हनोक—सभी मुश्किलों के बावजूद निडर
एक भले आदमी के लिए, वह सबसे बदतर समय था। धरती पर अधर्म का बोलबाला था। मानवजाति की नैतिक अवस्था में लगातार गिरावट आ रही थी। असल में, ऐसा जल्द ही कहा जाता: “यहोवा ने देखा, कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है।”—उत्पत्ति ६:५.
आदम की वंशावली के सातवें आदमी, हनोक में भिन्न होने का साहस था। अंजाम की परवाह किए बग़ैर वह धार्मिकता के लिए अडिग रहा। भक्तिहीन पापियों के लिए हनोक का संदेश इतना पीड़ाजनक था कि उसकी हत्या करने की ठानी गयी, और केवल यहोवा उसकी मदद कर सका।—यहूदा १४, १५.
हनोक और विश्वव्यापी वाद-विषय
हनोक के जन्म से बहुत पहले, विश्व सर्वसत्ता का वाद-विषय उठाया गया था। क्या परमेश्वर को शासन करने का अधिकार था? असल में, शैतान अर्थात् इब्लीस ने ना कहा। उसने यह माना कि बुद्धिमान जीव बेहतर कार्य करते यदि वे परमेश्वर के मार्गदर्शन से स्वतंत्र होते। चालाकी से मनुष्यों को अपनी ओर बहकाने के द्वारा शैतान ने यहोवा परमेश्वर के विरुद्ध प्रमाण इकट्ठे करने की कोशिश की। आदम, उसकी पत्नी हव्वा, और उनका पहला पुत्र कैन, परमेश्वर-शासन के बजाय स्व-शासन का चुनाव करने के द्वारा शैतान का पक्ष लेने के लिए बदनाम हैं। पहले मानवी जोड़े ने परमेश्वर द्वारा वर्जित फल खाने के द्वारा ऐसा किया, और कैन ने जानबूझकर अपने धर्मी भाई हाबिल की हत्या करने के द्वारा ऐसा किया।—उत्पत्ति ३:४-६; ४:८.
हाबिल ने साहसपूर्वक यहोवा की तरफ़दारी की थी। क्योंकि हाबिल की खराई ने शुद्ध उपासना को बढ़ावा दिया था, कैन को उस पर ख़ूनी क्रोध उँडेलते हुए देखकर शैतान निःसन्देह अति आनन्दित हुआ। उस समय से, शैतान ने “मृत्यु के भय” को एक भयावह हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। वह ऐसे किसी भी व्यक्ति के हृदय में आतंक पैदा करना चाहता है जो सच्चे परमेश्वर की उपासना करने की ओर प्रवृत है।—इब्रानियों २:१४, १५; यूहन्ना ८:४४; १ यूहन्ना ३:१२.
हनोक के जन्म के समय तक, संभवतः ऐसा प्रतीत हुआ कि शैतान का यह दृष्टिकोण कि मनुष्य यहोवा की सर्वसत्ता का समर्थन नहीं करेंगे, बहुत समर्थित था। हाबिल मर चुका था, और उसके विश्वसनीय उदाहरण का अनुकरण नहीं किया जा रहा था। फिर भी, हनोक ने अपने आपको एक अपवाद साबित किया। उसके पास विश्वास का एक ठोस आधार था, क्योंकि वह अदन की वाटिका में हुई घटनाओं से भली-भांति परिचित था।a उसने सूचित करती हुई यहोवा की इस भविष्यवाणी को हृदय में कितना सँजोए रखा होगा, कि एक प्रतिज्ञात वंश शैतान और उसकी चालों का अन्त करेगा!—उत्पत्ति ३:१५.
अपने सामने हमेशा इस आशा के साथ, हनोक हाबिल की इब्लीस-उत्प्रेरित ऐतिहासिक हत्या से भयभीत नहीं हुआ। बल्कि, आजीवन धार्मिक आचरण रखते हुए, वह यहोवा के साथ-साथ चलता रहा। संसार की स्वतंत्र आत्मा से दूर रहने के द्वारा, हनोक ने स्वयं को उससे अलग रखा।—उत्पत्ति ५:२३, २४.
इसके अलावा, हनोक ने साहसपूर्वक कहा और यह स्पष्ट कर दिया कि इब्लीस के दुष्ट कार्य सफल नहीं होंगे। परमेश्वर की पवित्र आत्मा, या सक्रिय शक्ति के प्रभाव में, हनोक ने दुष्टों के सम्बन्ध में भविष्यवाणी की: “देखो, प्रभु अपने लाखों पवित्रों के साथ आया। कि सब का न्याय करे, और सब भक्तिहीनों को उन के अभक्ति के सब कामों के विषय में, जो उन्हों ने भक्तिहीन होकर किए हैं, और उन सब कठोर बातों के विषय में जो भक्तिहीन पापियों ने उसके विरोध में कही हैं, दोषी ठहराए।”—यहूदा १४, १५.
हनोक की निर्भीक उद्घोषणाओं के कारण, इब्रानी मसीहियों को लिखते वक़्त प्रेरित पौलुस ने उसे ‘गवाहों के ऐसे बड़े बादल’ में शामिल किया जिन्होंने कार्यान्वयन में विश्वास का एक उत्कृष्ट उदाहरण रखा।b (इब्रानियों ११:५; १२:१) एक विश्वासी व्यक्ति के तौर पर, हनोक ३०० से ज़्यादा साल तक खराई के मार्ग पर बना रहा। (उत्पत्ति ५:२२) हनोक की वफ़ादारी ने स्वर्ग में और पृथ्वी पर यहोवा के शत्रुओं को कितना क्रोध दिलाया होगा! हनोक की चुभनेवाली भविष्यवाणी ने शैतान में घृणा उत्पन्न की, लेकिन इसने यहोवा की सुरक्षा प्रदान की।
परमेश्वर ने हनोक को उठा लिया—कैसे?
यहोवा ने शैतान या उसके पार्थिव सेवकों को हनोक की हत्या नहीं करने दी। इसके बजाय, उत्प्रेरित रिकार्ड कहता है: “परमेश्वर ने उसे उठा लिया।” (उत्पत्ति ५:२४) प्रेरित पौलुस इस बात का ऐसे वर्णन करता है: “विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला; क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उस ने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।”—इब्रानियों ११:५.
हनोक कैसे “उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे”? या जैसे आर. ए. नॉक्स के अनुवाद में किए गए भाषांतरण के अनुसार, हनोक कैसे “मृत्यु का अनुभव किए बिना उठा लिया गया”? उसे बीमारी या उसके शत्रुओं के हाथों हिंसा द्वारा मृत्यु की टीसों से बचाकर, परमेश्वर ने हनोक का जीवन शांति से ख़त्म कर दिया। जी हाँ, यहोवा ने हनोक के जीवन को ३६५ वर्ष की उम्र तक ही रहने दिया—उसके समवयस्कों की तुलना में अपेक्षाकृत एक युवा व्यक्ति।
किस प्रकार हनोक की “गवाही दी गई थी, कि उस ने परमेश्वर को प्रसन्न किया है”? उसके पास क्या प्रमाण था? संभव है, यहोवा ने हनोक को एक मूर्च्छित अवस्था में डाल दिया, जिस प्रकार प्रेरित पौलुस को “उठा लिया गया,” या स्थानांतरित कर दिया गया था, और उसे प्रत्यक्षतः मसीही कलीसिया के भावी आत्मिक परादीस का दर्शन प्राप्त हुआ। (२ कुरिन्थियों १२:३, ४) इस गवाही, या प्रमाण में, कि हनोक ने परमेश्वर को प्रसन्न किया था, शायद उस भावी पार्थिव परादीस की एक आभासी झलक रही हो जिसमें सभी जीवित व्यक्ति परमेश्वर की सर्वसत्ता का समर्थन करेंगे। शायद जब हनोक इस प्रकार एक हर्षोन्मत्त दर्शन देख रहा था, तब परमेश्वर ने उसे उसके पुनरुत्थान के दिन तक सोने के लिए पीड़ाहीन मृत्यु में उठा लिया। ऐसा प्रतीत होता है कि मूसा के मामले की तरह, यहोवा ने हनोक की देह को समाप्त कर दिया, क्योंकि “उसका पता नहीं मिला।”—इब्रानियों ११:५; व्यवस्थाविवरण ३४:५, ६; यहूदा ९.
भविष्यवाणी पूरी हुई
आज, यहोवा के साक्षी हनोक की भविष्यवाणी के सार की घोषणा करते हैं। वे शास्त्रवचन से बताते हैं कि यह कैसे पूरी होगी जब परमेश्वर भक्तिहीन लोगों का निकट भविष्य में विनाश करता है। (२ थिस्सलुनीकियों १:६-१०) उनका संदेश उनको अप्रिय बनाता है, क्योंकि यह इस संसार के दृष्टिकोण और लक्ष्यों से बहुत भिन्न है। जिस विरोध का वे सामना करते हैं वह उन्हें चकित नहीं करता क्योंकि यीशु ने अपने अनुयायियों को चिताया: “मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे।”—मत्ती १०:२२; यूहन्ना १७:१४.
लेकिन, हनोक की तरह, वर्तमान-दिन मसीही अपने शत्रुओं से संभावित मुक्ति के बारे में निश्चिंत हैं। प्रेरित पतरस ने लिखा: “प्रभु भक्तों को परीक्षा में से निकाल लेना और अधर्मियों को न्याय के दिन तक दण्ड की दशा में रखना भी जानता है।” (२ पतरस २:९) परमेश्वर एक समस्या या एक दुःखदायी परिस्थिति को हटाना शायद उचित समझे। सताहट का शायद अन्त हो। यदि नहीं, तो वह जानता है कि कैसे “निकास भी करे” ताकि उसके लोग अपनी परीक्षाएँ सफलतापूर्वक बर्दाश्त कर सकें। जब आवश्यक हो तब यहोवा “असीम सामर्थ” भी प्रदान करता है।—१ कुरिन्थियों १०:१३; २ कुरिन्थियों ४:७.
“अपने खोजनेवालों को प्रतिफल” देनेवाले के रूप में यहोवा अपने वफ़ादार सेवकों को अनन्त जीवन की आशीष भी देगा। (इब्रानियों ११:६) उनमें से अधिकांश के लिए, यह एक पार्थिव परादीस में अनन्त जीवन होगा। इसलिए हनोक की तरह, ऐसा हो कि हम साहसपूर्वक परमेश्वर के संदेश की उद्घोषणा करें। आइए, विश्वास के साथ हम सभी मुश्किलों के बावजूद ऐसा करें।
[फुटनोट]
a जब हनोक पैदा हुआ था तब आदम ६२२ साल का था। आदम की मृत्यु के बाद हनोक कुछ ५७ साल और जीवित रहा। इसलिए, उनके जीवन-काल काफ़ी समय तक परस्परव्याप्त रहे।
b इब्रानियों १२:१ में अनुवादित “गवाहों” यूनानी शब्द मार्टिस से आता है। वूस्ट का यूनानी नये नियम का शब्द अध्ययन (अंग्रेज़ी) के अनुसार, यह शब्द “उस व्यक्ति” को सूचित करता है “जिसने जो देखा या सुना या किसी अन्य ज़रिए से जानता है, उसकी गवाही देता है, या गवाही दे सकता है।” नायजेल टर्नर द्वारा लिखित, क्रिस्चियन वर्डस् कहती है कि इस शब्द का अर्थ है वह व्यक्ति जो “व्यक्तिगत अनुभव . . . , और दृढ़ विश्वास से सच्चाइयों और दृष्टिकोण के बारे में” बोलता है।
[पेज 30 पर बक्स]
परमेश्वर का नाम अपवित्र किया गया
हनोक से लगभग चार शताब्दियों पहले, आदम के पोते एनोश का जन्म हुआ। उत्पत्ति ४:२६ कहता है, “उसी समय से लोग यहोवा से प्रार्थना करने लगे।” इब्रानी-भाषा के कुछ विद्वान ऐसा विश्वास करते हैं कि यह आयत ऐसे पढ़ी जानी चाहिए परमेश्वर का नाम “अपवित्र करने लगे” या, “तब अपवित्रिकरण शुरू हुआ।” इतिहास की उस अवधि के विषय में, जरूसलॆम टार्गम कहता है: “यही वह पीढ़ी थी जिसके दिनों में वे ग़लती करने लगे, और अपने लिए मूर्तियाँ बनाने लगे, और अपनी मूर्तियों को प्रभु के वचन के नाम से उपनाम दिए।”
एनोश के समय में यहोवा के नाम का व्यापक दुरुपयोग हुआ। यह संभव है कि लोगों ने ईश्वरीय नाम को स्वयं या ऐसे अमुक व्यक्तियों के लिए प्रयुक्त किया जिनके ज़रिए उन्होंने उपासना में यहोवा परमेश्वर के समीप आने का ढोंग किया। या शायद उन्होंने यह ईश्वरीय नाम मूर्तियों के लिए प्रयुक्त किया हो। कैसे भी समझिए, शैतान अर्थात् इब्लीस ने मानवजाति को मूर्तिपूजा के फँदे में पूरी तरह से जकड़ लिया था। हनोक के जन्म के समय तक, सच्ची उपासना विरल थी। हनोक की तरह कोई भी, जो सच्चाई से जीता और उसका प्रचार करता, अप्रिय था और इसलिए सताहट का निशाना बनता।—मत्ती ५:११, १२ से तुलना कीजिए।
[पेज 31 पर बक्स]
क्या हनोक स्वर्ग गया?
“विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे।” इब्रानियों ११:५ के इस भाग के अपने अनुवाद में, कुछ बाइबल अनुवाद संकेत करते हैं कि हनोक वास्तव में मरा नहीं था। उदाहरण के लिए, जेम्स मॊफेट की ए न्यू ट्रान्सलेशन ऑफ द बाइबल कहती है: “ऐसा विश्वास के कारण था कि हनोक स्वर्ग ले जाया गया इसलिए वह कभी न मरा।”
लेकिन, हनोक के समय से कोई ३,००० साल बाद, यीशु मसीह ने कहा: “और कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात् मनुष्य का पुत्र जो स्वर्ग में है।” (यूहन्ना ३:१३) द न्यू इंग्लिश बाइबल कहती है: “कोई भी स्वर्ग कभी नहीं गया सिवाय उसके जो स्वर्ग से नीचे उतरा, अर्थात् मनुष्य का पुत्र।” जब यीशु ने वह कथन किया, तब वह भी स्वर्ग पर नहीं चढ़ा था।—लूका ७:२८ से तुलना कीजिए।
प्रेरित पौलुस कहता है कि हनोक और मसीही-पूर्व गवाहों का बड़ा बादल बनानेवाले अन्य व्यक्ति ‘सब मरे’ और उन्होंने “प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं नहीं पाईं।” (इब्रानियों ११:१३, ३९) क्यों? क्योंकि हनोक समेत, सभी मनुष्यों ने आदम से पाप विरासत में पाया है। (भजन ५१:५; रोमियों ५:१२) उद्धार का एकमात्र साधन मसीह यीशु के छुड़ौती बलिदान के ज़रिए है। (प्रेरितों ४:१२; १ यूहन्ना २:१, २) हनोक के समय में वह छुड़ौती तब तक चुकायी नहीं गयी थी। इसलिए, हनोक स्वर्ग नहीं गया, परन्तु वह पृथ्वी पर पुनरुत्थान की प्रतीक्षा में मृत्यु में सोया हुआ है।—यूहन्ना ५:२८, २९.
[पेज 29 पर चित्र का श्रेय]
इलुस्त्रिअते प्रॆख़्त से लिया गया—Bibel/Heilige Schrift des Alten und Neuen Testaments, nach der deutschen Uebersetzung D. Martin Luther’s