युवजन जो अपने सृजनहार को स्मरण रखते हैं
“अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रख।”—सभोपदेशक १२:१.
१. एक ११-वर्षीय युवा की कौन-सी अभिव्यक्तियाँ दिखाती हैं कि हमारा सृजनहार उसके लिए वास्तविक है?
कितना अच्छा होता है जब युवजन इस रीति से बोलते और कार्य करते हैं जो दिखाता है कि वे यहोवा परमेश्वर को एक वास्तविक व्यक्ति समझते हैं जिसकी वे क़दर करते हैं और जिसे प्रसन्न करना चाहते हैं! एक ११-वर्षीय लड़के ने कहा: “जब मैं अकेला होता हूँ और खिड़की से बाहर देखता हूँ, मैं देखता हूँ कि यहोवा की सृष्टि कितनी अद्भुत है। उसके बाद मैं कल्पना करता हूँ कि भविष्य में परादीस कितना सुंदर होगा और कि मैं कैसे तब जानवरों को छू सकूँगा।” (यशायाह ११:६-९) उसने आगे कहा: “जब मैं अकेला होता हूँ, तब मैं यहोवा से प्रार्थना करता हूँ। मैं जानता हूँ कि हर समय उससे बात करते रहने के लिए वह मुझ पर गुस्सा नहीं होगा। मैं जानता हूँ कि वह हर समय मुझ पर नज़र रखे हुए है।” क्या हमारा सृजनहार आपके लिए उतना ही वास्तविक है जितना वह इस लड़के के लिए है?
परमेश्वर आपके लिए कितना वास्तविक है?
२. (क) आपका सृजनहार आपके लिए वास्तविक कैसे बन सकता है? (ख) अपने बच्चों को यह समझने में मदद देने के लिए कि परमेश्वर एक वास्तविक व्यक्ति है माता-पिता कौन-सा भाग अदा कर सकते हैं?
२ यहोवा और उसकी प्रतिज्ञाएँ आपके लिए वास्तविक हों इसके लिए ज़रूरी है कि पहले आप ख़ुद उसके बारे में और उस अद्भुत भविष्य के बारे में सीखें जिसे उसने बाइबल द्वारा वर्णित धर्मी नए संसार में आपके सामने रखा है। (प्रकाशितवाक्य २१:३, ४) अगर आपके माता-पिता ने आपको इन बातों के बारे में सिखाया है, तो आपके पास आभारी होने का कारण है क्योंकि यह आपको इस उत्प्रेरित आज्ञा को मानने में समर्थ करता है: “अपने सृजनहार को स्मरण रख।” (तिरछे टाइप हमारे।) (सभोपदेशक १२:१) एक युवा ने अपने प्रारंभिक जनकीय प्रशिक्षण के बारे में कहा: “जीवन में हर बात हमेशा वापस यहोवा पर आकर रुक जाती थी। यह मेरे सृजनहार को स्मरण रखने की कुंजी थी।” एक और युवती ने कहा: “मुझे यह सिखाने के लिए कि यहोवा वास्तव में एक व्यक्ति है मैं सदा अपने माता-पिता की आभारी रहूँगी। उन्होंने मुझे दिखाया कि कैसे उससे प्रेम करूँ और मुझे उसकी सेवा पूर्ण-समय करने के आनन्द के बारे में बताया।”
३, ४. किस बात से आपको मदद मिल सकती है कि यहोवा के बारे में एक वास्तविक व्यक्ति के तौर पर सोचें?
३ फिर भी, अनेक व्यक्ति परमेश्वर को एक ऐसे वास्तविक व्यक्ति के रूप में समझ पाना मुश्किल पाते हैं जो उनमें दिलचस्पी रखता है। क्या आप ऐसा पाते हैं? एक युवा को प्रहरीदुर्ग के इस कथन से परमेश्वर के बारे में व्यक्तिगत रीति से सोचने में मदद मिली: “यहोवा परमेश्वर का शरीर कितना बड़ा है, हम नहीं जानते।” निःसंदेह, परमेश्वर की श्रेष्ठता उसके आकार या रूप पर निर्भर नहीं है, जैसे कि उस प्रहरीदुर्ग के अगले वाक्य ने कहा: “उसकी सच्ची महानता वह जिस प्रकार का परमेश्वर है उसमें है,” सचमुच, एक वफ़ादार, करुणामयी, प्रेमपूर्ण और क्षमा करनेवाला परमेश्वर।a (निर्गमन ३४:६; व्यवस्थाविवरण ३२:४; भजन ८६:५; याकूब ५:११) क्या आप यहोवा को ऐसे एक व्यक्ति के तौर पर जानने लगे हैं, एक भरोसेमन्द दोस्त की तरह जिसके साथ आप एक मूल्यवान सम्बन्ध रख सकते हैं?—यशायाह ४१:८; याकूब २:२३.
४ यीशु ने अपने प्रारंभिक अनुयायियों को परमेश्वर के साथ एक व्यक्तिगत सम्बन्ध का आनन्द लेने के लिए मदद दी। अतः, जब प्रेरित यूहन्ना ने स्वर्गीय जीवन के लिए अपने प्रत्याशित पुनरुत्थान के बारे में लिखा, तो यूहन्ना ने कहा: “हम भी [परमेश्वर]के समान होंगे, क्योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है।” (१ यूहन्ना ३:२; १ कुरिन्थियों १५:४४) आज के युवाओं को भी मदद दी जा सकती है कि परमेश्वर को एक वास्तविक व्यक्ति समझें, ऐसा व्यक्ति जिसे वे अच्छी तरह जान सकते हैं हालाँकि वे उसे व्यक्तिगत रूप से देख नहीं सकते। एक युवक ने कहा: “मेरे माता-पिता ने मुझे अनेक सवाल पूछने के द्वारा यहोवा को स्मरण रखने में मेरी मदद की, ऐसे सवाल जैसे, ‘यहोवा क्या कहेगा? तुम इसे अपने शब्दों में कैसे समझाओगे? इसका अर्थ क्या है?’” क्या इस प्रकार के सवाल हमें परमेश्वर के साथ अपने व्यक्तिगत सम्बन्ध के बारे में सोचने के लिए प्रेरित नहीं करते?
स्मरण रखने का अर्थ क्या है
५. बाइबल के कौन-से उदाहरण दिखाते हैं कि किसी को स्मरण रखने या ‘सुधि लेने’ में उसका नाम याद करने से ज़्यादा कुछ शामिल है?
५ “अपने सृजनहार को स्मरण रख,” इस आदेश को मानने का अर्थ यहोवा के बारे में केवल सोचने से ज़्यादा है। इसमें कार्य शामिल है, अर्थात् जो उसे अच्छा लगता है वह करना। जब अपराधी ने यीशु से बिनती की, “जब तू अपने राज्य में आए तो मुझे स्मरण करना,” वह चाहता था कि यीशु उसके नाम को याद रखने से ज़्यादा करे। वह चाहता था कि यीशु कार्य करे, उसे पुनरुत्थित करे। (तिरछे टाइप हमारे।) (लूका २३:४२, NHT) वैसे ही, जब क़ैद में बन्द यूसुफ ने फ़िरौन के पिलानेहारे से फ़िरौन के सामने उसे स्मरण करने के लिए कहा, तो यूसुफ ने अपेक्षा की कि उसके पक्ष में कोई कार्यवाही हो। और जब अय्यूब ने परमेश्वर से बिनती की, ‘मेरी सुधि लेना,’ तो अय्यूब यह निवेदन कर रहा था कि भविष्य में किसी समय, परमेश्वर उसे पुनरुत्थित करने के लिए कार्य करेगा।—अय्यूब १४:१३; उत्पत्ति ४०:१४, २३.
६. ‘स्मरण रखना’ के लिए इब्रानी शब्द कैसे स्मरण की गयी किसी वस्तु या व्यक्ति के लिए लगाव को सूचित करता है?
६ एक प्राधिकारी कहता है कि “स्मरण रख” अनुवादित इब्रानी शब्द अकसर “मन के लगाव और उस कार्य को” सूचित करता है, “जिसके साथ स्मृति जुड़ी होती है।” “स्मरण” शब्द में “लगाव” का संकेत है यह वीराने में “मिली-जुली भीड़” के कथन से देखा जा सकता है: “हमें वे मछलियां स्मरण हैं जो हम मिस्र में . . . खाया करते थे।” ठीक जैसे अय्यूब ने बिनती की कि परमेश्वर अनुग्रह से उसे स्मरण करें, वैसे ही हिजकिय्याह, नहेमायाह, दाऊद और एक अज्ञात भजनहार ने भी उनकी वफ़ादारी को मान्यता देते हुए यहोवा द्वारा लगाव से स्मरण किए जाने के लिए निवेदन किया।—गिनती ११:४, ५; २ राजा २०:३; नहेमायाह ५:१९; १३:३१; भजन २५:७; १०६:४.
७. अगर हम परमेश्वर को लगाव से स्मरण रखें, तो यह हमारे आचरण को कैसे प्रभावित करेगा?
७ अतः हम शायद पूछें, ‘क्या हम अपने सृजनहार को लगाव से स्मरण रखते हैं और ऐसा कुछ करने से दूर रहते हैं जिससे उसे चोट लगती है या दुःख महसूस होता है?’ एक युवा ने कहा: “माँ ने मुझे इस बात की क़दर करने में मदद दी कि यहोवा की भावनाएँ हैं, और छोटी उम्र में ही, मैं अवगत थी कि मेरे कार्यों का उस पर प्रभाव होता है।” (भजन ७८:४०-४२) एक और युवा ने समझाया: “मैं जानती थी कि मेरे कार्य यहोवा को दी गयी शैतान की चुनौती का जवाब देने में या तो मदद करेंगे या उसमें बाधा डालेंगे। मैं यहोवा के मन को आनन्दित करना चाहती थी, सो इस बात ने मेरी मदद की और आज भी मेरी मदद करती रही है।”—नीतिवचन २७:११.
८. (क) कौन-सा कार्य सूचित करेगा कि हम लगाव के साथ यहोवा को स्मरण रखते हैं? (ख) युवजन किन सवालों पर बुद्धिमानी से विचार करेंगे?
८ सच है, इस दुष्ट संसार में यहोवा को जो अच्छा लगता है उस कार्य में पूरी तरह से भाग लेने के द्वारा उसे स्मरण रखना हमेशा आसान नहीं है। लेकिन कितना अच्छा होता अगर आप मसीही सेवा में एक पायनियर सेवक के तौर पर पूर्ण-समय लगे रहने के द्वारा प्रथम शताब्दी के युवा तीमुथियुस की—आज परमेश्वर का भय माननेवाले हज़ारों युवाओं की—नक़ल कर सकते! (प्रेरितों १६:१-३; १ थिस्सलुनीकियों ३:२) लेकिन यह पूछा जा सकता है, क्या आप पायनियर सेवकाई में ख़ुद अपना भरण-पोषण कर सकेंगे? और अगर आपका विवाह हुआ, तो क्या आपके पास अपने परिवार के सदस्यों का भरण-पोषण करने के लिए हुनर होंगे? (१ तीमुथियुस ५:८) ये महत्त्वपूर्ण सवाल हैं, और यह अत्यावश्यक है कि आप उन पर गंभीरता से विचार करें।
उद्देश्य सहित शिक्षा
९. लौकिक शिक्षा के सम्बन्ध में युवजन किस निर्णय का सामना करते हैं?
९ जैसे-जैसे मानव समाज ज़्यादा जटिल होता जाता है, पायनियर कार्य में अपना भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त नौकरी पाने के लिए शायद ज़्यादा शिक्षा की ज़रूरत हो। आपने शायद नोट किया हो कि कुछ व्यक्ति जिन्हें विश्वविद्यालय की शिक्षा प्राप्त है उन्हें भी फिर से शिक्षा लेनी पड़ती है ताकि वे ऐसे नए हुनर सीख सकें जिन्हें आज नौकरी देनेवाले मूल्यवान समझते हैं। सो आप युवजन जो परमेश्वर को प्रसन्न करना चाहते हैं कितना शिक्षण प्राप्त करना चाहेंगे? इस निर्णय को उचित रूप से इस उत्प्रेरित आज्ञा को मन में रखकर किया जाना चाहिए: “अपने सृजनहार को स्मरण रख।”
१०. कौन-सी सर्वोत्तम शिक्षा है जिसे हम प्राप्त कर सकते हैं?
१० निःसंदेह, आप ऐसी शिक्षा प्राप्त करना चाहेंगे जिसे अनेक लौकिक अधिकारी भी सर्वोत्तम शिक्षा समझते हैं—शिक्षा जो परमेश्वर के वचन के ध्यानपूर्वक अध्ययन से सिद्ध होती है। जर्मन लेखक योहान वॉल्फगाँग वॉन गोथ ने नोट किया: “[लोगों] की बौद्धिक प्रगति जितनी अधिक होगी, उतना ज़्यादा पूर्णतया बाइबल को दोनों एक नींव और शिक्षा के साधन के तौर पर प्रयोग करना संभव होगा।” जी हाँ, बाइबल का अध्ययन आपको अन्य किसी शिक्षा से ज़्यादा बेहतर रीति से जीवन के लिए सज्जित करेगा!—नीतिवचन २:६-१७; २ तीमुथियुस ३:१४-१७.
११. (क) हम कौन-सा सबसे महत्त्वपूर्ण काम कर सकते हैं? (ख) एक युवा ने क्यों अतिरिक्त शिक्षा प्राप्त करने का चुनाव किया?
११ क्योंकि परमेश्वर का ज्ञान जीवन-दायक है, जो सबसे महत्त्वपूर्ण काम आप कर सकते हैं वह है दूसरों के साथ उस ज्ञान को बाँटना। (नीतिवचन ३:१३-१८; यूहन्ना ४:३४; १७:३) लेकिन, ऐसा अच्छी तरह करने के लिए आपको मूलभूत बातों की शिक्षा प्राप्त करने की ज़रूरत है। आपको स्पष्ट रूप से सोचने, तर्कसंगत रूप से बात करने, और अच्छी तरह पढ़ने और लिखने में समर्थ होने की ज़रूरत है—हुनर जिन्हें स्कूल में सिखाया जाता है। सो अपने स्कूल के पाठ्यक्रम को गंभीरतापूर्वक लीजिए, जैसे फ्लोरिडा, अमरीका की एक युवा ट्रेसी ने किया, जिसने हाई स्कूल से शैक्षिक उपाधि के साथ स्नातकता प्राप्त की। उसने अपनी आशा व्यक्त की: “मेरा हमेशा से लक्ष्य रहा है कि मैं अपने परमेश्वर यहोवा की एक पूर्ण-समय सेविका बनूँ, और मैं आशा करती हूँ कि मेरी शिक्षा इस लक्ष्य तक पहुँचने में मेरी मदद करेगी।”
१२. अगर अतिरिक्त लौकिक शिक्षा चुनी जाती है, तो यह किस उद्देश्य को पूरा करने में मदद दे सकती है?
१२ क्या आपने सोचा है कि आप स्कूल क्यों जाते हैं? क्या ऐसा मुख्यतः ख़ुद को यहोवा का एक प्रभावकारी सेवक बनाने के लिए तैयार करने के लिए है? अगर ऐसा है, तो आप इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहेंगे कि आपकी शिक्षा इस उद्देश्य को कितनी अच्छी तरह पूरा करती है। अपने माता-पिता से परामर्श लेने के बाद, शायद यह निर्णय लिया जाए कि आपको क़ानून द्वारा माँग की गयी न्यूनतम शिक्षा से ज़्यादा शिक्षा लेने की ज़रूरत है। ऐसी अतिरिक्त शिक्षा शायद अपना भरण-पोषण करने के लिए नौकरी पाने में आपकी मदद करे और तब भी आपके पास इतना समय और शक्ति रह जाए कि राज्य गतिविधि में पूरा हिस्सा लें।—मत्ती ६:३३.
१३. रूस की दो मसीहियों ने जिन्होंने सम्पूरक शिक्षा प्राप्त की जीवन में अपने उद्देश्य को कैसे दर्शाया?
१३ कुछ व्यक्ति जो सम्पूरक शिक्षा प्राप्त करते हैं वे अतिरिक्त शिक्षा प्राप्त करते वक़्त भी पूर्ण-समय सेवकाई में शामिल होते हैं। मॉस्को, रूस की दो किशोरियों, नाडिया और मरीना को लीजिए। दोनों का बपतिस्मा अप्रैल १९९४ में हुआ और वे सहयोगी पायनियर सेवकों के तौर पर सेवा करने लगीं। उसके थोड़े समय बाद उन्होंने हाई स्कूल से स्नातकता प्राप्त की और दो वर्ष के लेखा-शास्त्र कार्यक्रम में नाम लिखवा लिया। मई १९९५ में उन्होंने नियमित पायनियर कार्य शुरू किया, फिर भी उन्होंने अपनी लेखा-शास्त्र क्लास में ‘प्रथम’ श्रेणी के औसत अंक बनाए रखे। इसके अलावा, वे दोनों कुल मिलाकर हर सप्ताह औसतन १४ बाइबल अध्ययन चला पाती थीं, वहीं स्कूल भी जाया करती थीं। ये लड़कियाँ आशा करती हैं कि लेखा-शास्त्र की उनकी शिक्षा उन्हें उपयुक्त नौकरी पाने में समर्थ करेगी, ताकि वे पूर्ण-समय सेवकाई में ख़ुद अपना भरण-पोषण कर सकें।
१४. हम चाहे जितनी लौकिक शिक्षा प्राप्त करने का चुनाव करें, हमारे जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण बात क्या होनी चाहिए?
१४ यदि आप क़ानून द्वारा माँग की गयी लौकिक शिक्षा से अधिक शिक्षा लेते हैं, तो ऐसा करने के अपने कारण की बुद्धिमत्तापूर्वक जाँच कीजिए। क्या यह अपना नाम ऊँचा करने के लिए और भौतिक धन-सम्पत्ति प्राप्त करने के लिए है? (यिर्मयाह ४५:५; १ तीमुथियुस ६:१७) या क्या यहोवा की सेवा में और पूर्णतया हिस्सा लेने के लिए सम्पूरक शिक्षा का प्रयोग करना आपका लक्ष्य है? लिडीया, एक युवा जिसने अतिरिक्त शिक्षा प्राप्त करने का चुनाव किया, ने यह समझाते हुए आध्यात्मिक मामलों पर एक बढ़िया दृष्टिकोण व्यक्त किया: “अन्य लोग उच्च शिक्षा के पीछे भागते हैं और भौतिकवाद को अपने रास्ते में आने देते हैं, और उन्होंने परमेश्वर को छोड़ दिया है। व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर के साथ मेरा सम्बन्ध मेरे लिए सबसे महत्त्वपूर्ण बात है।” हम सबके लिए क्या ही प्रशंसनीय मनोवृत्ति!
१५. प्रथम-शताब्दी मसीहियों में कौन-सी विभिन्न प्रकार की शैक्षिक पृष्ठभूमियाँ थीं?
१५ महत्त्व की बात है, प्रथम-शताब्दी मसीहियों में विभिन्न प्रकार की शैक्षिक पृष्ठभूमियाँ थीं। उदाहरण के लिए, प्रेरित पतरस और यूहन्ना को “अनपढ़ और साधारण” समझा जाता था क्योंकि उन्हें रब्बियों के स्कूलों में प्रशिक्षण नहीं मिला था। (प्रेरितों ४:१३) दूसरी ओर, प्रेरित पौलुस को वह शिक्षा प्राप्त हुई जो आज विश्वविद्यालय की शिक्षा के तुल्य है। फिर भी, पौलुस ने उस शिक्षा का प्रयोग अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए नहीं किया; इसके बजाय, जीवन की विभिन्न स्थितियों के लोगों को प्रचार करते वक़्त वह उपयोगी थी। (प्रेरितों २२:३; १ कुरिन्थियों ९:१९-२३; फिलिप्पियों १:७) उसी तरह, मनाएन, “जिसकी शिक्षा ज़िला शासक, हेरोदेस के साथ हुई थी,” अन्ताकिया कलीसिया में अगुवाई लेनेवालों में से एक था।—प्रेरितों १३:१, NW.
अपने पैसों का बुद्धिमानी से प्रयोग क्यों करें?
१६. (क) अगर हम पर कर्ज़ है तो हमारे सृजनहार को स्मरण रखना ज़्यादा मुश्किल क्यों हो सकता है? (ख) यीशु का एक दृष्टान्त ख़र्च करने से पहले सोचने के महत्त्व को कैसे प्रकट करता है?
१६ अगर आप अपने पैसों का बुद्धिमानी से प्रयोग करने से चूक जाते हैं, तो आपके सृजनहार को जो अच्छा लगता है वह करने के द्वारा उसे स्मरण रखना शायद ज़्यादा मुश्किल हो। क्योंकि यदि आप कर्ज़ में पड़ जाते हैं, तो यह कहा जा सकता है कि आपका एक और स्वामी है। बाइबल समझाती है: “उधार लेनेवाला उधार देनेवाले का दास होता है।” (नीतिवचन २२:७) यीशु का एक दृष्टान्त ख़र्च करने से पहले सोचने के महत्त्व को विशिष्ट करता है। “तुम में से कौन है,” यीशु ने कहा, “कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहिले बैठकर खर्च न जोड़े, कि पूरा करने की विसात मेरे पास है कि नहीं? कहीं ऐसा न हो, कि जब नेव डालकर तैयार न कर सके, तो सब देखनेवाले . . . उसे ठट्ठों में उड़ाने लगें।”—लूका १४:२८, २९.
१७. अपने ख़र्च पर नियंत्रण रखना अकसर मुश्किल क्यों होता है?
१७ इसलिए, बुद्धिमानी से आप इस शास्त्रीय सिद्धान्त के अनुसार जीने की कोशिश करेंगे, “आपस के प्रेम को छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो।” (रोमियों १३:८) लेकिन ऐसा करना मुश्किल है, विशेषकर जब ऐसे नए उत्पादनों की निरन्तर सप्लाई से सामना होता है जिनकी विज्ञापक दावा करते हैं कि आपको सचमुच ज़रूरत है। एक जनक, जिसने अपने बच्चों को समझ का प्रयोग करने के लिए मदद देने की कोशिश की है, ने कहा: “हमने यह चर्चा करने में काफ़ी समय बिताया है कि कौन-सी बात ज़रूरत है और कौन-सी बात माँग।” स्कूल सामान्यतः ऐसी बातें सिखाने से चूक गए हैं, और ज़िम्मेदाराना तरीक़े से पैसों का प्रयोग कैसे किया जाए इस पर बहुत ही कम हिदायतें दी जाती हैं। “हम हाई स्कूल से स्नातक होने पर समद्विबाहु त्रिकोण के बारे में ज़्यादा जानते हैं बजाय इसके कि बचत कैसे करें,” एक समाज सेविका ने कहा। तो फिर, कौन-सी बात आपको बुद्धिमानी से ख़र्च करने के लिए मदद दे सकती है?
१८. पैसों का बुद्धिमानी से प्रयोग करने की एक कुंजी क्या है, और क्यों?
१८ इस प्रबोधन को मानना, “अपने सृजनहार को स्मरण रख,” अपने पैसों का बुद्धिमानी से प्रयोग करने की एक कुंजी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब आप इस आज्ञा को मानते हैं, आपकी प्राथमिकता यहोवा को प्रसन्न करना होती है, और उसके लिए आपका लगाव इस बात को प्रभावित करता है कि आप अपना पैसा कैसे ख़र्च करते हैं। अतः, आप कोशिश करेंगे कि परमेश्वर को तन-मन से भक्ति देने में व्यक्तिगत माँगों को बाधा डालने नहीं दें। (मत्ती १६:२४-२६) आप अपनी आँख को “निर्मल” रखने का प्रयास करेंगे, जो स्पष्ट रूप से परमेश्वर के राज्य और उसकी इच्छा पर चलने पर केन्द्रित है। (मत्ती ६:२२-२४) इस प्रकार आप इस ईश्वरीय सलाह कि “अपनी संपत्ति के द्वारा . . . यहोवा की प्रतिष्ठा करना” को एक आनन्दपूर्ण विशेषाधिकार समझने लगेंगे।—नीतिवचन ३:९.
युवा जो अनुकरण के योग्य हैं
१९. अतीत में युवाओं ने अपने सृजनहार को कैसे स्मरण रखा है?
१९ ख़ुशी की बात है, अतीत और वर्तमान में अनेक युवाओं ने अपने सृजनहार को स्मरण रखा है। नन्हा शमूएल जिनके साथ सेवा करता था उनके अनैतिक प्रभाव के बावजूद निवासस्थान की सेवा में स्थिर रहा। (१ शमूएल २:१२-२६) एक आकर्षक लुभानेवाली, पोतीपर की पत्नी, युवा यूसुफ को व्यभिचार करने के लिए प्रलोभित न कर सकी। (उत्पत्ति ३९:१-१२) हालाँकि वह केवल एक “लड़का ही” था, यिर्मयाह ने तीव्र विरोध का सामना करते हुए साहसपूर्वक प्रचार किया। (यिर्मयाह १:६-८) एक छोटी इस्राएली लड़की ने निडरता से एक शक्तिशाली अरामी सेनापति को इस्राएल में मदद पाने के लिए निर्दिष्ट किया, जहाँ वह यहोवा के बारे में जान सकता था। (२ राजा ५:१-४) युवा दानिय्येल और उसके साथियों ने परमेश्वर के भोजन-सम्बन्धी नियमों के सम्बन्ध में परखे जाने पर अपने विश्वास को क़ायम रखा। और शद्रक, मेशक, और अबेदनगो इन युवाओं ने मूर्त्ति के सामने उपासना करने के द्वारा परमेश्वर के प्रति अपनी निष्ठा का समझौता करने के बजाय धधकते हुए भट्ठे में डाल दिए जाने का चुनाव किया।—दानिय्येल १:८, १७; ३:१६-१८; निर्गमन २०:५.
२०. आज अनेक युवाओं ने अपने सृजनहार को कैसे स्मरण रखा है?
२० आज न्यू यॉर्क स्टेट, अमरीका में यहोवा के साक्षियों के विश्व मुख्यालय में १९ से २५ की उम्र के २,००० से अधिक युवा सेवा करते हैं। वे उन दसियों-हज़ार युवजनों का केवल एक छोटा-सा भाग हैं जो अपने सृजनहार को संसार-भर में स्मरण रखते हैं। प्राचीन समय के यूसुफ की तरह, उन्होंने अपनी नैतिक शुद्धता का समझौता करने से इनकार किया है। जब उन्हें चुनने के लिए मजबूर किया गया है कि वे किसकी सेवा करेंगे तो अनेकों ने मनुष्यों के बजाय परमेश्वर की आज्ञा मानी है। (प्रेरितों ५:२९) पोलैंड में, १९४६ में १५-वर्षीया हॆनरीका ज़्हूर को यातना दी गयी जब उसने धार्मिक मूर्तिपूजा का एक कार्य करने से इनकार कर दिया। “तुम अपने अन्दर जो मानना चाहती हो मानो,” उसके एक उत्पीड़क ने सुझाया, “केवल क्रूस का एक कैथोलिक चिन्ह कर दो।” उसके इनकार करने के कारण, उसे घसीटकर जंगल ले जाया गया और गोली मार दी गयी, उसकी अनन्त जीवन की निश्चित आशा बनी रही!b
२१. कौन-सा निमंत्रण स्वीकार करना बुद्धिमानी होगी, और इसका परिणाम क्या होगा?
२१ यहोवा का हृदय शताब्दियों के दौरान उसे स्मरण रखनेवाले युवजनों द्वारा कितना प्रफुल्लित हुआ होगा! क्या आप उसके निमंत्रण का जवाब देंगे, “अपने सृजनहार को स्मरण रख”? वह सचमुच आपके स्मरण के योग्य है! उसने आपके लिए जो किया है और भविष्य में जो करेगा उसके बारे में प्रतिदिन सोचिए, और उसके निमंत्रण को स्वीकार कीजिए: “हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान होकर मेरा मन आनन्दित कर, तब मैं अपने निन्दा करनेवाले को उत्तर दे सकूंगा।”—नीतिवचन २७:११.
[फुटनोट]
a प्रहरीदुर्ग, दिसम्बर १५, १९५३, पृष्ठ ७५० (अंग्रेज़ी)।
b वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित, यहोवा के साक्षियों की वार्षिकी १९९४, (अंग्रेज़ी) पृष्ठ २१७-१८ देखिए।
क्या आपको याद है?
◻ परमेश्वर को एक वास्तविक व्यक्ति समझने में युवाओं की मदद कैसे की जा सकती है?
◻ अपने सृजनहार को स्मरण रखने का अर्थ क्या है?
◻ हमारी शिक्षा को कौन-सा उद्देश्य पूरा करना चाहिए?
◻ अपने पैसों का बुद्धिमानी से प्रयोग करना अत्यावश्यक क्यों है?
◻ कौन-से युवा आपके अनुकरण के योग्य हैं?
[पेज 17 पर तसवीर]
क्या आपने सोचा है कि आप स्कूल क्यों जाते हैं?
[पेज 18 पर तसवीर]
क्या आप पैसों का बुद्धिमानी से प्रयोग करना सीख रहे हैं?