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हमारी राज-सेवा—2004
km 7/04 पेज 3

प्रश्‍न बक्स

◼ क्या हमें हर मुलाकात में घर-मालिक से यह कहना चाहिए कि अगर वह संसार भर में चल रहे काम के लिए कुछ दान देना चाहे, तो हमें कबूल करने में खुशी होगी?

जी नहीं। हमारी राज्य सेवकाई के दिसंबर 1999 के अंक में लेख, “अपने साहित्य का सही इस्तेमाल कीजिए” में कहा गया था: “कुछ लोगों से दान के बारे में बात करना ठीक नहीं होगा।” इस मामले में समझदारी से काम लेना ज़रूरी है। हम लोगों के मन में यह बात बिठाना चाहते हैं कि हमारा काम सही मायनों में बाइबल सिखाने का काम है, न कि कोई व्यापार। हम घर-घर लोगों से चंदा माँगने नहीं जाते।

जब हम दिलचस्पी दिखानेवालों को पहली मुलाकात में साहित्य देते हैं, तब उन्हें यह साफ-साफ बताना अच्छा होता है कि हमारा काम उन पैसों से चलता है जो लोग खुशी-खुशी दान करते हैं। हमें याद रखना चाहिए कि साहित्य हम सिर्फ उन्हीं को देते हैं जो दिलचस्पी दिखाते हैं या जो इसे पढ़ना चाहते हैं और ऐसे में आम तौर पर दान का ज़िक्र निकलता ही है।

दिलचस्पी दिखानेवाले ऐसे कई लोग बाद की मुलाकातों में खुद-ब-खुद दान देने की इच्छा ज़ाहिर करते हैं। कुछ ऐसे भी होंगे जो शायद हमारे साहित्य की कीमत पूछें। उन्हें हम थोड़े में बता सकते हैं कि हमारा काम व्यापार नहीं है, और दिलचस्पी दिखानेवालों को हम बिना कोई दाम लिए साहित्य देते हैं। उन्हें यह भी बताया जा सकता है कि अगर कोई चाहे तो दुनिया भर में चल रहे इस काम के लिए थोड़ा-बहुत दान दे सकता है। मुनासिब मौका देखकर, हम वापसी भेंटों के दौरान कभी-कभार दुनिया भर के काम के लिए दान देने की बात उठा सकते हैं, फिर चाहे घर मालिक ने इस बारे में ना भी पूछा हो।

हमें यह याद रखना चाहिए कि हालाँकि हम बिना दाम लिए दिलचस्पी दिखानेवालों को अपना साहित्य देते हैं, फिर भी इसे छापने और बाँटने के काम में खर्च लगता है। हमें विश्‍वास है कि परमेश्‍वर की आत्मा उसके सेवकों और दूसरे दिलचस्पी दिखानेवालों को उभारेगी कि वे दुनिया भर के काम के सभी पहलुओं में होनेवाला खर्च पूरा करने के लिए खुशी-खुशी दान दें।

◼ प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! की निजी कॉपियाँ कैसे हासिल की जा सकती हैं?

सभी भाषाओं की प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! के सबस्क्रिप्शन का इंतज़ाम कुछ वक्‍त पहले बंद कर दिया गया था, इसलिए सभी प्रचारकों को अपनी-अपनी कलीसिया से ये पत्रिकाएँ हासिल करनी चाहिए। अब सिर्फ ब्रेल पत्रिकाएँ डाक के ज़रिए उन लोगों को मुफ्त भेजी जाती हैं, जिन्हें ये मिलनी चाहिए। कृपया ध्यान दें कि कलीसियाओं को अगर विदेशी भाषा या बड़े अक्षरोंवाली पत्रिकाएँ मँगानी हैं, तो वे कॉन्ग्रिगेशन रिक्वेस्ट्‌स्‌ (M-202) फॉर्म के ज़रिए इन्हें मँगा सकती हैं।

अगर आपके इलाके में कोई बिना नागा हमारी पत्रिकाएँ पढ़ना चाहता है, तो कृपया सही वक्‍त पर उसे हर अंक पहुँचाकर उसकी ज़रूरत पूरी करें। बहिष्कृत जन अपने इस्तेमाल के लिए पत्रिकाएँ या दूसरा साहित्य, किंगडम हॉल के मैगज़ीन विभाग और लिट्रेचर विभाग से हासिल कर सकते हैं। प्रचारक इनको मैगज़ीन रूट के ज़रिए पत्रिकाएँ नहीं पहुँचाएँगे।

भारत का शाखा दफ्तर सिर्फ उन लोगों को सबस्क्रिप्शन भेजता रहेगा जिनके पास कोई प्रचारक मैगज़ीन रूट के ज़रिए पत्रिकाएँ नहीं पहुँचा सकता। अगर कलीसिया की सर्विस कमेटी ऐसे लोगों को सबस्क्रिप्शन भेजने की गुज़ारिश करती है जिन्हें किसी और तरीके से पत्रिकाएँ नहीं मिल सकतीं, तो सेक्रेटरी को सबस्क्रिप्शन के साथ एक छोटा-सा नोट लिखना चाहिए कि कलीसिया की सर्विस कमेटी ने इस सबस्क्रिप्शन फॉर्म की जाँच की है और इसे मंज़ूरी दी है।

इसका मतलब है कि प्रचारक, शाखा दफ्तर से उनके निजी इस्तेमाल के लिए सबस्क्रिप्शन भेजने की गुज़ारिश नहीं करेंगे। प्रचारकों या दिलचस्पी दिखानेवालों की ऐसी कोई भी गुज़ारिश वापस कलीसिया को भेज दी जाएगी।

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