पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग जून 15
“हममें से ज़्यादातर लोगों की ज़िंदगी काम करने में बीत जाती है। कुछ लोग काम को नियामत समझते हैं, तो कुछ मुसीबत। इस बारे में आपका क्या खयाल है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर सभोपदेशक 2:24 पढ़िए।] यह पत्रिका दिखाती है कि काम की तरफ एक सही नज़रिया रखने में, बाइबल कैसे हमारी मदद करती है। इसमें यह भी बताया गया है कि काम की वजह से होनेवाले तनाव से जूझने के लिए हमें क्या करना चाहिए।”
सजग होइए! अप्रै.-जून
“कई लोग सोचते हैं कि मेहनत का काम करने से वे छोटे हो जाते हैं। मगर क्या आपको मालूम है कि शास्त्र में हमें मेहनत करने का बढ़ावा दिया गया है? [जवाब के लिए रुकिए और फिर सभोपदेशक 2:24 पढ़िए। इसके बाद, पेज 20 पर दिया लेख खोलिए।] यह लेख बताता है कि खासकर जवान लोगों को मेहनत-मज़दूरी के बारे में क्या नज़रिया रखना चाहिए।”
प्रहरीदुर्ग जुला. 1
“हम सभी शायद ऐसे लोगों को जानते हों जो जीवन में बहुत कामयाब हैं मगर फिर भी उन्हें अपनी ज़िंदगी अधूरी लगती है। आपके खयाल से उन्हें किस चीज़ की तलाश है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर मत्ती 5:3, NW पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि मन की शांति पाने का एक अहम तरीका है—अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत पूरी करना।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“ज़्यादातर माता-पिता सोच-समझकर तय करते हैं कि उनके बच्चे कौन-सी फिल्म देख सकते हैं और कौन-सी नहीं। क्या आपको लगता है कि आजकल अपने परिवार के लिए अच्छी फिल्मों का चुनाव करना मुश्किल हो गया है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर इफिसियों 4:17 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि माता-पिता कैसे अपने बच्चों को अच्छे मनोरंजन का चुनाव करने में मदद दे सकते हैं।”