हमारी सेवा जिससे करुणा ज़ाहिर होती है
यीशु ने गौर किया कि बड़ी तादाद में जिन लोगों ने उसका संदेश सुना था, वे “उन भेड़ों की नाईं जिनका कोई रखवाला न हो, ब्याकुल और भटके हुए से थे।” (मत्ती 9:36) उसने उन्हें प्यार और कोमलता से यहोवा के स्तरों के बारे में सिखाया, उन्हें दिलासा दिया, और करुणा के साथ उनकी आध्यात्मिक ज़रूरतों को पूरा किया। जब हम यीशु के कामों पर मनन करते हैं, तो हम उसी की तरह सोचना और महसूस करना सीखते हैं। फिर हम भी अपनी सेवा में करुणा का गुण ज़ाहिर कर पाते हैं।
2 कुछ पल के लिए सोचिए, यीशु उन लाचार लोगों के साथ कैसे पेश आया जो उसके पास मदद के लिए आते थे। (लूका 5:12, 13; 8:43-48) वह उन लोगों को लिहाज़ दिखाता था जिन्हें खास मदद की ज़रूरत थी। (मर. 7:31-35) वह दूसरों के दिल का हाल समझता था और उनकी परवाह करता था। वह बाहरी रूप से ज़्यादा यह देखता था कि एक इंसान अंदर से कैसा है। (लूका 7:36-40) वाकई, यीशु करुणा दिखाने में हू-ब-हू अपने पिता जैसा था।
3 “तरस खाया”: यीशु ने अपनी सेवा को सिर्फ अपना फर्ज़ समझकर पूरा नहीं किया, बल्कि उसने लोगों पर “तरस खाया” और उनकी मदद की। (मर. 6:34) उसी तरह, आज हम लोगों को न सिर्फ परमेश्वर का संदेश सुनाते हैं बल्कि उनकी जान बचाने की कोशिश भी करते हैं, जो बहुत अनमोल है। इसलिए हमें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि लोग क्यों हमारे संदेश में दिलचस्पी नहीं दिखाते। क्या किसी बात को लेकर वे परेशान हैं? क्या झूठे धर्म के अगुवों को उनकी कोई परवाह नहीं और उन्होंने उन्हें गुमराह कर रखा है? इस तरह जब हम लोगों में सच्ची दिलचस्पी दिखाते हैं, तो वे खुशखबरी सुनने के लिए राज़ी हो सकते हैं।—2 कुरि. 6:4, 6.
4 जब हम करुणा दिखाते हैं, तो यह लोगों के दिल को छू जाती है। इसकी एक मिसाल लीजिए। एक स्त्री की तीन महीने की बेटी गुज़र गयी थी जिसका उसे गहरा सदमा पहुँचा था। उसी दौरान, जब दो साक्षी उसके घर आयीं तो उसने उन्हें अंदर बुलाया। दरअसल, उस स्त्री का इरादा था इस बात पर उनकी सारी दलीलों को गलत साबित करना कि परमेश्वर क्यों दुःख-तकलीफों को रहने देता है। मगर इसका नतीजा कुछ और ही निकला। वह स्त्री बाद में कहती है: ‘उन्होंने बड़ी करुणा दिखायी और ध्यान से मेरी बात सुनी। और जब वे जाने लगे तो उस समय मैंने अपने आपको बड़ा हलका महसूस किया। इसलिए जब उन्होंने कहा कि वे मुझसे दोबारा मिलना चाहते हैं तो मैं तुरंत राज़ी हो गयी।’ क्या आप प्रचार में मिलनेवाले सभी लोगों को करुणा दिखाने की कोशिश करते हैं?
5 करुणा का गुण पैदा करने से हमें दूसरों को सच्चा दिलासा देने में मदद मिलती है। इस तरह, हम ‘दया के पिता,’ यहोवा की महिमा करते हैं।—2 कुरि. 1:3.