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km 7/01 पेज 3

अधिवेशन—आनंद का समय!

यहोवा के साक्षियों के अधिवेशन आनंद मनाने का मौका होता है। सैकड़ों सालों से इस तरह इकट्ठा होने से हमारे संगठन में काफी बढ़ोतरी हुई है। हमने देखा कि शुरू में किस तरह हमारा काम एक छोटे पैमाने पर था, मगर यहोवा ने बढ़िया आशीषें देकर इस काम को संसार-भर में फैला दिया है। हमारा पहला अधिवेशन सन्‌ 1893 में इलीनॉइज़ के शिकागो शहर में हुआ था। उसमें उपस्थित 360 में से 70 लोगों ने यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने की निशानी के तौर पर बपतिस्मा लिया। पिछले साल पूरी दुनिया में हुए “परमेश्‍वर के वचन पर चलनेवाले” ज़िला अधिवेशनों में कुल मिलाकर 94,54,055 जन इकट्ठे हुए और उनमें से 1,29,367 लोगों ने बपतिस्मा लिया। यह सचमुच कितने आनंद की बात है!

2 बाइबल के ज़माने से ही परमेश्‍वर के लोगों का एक-साथ इकट्ठा होना एक ऐसा अनोखा इंतज़ाम रहा है जिसके ज़रिए यहोवा अपने सेवकों को शिक्षा देता है। एज्रा और नहेमायाह के ज़माने में, जब एक मौके पर “भोर से दो पहर तक” तक व्यवस्था पढ़ी गयी तो लोगों ने उसे सुना। (नहे. 8:2, 3) उस मौके पर व्यवस्था की अच्छी समझ पाने की वजह से लोगों ने “बड़ा आनन्द” मनाया। (नहे. 8:8, 12) आज हम भी आनंद मनाते हैं कि अधिवेशनों में हमें अच्छी शिक्षा और “समय पर” आध्यात्मिक भोजन पाने का बढ़िया मौका मिलता है जिसे यहोवा “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के द्वारा हम तक पहुँचाता है। (मत्ती 24:45) यीशु ने कहा कि मनुष्य “हर एक वचन से जो परमेश्‍वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा,” इसलिए अधिवेशन हमारी आध्यात्मिक सेहत के लिए बेहद ज़रूरी हैं।—मत्ती 4:4.

3 उपस्थित रहने की कोई कोशिश बेकार नहीं जाएगी: हम में से हरेक को इस साल के ज़िला अधिवेशन, “परमेश्‍वर के वचन के सिखानेवाले” में शुरू से आखिर तक हाज़िर रहने का लक्ष्य रखना चाहिए। हम सब को योजना बनानी चाहिए कि हम हर दिन जल्दी पहुँचेंगे और कार्यक्रम के आखिरी प्रार्थना में “आमीन!” बोलने तक हाज़िर रहेंगे। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें अपने शेड्‌यूल में कुछ फेरबदल करने की ज़रूरत पड़ सकती है। अधिवेशन में हाज़िर होने के लिए अपने काम से छुट्टी लेने में कुछ मुश्‍किलें पैदा हो सकती हैं। मगर हमें हाज़िर रहने के अपने फैसले पर अटल रहना चाहिए और कोई भी काम आखिरी पल में करने के लिए नहीं छोड़ देना चाहिए। अगर हमें रहने की जगह या आने-जाने के साधन की ज़रूरत है तो इसके लिए हमें पहले से ही इंतज़ाम कर लेना चाहिए। हम अधिवेशन में हाज़िर होने के लिए जो भी मेहनत करेंगे वह बेकार नहीं जाएगी!

4 यहोवा के लोग अधिवेशनों से मिलनेवाली आशीषों को पैसे से नहीं तौलते। कुछ भाई-बहनों की मिसालों पर गौर कीजिए जिन्होंने सन्‌ 1958 में न्यू यॉर्क शहर में यहोवा के साक्षियों के डिवाइन विल अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हाज़िर होने की ठान ली थी। एक भाई ने अपने निर्माण कारोबार को दो हफ्ते के लिए बंद कर दिया ताकि वह अधिवेशन के काम में हाथ बँटा सके और उसमें हाज़िर हो सके। वर्जिन द्वीपों के एक भाई ने अपनी पाँच एकड़ ज़मीन बेच दी ताकि उसका छः सदस्योंवाला परिवार अधिवेशन में हाज़िर हो सके। एक जवान जोड़े ने तो अपनी मोटर बोट बेच दी ताकि वे अपने तीन बच्चों के साथ, जो दो महीने से सात साल की उम्र तक के थे, उस अधिवेशन में हाज़िर हो सकें। कैलिफॉर्निया के तीन सगे भाइयों से यह कहा गया था कि अगर वे अपने काम पर नहीं आएँगे तो अधिवेशन से लौटने तक नौकरी उनके हाथ से चली जाएगी। लेकिन यह बात उन्हें उस यादगार अधिवेशन में हाज़िर होने से नहीं रोक पायी।

5 सच्चे प्रयासों पर यहोवा आशीष देता है: यहोवा अपने लोगों की कोशिशों को देखता है और इसके लिए उन्हें आशीष भी देता है। (इब्रा. 6:10) उदाहरण के लिए, सन्‌ 1950 में ईश्‍वरशासन की बढ़ोतरी सम्मेलन, में हाज़िर लोगों ने एक महत्त्वपूर्ण भाषण सुना, जिसका शीर्षक था, “नई दुनिया।” भाई फ्रॆडरिक फ्रांज के इस सवाल ने सभी लोगों की दिलचस्पी जगाई: “इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उपस्थित लोगों को क्या यह जानने में खुशी नहीं होगी कि आज की रात हमारे बीच हाज़िर लोगों में से कई जन आनेवाली नई पृथ्वी के हाकिम होंगे?” उस सम्मेलन को 50 से भी ज़्यादा साल गुज़र गए हैं, मगर भजन 45:16 के बारे में दी गई इस स्पष्ट समझ से आज भी हम आनंद मनाते हैं।

6 पिछले साल के ज़िला अधिवेशन के बाद एक परिवार के मुखिया ने कदरदानी ज़ाहिर करते हुए लिखा: “भाइयो, आप नहीं जानते कि यह अधिवेशन हमारे लिए कितनी बड़ी मदद साबित हुआ। मेरा परिवार नौकरी की तलाश में शहर जाकर बस गया मगर नतीजा यह हुआ कि हम आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर होते गए। . . . हमने अपनी मसीही ज़िम्मेदारियों को नज़रअंदाज़ कर दिया था। यहाँ तक कि हमने सभाओं और सेवकाई में जाना भी पूरी तरह बंद कर दिया था। . . . इस अधिवेशन ने मानो हमें फिर से ज़िंदा कर दिया हो। हमने दोबारा आध्यात्मिक लक्ष्य रखे हैं और इन्हें पूरा करने के लिए अपनी ज़िंदगी में तबदीलियाँ ला रहे हैं।”

7 यहोवा हमें वह आध्यात्मिक भोजन दे रहा है जिसकी हमें सख्त ज़रूरत है। वह अधिवेशनों के ज़रिए हमारे सामने ढेर सारा आध्यात्मिक भोजन परोस रहा है। इस इंतज़ाम के लिए हमारे अंदर ऐसी कदरदानी होनी चाहिए कि हम भी कुरनेलियुस की बात दोहराएँ। जब प्रेरित पतरस, कुरनेलियुस से भेंट करने गया, तो उसने कहा: “अब हम सब यहां परमेश्‍वर के साम्हने हैं, ताकि जो कुछ परमेश्‍वर ने तुझ से कहा है उसे सुनें।” (प्रेरि. 10:33) तो आइए हम यह लक्ष्य रखें कि इस साल होनेवाले ज़िला अधिवेशन “परमेश्‍वर के वचन के सिखानेवाले” के हर कार्यक्रम में हम “परमेश्‍वर के साम्हने” इकट्ठे होकर आनंदित हों!

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