परमेश्वर की माँगें सीखने में दूसरों की मदद करना
“यह तो मेरे लिए अवश्य है; और यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय।”—१ कुरिन्थियों ९:१६.
१, २. (क) यहोवा हमसे किस दोहरे काम में भाग लेने की माँग करता है? (ख) परमेश्वर के राज्य की प्रजा बनने के लिए सत्हृदयी लोगों को क्या सीखने की ज़रूरत है?
यहोवा के पास मानवजाति के लिए सुसमाचार है। उसका एक राज्य है, और वह चाहता है कि हर जगह के लोग इसके बारे में सुनें! एक बार जब हम यह सुसमाचार जान जाते हैं, तब परमेश्वर माँग करता है कि हम इसे दूसरों के साथ बाँटें। यह एक दोहरा कार्य है। पहले, हमें परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाना है। “रीति-व्यवस्था की समाप्ति” (NW) के बारे में अपनी भविष्यवाणी में, यीशु ने कहा: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।”—मत्ती २४:३, १४.
२ इस कार्य के दूसरे पहलू में सम्मिलित है उनको सिखाना जो राज्य उद्घोषणा के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाते हैं। अपने पुनरुत्थान के बाद, यीशु ने अपने शिष्यों के एक बड़े समूह से कहा: “इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।” (मत्ती २८:१९, २०) ‘बातें जो मसीह ने आज्ञा दी थी’ उनका उद्गम उससे नहीं हुआ था; उसने दूसरों को परमेश्वर की आज्ञाओं, या माँगों का पालन करना सिखाया। (यूहन्ना १४:२३, २४; १५:१०) अतः दूसरों को वे ‘बातें मानना सिखाना जो मसीह ने आज्ञा दी है’ उन्हें परमेश्वर की माँगें सीखने में मदद देना सम्मिलित करता है। सत्हृदयी लोगों को उसके राज्य की प्रजा बनने के लिए परमेश्वर की माँगें पूरी करनी हैं।
३. परमेश्वर का राज्य क्या है, और वह क्या निष्पन्न करेगा जो राज्य सन्देश को ऐसा सुसमाचार बनाता है?
३ परमेश्वर का राज्य क्या है? और वह क्या निष्पन्न करेगा जो राज्य सन्देश को ऐसा सुसमाचार बनाता है? परमेश्वर का राज्य एक स्वर्गीय सरकार है। यह यहोवा के हृदय को अति प्रिय है, क्योंकि यह वह माध्यम है जिसके द्वारा वह अपना नाम पवित्र करेगा, उस पर से हर निन्दा हटाएगा। राज्य वह साधन है जिसे यहोवा प्रयोग करेगा कि उसकी इच्छा पृथ्वी पर भी वैसे ही पूरी हो जैसे स्वर्ग पर होती है। इसी कारण यीशु ने हमें परमेश्वर के राज्य के आने के लिए प्रार्थना करना सिखाया और हमसे आग्रह किया कि उसे अपने जीवन में सबसे आगे रखें। (मत्ती ६:९, १०, ३३) क्या आप देखते हैं कि क्यों यह यहोवा के लिए इतना महत्त्वपूर्ण है कि हम दूसरों को उसके राज्य के बारे में सिखाएँ?
एक चुनौती परन्तु एक भार नहीं
४. यह कैसे सचित्रित किया जा सकता है कि सुसमाचार का प्रचार करने की हमारी बाध्यता एक भार नहीं है?
४ क्या इस सुसमाचार का प्रचार करना एक भार है? बिलकुल भी नहीं! उदाहरण के लिए: एक पिता की यह बाध्यता है कि भौतिक रूप से अपने परिवार का भरण-पोषण करे। ऐसा करने से चूकना मसीही विश्वास को ठुकराने के बराबर है। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “यदि कोई अपनों की और निज करके अपने घराने की चिन्ता न करे, तो वह विश्वास से मुकर गया है, और अविश्वासी से भी बुरा बन गया है।” (१ तीमुथियुस ५:८) लेकिन क्या वह बाध्यता मसीही पुरुष के लिए एक भार है? यदि वह अपने परिवार से प्रेम करता है तो नहीं, क्योंकि ऐसे में वह उनका भरण-पोषण करना चाहता है।
५. हालाँकि प्रचार करने और शिष्य-बनाने का काम एक बाध्यता है, हमें इसमें भाग लेने के लिए क्यों प्रसन्न होना चाहिए?
५ उसी प्रकार, प्रचार करने और शिष्य बनाने का काम एक बाध्यता, एक माँग है, जिस पर हमारा अपना जीवन निर्भर करता है। पौलुस ने इस प्रकार कहा: “यह तो मेरे लिए अवश्य है; और यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय।” (१ कुरिन्थियों ९:१६. यहेजकेल ३३:७-९ से तुलना कीजिए।) लेकिन, प्रचार करने के लिए हमारा अभिप्राय है प्रेम, मात्र कर्तव्य नहीं। सर्वप्रथम हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं, लेकिन हम अपने पड़ोसियों से भी प्रेम करते हैं, और हम जानते हैं कि यह कितना महत्त्वपूर्ण है कि वे सुसमाचार सुनें। (मत्ती २२:३७-३९) यह उन्हें भविष्य की एक आशा देता है। परमेश्वर का राज्य जल्द ही अन्याय मिटाएगा, सारा अत्याचार दूर करेगा, और शान्ति और एकता पुनःस्थापित करेगा—यह सबकुछ उनकी अनन्त आशिष के लिए जो उसके धर्मी शासन के अधीन आते हैं। क्या हम ऐसा सुसमाचार दूसरों के साथ बाँटने में प्रसन्न, हाँ हर्षित नहीं हैं?—भजन ११०:३.
६. प्रचार करने और शिष्य-बनाने का काम एक बड़ी चुनौती क्यों प्रस्तुत करता है?
६ परन्तु, यह प्रचार करने और शिष्य-बनाने का काम एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करता है। लोग भिन्न होते हैं। सभी की रुचियाँ या क्षमताएँ समान नहीं होतीं। कुछ लोग सुशिक्षित हैं, जबकि दूसरों के पास बहुत कम शिक्षा है। पठन—जो कभी एक मनपसन्द मनबहलाव होता था—अब अकसर एक भारी काम समझा जाता है। अवसाक्षरता (Aliteracy), जिसकी परिभाषा इस प्रकार की गयी है, “पढ़ने में समर्थ होना परन्तु ऐसा करने में रुचि न रखने का गुण या अवस्था,” उन देशों में भी एक बढ़ती समस्या है जो उच्च साक्षरता दर की डींग मारते हैं। तो फिर, हम इतनी अलग-अलग पृष्ठभूमियों और रुचि के लोगों को यह सीखने में कैसे मदद दे सकते हैं कि परमेश्वर क्या माँग करता है?—१ कुरिन्थियों ९:२०-२३ से तुलना कीजिए।
दूसरों की मदद करने के लिए अच्छी तरह सज्जित
७. “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने हमें कैसे सुसज्जित किया है कि परमेश्वर की माँगें सीखने में दूसरों की मदद कर सकें?
७ यदि आपके पास सही औज़ार या उपकरण हों तो एक चुनौतीपूर्ण कार्य को करना आसान हो जाता है। एक औज़ार जो आज अमुक काम के लिए सही है, हो सकता है बदलती ज़रूरतों के कारण कल उसमें कुछ फेर-बदल करनी पड़े या उसे पूरी तरह बदलना पड़े। परमेश्वर के राज्य के बारे में सन्देश सुनाने के हमारे आदेश के बारे में भी ऐसा ही है। सालों के दौरान, “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने एकदम सही औज़ार दिए हैं, ऐसे प्रकाशन जो ख़ासकर गृह बाइबल अध्ययन संचालित करते समय प्रयोग करने के लिए बनाए गए हैं। (मत्ती २४:४५) इस प्रकार हम “हर एक जाति, और कुल, और . . . भाषा” के लोगों को परमेश्वर की माँगें सीखने में मदद देने के लिए सुसज्जित रहे हैं। (प्रकाशितवाक्य ७:९) विश्व क्षेत्र में बदलती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, समय-समय पर नए औज़ार दिए गए हैं। आइए कुछ उदाहरणों पर विचार करें।
८. (क) बाइबल शिक्षा को आगे बढ़ाने में पुस्तक “परमेश्वर सच्चा ठहरे” की क्या भूमिका थी? (ख) बाइबल अध्ययन कार्य के लिए १९६८ में कौन-सा साधन प्रदान किया गया था, और वह कैसे विशेष रूप से रचा गया था? (ग) शिष्य-बनाने के काम में सत्य पुस्तक ने कैसे सहायता दी?
८ वर्ष १९४६ से १९६८ तक, पुस्तक “परमेश्वर सच्चा ठहरे” (अंग्रेज़ी) को बाइबल शिक्षा के लिए एक प्रभावशाली साधन के रूप में प्रयोग किया गया, और ५४ भाषाओं में १,९२,५०,००० प्रतियाँ प्रकाशित की गयीं। वर्ष १९६८ में रिलीज़ की गयी, पुस्तक सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है को अनेक सालों तक दिलचस्पी दिखानेवालों के साथ बाइबल का अध्ययन करने के लिए प्रभावकारी रूप से प्रयोग किया गया। पहले, यह काफ़ी आम बात थी कि कुछ लोग बिना बपतिस्मा लिए सालों-साल यहोवा के साक्षियों के साथ अध्ययन करें। लेकिन यह साधन विद्यार्थी को शामिल करने के लिए बनाया गया था, यह उसे प्रोत्साहन देने के लिए था कि जो वह सीख रहा है उसे लागू करे। परिणाम? पुस्तक यहोवा के साक्षी—परमेश्वर के राज्य के उद्घोषक (अंग्रेज़ी) कहती है: “सितम्बर १, १९६८ से आरंभ होकर अगस्त ३१, १९७१ में समाप्त, तीन सेवा वर्षों में कुल ४,३४,९०६ लोगों का बपतिस्मा हुआ—उससे पहले के तीन सेवा वर्षों में बपतिस्मा लेनेवालों की संख्या के दो गुणा से अधिक!” उसके रिलीज़ होने के समय से, सत्य पुस्तक का आश्चर्यजनक वितरण हुआ है—११७ भाषाओं में १०,७०,००,००० से अधिक।
९. सर्वदा जीवित रहना पुस्तक में कौन-सी ख़ास विशेषता है, और इसका राज्य उद्घोषकों के समूह पर क्या प्रभाव हुआ?
९ वर्ष १९८२ में पुस्तक आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं बाइबल अध्ययन संचालित करते समय प्रयोग करने के लिए मुख्य पुस्तक बन गयी। इस औज़ार में १५० से अधिक चित्र हैं, और सभी के साथ अर्थपूर्ण चित्र-शीर्षक हैं जो संक्षिप्त में चित्रों की मुख्य शिक्षा को विशिष्ट करते हैं। हमारी राज्य सेवकाई के अक्तूबर १९८२ अंक ने कहा: “उन लगभग २० सालों में जब ‘परमेश्वर सच्चा ठहरे’ हमारी मुख्य अध्ययन पुस्तक थी (१९४६ से १९६० मध्य-दशक तक) हमारे समूह में १०,००,००० से अधिक नए राज्य उद्घोषक आए। फिर और १०,००,००० प्रकाशक आए जब १९६८ में रिलीज़ होने के बाद सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है हमारी मुख्य अध्ययन पुस्तक बन गयी। हमारी नयी अध्ययन पुस्तक, आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं का प्रयोग करने से क्या हम राज्य प्रकाशकों के समूह में समान वृद्धि देखेंगे? निश्चित ही, यदि यह यहोवा की इच्छा है!” स्पष्टतया यह यहोवा की इच्छा थी, क्योंकि १९८२ से १९९५ तक, २७,००,००० से अधिक लोग राज्य उद्घोषकों के समूह में आए!
१०. वर्ष १९९५ में कौन-सा नया औज़ार प्रदान किया गया, और इससे बाइबल विद्यार्थियों को काफ़ी तेज़ आध्यात्मिक प्रगति करने में क्यों समर्थ होना चाहिए?
१० “पक्के खेत तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं,” यीशु ने कहा। (मत्ती ९:३७) सचमुच, पक्के खेत बहुत हैं। अभी भी करने को काफ़ी कुछ है। कुछ देशों में लोगों को बाइबल अध्ययन के लिए प्रतीक्षा सूची में नाम देना पड़ता है। सो परमेश्वर के ज्ञान को ज़्यादा जल्दी फैलाने के अभिप्राय से, १९९५ में “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने एक नया औज़ार, १९२-पृष्ठवाली पुस्तक, जिसका शीर्षक था ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है प्रदान की। यह मूल्यवान साधन झूठे धर्म-सिद्धान्तों की रट नहीं लगाता। यह बाइबल सच्चाइयों को एक सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत करता है। यह आशा की जाती है कि यह बाइबल विद्यार्थियों को काफ़ी तेज़ आध्यात्मिक प्रगति करने में समर्थ करेगा। ज्ञान पुस्तक अभी से विश्व क्षेत्र पर प्रभाव डाल रही है। इसकी ४,५५,००,००० प्रतियाँ १२५ भाषाओं में छप चुकी हैं और २१ अन्य भाषाओं में अनुवाद चल रहा है।
११. जो अनपढ़ हैं या जो ठीक से नहीं पढ़ सकते उनको सिखाने में मदद देने के लिए कौन-सा प्रभावकारी औज़ार प्रदान किया गया, और इसने हमारे विश्वव्यापी शिक्षा कार्यक्रम पर एक सशक्त छाप कैसे छोड़ी है?
११ समय-समय पर, ‘विश्वासयोग्य दास’ ने विशिष्ट, या सीमित पाठकगण के लिए औज़ार बनाए हैं। उदाहरण के लिए, उन लोगों के बारे में क्या जिन्हें उनकी सांस्कृतिक या धार्मिक पृष्ठभूमि के कारण ख़ास मदद की ज़रूरत हो सकती है? परमेश्वर की माँगें सीखने में हम उनकी मदद कैसे कर सकते हैं? वर्ष १९८२ में हमें ठीक वही मिला जिसकी हमें ज़रूरत थी—३२-पृष्ठवाला ब्रोशर अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिए! यह ढेरों चित्रवाला प्रकाशन उन लोगों को सिखाने में एक प्रभावकारी औज़ार रहा है जो अनपढ़ हैं या जो ठीक से नहीं पढ़ सकते। इसमें मूल शास्त्रीय शिक्षाओं की एक अति सरल और समझने-में-आसान प्रस्तुति है। इसके रिलीज़ होने के बाद से, पृथ्वी पर जीवन ब्रोशर ने हमारे विश्वव्यापी शिक्षा कार्यक्रम पर एक सशक्त छाप छोड़ी है। इसकी २३९ भाषाओं में १०,५१,००,००० से अधिक प्रतियाँ छापी गयी हैं, जो इसे आज तक वॉच टावर सोसाइटी द्वारा प्रकाशित सबसे व्यापक रूप से अनुवादित प्रकाशन बनाता है!
१२, १३. (क) वर्ष १९९० से, ‘विश्वासयोग्य दास’ ने व्यापक दर्शकगण तक पहुँचने के लिए कौन-सा नया रास्ता दिया है? (ख) हम अपनी क्षेत्र सेवकाई में संस्था के वीडियो कैसे प्रयोग कर सकते हैं? (ग) हमारे शिष्य-बनाने के काम में मदद देने के लिए हाल ही में कौन-सा नया औज़ार प्रदान किया गया है?
१२ मुद्रित प्रकाशनों के साथ-साथ, १९९० से ‘विश्वासयोग्य दास’ ने हमें उपदेश का एक ऐसा साधन प्रदान किया है जो व्यापक दर्शकगण तक पहुँचने का एक नया रास्ता प्रस्तुत करता है—वीडियो कैसॆट। उस साल अक्तूबर में, ५५-मिनट का एक वीडियो यहोवा के साक्षी—नाम के पीछे संगठन रिलीज़ किया गया—वॉच टावर सोसाइटी द्वारा निकाला गया सबसे पहला वीडियो। पैंतीस भाषाओं में उपलब्ध, यह सुन्दर, ज्ञानप्रद प्रस्तुति यहोवा के समर्पित लोगों के विश्वव्यापी संगठन को यीशु की आज्ञा को पूरा करते हुए दिखाती है कि सारी पृथ्वी पर सुसमाचार सुनाया जाए। यह वीडियो ख़ासकर हमारे शिष्य-बनाने के काम में मदद देने के लिए रचा गया है। राज्य प्रकाशकों ने क्षेत्र सेवकाई में तुरन्त इस नए औज़ार का प्रयोग किया। कुछ तो इसे अपने पुस्तक बैग में ले गए, और दिलचस्पी दिखानेवालों को दिखाने के लिए या देखने के लिए देने को हमेशा तैयार थे। इसके रिलीज़ होने के कुछ ही समय बाद, एक सफ़री ओवरसियर ने लिखा: “वीडियो लाखों लोगों के मन और हृदय तक पहुँचने का २१वीं-शताब्दी साधन बन गया है, सो यह हमारी आशा है कि यह वीडियो तो बस पहला है और संस्था इसके बाद भी विश्वव्यापी राज्य कार्य को बढ़ाने के लिए अनेक वीडियो प्रयोग करेगी।” सचमुच, और वीडियो प्रदान किए गए हैं, जिनमें तीन-भाग श्रंखला बाइबल—तथ्य और भविष्यवाणी की पुस्तक और यहोवा के साक्षी नात्ज़ी आक्रमण के विरुद्ध दृढ़ स्थिति लेते हैं सम्मिलित है। यदि संस्था के वीडियो आपकी भाषा में उपलब्ध हैं तो क्या आपने अपनी क्षेत्र सेवकाई में उनका प्रयोग किया है?a
१३ हाल ही में एक नया औज़ार, ब्रोशर परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है? हमारे शिष्य-बनाने के काम में मदद देने के लिए प्रदान किया गया। यह क्यों प्रकाशित किया गया? इसे कैसे प्रयोग किया जा सकता है?
एक नए औज़ार को जाँचना
१४, १५. माँग ब्रोशर किसके लिए रचा गया है, और इसमें क्या है?
१४ नया प्रकाशन परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है? उन लोगों के लिए रचा गया है जो पहले ही परमेश्वर पर विश्वास करते हैं और बाइबल का आदर करते हैं। इस ब्रोशर की तैयारी में ऐसे सफ़री ओवरसियरों ने साथ ही गिलियड-प्रशिक्षित मिशनरियों ने सहायता दी है जिन्हें विकासशील देशों में अनेक सालों का अनुभव है। इसमें एक सम्पूर्ण अध्ययन कोर्स है, जिसमें बाइबल की मूल शिक्षाएँ दी गयी हैं। वाक्य-रचना सदय, सरल और स्पष्ट है। परन्तु, पाठ को अति-सरल नहीं किया गया है। इसमें एक ऐसे ढंग से परमेश्वर के वचन से केवल “दूध” नहीं परन्तु “ठोस भोजन” भी दिया गया है जिसे अधिकतर लोगों को समझने में समर्थ होना चाहिए।—इब्रानियों ५:१२-१४, NHT.
१५ हाल के सालों में विभिन्न देशों में राज्य प्रकाशकों ने ठीक ऐसा ही एक प्रकाशन माँगा था। उदाहरण के लिए, पपुआ न्यू गिनी में वॉच टावर सोसाइटी की शाखा ने लिखा: “लोग परस्पर-विरोधी धार्मिक शिक्षाओं से उलझन में पड़ गए हैं। उन्हें सत्य के संक्षिप्त कथनों की ज़रूरत है, जिनके समर्थन में कई बाइबल पाठ हों जिन्हें वे अपनी बाइबल में देख सकते हैं। उन्हें एक स्पष्ट और विशिष्ट प्रस्तुति की ज़रूरत है कि परमेश्वर सच्चे मसीहियों से क्या माँग करता है और कौन-से रिवाज़ और अभ्यास उसे अस्वीकार्य हैं।” माँग ब्रोशर ठीक वही है जिसकी हमें ऐसे व्यक्तियों को परमेश्वर की माँगें सीखने में मदद देने के लिए ज़रूरत है।
१६. (क) इस नए ब्रोशर की सरल व्याख्याओं से ख़ासकर कौन लाभ उठा सकते हैं? (ख) आपके क्षेत्र के लोग माँग ब्रोशर से कैसे लाभ उठा सकते हैं?
१६ आप इस नए साधन को कैसे प्रयोग कर सकते हैं? पहले, इसे उन लोगों के साथ अध्ययन करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है जिन्हें पढ़ने में कठिनाई होती है या जो शायद पढ़ने के लिए प्रवृत्त न हों।b ऐसे व्यक्ति ब्रोशर की सरल व्याख्याओं से लाभ उठा सकते हैं। इस प्रकाशन की एक अग्रिम प्रति की समीक्षा करने के बाद, वॉच टावर शाखाओं ने यह लिखा: “यह ब्रोशर देश के अनेक भागों में बहुत उपयोगी होगा जहाँ लोग बहुत पढ़ने के लिए प्रवृत्त नहीं होते।” (ब्रज़िल) “यहाँ काफ़ी आप्रवासी हैं जो अपनी मूल भाषा नहीं पढ़ सकते और जिन्हें फ्रॆंच पढ़ने में अभी भी कुछ कठिनाई होती है। यह ब्रोशर ऐसे व्यक्तियों के साथ अध्ययन करने में एक सहायक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।” (फ्रांस) क्या आप अपने क्षेत्र में कुछ लोगों के बारे में सोच सकते हैं जो माँग ब्रोशर से लाभ उठा सकते हैं?
१७. अनेक देशों में यह नया ब्रोशर किस तरह उपयोगी हो सकता है, और क्यों?
१७ दूसरे, अनेक देशों में यह ब्रोशर परमेश्वर का भय माननेवाले लोगों के साथ बाइबल अध्ययन शुरू करने में उपयोगी हो सकता है, चाहे उनका शिक्षा-स्तर कुछ भी हो। निःसंदेह, पुस्तक ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है से अध्ययन शुरू करने का प्रयास किया जाना चाहिए। लेकिन कुछ मामलों में एक ब्रोशर से अध्ययन शुरू करना शायद ज़्यादा आसान हो। फिर एक उपयुक्त समय, उससे अध्ययन छोड़कर ज्ञान पुस्तक से शुरू किया जाना चाहिए, जो कि हमारी मुख्य और उत्तम अध्ययन सहायक है। माँग ब्रोशर के इस प्रयोग के बारे में, वॉच टावर शाखाओं ने लिखा: “बाइबल अध्ययन शुरू करना कठिन है, और एक अध्ययन शुरू करने की संभावना तब अधिक दिखती है जब प्रकाशक एक ब्रोशर के साथ शुरू करते हैं।” (जर्मनी) “इस क़िस्म का ब्रोशर नए बाइबल अध्ययन शुरू करने में अति प्रभावकारी होगा, जिन्हें फिर ज्ञान पुस्तक के साथ जारी रखा जा सकता है।” (इटली) “हालाँकि जापानी बहुत पढ़े-लिखे होते हैं, अधिकतर को बाइबल और उसकी मूल शिक्षाओं का बहुत सीमित ज्ञान होता है। इस ब्रोशर को ज्ञान पुस्तक के लिए एक उत्तम सोपान होना चाहिए।”—जापान।
१८. परमेश्वर की माँगों को पूरा करने के बारे में हमें क्या याद रखना चाहिए?
१८ संसार-भर में संस्था की शाखाओं ने इस ब्रोशर का निवेदन किया, और २२१ भाषाओं में इसका अनुवाद करने की अनुमति दे दी गयी है। ऐसा हो कि यह नया प्रकाशन दूसरों को यह सीखने में सहायता देने के लिए कि यहोवा परमेश्वर उनसे क्या माँग करता है, हमारी मदद करने में मूल्यवान साबित हो। अपनी ओर से, आइए यह याद रखें कि परमेश्वर की माँगों को पूरा करना, जिसमें प्रचार करने और शिष्य बनाने की आज्ञा सम्मिलित है, हमें यहोवा को यह दिखाने का अनमोल अवसर देता है कि हम उससे कितना प्रेम करते हैं। जी हाँ, परमेश्वर हमसे जो माँग करता है वह कोई भार नहीं। यह जीने का सर्वोत्तम ढंग है!—भजन १९:७-११.
[फुटनोट]
a पुस्तक यहोवा के साक्षी—परमेश्वर के राज्य के उद्घोषक कहती है: “वीडियो कैसॆट किसी हालत मुद्रित प्रकाशनों या व्यक्तिगत साक्षी का स्थान नहीं ले रहे। संस्था के प्रकाशन सुसमाचार को फैलाने में अभी भी एक अत्यावश्यक भूमिका निभा रहे हैं। यहोवा के साक्षियों का घर-घर का कार्य उनकी सेवकाई का पूरी तरह से शास्त्र पर आधारित पहलू है। लेकिन, यहोवा की अनमोल प्रतिज्ञाओं में विश्वास बढ़ाने के लिए और जो वह हमारे दिनों में पृथ्वी पर करवा रहा है उसके लिए मूल्यांकन प्रेरित करने के लिए अब वीडियो कैसॆट उपयोगी औज़ारों के रूप में इनको सहयोग देते हैं।”
b इसकी व्याख्या के लिए कि माँग ब्रोशर से कैसे एक अध्ययन संचालित करें, पृष्ठ १६-१७ पर “लोगों को परमेश्वर की माँगें सीखने में मदद देने के लिए एक नया औज़ार” लेख देखिए।
क्या आप समझा सकते हैं?
◻ किस दोहरे काम में यहोवा अपने सेवकों से भाग लेने की माँग करता है?
◻ प्रचार करने और शिष्य बनाने की हमारी बाध्यता हमारे लिए एक भार क्यों नहीं है?
◻ “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने हमारे प्रचार और शिष्य-बनाने के काम में प्रयोग के लिए कौन-से औज़ार प्रदान किए हैं?
◻ माँग ब्रोशर किसके लिए रचा गया है, और हम इसे अपनी सेवकाई में कैसे प्रयोग कर सकते हैं?
[पेज 24 पर तसवीर]
हमारा प्रचार करने और शिष्य-बनाने का काम कोई भार नहीं है
[पेज 26 पर तसवीरें]
“परमेश्वर सच्चा ठहरे” (१९४६, संशोधित १९५२): ५४ भाषाओं में १,९२,५०,००० (अंग्रेज़ी चित्रित)
“सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है” (१९६८): ११७ भाषाओं में १०,७०,००,००० (फ्रांसीसी चित्रित)
“आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं” (१९८२): १३० भाषाओं में ८,०९,००,००० (रूसी चित्रित)
“ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है” (१९९५): १२५ भाषाओं में ४,५५,००,००० (जर्मन चित्रित)