जो आप देखते हैं उन बातों के आगे देखिए!
अच्छी शारीरिक दृष्टि एक आशिष है। दरअसल, अनेक लोग कहेंगे कि जो उनके पास है उसमें से केवल कुछ चीज़ें ही इससे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हैं। फिर भी, मसीहियों के लिए प्रेरित पौलुस द्वारा एक प्रकार की दृष्टि के बारे में ज़िक्र किया गया है जिसका मूल्य अच्छी शारीरिक दृष्टि से कहीं अधिक है। पौलुस ने लिखा, “हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं।” (२ कुरिन्थियों ४:१८) यह वास्तव में एक ख़ास प्रकार की दृष्टि होगी जो एक व्यक्ति को अनदेखी वस्तुओं को देखने के योग्य बनाती है! हम इसे आध्यात्मिक प्रकार की सामान्य स्तर की तीक्ष्ण दृष्टि कह सकते हैं।
आवश्यकता क्यों है?
पहली शताब्दी के मसीही इस प्रकार की आध्यात्मिक दृष्टि की वास्तविक ज़रूरत में थे। वे अपनी मसीही सेवकाई बहुत कठिन परिस्थितियों में पूरी कर रहे थे। पौलुस ने इसे इस प्रकार व्यक्त किया: “हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरुपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते। सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।”—२ कुरिन्थियों ४:८, ९.
ऐसी परिस्थितियों के बावजूद, वफ़ादार शिष्य दृढ़ रहे। परमेश्वर पर मज़बूत विश्वास के साथ, वे ऐसा कह सके जैसा पौलुस ने कहा: “इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।” कौन-सी बात इस प्रतिदिन नया होने का कारण थी? पौलुस आगे बताता है: “क्योंकि हमारा पल भर का हलका सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है। और हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं।”—२ कुरिन्थियों ४:१६-१८.
पौलुस अपने आत्मिक भाइयों को प्रोत्साहित कर रहा था कि समस्याओं, कठिनाइयों, सताहटों को—किसी भी तरह के क्लेशों को—उस शानदार प्रतिफल पर उनकी दृष्टि को धुंधलाने न दें, जो उनके आगे रखा गया था। उन्हें अपनी आँखें मसीही जीवनरीति के सुखद परिणामों पर लगाए रखते हुए अपनी वर्तमान परिस्थितियों के आगे देखना चाहिए। यही वह बात थी जिसने उन्हें प्रतिदिन लड़ाई में लगे रहने के अपने संकल्प को ताज़ा करने में मदद दी। मसीहियों को आज वैसी ही अच्छी आध्यात्मिक दृष्टि रखने की उतनी ही ज़रूरत है।
वर्तमान क्लेशों को पल भर का समझिए!
चाहे अनचाहे, हम प्रतिदिन ऐसी बातें देखते हैं जिन्हें देखना हम शायद पसन्द न करें। आईने पर एक नज़र हमें अनचाहे दाग़ और भौतिक शरीर की झाइयों पर, जो कि शारीरिक अपरिपूर्णता के सबूत हैं, ध्यान देने से रोक नहीं सकती। जब हम परमेश्वर के वचन के आइने में देखते हैं, हम स्वयं में और दूसरों में आध्यात्मिक ख़ामियाँ देखते हैं। (याकूब १:२२-२५) और जब हम दैनिक समाचारपत्र अथवा टेलिविज़न स्क्रीन को देखते हैं, तो अन्याय, निर्दयता, और त्रासदी के वृतान्तों की ओर हमारा ध्यान जल्द ही जाता है और हमें दुःखी करता है।
शैतान हमें उन बातों के कारण जो हम देखते हैं निराश करना या मार्ग से भटकाकर विश्वास में कमज़ोर बनाना चाहेगा। हम कैसे इसे रोक सकते हैं? हमें यीशु द्वारा रखे गए उदाहरण पर चलना चाहिए, जिसकी प्रेरित पतरस ने सिफ़ारिश की जब उसने कहा: “तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुख उठाकर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है, कि तुम भी उसके चिन्ह पर चलो।” (१ पतरस २:२१) मसीही जीवन के हर पहलू में यीशु एक परिपूर्ण उदाहरण था।
यीशु को हमारे आदर्श के रूप में बताते हुए, पतरस ने ख़ास ज़िक्र किया कि यीशु ने दुःख उठाया। निश्चित ही यीशु ने बहुत दुःख उठाया जब वह पृथ्वी पर था। यहोवा के “कुशल कारीगर” (NW) के तौर पर जो मानवजाति की सृष्टि के समय मौजूद था, वह ठीक-ठीक जानता था कि मनुष्यों के लिए परमेश्वर का क्या उद्देश्य था। (नीतिवचन ८:३०, ३१) लेकिन अब उसने देखा कि पाप और अपरिपूर्णता के कारण उनकी क्या शा हो गई। प्रतिदिन उसने मुनष्यों की असिद्धता और कमज़ोरियों को देखा और उनका सामना किया। यह निश्चित ही उसके लिए परीक्षापूर्ण रहा होगा।—मत्ती ९:३६; मरकुस ६:३४.
दूसरों के क्लेशों के अलावा यीशु ने अपने क्लेशों का भी अनुभव किया। (इब्रानियों ५:७, ८) लेकिन सिद्ध आध्यात्मिक दृष्टि के साथ उसने, उन बातों के आगे अपने खराई के मार्ग पर चलने के लिए अविनाशी जीवन के लिए उठाए जाने के प्रतिफल को देखा। फिर मसीहाई राजा के तौर पर, उसके पास पीड़ित मानवजाति को उसकी गिरी हुई दशा से उस सिद्धता तक वापस लाने का विशेषाधिकार होता जिसका उद्देश्य यहोवा ने उनके लिए आरम्भ में किया था। अपनी आँखें इन अनदेखी भविष्य की प्रत्याशाओं पर लगाए रखने से प्रतिदिन के क्लेशों का सामना करने के द्वारा, उसे ईश्वरीय सेवा में आनन्द बनाए रखने में मदद प्राप्त हुई। पौलुस ने बाद में लिखा: “जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दहिने जा बैठा।”—इब्रानियों १२:२.
यीशु ने कभी भी कठिनाइयों और परीक्षापूर्ण परिस्थितियों को उसे निराश, मार्ग से विचलित, या विश्वास में कमज़ोर नहीं करने दिया। उसके शिष्य होने के नाते, हमें उसके उच्चतम उदाहरण का अनुसरण नज़दीकी से करना चाहिए।—मत्ती १६:२४.
अनदेखी अनन्त बातों पर ध्यान केंद्रित कीजिए!
जिस बात ने यीशु को धीरज धरने में समर्थ किया उस की चर्चा करते हुए, पौलुस ने उस मार्ग को स्पष्ट किया जिस पर हमें चलना है जब उसने लिखा: “वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्वास के कर्त्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें।” (इब्रानियों १२:१, २) जी हाँ, मसीही मार्ग पर सफलतापूर्वक और आनन्दपूर्वक चलने के लिए हमें वर्तमान बातों से आगे देखना चाहिए। परन्तु हम यीशु की ओर कैसे ‘ताकते रहते हैं’ और ऐसा करने से हमारे लिए क्या फ़ायदा है?
उदाहरण के तौर पर, १९१४ में, यीशु परमेश्वर के राज्य के राजा के रूप में पदारूढ़ किया गया था, और वह स्वर्ग से राज्य करता है। निश्चित ही, यह सब हमारी शारीरिक आँखों के लिए अदृश्य है। फिर भी, यदि हम यीशु की ओर ‘ताकते रहते हैं’ तो हमारी आध्यात्मिक दृष्टि हमें यह देखने में मदद करेगी कि वह अब, वर्तमान दुष्ट रीति व्यवस्था को नष्ट करने के लिए और शैतान और उसके पैशाचिक झुण्ड को निष्क्रियता के बन्धनों में बान्धने की कार्यवाही करने के लिए तैयार है। इससे और आगे देखने पर, हमारी आध्यात्मिक दृष्टि उस अद्भुत नए संसार को प्रकट करेगी जिसमें “मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।”—प्रकाशितवाक्य १९:११-१६; २०:१-३; २१:४.
सो, फिर, पल-भर के क्लेशों से दबने के बजाय, जिनका सामना शायद हमें प्रतिदिन करना पड़े, क्यों न उन बातों पर अपनी दृष्टि केंद्रित करें जो अनन्त हैं? विश्वास की आँखों से, क्यों न इस दूषित पृथ्वी की बीमारी और लालच के आगे उस परादीस को देखें जो कि स्वस्थ, ख़ुश, और परवाह करनेवाले लोगों से भरा होगा? क्यों न अपनी शारीरिक और आध्यात्मिक कमियों के आगे देखें, और स्वयं को मसीह के छुड़ौती बलिदान के आधार पर इनसे सर्वदा के लिए मुक्त देखें? क्यों न युद्ध, अपराध, और हिंसा द्वारा पीछे छोड़े गए जनसंहार के आगे देखें और नए-नए पुनरुत्थित लोगों को यहोवा की शान्ति और धार्मिकता में शिक्षित होते हुए देखें?
इसके अलावा, यीशु की ओर ‘ताकते रहना’ यह हमारी आध्यात्मिक दृष्टि को उन बातों पर केंद्रित करना भी शामिल करता जो कि राज्य, हालाँकि अदृश्य है, पृथ्वी पर परमेश्वर के लोगों के मध्य पहले ही कर चुका है: एकता, शान्ति, प्रेम, भाईचारे की प्रीति और आध्यात्मिक ख़ुशहाली। जर्मनी की एक मसीही महिला ने, ईश्वरीय शिक्षा द्वारा संयुक्त (अंग्रेज़ी) वीडियो देखने के बाद लिखा: “यह वीडियो मुझे मन में यह रखने में और अधिक मदद करता रहेगा कि इतने सारे मसीही भाई और बहन सारे संसार में इस क्षण भी वफ़ादारी से यहोवा की सेवा कर रहे हैं—और ऐसा वे विरोध के बावजूद कर रहे हैं। हिंसा और घृणा के संसार में हमारी भाइचारे की एकता क्या ही बहुमूल्य है!”
क्या आप भी यहोवा, यीशु, वफ़ादार स्वर्गदूतों, और लाखों संगी मसीहियों को अपने पक्ष में खड़ा “देखते” हैं? यदि ऐसा है, तो आप “इस संसार की चिन्ता” हद से ज़्यादा नहीं करेंगे जो आप को निरुत्साहित बना सकती है और आपको मसीही सेवकाई में ‘फल न लानेवाला’ बनाने का कारण हो सकती है। (मत्ती १३:२२) सो परमेश्वर के स्थापित राज्य और उसकी वर्तमान और भविष्य की आशिषों पर हमारी आध्यात्मिक दृष्टि केंद्रित करने के द्वारा, यीशु की ओर ‘ताकते रहें।’
जो अनदेखा है उसे देखने के लिए जीवित रहिए!
परमेश्वर के अनन्त नए संसार और आज बिखरते पुराने संसार के बीच गहरी विषमता को देखते हुए, हमें प्रेरित होना चाहिए कि हम अपना चालचलन ऐसा रखें जिससे हम वास्तव में उन बातों को देखने के लिए जीवित रह सकने के योग्य गिने जाएँ जो कि आज हम केवल विश्वास की आँखों से ही देख सकते हैं। बड़ी संख्या में पुनरुत्थित जन अपनी आँखों पर विश्वास करना मुश्किल पाएँगे जब वे उस संसार से बिलकुल भिन्न, जो उन्होंने मृत्यु से पहले देखा था, एक धर्मी परादीस पृथ्वी को देखने के लिए जी उठेंगे। जीवित रहकर उनका स्वागत करने और परमेश्वर ने क्या किया है उन्हें यह समझाने के हमारे आनन्द की कल्पना कीजिए!—योएल २:२१-२७ से तुलना कीजिए।
जी हाँ, अच्छी आध्यात्मिक दृष्टि कितनी बहुमूल्य है, और उसे तेज़ रखना कितना अनिवार्य है! हम ऐसा नियमित रूप से व्यक्तिगत बाइबल अध्ययन, मसीही सभाओं में उपस्थित होने, दूसरों के साथ हमारे बाइबल-आधारित विश्वास के बारे में बात करने और सबसे ज़्यादा, ईश्वरीय मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना में लगातार लगे रहने के द्वारा कर सकते हैं। यह हमारी आध्यात्मिक दृष्टि को तेज़ और साफ़ रखेगा, ताकि हम जो बातें देखते हैं उनके आगे देख सकें।