मण्डली की पुस्तक अध्ययन व्यवस्था
भाग ४: एक दूसरे की उन्नति करते रहो
मण्डली के पुस्तक अध्ययन समूह का हर सदस्य समूह के अन्य लोगों के आध्यात्मिक विकास में एक अर्थपूर्ण हिस्सा ले सकता है। हम सब ‘दूसरों को प्रेम और भले कामों में उस्काने’ के धर्मशास्त्रीय आदेश का पालन करना चाहते हैं, ‘ख़ास तौर से ज्यों ज्यों हम उस दिन को निकट आते देखते हैं।’—इब्रा. १०:२४, २५.
२ एक दूसरे की सहायता करना: हर कोई पुस्तक अध्ययन में एक स्नेही, मैत्रीपूर्ण वातावरण पैदा करने में सहायता कर सकता है। जब हम में से प्रत्येक व्यक्ति दूसरों में एक वैयक्तिक दिलचस्पी दिखाता है, तो यह समूह की घनिष्ठता में सहायक होता है। गलतियों ६:१० में हमें आदेश दिया जाता है कि “जहाँ तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ।” मिसाल के तौर, जब पुस्तक अध्ययन से कोई व्यक्ति बीमार है और सभाओं में नहीं आया है, तब क्या आप ग़ौर करते हैं? शायद आप उसे टेलिफोन से संपर्क रख सकते हैं या खुद जाकर उसे से मिल आ सकते हैं। पुस्तक अध्ययन समूह में ऐसी मनोवृत्ति से भाई और भी ज़्यादा नज़दीक़ आ जाते हैं।
३ क्या कुछ लोगों को रोज़मर्रा दबावों, पारिवारिक ज़िम्मेदारियों, या अन्य समस्याओं के कारण प्रोत्साहन की ज़रूरत है? आप मदद करने के लिए क्या कर सकते हैं? सभाओं में दूसरों को न सिर्फ़ स्वागत करने, किन्तु उन से बातचीत करने की एक ख़ास कोशिश कीजिए। कुछेक शायद शर्मीले क़िस्म के होंगे लेकिन वे ऐसे लोगों को ढूँढ़ रहे हैं जिनसे वे बात कर सकें, और अगर ऐसों से बात की जाए तो वे जवाब देंगे। (uw पृष्ठ १३७-८) प्रेरित पौलुस ने मसीहियों को ‘उदास लोगों को ढाढ़स देने, निर्बलों को सँभालने, और सब की ओर सहनशीलता दिखाने’ के लिए प्रोत्साहित किया। (१ थिस्स. ५:१४, न्यू.व.) अगर कोई बीमार हो या निरुत्साह हो गया हो, तो यह कितना सान्त्वनादायक है जब दोस्त आकर मुलाक़ात करते हैं या सहायता देने का प्रस्ताव रखते हैं! अक्सर, यही जानना ज़रूरी है कि कोई और परवाह करता है।
४ हमें क्षेत्र सेवा के प्रबन्धों से भी सहयोग करना चाहिए। हमें समूह के अलग-अलग लोगों के साथ कार्य करने की कोशिश करनी चाहिए। (२ कुरि. ६:११-१३; १२:१५) कभी-कभी शायद हमें पुस्तक अध्ययन संचालक किसी दूसरे की सहायता करने के लिए कहेंगे। हम किस तरह प्रतिक्रिया दिखाते हैं? पुस्तक अध्ययन समूह की शक्ति अत्याधिक रूप से बढ़ा दी जाती है जब प्रचारक और पायनियर प्रचार और शिष्य बनाने के कार्य के विभिन्न पहलुओं में एक दूसरे के साथ काम करते हैं।
५ निजी मिसाल: और भी अन्य तरीक़े हैं जिनके द्वारा आप पुस्तक अध्ययन व्यवस्था में सहायक हो सकते हैं। आपका अच्छा आदर्श महत्त्वपूर्ण है। मिसाल के तौर पर, जब आपका पहनावा इस रीति से है, जैसे आप किंग्डम हॉल में किसी सभा में उपस्थित हो रहे हों, तो आप आदर दिखाते हैं। आप उन लोगों के लिए एक सकारात्मक मिसाल पेश करते हैं जिन्होंने शायद लापरवाही से कपड़े पहनने की आदत डाली होगी। क्या आप ने समय पर आने की आदत डाली है, ताकि सभा में खलल नहीं डालें?
६ मण्डली की पुस्तक अध्ययन व्यवस्था यहोवा की ओर से एक प्रेमपूर्ण प्रबन्ध है, जिसका पूरा समर्थन किया जाना चाहिए। (यशा. ४०:११) यह एक ऐसी जगह है जहाँ हमें वैयक्तिक सहायता मिल सकती है और जहाँ हम दूसरों की आध्यात्मिक ताज़गी में भी सहायक हो सकते हैं। आइए हम सब इस व्यवस्था का पूरा समर्थन करने के ज़रिए “एक दूसरे को शान्ति दें, और एक दूसरे की उन्नति का कारण बनें।”—१ थिस्स. ५:११.