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  • जब आपको कोई बड़ी बीमारी हो जाए
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2019
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जब आपको कोई बड़ी बीमारी हो जाए

71 साल की लिंडा कहती हैं, “जब मुझे डॉक्टर ने बताया कि मुझे फेफड़ों और पेट का कैंसर है, तो मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गयी। अब मुझे सिर्फ और सिर्फ अपनी मौत नज़र आ रही थी। लेकिन जब मैं घर लौटी, तो मैंने खुद को समझाया कि जब यह मेरे साथ होना ही है, तो मैं किसी तरह इसे सह लूँगी।”

49 साल की ऐलिस कहती हैं, “मुझे एक दर्दनाक बीमारी है, जिस वजह से मेरे चेहरे की बायीं तरफ की नसों में बहुत दर्द रहता है। दर्द के कारण कभी-कभी मैं बहुत मायूस हो जाती हूँ। कई बार मैं सोचती थी कि किसी को मेरी परवाह नहीं। मैंने यह तक सोचा कि खुदकुशी कर लूँ।”

एक बीमार आदमी व्हील-चेयर पर है और उसके आस-पास उसके परिवार के लोग खड़े हैं

अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को जानलेवा बीमारी है, तो आप समझ सकते हैं कि इससे जीवन कितना तनाव-भरा हो जाता है। बीमारी के साथ-साथ आपको और भी कई बातों का सामना करना होता है। डॉक्टर से बार-बार मिलने की भाग-दौड़, सही इलाज ढूँढ़ने की चिंता, इलाज का खर्च, शरीर पर दवाइयों का बुरा असर, इन सबकी वजह से आपका तनाव और भी बढ़ जाता है। एक गंभीर बीमारी से लड़ते समय जिस मानसिक पीड़ा से गुज़रना पड़ता है, वह कई बार सही नहीं जाती।

ऐसे मुश्‍किल हालात का सामना हम कैसे कर सकते हैं? कई लोगों ने पाया है कि ईश्‍वर से प्रार्थना करने और पवित्र शास्त्र की बातें पढ़ने से बहुत दिलासा मिलता है। परिवार के लोगों और दोस्तों का प्यार और सहारा भी बहुत हिम्मत देता है।

कुछ लोग कैसे उबर पाए

58 साल के रॉबर्ट का कहना है, “यहोवा परमेश्‍वर पर भरोसा रखिए। वह आपको बीमारी से लड़ने की ताकत देगा। उससे प्रार्थना कीजिए। उसे बताइए कि आपको कैसा महसूस हो रहा है। उससे बिनती कीजिए कि वह आपको सहने की ताकत दे ताकि आप बीमारी के बावजूद खुश रहें, आपके परिवार के लोगों की हिम्मत बँधी रहे और आप शांत मन से अपनी तकलीफ सह सकें।”

रॉबर्ट का यह भी कहना है, “परिवार का साथ होने से बहुत हिम्मत मिलती है। हर दिन मुझे कोई-न-कोई फोन करके पूछता है, ‘आज तबियत कैसी है तुम्हारी?’ यहाँ तक कि मेरे दोस्त जो बहुत दूर रहते हैं, वे भी मेरी हिम्मत बँधाते हैं। उन्होंने मुझे बहुत सहारा दिया है ताकि मैं हिम्मत न हारूँ।”

अगर आप किसी बीमार दोस्त से मिलने जा रहे हैं, तो लिंडा की यह बात याद रखिए: “एक बीमार इंसान भी जहाँ तक हो सके औरों की तरह ही ज़िंदगी जीना चाहता है और वह शायद हमेशा अपनी बीमारी के बारे में बात न करना चाहे। इसलिए आप उससे हमेशा बीमारी के बारे में बात मत कीजिए बल्कि दूसरी बातें कीजिए।”

अगर हम परमेश्‍वर से मदद लें, शास्त्र की बातों से दिलासा पाएँ और परिवार और दोस्तों का सहारा लें, तो गंभीर बीमारी के बावजूद हमें भरोसा होगा कि हमारी ज़िंदगी बहुत मायने रखती है।

शास्त्र की अनमोल बातें जो आपके काम आएँ

परमेश्‍वर का सहारा लीजिए।

“मैंने यहोवा से सलाह माँगी और उसने मुझे जवाब दिया। उसने मेरा सारा डर दूर कर दिया। इस दुखी इंसान ने यहोवा को पुकारा और उसने सुना।”​—भजन 34:4, 6.

लिंडा, जिसका ज़िक्र पहले किया गया था, कहती हैं, “मैं कभी यह प्रार्थना नहीं करती कि हे परमेश्‍वर, मेरी बीमारी ठीक कर दे, बल्कि यह दुआ करती हूँ, मुझे हिम्मत दे ताकि मैं अपनी बीमारी सह पाऊँ।”

पवित्र शास्त्र से हिम्मत पाइए।

‘देश का कोई निवासी न कहेगा, मैं बीमार हूँ।’​—यशायाह 33:24.

परमेश्‍वर ने भविष्य में जो करने का वादा किया है, उस पर गहराई से सोचने से आपको अंदरूनी ताकत मिलेगी और आप बीमारी का सामना कर पाएँगे।

परिवार और दोस्तों का सहारा लीजिए।

“सच्चा दोस्त हर समय प्यार करता है और मुसीबत की घड़ी में भाई बन जाता है।”​—नीतिवचन 17:17.

ऐलिस, जिसका ज़िक्र पहले किया गया था, कहती हैं, “दूसरों से कटे-कटे मत रहिए। जब आपके दोस्त आपकी मदद करना चाहते हैं, तो उन्हें मना मत कीजिए। कभी-कभी आप शायद सोचें कि कोई आपकी परवाह नहीं करता, यहाँ तक कि परमेश्‍वर भी आपकी नहीं सुन रहा है, फिर भी अकेले-अकेले मत रहिए।”

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