सच्चे मित्रों की हमें ज़रूरत है
जॆनी और सू में एक जीवन्त वार्तालाप चल रहा है। मुस्कान फूट पड़ती है, आँखें चमक उठती हैं—उनका हर हाव-भाव दूसरे व्यक्ति को जो कहना है उसमें तीव्र दिलचस्पी प्रकट करता है। हालाँकि उनकी पृष्ठभूमि अलग-अलग है, उनमें प्रत्यक्षतः कई बातें सामान्य हैं और एक दूसरे के लिए बहुत आदर है।
अन्यत्र, एरिक और डॆनिस एक परियोजना पर एक साथ काम कर रहे हैं, जो अनेक परियोजनाओं में से एक है जिन पर उन्होंने कई सालों के दौरान एकसाथ काम किया है। वे आराम से बात कर रहे हैं, और आसानी से हँस लेते हैं। जैसे-जैसे वार्तालाप गंभीर विषयों की ओर मुड़ता है, वे निष्कपटता से अपनी राय व्यक्त करते हैं। वे एक दूसरे का आदर करते हैं। जॆनी और सू की तरह, एरिक और डॆनिस सच्चे मित्र हैं।
ये विवरण शायद आपको आनन्दित करें, और आप अपने मित्रों के बारे में सोचें। दूसरी ओर, ये शायद आपमें ऐसे मित्रों के लिए लालसा जगाए। आपके पास भी ऐसे मित्र हो सकते हैं!
हमें सच्चे मित्रों की ज़रूरत क्यों है
स्वास्थ्यकर मित्रता हमारे मानसिक और शारीरिक कल्याण के लिए आवश्यक है। लेकिन, जब हम अकेलापन महसूस कर रहे हैं, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि हममें कोई ख़राबी है। कुछ अनुसंधायक कहते हैं कि अकेलापन एक भूख है, एक प्राकृतिक सूचक कि हमें सहचारिता की ज़रूरत है। जो भी हो, ठीक जैसे खाना भूख को कम करता है या मिटा देता है, सही प्रकार की मित्रता अकेलेपन को कम कर सकती है या उसे ग़ायब भी कर सकती है। इसके अतिरिक्त, ऐसे मित्रों का होना जो हमें बहुमूल्य समझते हैं असंभव नहीं है।
मनुष्यों को सहचारिता की ज़रूरत के साथ सृजा गया था। (उत्पत्ति २:१८) बाइबल कहती है कि एक सच्चा मित्र, या साथी, ‘दुर्दिनों के लिए उत्पन्न होता है।’ (नीतिवचन १७:१७, NHT) अतः, असली मित्रों को ज़रूरत के समय में एक दूसरे से मदद माँगने में समर्थ होना चाहिए। लेकिन मित्रता का अर्थ, केवल एक ऐसे व्यक्ति के होने से जिसकी ओर हम मुड़ सकें, या काम अथवा खेल में एक साथी होने से बढ़कर है। अच्छे मित्र एक दूसरे में सर्वोत्तम गुणों को विकसित करते हैं। नीतिवचन २७:१७ कहता है: “जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है।” जैसे लोहे के एक टुकड़े का प्रयोग उसी धातु की धार को तेज़ करने के लिए किया जा सकता है, एक मित्र दूसरे मित्र की बौद्धिक और आध्यात्मिक स्थिति को तेज़ करने में सफल हो सकता है। अगर निराशाएँ हमें हताश कर देती हैं, तो एक मित्र की हमदर्दी भरी नज़र और शास्त्रीय प्रोत्साहन जान में जान डाल सकता है।
बाइबल में मित्रता प्रेम, जान-पहचान, गोपनीयता, और सहचारिता से सम्बन्धित है। मित्रता में शायद पड़ोसी, सहकर्मी, इत्यादि शामिल हों। कुछ लोग अपने निकटतम मित्रों में कुछ सगे-सम्बन्धियों को भी गिनते हैं। लेकिन, आज अनेक लोगों के लिए सच्चे मित्र पाना और उन्हें बनाए रखना मुश्किल है। ऐसा क्यों है? क्या आप सच्ची एवं स्थायी मित्रता का आनन्द ले सकते हैं?