“यहोवा” या “याह्वे”?
“बेमेल,” “अशुद्ध,” “बनावटी।” किस कारण से बाइबल के इब्रानी विद्वानों ने ऐसे कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया? विवाद इस बात पर था कि क्या “यहोवा” ही परमेश्वर के नाम का सही उच्चारण है? सौ साल से भी ज़्यादा समय से यह विवाद चलता आ रहा है। आज कई विद्वान दो अक्षरवाले शब्द “याह्वे” को ज़्यादा पसंद करते हैं। लेकिन क्या “यहोवा” शब्द का उच्चारण वाकई “बनावटी” है?
विवाद की जड़
बाइबल के अनुसार खुद परमेश्वर ने ही अपना नाम मनुष्यों को बताया। (निर्गमन ३:१५) बाइबल से साबित होता है कि परमेश्वर के प्राचीन सेवक उसके नाम का बहुत इस्तेमाल करते थे। (उत्पत्ति १२:८; रूत २:४) गैर-यहूदी भी यहोवा नाम से वाकिफ थे। (यहोशू २:९) और ऐसा खासकर तब हुआ जब बाबुल से छूटने के बाद यहूदियों का संपर्क अन्यजातियों से होने लगा। (भजन ९६:२-१०; यशायाह १२:४; मलाकी १:११) द इंटरप्रिटर्स डिक्शनरी ऑफ द बाइबल कहती है: “इसके बहुत-से प्रमाण हैं कि यहूदियों के बाबुल से लौटने के बाद कई विदेशी उनके धर्म की ओर आकर्षित हुए।” लेकिन सा.यु. पहली सदी तक परमेश्वर के नाम के बारे में एक अंधविश्वास पैदा हो गया था। कुछ समय के बाद यहूदी राष्ट्र ने खुलेआम परमेश्वर का नाम लेना छोड़ दिया, और तो और कुछ लोगों ने इस नाम को इस्तेमाल करने से बिलकुल ही मना कर दिया। इसलिए इस नाम का सही उच्चारण आज किसी को नहीं मालूम। लेकिन क्या वाकई यह सच है?
नाम में क्या रखा है?
इब्रानी भाषा में परमेश्वर का नाम, יהוה इन अक्षरों में लिखा जाता है। आमतौर पर ये चार अक्षर चतुर्वर्णी कहे जाते हैं, जिन्हें दाएँ से बाएँ पढ़ा जाता है। बाइबल में दिए गए कई लोगों और जगहों के नामों में इस ईश्वरीय नाम का छोटा रूप मिलता है। क्या यह हो सकता है कि इन्हीं नामों से हमें कुछ ऐसे सुराग मिलें जिनसे यह पता लगाया जा सके कि परमेश्वर के नाम का सही उच्चारण कैसे किया जाता था?
हाँ यह संभव है, ऐसा अमरीका के वॉशिंगटन डी.सी. में वेज़ली थियोलॉजीकल सेमिनरी के रिटायर हो चुके प्रोफेसर जॉर्ज ब्युकैनन कहते हैं। प्रोफेसर ब्युकैनन यूँ समझाते हैं: “पुराने ज़माने में माँ-बाप अकसर अपने बच्चों का नाम अपने देवी-देवताओं के नाम पर रखते थे। इसका अर्थ है कि वे अपने बच्चों के नाम का उच्चारण उसी तरह करते थे जैसे वे अपने देवी-देवताओं के नाम का उच्चार करते थे। ये चार अक्षर लोगों के नाम में शामिल थे और वे हमेशा बीच का स्वर [ओ या ऊ] प्रयोग करते थे।”
आइए बाइबल में से कुछ ऐसे नामों पर चर्चा करें जिनमें परमेश्वर के नाम का छोटा रूप शामिल है। प्रोफेसर ब्युकैनन कहते हैं कि योनातन जो इब्रानी बाइबल में योह-ना-थन या यहोह-ना-थन है, उसका अर्थ है, “याहो या याहोवा ने दिया है।” इब्रानी में भविष्यवक्ता एलिय्याह का नाम है, ए-ली-याह या ए-ली-या-हू। प्रोफेसर ब्युकैनन के अनुसार इस नाम का अर्थ है: “याहू या याहू-वा मेरा परमेश्वर है।” उसी तरह यहोशापात का इब्रानी नाम है, यहो-शा-पात, जिसका अर्थ है “याहो ने न्याय किया है।”
अगर हम चतुर्वर्णी का उच्चारण इस दो अक्षरवाले शब्द “याह्वे” में करते हैं तो परमेश्वर के नाम के इस रूप में स्वर ओ का इस्तेमाल नहीं होता। मगर बाइबल में ऐसे दर्जनों नाम हैं, जिनमें परमेश्वर का नाम पूरे या छोटे रूप में आता है और इन सभी नामों में बीच का स्वर ओ ज़रूर आता है, जैसा कि यहोनातन और योनातन। इसलिए प्रोफेसर ब्युकैनन परमेश्वर के नाम के बारे में कहते हैं: “कभी-भी इस नाम से स्वर ऊ या ओह को निकाला नहीं गया। कभी-कभी इसका छोटा रूप ‘या’ इस्तेमाल किया जाता था लेकिन ‘या-वे’ तो कभी नहीं . . .। जब कभी इब्रानी चतुर्वर्णी का एक अक्षर में उच्चार होता, तो वह था ‘याह’ या ‘यो।’ जब उसका तीन अक्षरों में उच्चारण होता था, तो वह ‘याहोवा’ या ‘याहूवा’ होता होगा। अगर कभी इस नाम को छोटा करके दो अक्षरों में उच्चारित करते तो वह होता ‘यहो।’”—बिब्लिकल आर्कियॉलजी रिव्यू।
ये टिप्पणियाँ हमें १९वीं सदी के इब्रानी विद्वान गेज़ेनीउस की बात समझने में मदद करती हैं, जो उसने हिब्रू एन्ड केल्डी लेक्ज़ीकन टू दि ओल्ड टेस्टामैन्ट स्क्रिपचर्स में लिखी थी: “जो समझते हैं कि יְהוָֹה [य-हो-वा] ही [परमेश्वर के नाम का] सही उच्चारण है, उनका तर्क बेबुनियाद नहीं है। क्योंकि इस उच्चारण से, ज़्यादा अच्छी तरह समझ में आता है कि क्यों कई नाम, परमेश्वर के नाम के छोटे रूप יְהוֹ [य-हो] और יוֹ [यो] से शुरू होते हैं।”
फिर भी मूसा की पाँच किताबें (अंग्रेज़ी) के हाल के अपने अनुवाद में एवरैट फॉक्स कहते हैं: “[परमेश्वर के] इब्रानी नाम का ‘सही’ उच्चारण जानने के लिए न तो पहले की और न ही आज की कोशिशें सफल हुई हैं। और न तो अकसर सुनाई देनेवाले शब्द ‘यहोवा’ को, ना ही विद्वानों द्वारा स्थापित नाम ‘याह्वे’ को सुनिश्चित रूप से सही साबित किया जा सकता है।”
इसमें कोई शक नहीं कि विद्वानों का वाद-विवाद चलता रहेगा। मसोरा लेखकों द्वारा स्वरों को लिखने का तरीका ईजाद करने से पहले ही यहूदियों ने परमेश्वर का नाम उच्चारित करना छोड़ दिया था। इसलिए ऐसा कोई निश्चित तरीका नहीं जिससे जाना जा सके कि व्यंजन यहवह (יהוה) के बीच में कौन-से स्वर आते हैं। लेकिन बाइबल की हस्तियों के नामों से, जिनका आज भी सही उच्चारण किया जाता है, हमें पक्का सुराग मिलता है कि प्राचीन समयों में परमेश्वर के नाम का उच्चारण कैसे होता था। और इसी बिनाह पर कम-से-कम कुछ विद्वान मानते हैं कि उच्चारण “यहोवा” आखिरकार “बनावटी” तो नहीं है।
[पेज 31 पर तसवीर]
“यहोवा” ही परमेश्वर के नाम का सबसे मशहूर उच्चारण रहा है