क्या आप बाहरी रूप को ही देखते हैं?
प्रचार करते वक्त कभी-कभी हमें ऐसे लोग मिल जाते हैं जिनसे हम बात करने से कतराते हैं। मान लीजिए कि आप सच्चाई में दिलचस्पी दिखानेवाले किसी व्यक्ति के पास जाते हैं और जब भी आप वहाँ जाते हैं तो पड़ोस में रहनेवाला एक खूँख्वार-सा व्यक्ति आपको घूरता है, ऐसे में आप क्या करेंगे। हमारी एक पायनियर बहन के साथ ठीक ऐसा ही हुआ। और उसने उस व्यक्ति से बात करने का फैसला किया। उस व्यक्ति ने बड़ी रुखाई से बात की। फिर भी, अचरज की बात तो यह है कि उसने बाइबल का संदेश सुना और उसमें ऐसी उत्सुकता जागी कि वह स्टडी के लिए भी राज़ी हो गया। तो देखिए, क्योंकि बहन ने सिर्फ बाहरी रूप देखकर फैसला नहीं किया था इसलिए उस व्यक्ति को और उसकी पत्नी को सच्चाई सीखने का मौका मिला।
२ एक बहन किसी स्टोर में काम करती थी और वहाँ लंबे बालवाला एक जवान आया करता था। शुरू-शुरू में बहन उसे देखकर घबराती थी। फिर भी, जब कभी वह जवान स्टोर में आता, बहन उससे सच्चाई के बारे में थोड़ी बात ज़रूर करती। और बहन की इस कोशिश का नतीजा अच्छा निकला क्योंकि आज वह जवान एक बपतिस्मा-प्राप्त साक्षी है। तो फिर कौन-सी बात हमें जल्दबाज़ी में इस फैसले पर पहुँचने से रोकेगी कि ऐसे लोग तो सुनेंगे ही नहीं?
३ यीशु का अनुकरण करना: यीशु जानता था कि वह हरेक के लिए अपना प्राण देनेवाला है। इसलिए वह लोगों का बाहरी रूप देखकर कभी पीछे नहीं हटा। उसने यह जान लिया था कि बुरे लोग भी कभी-कभी बदलने के लिए तैयार हो जाते हैं, बशर्ते उनकी ठीक से मदद की जाए और अच्छा बनने के लिए उनमें जोश बढ़ाया जाए। (मत्ती ९:९-१३) अमीर हो या गरीब, उसने किसी की भी मदद करते वक्त कोई भेदभाव नहीं किया। (मत्ती ११:५; मर. १०:१७-२२) इसलिए हमें भी अपनी सेवकाई में लोगों का बाहरी रूप देखकर कोई राय नहीं बनानी चाहिए, नहीं तो हम उनके अंदर के साफ दिल को नहीं देख पाएँगे। (मत्ती ७:१; यूह. ७:२४) यीशु के इस बेहतरीन उदाहरण का अनुकरण करने के लिए कौन-सी बात हमारी मदद कर सकती है?
४ बाइबल का अध्ययन करके हमने जान लिया है कि परमेश्वर के वचन में ऐसी शक्ति है जो लोगों के सोच-विचार, उनके चाल-चलन और उनके पूरे व्यक्तित्व को बदल सकती है। (इफि. ४:२२-२४; इब्रा. ४:१२) इसीलिए, सावधानी तो बरतनी चाहिए, मगर ज़रूरी यह है कि हम एक सही नज़रिया रखकर लोगों को गवाही दें और बाकी का काम यहोवा पर छोड़ दें क्योंकि सिर्फ वही इंसान के दिल को पढ़ सकता है।—१ शमू. १६:७; प्रेरि. १०:३४, ३५.
५ लोगों का बाहरी रूप चाहे जैसा भी हो, हम बिना भेदभाव किये सब प्रकार के मनुष्यों को सुसमाचार सुनाएँगे ताकि इन अंतिम दिनों में हम ज़्यादा-से-ज़्यादा कटनी कर सकें।—१ तीमु. २:३, ४.