स्वच्छता से यहोवा की महिमा होती है
“सभी पुरुष, साफ-सुथरे और टाई पहने हुए हैं। स्त्रियों के कपड़े न सिर्फ सलीकेदार हैं बल्कि उनमें गरिमा भी है।” इन्हीं लोगों के बारे में एक सुरक्षा गार्ड ने कहा: “वे एक-दूसरे के साथ अदब से और इज़्ज़त से पेश आते हैं, और वे बहुत साफ-सुथरे लोग हैं। कितना अच्छा लगता है उनको देखकर! गंदगी से भरी इस दुनिया में, आप लोग वाकई स्वच्छता बनाए रखने में कामयाब हो गए।” यहाँ किन लोगों की बात की जा रही है? किसी राजनीतिक दल की? क्रिकेट मैच के दर्शकों की? या किसी शादी में आए लोगों की? इनमें से किसी की भी नहीं! ये शब्द दरअसल हमारे उन भाई-बहनों की तारीफ में कहे गए, जो पिछले साल, एक बड़े ज़िला अधिवेशन में हाज़िर हुए थे।
2 हमारे बारे में उन्होंने क्या ही बढ़िया बात कही! यह हमारे लिए कितनी खुशी की बात है कि हमारे भाइयों ने इतना अच्छा नाम कमाया है। बेशक, इसके पीछे वहाँ हाज़िर सभी साक्षियों का हाथ था क्योंकि उन्होंने स्टेडियम को तैयार करने में काफी मेहनत की थी, साथ ही उनका चालचलन भी उम्दा था। संसार-भर में यह एक जानी-मानी बात है कि हमारा चालचलन, दूसरों से बिलकुल अलग है। (मला. 3:18) इसकी वजह? हम यहोवा की इस आज्ञा को मानते हैं: “पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।”—1 पत. 1:16.
3 “अपवित्र” को पवित्र बनाना? अधिवेशन के लिए हम जो हॉल या जगह किराए पर लेते हैं, वे ज़्यादातर बुरी हालत में होते हैं क्योंकि सालों से लोगों ने उनका सही तरह से इस्तेमाल नहीं किया होता है। वे उसमें तोड़-फोड़ करते हैं, जहाँ चाहे वहाँ कूड़ा-कचरा फेंक देते हैं या किसी और तरह से उसे बिगाड़ देते हैं। और वहाँ के टॉयलेट, ग्रीन रूम और दूसरी सहूलियतें तो, हमारे पवित्र परमेश्वर के हिसाब से बिलकुल निचले स्तर के होते हैं। दरअसल, उनमें इस संसार के “अपवित्र” ईश्वर का रवैया बखूबी झलकता है। (2 कुरि. 4:4) तो जब हम अधिवेशन के लिए ऐसे हॉल किराए पर लेते हैं, तब हम उनकी बुरी हालत को कैसे सुधार सकते हैं?
4 चेन्नई, कोची और मुंबई में, अधिवेशनों के दो-तीन दिन पहले ही, सफाई के काम के लिए हर जगह पर एक हज़ार से ज़्यादा भाई-बहनों की ज़रूरत होगी ताकि वे अधिवेशन की जगहों को इस तरह चमका दें जैसा उन शहरों ने पहले कभी नहीं देखा। और अधिवेशन के तीनों दिनों के दौरान भी टॉयलेट साफ करने, गलियारे में झाड़ू लगाने, सीटों को धोने और दूसरे ज़रूरी कामों के लिए सैकड़ों लोगों की ज़रूरत होगी। इसलिए, अधिवेशन में आते वक्त, आप काम के लिए पहनने के कपड़े भी ज़रूर लाइए ताकि आप भी यहोवा का नाम ऊँचा उठाने का यह सुअवसर पा सकें।
5 पिछले सालों के दौरान, शायद हमने अधिवेशनों के वक्त सिर्फ झाड़ू लगाने, फर्श पर पोंछा लगाने और कुर्सियाँ पोंछने का काम किया होगा। लेकिन, इस साल हम चाहते हैं कि अधिवेशन की जगह का कोना-कोना चमकने लगे जिससे यह ज़ाहिर हो कि हमारा परमेश्वर एक शुद्ध परमेश्वर है। इस काम में हर कोई हिस्सा ले सकता है। हम बच्चों को भी बता सकते हैं कि अगर उन्हें कहीं कचरा पड़ा हुआ दिखे, तो वे उसे उठाकर कूड़ादान में डाल दें। अगर कहीं पानी वगैरह गिर गया है या कुछ टूट-फूट गया है, तो हम स्वच्छता विभाग को रिपोर्ट कर सकते हैं। और जब हमारे भाई, बाथरूम को इतनी अच्छी तरह साफ कर देते हैं जैसा कि अस्पतालों में होता है, तो बाकी सभी भाई-बहनों को वही स्वच्छता कायम रखने के लिए अपना-अपना फर्ज़ निभाना चाहिए।
6 पहनावा और बनाव-श्रृंगार: हमारा पहनावा और बनाव-श्रृंगार, दूसरों को हमारे बारे में क्या संदेश देता है? यह बात काबिले-तारीफ है कि हर साल अधिवेशनों में हमारे भाई-बहन, साफ-सुथरे और सलीकेदार कपड़े पहनते हैं। अधिवेशनों के लिए अकसर सभी लोग अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनते हैं। और हम अपनी बहनों की तारीफ करते हैं कि उनके कपड़े वाकई शालीन होते हैं, फिर चाहे वे साड़ी, सलवार-कमीज़ या स्कर्ट पहनती हों। हम अपने जवान भाई-बहनों को भी शाबाशी देते हैं कि वे नए-नए स्टाइल के या ऐसे किस्म के कपड़े नहीं पहनते जिनमें दुनियावी रंग झलकता है। (रोमि. 12:2) इस तरह पहनावे के मामले में परमेश्वर के स्तरों पर चलकर, हम यही संदेश देते हैं कि हम सचमुच “परमेश्वर की महिमा” करना चाहते हैं।—1 पत. 2:12.
7 कपड़ों के सिलसिले में, ध्यान दीजिए कि मुंबई के अधिवेशन के लिए कुर्सियों का इंतज़ाम नहीं किया जाएगा। इसलिए, उस अधिवेशन में जानेवालों को इस हिसाब से कपड़े पहनने चाहिए कि वे स्टेडियम की सीड़ियों पर आराम से बैठ सकें। अपने साथ एक चटाई या गद्दी ले जाना बेहतर होगा। और कोची में हॉल के अंदर भारी तादाद में लोग होंगे, इसलिए वहाँ के अधिवेशन के लिए आरामदायक कपड़े पहनना ठीक रहेगा।
8 इस साल होनेवाले “राज्य के जोशीले प्रचारक,” ज़िला अधिवेशन में, आइए हम सभी अपना भरसक करके यह साबित करें कि हम “अपने परमेश्वर यहोवा की पवित्र प्रजा” हैं। और इसका जो बढ़िया नतीजा निकलेगा, उससे यहोवा की “प्रशंसा, नाम, और शोभा” में चार चाँद लग जाएँगे।—व्यव. 26:19.
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यहोवा की महिमा कैसे करें:
◼ अधिवेशन की जगह, सफाई के काम में हाथ बँटाने के लिए खुद आगे बढें।
◼ हर चीज़ को साफ-सुथरा रखने में सहयोग दें।
◼ इस तरह के कपड़े पहनें जो परमेश्वर के सेवक को शोभा देते हैं।