गिलियड की १०१वीं कक्षा भले कामों में सरगर्म
हमारा सृष्टिकर्ता, यहोवा परमेश्वर भले कामों में सरगर्म है, और वैसे ही उसका पुत्र, यीशु मसीह भी। हमारे आदर्श के रूप में, यीशु ने अपनी परमेश्वर-प्रदत्त कार्य-नियुक्ति को पूरा करने के द्वारा सरगर्मी दिखायी, जिसमें ‘अपने आप को हमारे लिये’ देना शामिल था, “कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले भले कामों में सरगर्म हो।” (तीतुस २:१४) गिलियड नामक वॉचटावर बाइबल स्कूल की १०१वीं कक्षा के ४८ सदस्यों ने निश्चित रूप से भले कामों के लिए अपनी सरगर्मी दिखाई है। इन मिशनरियों के लिए स्नातकता कार्यक्रम सितम्बर ७, १९९६ को पैटरसन, न्यू यॉर्क के वॉचटावर शैक्षिक केन्द्र में आयोजित किया गया था।
सरगर्म बने रहने के लिए व्यावहारिक सलाह
स्नातकता कार्यक्रम के सभापति शासी निकाय के एक सदस्य, कॆरी बार्बर थे, जिन्होंने ७० से भी ज़्यादा वर्ष पूर्ण-समय सेवा में बिताए हैं। अपने शुरूआत के शब्दों में, भाई बार्बर ने यीशु के प्रचार और शिक्षण गतिविधि की ओर ध्यान आकर्षित किया, जो “जगत की ज्योति” था। (यूहन्ना ८:१२) उन्होंने ध्यान दिलाया कि यीशु ने इस आदरणीय भूमिका को अपने तक ही नहीं रखा बल्कि अपने चेलों से भी अपनी ज्योति चमकाने का आग्रह किया। (मत्ती ५:१४-१६) सेवा का यह विशेषाधिकार एक मसीही के जीवन में अर्थ प्रदान करता है और उन सभी के कन्धों पर एक भारी ज़िम्मेदारी डालता है जो ‘ज्योति की सन्तान की नाईं चल रहे’ हैं।—इफिसियों ५:८.
इन शुरूआत की टिप्पणियों के बाद, ब्रुकलिन मुख्यालय के कार्यकारी कार्यालयों के डॉन एडम्स् का परिचय दिया गया। उन्होंने विषय “आगे बढ़ना, न कि पीछे हटना” पर बात की। भाई एडम्स् ने उसी गिलियड स्कूल और उसके उद्देश्य—विदेशी क्षेत्रों में सुसमाचार का प्रचार करने के कार्य को फैलाने—पर ध्यान आकर्षित करवाया। उन्होंने परमेश्वर के संगठन की बढ़ोतरी के बारे में बताया, जिसने संसार-भर में ३०० से भी अधिक भाषाओं में बाइबल साहित्य प्रकाशित किया है। १९९५ में प्रकाशित पुस्तक ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है, को १११ भाषाओं में उपलब्ध कराया गया है तथा और भी अधिक भाषाओं में छापना निर्धारित है। यह यीशु के नए चेलों को मात्र कुछ ही महीनों में समर्पण और बपतिस्मे तक पहुँचने में मदद देने के लिए पहले ही सहायक रहा है। सो नए मिशनरियों के पास उनके कार्य के लिए नवीनतम बाइबल अध्ययन सहायक उपलब्ध होंगे।
उसके बाद, शासी निकाय के एक सदस्य लाइमन स्विंगल ने प्रकाशितवाक्य ७:१५ पर आधारित विषय “यहोवा को अपनी पवित्र सेवा देते रहिए” पर बात की। क्योंकि यहोवा ख़ुद एक आनन्दित परमेश्वर है, तो लगातार उसकी सेवा करते रहना ही वह बात है जो एक व्यक्ति को आनन्दित बना देती है। (१ तीमुथियुस १:११) इस आनन्दमय सेवा के परिणामस्वरूप, पृथ्वी के सभी भागों से लोगों की एक बड़ी भीड़ उसकी उपासना करने लगी है। वर्षों के दौरान, गिलियड स्कूल में प्रशिक्षित किए गए लोगों का, इनमें से अनेक लोगों को सत्य के यथार्थ ज्ञान की पहचान कराने में मदद देने में हिस्सा रहा है। इसलिए, हमारे पास यह विश्वास करने के सभी कारण हैं कि यहोवा उन सभी को लगातार आशिष देता रहेगा जिन्हें बढ़ती बड़ी भीड़ में और ज़्यादा सदस्यों को इकट्ठा करने के लिए भेजा जा रहा है।
“यहोवा का आनन्द प्रतिबिम्बित करना” विषय को डैनियल सिडलिक ने विशिष्ट किया, जो स्वयं शासी निकाय के एक सदस्य हैं। उन्होंने दिखाया कि परमेश्वर के सभी सेवकों के पास, जिनमें नए मिशनरी भी शामिल हैं, लोगों को अनन्त जीवन के मार्ग और अभी जीवन का उत्तम फ़ायदा पाने के मार्ग की शिक्षा देने का विशेषाधिकार है। भाई सिडलिक ने कहा कि “शिक्षा देना एक आत्म-प्रतिफलदायक पेशा है। जो शिक्षा देते हैं और जो लोग सीखते हैं यह उनके चेहरों से प्रतिबिम्बित होता है।” (भजन १६:८-११) उन्होंने एस्टोनिया के एक मिशनरी को उद्धृत किया जिसने कहा, “हमारे पास पूरी दुनिया का सर्वश्रेष्ठ सन्देश है, और यह हमारे चेहरे से झलकता है।” हमारे चेहरे का हाव-भाव अनेक द्वार खोल सकता है और दिलचस्पी जगा सकता है। लोग जानना चाहते हैं कि क्या बात यहोवा के सेवकों को आनन्दित बनाती है। “सो अपने चेहरे पर ध्यान दीजिए,” भाई सिडलिक ने सलाह दी। “लोग आनन्दित लोगों को देखने का आनन्द लेते हैं।”
युलिसीज़ ग्लास ने, जिन्होंने १९४९ में १२वीं कक्षा से गिलियड विद्यार्थियों को सिखाने में हिस्सा लिया था, श्रोताओं को विषय “धीरज के साथ अपने प्राण की चौकसी कीजिए” पर सम्बोधित किया। धीरज क्या है? यह किसी बात के लिए शान्तिपूर्वक इन्तज़ार करने, उत्तेजना या तनाव की स्थिति में धैर्य रखने के विचार को सूचित करता है। धीरजवन्त व्यक्ति शान्त रहता है; जबकि अधीर व्यक्ति जल्दबाज़ और चिड़चिड़ा बन जाता है। “अनेक लोग सोचते हैं कि धीरज कमज़ोरी और अनिश्चितता का संकेत देता है,” भाई ग्लास ने कहा, लेकिन “यहोवा के लिए यह शक्ति और उद्देश्य का प्रतीक है।” (नीतिवचन १६:३२) वे कौन-से लाभांश हैं जो धीरज देता है? “क्रोध की एक घड़ी में धीरज वेदना के सौ दिनों से आपको बचाता है,” एक चीनी कहावत कहती है। “धीरज एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारता है,” भाई ग्लास ने कहा। “असल में, यह अन्य उत्तम गुणों पर स्थायित्व का रोग़न चढ़ाता है। यह विश्वास को चाहनेयोग्य, शान्ति को स्थायी, प्रेम को अडिग बनाता है।”
“यहोवा परमेश्वर से उसके संगठन के माध्यम से एक नियुक्ति प्राप्त करना एक विशेषाधिकार है,” भाई मार्क नूमैर ने कहा, जिन्होंने एक मिशनरी के तौर पर केन्या में ११ वर्ष सेवा की और अब एक गिलियड प्रशिक्षक हैं। जैसे-जैसे उन्होंने विषय “जब तक आपके पास विश्वास न हो, आप ज़्यादा समय तक नहीं रहेंगे,” विकसित किया, भाई नूमैर ने यहूदा के राजा आहाज़ के उदाहरण की ओर ध्यान खींचा। यशायाह ने राजा की नियुक्ति पर यहोवा के समर्थन का आश्वासन दिया, लेकिन इतने पर भी आहाज़ उस पर विश्वास करने में असफल रहा। (यशायाह ७:२-९) तब भाई नूमैर ने ज़िक्र किया कि मिशनरियों को—निश्चित ही हम सभी को—अपनी ईश्वरशासित कार्य-नियुक्तियों में ज़्यादा समय तक बने रहने के लिए यहोवा पर विश्वास रखने की ज़रूरत है। मिशनरी कार्य-नियुक्ति की ख़ास चुनौतियाँ दृढ़ विश्वास की माँग करती हैं। “हमेशा यह बात मन में रखिए कि इस रीति-व्यवस्था में कोई भी परिस्थिति परिपूर्ण नहीं है,” भाई नूमैर ने कहा।
अनुभव जो सरगर्म गतिविधि को प्रोत्साहित करते हैं
अपने गिलियड प्रशिक्षण कोर्स के दौरान, विद्यार्थियों ने हर सप्ताहांत जन सेवकाई में समय बिताया, जो उनकी मिशनरी कार्य-नियुक्तियों की सबसे मुख्य बात भी होगी। गिलियड शिक्षण विभाग के एक सदस्य, वेलेस लिवरन्स ने उन १५ विद्यार्थियों का साक्षात्कार लिया, जिन्होंने अपने अनुभव बताए। उसके बाद सेवा विभाग समिति के लीआन वीवर और बेथेल प्रचालन समिति के लॉन शिलिंग ने अफ्रीका और लातिन अमरीका के शाखा समिति सदस्यों का साक्षात्कार लिया, जिन्होंने मिशनरी क्षेत्र के अपने अनुभवों को सुनाया और जिनके पास स्नातकता प्राप्त कर रहे मिशनरियों के लिए कुछ उत्तम सलाह थी। सीएरा लीयोन में, यह बताया गया था कि १९९५ सेवा वर्ष के दौरान बपतिस्मा प्राप्त करनेवालों में से लगभग ९० प्रतिशत को मिशनरियों द्वारा मदद दी गई थी। सरगर्म गतिविधि का क्या ही उत्तम रिकार्ड!
अन्त में, संस्था के अध्यक्ष, मिलटन हॆनशॆल ने २,७३४ श्रोताओं को विषय “यहोवा का दृश्य संगठन बेजोड़ है” पर सम्बोधित किया। परमेश्वर के संगठन को क्या अद्वितीय बनाता है? यह न तो इसका आकार है न ही इसकी शक्ति लेकिन यह सच्चाई कि यह परमेश्वर के धर्मी नियमों और न्यायिक निर्णयों द्वारा मार्गदर्शित होता है। प्राचीन समय में यह यहोवा के लोग, अर्थात् इस्राएल की जाति थी, जिन्हें उसके पवित्र वचन सौंपे गए थे, जिन्होंने उस जाति को बेजोड़ बनाया। (रोमियों ३:१, २) आज, यहोवा का संगठन संयुक्त है जैसे-जैसे वह यीशु मसीह के मार्गदर्शन के अधीन कार्य करता है। (मत्ती २८:१९, २०) यह फल-फूल रहा है, बढ़ रहा है। क्या पृथ्वी पर ऐसा और कोई संगठन है जिसका शासी निकाय महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले परमेश्वर के वचन, बाइबल की सलाह लेता हो? इस तरीक़े से और अन्य तरीक़ों से, यहोवा का दृश्य संगठन वाक़ई बेजोड़ है।
एक आनन्दपूर्ण कार्यक्रम डिप्लोमा प्रदान करने और कक्षा की ओर से इस ख़ास प्रशिक्षण के लिए मूल्यांकन व्यक्त करनेवाले एक पत्र के पढ़े जाने के साथ समाप्त हुआ।
[पेज 22 पर बक्स]
कक्षा के आँकड़े
जितने देशों से विद्यार्थी आए: ९
जितने देशों में भेजे गए: १२
विद्याऱ्थियों की संख्या: ४८
औसत उम्र: ३१.७
सच्चाई में औसत साल: १३.८
पूर्ण-समय सेवकाई में औसत साल: ९.८
[पेज 23 पर तसवीर]
गिलियड नामक वॉचटावर बाइबल स्कूल की स्नातक होनेवाली १०१वीं कक्षा
नीचे की सूची में, पंक्तियाँ आगे से पीछे की ओर क्रमांकित की गयी हैं, और प्रत्येक पंक्ति में नाम बाएँ से दाएँ सूचीबद्ध हैं।
(१) स्विन्ट, एच.; ज़ेज़िनस्की, ए.; हाइफील्ड, एल.; मेरकाडो, एस.; डील, ए.; शावॆज़, वी.; स्मिथ, जे.; सलीनीयस, एस.
(२) कुर्तस्, डी.; क्लार्क, सी.; लीसबार्न, जे.; मार्टेनसन, डब्ल्यू.; ब्रामिली, ए.; टॉइका, एल.; मारटेन, ए.; स्मिथ, डी.
(३) ज़ेज़िनस्की, डी.; बायरगॉर, एल.; गाराफलो, बी.; कलदल, एल.; शावॆज़, ई.; फ्रोडिंग, एस.; कान, आर.; सलीनीयस, आर.
(४) स्विन्ट, बी.; बायरगॉर, एम.; गाराफलो, पी.; हॉल्मब्लाड, एल.; काइसर, एम.; फ्रोडिंग, टी.; पॉलफ्रीमॆन, जे.; पॉलफ्रीमॆन, डी.
(५) मिंगवेस, एल.; लीसबार्न, एम.; मेरकाडो, एम.; कुर्तस्, एम.; डील, एच.; टॉइका, जे.; क्लार्क, एस.; कान, ए.
(६) मिंगवेस, एफ़.; मारटेन, बी.; हाइफील्ड, एल.; हॉल्मब्लाड, बी.; ब्रामिली, के.; कलदल, एच.; मार्टेनसन, पी.; काइसर, आर.