर्स दिया गया; जर्मनी में ऐसी पाँच कक्षाएँ आयोजित की गयीं; भारत में दो। १९८७ से, सेवकाई-कार्य प्रशिक्षण स्कूल नामक एक उप-स्कूल ने ३४ देशों में कक्षाएँ आयोजित की हैं, जिनमें योग्य बननेवाले युवकों को आठ-सप्ताह का ख़ास प्रशिक्षण-कोर्स दिया गया है। लेकिन पैटर्सन, न्यू यॉर्क में नव-निर्मित वॉचटावर शैक्षिक केंद्र में ९९वीं कक्षा को दिया गया शिक्षण २०-सप्ताह का कोर्स था, ऐसा कोर्स जिसमें पूरी बाइबल का एक व्यापक अध्ययन, यहोवा के साक्षियों के आधुनिक-दिन इतिहास और संगठन की चर्चा, और साथ ही विदेशी मिशनरी कार्य पर सुविस्तृत सलाह शामिल थे।
सितम्बर २ के दिन, वह ९९वीं कक्षा स्नातक हुई। तीन-घंटे का स्नातकता कार्यक्रम, वॉचटावर शैक्षिक केंद्र के नए सभा-भवन में आयोजित किया गया। वह खचाखच भरा हुआ था। पैटर्सन, वॉलकिल, और ब्रुकलिन में अतिरिक्त श्रोताओं को इलॆक्ट्रॉनिक रूप से जोड़ा गया था। केवल स्नातक होनेवाली कक्षा और साथ ही उनके रिश्तेदारों और नज़दीकी दोस्तों के लिए ही नहीं, बल्कि उन सैकड़ों लोगों के लिए भी यह एक उत्तेजक दिन था जिन्होंने इस बढ़िया नयी स्कूल सुविधाओं के निर्माण में स्वयंसेवकों के रूप में भाग लिया था।
अपनी शुरूआत की टिप्पणियों में, शासी निकाय के कैरी बार्बर ने, जो हो रहा था उसके महत्त्व पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा: “इसे उस सबसे बड़े ईश्वरीय शैक्षिक कार्य का केंद्र होना है जो इस धरती पर कभी किया गया है।” उन्होंने समझाया कि हम स्त्री के वंश और सर्प के वंश के बीच के युद्ध की पराकाष्ठा के नज़दीक आ रहे हैं। (उत्पत्ति ३:१५) उन्होंने दिखाया कि आनेवाले भारी क्लेश के दौरान विस्मयकारी मुक़ाबले से बचनेवाले केवल वे लोग होंगे जिनके पास परमेश्वर के वचन का यथार्थ ज्ञान है और जो उसकी आज्ञा मानते हैं।
“हमारा वर्तमान शैक्षिक कार्यक्रम,” उन्होंने कहा, “सभी जगह के यहोवा के सभी लोगों को, नीतिवचन १:१-४ में वर्णित प्रौढ़ता की उत्तम स्थिति तक पहुँचाने के लिए बनाया गया है—जो बुद्धि और अनुशासन जानने, समझ को परखने में समर्थ होने, ऐसा अनुशासन प्राप्त करने की अवस्था है जो अंतर्दृष्टि, धार्मिकता, न्याय, खराई, और सोचने की क्षमता प्रदान करती है।” ऐसे आध्यात्मिक संसाधन होना क्या ही सुरक्षा है!
स्नातक होनेवाली कक्षा के लिए सलाह
इन प्रस्तावनात्मक टिप्पणियों के बाद, स्नातक होनेवाली कक्षा की ओर निर्देशित पाँच संक्षिप्त भाषणों की श्रंखला आरम्भ हुई। भूतपूर्व गिलियड प्रशिक्षक और अब ब्रुकलिन में मुख्यालय कर्मचारी-वर्ग के एक सदस्य, हैरॉल्ड जैकसन ने कक्षा से आग्रह किया, “अपनी ईश्वरीय संतुष्टि को थामे रहिए।” एक लम्बे-समय के मिशनरी और अब शासी निकाय के एक सदस्य, लॉइड बैरी ने “नम्रता के साथ यहोवा की सेवा करना” पर बात की। उन्होंने समझाया कि यह गुण स्नातकों के लिए, नयी परिस्थितियों में उनके समायोजन करने में साथ ही संगी मिशनरियों के साथ, उन कलीसियाओं के साथ जिनमें वे सेवा करते, और स्थानीय लोगों के साथ उनके सम्बन्धों में महत्त्वपूर्ण होता।
इस समय गिलियड प्रभाग में सेवा करनेवाले कार्ल ऐडम्स् ने कक्षा के साथ इस प्रश्न पर तर्क किया, “विश्वास आपको क्या करने की ओर ले जाएगा?” उन्होंने उन विद्यार्थियों को प्रोत्साहन दिया कि उन इस्राएलियों की तरह न हों जिन्होंने वीराने की स्थितियों के बारे में शिकायत की और जो मिस्र में लौटने के लिए तरसते थे, बल्कि इब्राहीम की तरह हों जिसने समस्याओं के हल के तौर पर कसदियों के ऊर देश में लौटने के बजाय परमेश्वर के राज्य की ओर देखा। (निर्गमन १६:२, ३; इब्रानियों ११:१०, १५, १६) स्कूल के रजिस्ट्रार, युलिसीज़ ग्लास ने स्नातक होनेवाली कक्षा को सलाह देने के लिए आसाप के अनुभव का उपयोग किया जैसे भजन ७३ में अभिलिखित है। यह सलाह थी “अपनी आशिषों को गिनिए।” शासी निकाय की शिक्षण समिति के सदस्य, ऐल्बर्ट श्रोडर ने “यहोवा प्रदान करता है,” विषय पर बात की। ऐसे प्रबन्ध के प्रमाण के रूप में, उन्होंने स्वयं गिलियड स्कूल की ओर तथा प्रचार करने और शिष्य बनाने के विशाल कार्य को पूरा करने में उसकी भूमिका की ओर संकेत किया।
बाद में श्रोताओं ने कान लगाकर सुना जब वॉच टावर संस्था के अध्यक्ष, मिल्टन हॆन्शॆल ने “एक दूसरे के अंग,” के बारे में बात की। उन्होंने रोमियों अध्याय १२ को पढ़ा और उस पर विस्तृत रूप से टिप्पणियाँ कीं। अन्य बातों के अलावा, उन्होंने कहा: “हमें इस बात को ध्यान में रखना होगा कि कलीसिया में अपने संगी सेवकों के साथ हमारा एक बहुत ही नज़दीकी रिश्ता है।” उन्होंने आगे कहा: “यह हमारे लिए हमेशा अच्छा है कि हम एक दूसरे को यहोवा की सम्पत्ति समझें, और आलोचनात्मक होने के बजाय, कमियाँ खोजने के बजाय, आइए हम हमेशा सहायक हों। हम अपनी ही सहायता कर रहे हैं जब हम मसीही कलीसिया की आध्यात्मिक एकता को बनाए रखते हैं।” उन्होंने दिखाया कि ऐसी सहायकता मिशनरी घरों में खाना पकाने में कैसे प्रदर्शित की जा सकती है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि हरेक व्यक्ति वही खाना नहीं खा सकेगा। उन्होंने ऐसे संगी मसीहियों के साथ जो ग़रीब हैं, क्षेत्र सेवकाई में भाग लेते समय भी आलोचना के बजाय सहायकता का प्रोत्साहन दिया। अगर हम एक दूसरे के प्रति सचमुच सहायक, उत्तेजक, और प्रोत्साहक हैं, तो भाई हॆन्शॆल ने बताया कि “इसके लिए यहोवा हमें प्रेम करेगा।” उन मिशनरियों के लिए क्या ही बेहतरीन सलाह जो ऐसे देशों में सेवा करते जो उन देशों से अलग है जिन्हें वे पीछे छोड़ रहे थे!
कक्षा को और अच्छी तरह जानना
९९वीं कक्षा के ४८ विद्यार्थी, औसतन ३२ वर्ष के थे और पूर्ण-समय की सेवकाई में पहले ही ११ वर्ष से ज़्यादा समर्पित कर चुके थे।
इन्टरव्यू से, जो स्नातकता कार्यक्रम का भाग थे, श्रोताओं को उनमें से कुछ लोगों से और अच्छी तरह परिचित होने का अवसर मिला। अमरीका की निकी लीब्ल, और इंग्लैन्ड के सायमन बॉलटन ने उन घटनाओं के बारे में बताया जिन्होंने उनके इस विश्वास की परीक्षा ली थी कि यहोवा उनकी शारीरिक ज़रूरतों को पूरा करेगा। उन्होंने यहोवा की परवाह का अनुभव किया जब उन्होंने पूर्ण-समय की सेवकाई को पहले स्थान पर रखा।
ईज़ाबॆल कॉज़ॉन, जिनकी मातृभाषा फ्रॆंच है, ने कहा कि उन्होंने अपने देश के अरबी बोलनेवाले लोगों को गवाही देने के लिए अरबी सीखी थी। जब उन्होंने १९८७ में शुरूआत की, तब उनके और एक अन्य बहन के अतिरिक्त, जो भाषा सीख रही थीं, पैरिस में एक छोटे समूह में केवल चार अरबी बोलनेवाले भाई थे। (यह आसान नहीं था। वे हर सप्ताह अपने प्रहरीदुर्ग पाठ की तैयारी करने में आठ घंटे बितातीं ताकि टिप्पणी देने में समर्थ हो सकें।) क्या यह प्रयास लाभप्रद था? आज वहाँ अरबी बोलनेवाले साक्षी हैं जो पूरे फ्राँस में पाँच सर्किटों में संगठित हैं। एक और विद्यार्थी, मीको पूरो ने बताया कि कैसे फ्रॆंच, जिसे उन्होंने स्कूल में सीखा था, ने उन्हें अपने स्वदेश फिनलैंड में अफ्रीकी शरणार्थियों को प्रचार करने में समर्थ किया, और यह बॆनिन में उनकी मिशनरी कार्य-नियुक्ति में भी उपयोगी होगी। बॉनी बोज़ ने ठीक तरह से फ्रॆंच बोलने के लिए अपने संघर्ष को याद किया जिसके कारण वे क्विबॆक, कैनडा में प्रभावकारी रूप से सेवा कर सकें। और डॆनमार्क के ब्यॉर्की रॉसमुसन ने उन अनुभवों को बताया जो उन्हें और उनकी पत्नी को फॆरो द्वीपों में वर्षों की सेवा के दौरान आए थे। जी हाँ, ये नए मिशनरी अनुभवी पूर्ण-समय के सेवक हैं।
स्नातकों को १९ देशों में नियुक्त किया गया—अफ्रीका, मध्य और दक्षिण अमरीका, पूर्वी यूरोप, और पूर्वी देशों में। पिछली कक्षाओं के स्नातक पहले ही २०० से भी अधिक देशों में सेवा कर चुके हैं। उनमें से अनेक स्नातक अब भी अपनी कार्य-नियुक्तियों में व्यस्त हैं। ये नए मिशनरी अब राज्य गवाही को पृथ्वी की छोर तक और भी विस्तारित करने में उनके साथ जुड़ रहे हैं।—प्रेरितों १:८.
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वॉचटावर शैक्षिक केन्द्र में कक्षा के दृश्य
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गिलियड नामक वॉचटावर बाइबल स्कूल से स्नातक होनेवाली ९९वीं कक्षा
नीचे दी गयी सूची में, पंक्तियाँ उलटे क्रम में हैं, और प्रत्येक पंक्ति में नाम बाएँ से दाएँ सूचीबद्ध हैं।
(१) हॆफी, एस.; राइली, ई.; मॉर्टनसन, डी.; ऑनब्ल, ए.; बॉल्टन, जे.; पूल, जे.; सीमस, जी.; सोज़ॆ, एल. (२) पॉशनिट्स्की, बी.; शेपर्ड, डी.; पॉशनिट्स्की, डब्ल्यू.; यॉर्विनन, जे.; पॉलसन, के.; रॉसमुसन, ई.; श्वॆवे, सी.; ओलसन, एल. (३) पॉलसन, ई.; सैमसल, टी.; बोज़, बी.; हैरिस, ई.; कॉज़ॉन, आई.; लीब्ल, एन.; सोज़ॆ, पी.; पूरो, जे. (४) लॉगर, के.; लॉगर, वी.; गोल्डन, के.; बॉल्टन, एस.; जॉनसन, एम.; जॉनसन, एस.; लीब्ल, ए.; रॉसमुसन, बी. (५) हैरिस डी.; सैमसल, डब्ल्यू.; श्वॆवे, ओ.; हॆफी, आर.; कॉज़ॉन, एल.; राइली, टी.; यॉर्विनन, ओ.; पूरो, एम. (६) मॉर्टनसन, डी.; गोल्डन, आर.; ऑनब्ल, एल.; शेपर्ड, एम.; बोज़, आर.; सीमस, टी.; पूल, ई.; ऑलसन, जे.
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अब भी अपनी कार्य-नियुक्तियों में: (बाएँ) गिलियड की पहली और छठवीं कक्षाओं के स्नातक, चार्ल्स लेथको अपनी पत्नी, फ़र्न के साथ ब्राज़िल में; (नीचे) गिलियड की सातवीं कक्षा की स्नातक, मार्था हॆस, जापान में