हमेशा बदलते इस संसार में प्रचार करना
हालात कितनी जल्दी बदल सकते हैं! प्राकृतिक विपत्ति, आर्थिक संकट, राजनीति में उथल-पुथल, या कोई और बहुत बड़ा संकट अचानक चर्चा का विषय बन सकता है। साथ ही, पल-भर में लोगों का ध्यान दूसरी बातों में लग जाता है। (प्रेरि. 17:21; 1 कुरि. 7:31) हमेशा बदलते इस संसार में हम लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए क्या कर सकते हैं जिससे हम उन्हें राज्य का संदेश सुना सकें?
2 दूसरों की चिंता समझिए: दूसरों का ध्यान खींचने का एक तरीका है हाल की किसी घटना के बारे में उनसे बात करना। लोगों को परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते के बारे में गहराई से सोचने के लिए उकसाते वक्त यीशु ने भी एक बार हाल ही में हुई घटनाओं का ज़िक्र किया था जो उस वक्त लोगों के मन में ताज़ा थीं। (लूका 13:1-5) उसी तरह, जब हम खुशखबरी सुनाते हैं तो हाल ही में हुए किसी वाकये या उनके इलाके में घटी किसी वारदात का हवाला दे सकते हैं, जिसमें वे दिलचस्पी रखते हों। लेकिन इस तरह की बातों पर चर्चा करते वक्त हमें सावधान रहने की ज़रूरत है ताकि हम राजनीति या सामाजिक मुद्दों में किसी एक पक्ष की तरफ से बात न करें।—यूह. 17:16.
3 फिलहाल लोगों को किस बात की चिंता है, इसके बारे में हम कैसे पता लगा सकते हैं? शायद सबसे आसान तरीका है, एक सवाल पूछना और उनकी राय सुनना। (मत्ती 12:34) अगर हमें लोगों में दिलचस्पी होगी तो हम उनके विचारों को जान पाएँगे और समझदारी से उनकी जाँच कर पाएँगे। एक घर-मालिक के दिल से जो बात निकलती है, उससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि उसके इलाके में रहनेवाले ज़्यादातर लोग किस बात को लेकर चिंतित हैं। इससे गवाही देने का रास्ता खुल सकता है।
4 गवाही देने की तैयारी करना: हमेशा बदलते इस संसार में क्षेत्र सेवा की तैयारी करने के लिए हम रीज़निंग किताब का इस्तेमाल कर सकते हैं। पेज 10-11 पर “अपराध/सुरक्षा” और “हाल की घटनाएँ” के तहत सुझाव दिए गए हैं कि हम गवाही देते वक्त हाल की घटनाओं का कैसे ज़िक्र कर सकते हैं। ऐसी ही जानकारी अक्टूबर 2000 की हमारी राज्य सेवकाई के पेज 7 पर भी दी गयी है। जब आप गवाही देने की तैयारी करते हैं तो उसमें एक आयत को शामिल करना मत भूलिए।
5 जब हम ध्यान देते हैं कि हमारी टेरिट्री के लोगों की चिंताएँ कैसे बदलती रहती हैं, तो हमें सुसमाचार पेश करने के तरीके में भी बदलाव करना चाहिए। और इसके लिए हमें वह बात कहनी चाहिए जिनके बारे में उन्हें ज़्यादा फिक्र रहती है इस तरह हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को उस परमेश्वर से वाकिफ होने में मदद दे पाएँगे, जिसके गुण और स्तर कभी नहीं बदलते।—याकू. 1:17.