परमेश्वर का वचन—मनुष्यों का नहीं
“इसलिये हम भी परमेश्वर का धन्यवाद निरन्तर करते हैं, क्योंकि आपने परमेश्वर के वचन को पाया, जो आपने हम से सुना, आपने उसे ग्रहण किया, मनुष्यों का वचन के नाते नहीं, परन्तु जैसे वह सचमुच हैं, परमेश्वर के वच के नाते . . . ” (१ थिस्स. २:१३) प्रेरित पौलुस के उत्साही प्रचार के लिए कितनी ही परितोषिक प्रतिक्रिया!
२ इस बात में कोई सन्देह नहीं, पौलुस परमेश्वर के वचन के साथ अच्छी तरह से परिचित थे। नई पुस्तक, द बाइबल—गॉड्स वर्ड ऑर मेन्स? परमेश्वर के अपने वचन होने के नाते बाइबल में विश्वास स्थापित करने और बढ़ाने के लिए यथायोग्य हैं। और पौलुस की उत्साह का अनुकरण करने से हम खोजनेवालों को अपने में इस वचन को कार्यवन्त कराने के लिए सहायता दे सकते हैं।
३ शायद इन पहलुओं में से कुछेक को आप अपने प्रस्तुतिकरण में शामिल कर सकते हैं: “एन ऑल टाइम बेस्ट सेलर”, पृष्ठ ७; “द बाइबलस वेल-इस्टेबलिश्ड टेक्स्ट”, पृष्ठ १९; “वॉट आरकेऑलॉगी केन एन्ड केनोट ढू”, पृष्ठ ५०; “मॉडर्न क्रीटिसिसम फाउन्ड वॉन्टिग”, पृष्ठ ५६; “वाइ नो मिरेक्लस टूडे?”, पृष्ठ ८५। उसे बराबर समाप्त करने के लिए खास करके अन्तिम अध्याय, “द बाइबल एन्ड यू” में व्यावहारिक प्रयोग के लिए पहलुओं मिलते हैं।
४ संस्था के अनेक प्रकाशनों के द्वारा उपलब्ध काफी मात्रा में समयोचित आत्मिक भोजन के लिए हम कितने कृतज्ञ हैं। जुलाई के दौरान इस आत्मिक रत्न को प्रस्तुत करने के द्वारा हम निश्चय करेंगे कि हम इस कृतज्ञता को दिखाएं।