सन् 2002 के लिए ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल
ज़्यादातर लोग बोलने की काबिलीयत पर कोई खास ध्यान नहीं देते। लेकिन यह काबिलीयत, इंसान को यहोवा की तरफ से मिला हुआ एक वरदान है। इसकी मदद से हम दूसरों से बात कर सकते हैं और अपने विचार और अपनी भावनाएँ ज़ाहिर कर सकते हैं। इन सबसे बढ़कर, इसकी मदद से हम अपने परमेश्वर का गुणगान कर सकते हैं।—भज. 22:22; 1 कुरि. 1:4-7.
2 ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल में आदमियों, औरतों और बच्चों, सभी को सिखाया जाता है कि यहोवा के नाम का प्रचार कैसे करें। (भज. 148:12, 13) सन् 2002 के स्कूल के कार्यक्रम में बाइबल के अलग-अलग विषयों पर चर्चा की जाएगी, जिससे न सिर्फ हम अपनी निजी ज़िंदगी में फायदा पाएँगे बल्कि इन विषयों को हम प्रचार में भी इस्तेमाल कर सकेंगे। स्कूल के लिए तैयारी करने और इसमें भाग लेने से, हम अपना ज्ञान और परमेश्वर का वचन सिखाने का हुनर बढ़ा पाएँगे।—भज. 45:1.
3 रोज़ बाइबल पढ़िए: अगर बाइबल हर वक्त हमारे पास मौजूद हो, तो हमें जब भी फुरसत मिले इसे पढ़ सकते हैं। हममें से ज़्यादातर लोगों को पूरे दिन में कुछ मिनट खाली वक्त मिल ही जाता है, जिसे हम बाइबल पढ़ने में इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर हम हर दिन कम-से-कम एक पेज पढ़ेंगे तो इससे हमें बहुत लाभ होगा। और ऐसा करके हम स्कूल के कार्यक्रम में दिए गए बाइबल पढ़ाई के भाग को पूरा पढ़ पाएँगे!—भज. 1:1-3.
4 बाइबल को अच्छी तरह पढ़ने की काबिलीयत से, हम अपने सुननेवालों के दिल तक पहुँच पाएँगे और उन्हें यहोवा का गुणगान करने के लिए उकसा पाएँगे। इसलिए स्कूल में भाषण नं. 2 देनेवाले विद्यार्थी को तैयारी करते वक्त अपना भाग एक, दो, या तीन बार नहीं बल्कि बार-बार, ज़ोर से पढ़ना चाहिए। भाषण के बाद स्कूल ओवरसियर उन्हें शाबाशी देंगे और पढ़ाई में सुधार लाने के लिए उन्हें सुझाव भी देंगे।
5 व्यावहारिक रूप से लागू कीजिए: भाषण नं. 3 बाइबल कहानियों की मेरी पुस्तक पर और नं. 4 सर्वश्रेष्ठ मनुष्य किताब पर आधारित है। इन किताबों की मदद से नए लोगों को, पूरी बाइबल और यीशु मसीह की ज़िंदगी के बारे में बहुत बढ़िया जानकारी दी जा सकती है। इसके अलावा, जहाँ मुमकिन हो वहाँ विद्यार्थियों को अपने भाषण के लिए ऐसी कारगर दृश्य-योजना यानी सॆटिंग चुननी चाहिए, जो दिखाएँगी कि समझाए गए उसूलों को कैसे हमारे प्रचार काम में लागू किया जा सकता है। स्कूल ओवरसियर को इस बात पर खास ध्यान देना चाहिए कि विद्यार्थी किस तरीके से सिखाते हैं और वे दिए गए शास्त्रवचनों को कैसे लागू करते हैं।
6 हमारी यही ख्वाहिश है कि ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल हम सभी की मदद करता रहे ताकि हम परमेश्वर से मिले बोली के वरदान को सुसमाचार सुनाने और अपने महान परमेश्वर यहोवा का गुणगान करने में इस्तेमाल करते रहें!—भज. 34:1; इफि. 6:19.