वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w97 12/15 पेज 28-29
  • यहोवा दया से राज करता है

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • यहोवा दया से राज करता है
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • यहोवा की दया की नक़ल करना
  • बेरहम दुनिया में दया
  • करुणा करने में यहोवा की मिसाल पर चलिए
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2017
  • कोमल करुणामय होइए
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1994
  • “हमारे परमेश्‍वर की कोमल करुणा”
    यहोवा के करीब आओ
  • यहोवा —हमारा कोमल करुणामय पिता
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1994
और देखिए
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
w97 12/15 पेज 28-29

यहोवा दया से राज करता है

पूरे इतिहास में बहुत से इंसानी शासकों ने अपनी प्रजा की दुःख-तकलीफ़ों को नज़रअंदाज़ करते हुए बेदर्दी से राज किया है। मगर यहोवा ने फ़र्क़ दिखाया, उसने इस्राएल-जाति को चुना और उस पर दया से राज किया।

प्राचीन मिस्र में जब इस्राएल-जाति ग़ुलाम थी तब यहोवा ने मदद के लिए उनकी फ़रियाद सुनी। “उनके सब दुखों में उसने भी दुख उठाया . . . अपने प्रेम और अपनी दया में उस ने उन्हें छुड़ाया।” (यशायाह ६३:९, NHT) यहोवा ने इस्राएल को बचाया, उनको चमत्कारिक तरीक़े से खाना मुहैया कराया और एक देश देकर उन्हें वहाँ पहुँचाया।

यहोवा की दया का गुण उन नियमों में और भी ज़ाहिर हुआ जो उसने इस जाति को दिए। उसने इस्राएलियों को अनाथों, विधवाओं और परदेसियों के साथ दया से पेश आने का और साथ ही अपाहिजों का नाज़ायज़ फ़ायदा ना उठाने का हुक्म दिया।

व्यवस्था में ज़रूरतमंदों को दया दिखाने की भी माँग की गई थी। ग़रीब लोग कटाई के बाद बचा हुआ बटोर सकते थे। सब्त (सातवें) साल में कर्ज़ माफ़ हो जाता था। विरासत में मिली ज़मीन जो बेची गई थी उसे फिर से जुबली (५०वें) साल में वापस कर दिया जाना था। प्राचीन इस्राएल—वहाँ की ज़िंदगी और रीति-रिवाज (अंग्रेज़ी) कहती है: “इस्राएल में आज की तरह समाज-वर्ग नहीं था।” “देश में बसने के आरंभिक समय में सभी इस्राएलियों के रहने का दर्जा तक़रीबन एक-समान था।”—लैव्यव्यवस्था २५:१०; व्यवस्थाविवरण १५:१२-१४; २४:१७-२२; २७:१८.

यहोवा की दया की नक़ल करना

परमेश्‍वर के सेवक उसकी दया से प्रेरित होते हैं। मसलन, पूरे इतिहास में कुछ नए राजाओं ने पुराने राजवंश के ज़िंदा बचे लोगों का खून किया। लेकिन यहोवा के सेवक दाऊद ने ऐसा नहीं किया। राजा शाऊल की मौत के बाद दाऊद ने मपीबोशेत की हिफ़ाज़त की, जो कि शाऊल का पोता और वारिस था। “राजा ने योनातन के पुत्र मपीबोशेत को जो शाऊल का पोता था बचा रखा।”—२ शमूएल २१:७.

यीशु मसीह के सिवाय किसी और इंसान ने यहोवा की तरह दया नहीं दिखाई। उसके बहुत से चमत्कार ईश्‍वरीय दया से प्रेरित थे। एक मरतबा एक कोढ़ी ने उससे मिन्‍नत की: “यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है।” यीशु ने उस पर तरस खाकर उसे छूआ और कहा: “मैं चाहता हूं तू शुद्ध हो जा।” (मरकुस १:४०-४२) दूसरी मरतबा बड़ी भीड़ यीशु के पीछे जा रही थी। शोरग़ुल के बीच भी यीशु ने दो अंधों की तरफ़ ध्यान दिया जो यीशु की दुहाई दे रहे थे: “हे प्रभु, दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर। . . . यीशु ने तरस खाकर उन की आंखें छूईं, और वे तुरन्त देखने लगे।”—मत्ती २०:२९-३४.

बड़ी भीड़ की वज़ह से दूसरों के लिए यीशु की हमदर्दी ख़त्म नहीं हुई। क्योंकि एक अवसर पर जब भीड़ ने काफ़ी समय से कुछ नहीं खाया था, उसने कहा कि “मुझे इस भीड़ पर तरस आता है।” इसलिए उसने चमत्कार करके उन्हें खाना खिलाया। (मरकुस ८:१-८) जब भी यीशु प्रचार-दौरे पर जाता था तब वह भीड़ को ना सिर्फ़ सिखाता था बल्कि उनकी ज़रूरतों की तरफ़ भी ध्यान देता था। (मत्ती ९:३५, ३६) ऐसे दौरों के बाद यीशु और उसके चेलों के पास खाना खाने की भी फ़ुरसत नहीं होती थी। बाइबल हमें बताती है: “इसलिये वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए। और बहुतों ने उन्हें जाते देखकर पहिचान लिया, और सब नगरों से इकट्ठे होकर वहां पैदल दौड़े और उन से पहिले जा पहुंचे। उस ने निकलकर बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान थे, जिन का कोई रखवाला न हो; और वह उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगा।”—मरकुस ६:३१-३४.

यीशु को सिर्फ़ लोगों की बीमारी और ग़रीबी ने ही नहीं बल्कि उनकी आध्यात्मिक हालत ने भी तरस दिलाया। उनके अगुए उनका फ़ायदा उठाते थे, इसलिए यीशु ने उन पर “तरस खाया।” “तरस खाना” के लिए यूनानी शब्द का मतलब है “पेट में मरोड़ महसूस होना।” यीशु वाक़ई एक दयालु इंसान था!

बेरहम दुनिया में दया

यीशु मसीह आज यहोवा के स्वर्गीय राज्य का राजा है। आज परमेश्‍वर अपने लोगों पर दया के साथ राज करता है, जैसा उसने प्राचीन इस्राएल के साथ किया। “सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि जो दिन मैं ने ठहराया है, उस दिन वे लोग मेरे वरन मेरे निज भाग ठहरेंगे, और मैं उन से ऐसी कोमलता [दया] करूंगा।”—मलाकी ३:१७.

वे जो यहोवा की दया पाना चाहते हैं उन्हें उसकी नक़ल करना ज़रूरी है। यह सच है कि हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहाँ लोगों को ज़रूरतमंदों की मदद करने के बजाये अपने जीने के ढंग को बनाए रखना ही अच्छा लगता है। जिनके पास अधिकार है वे लोग अकसर मुनाफ़े के लिए अपने कर्मचारियों और ग्राहकों की सुरक्षा को नज़रअंदाज़ करते हैं। दूसरा तीमुथियुस ३:१-४ में हमारे ज़माने के एक ऐसे नैतिक माहौल के बारे में बाइबल एकदम सही बताती है जिसने बहुतेरे लोगों के दिल में दया का खून कर दिया।

फिर भी, हम दया दिखाने के मौक़े पा सकते हैं। क्या हम अपने पड़ोसी की मदद कर सकते हैं? क्या किसी बीमार को जाकर मिल सकते हैं? क्या हम इस सलाह के अनुरूप उन्हें ख़ुशी दे सकते हैं जो हताश हैं: “कायरों [हताश प्राणों, NW] को ढाढ़स दो, निर्बलों को संभालो, सब की ओर सहनशीलता दिखाओ”?—१ थिस्सलुनिकियों ५:१४.

जब दूसरे ग़लती करते हैं तब ग़ुस्सा दिखाने से दूर रहने में भी दया हमारी मदद करेगी। हमें बताया गया है: “सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। और एक दूसरे पर कृपाल, और करुणामय [दयालु] हो, और जैसे परमेश्‍वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।”—इफिसियों ४:३१, ३२.

अधिकार का ग़लत इस्तेमाल करने के अपने झुकाव से दूर रहने में दया हमारी मदद करेगी। बाइबल कहती है: “भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।” (कुलुस्सियों ३:१२) मन की दीनता हमें उन लोगों की जगह पर खुद को रखकर देखने में समर्थ करेगी जो हमारी देखरेख में हैं। दयालु होने में यह शामिल है कि दीन और नम्र हों बजाये इसके कि किसी से ख़ुश ही ना हों। सफलता हासिल करने की ख़ातिर, लोगों के साथ मशीन के पुर्ज़ों की तरह बर्ताव करना वाजिब नहीं है। इसके अलावा, परिवार में दयालु पतियों को याद रखना चाहिए कि उनकी पत्नियाँ निर्बल पात्र हैं। (१ पतरस ३:७) इन सारी बातों में यीशु के दयालु होने की मिसाल पर ग़ौर करना हमारी मदद कर सकता है।

क्योंकि ज़मीन पर अपनी सेवकाई के दौरान यीशु ने लोगों के लिए इतनी गहरी हमदर्दी दिखाई इसलिए हम यक़ीन कर सकते हैं कि वह अभी और आगे भी दयालु शासक रहेगा। भजन ७२ की भविष्यवाणी उसके बारे में कहती है: “वह प्रजा के दीन लोगों का न्याय करेगा, और दरिद्र लोगों को बचाएगा; और अन्धेर करनेवालों को चूर करेगा। वह समुद्र से समुद्र तक और महानद से पृथ्वी की छोर तक प्रभुता करेगा। वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, और दरिद्रों के प्राणों को बचाएगा।”—भजन ७२:४, ८, १३.

परमेश्‍वर का वचन पहले से ही बताता है: “परन्तु वह कंगालों का न्याय धर्म से, और पृथ्वी के न्रम लोगों का निर्णय खराई से करेगा। . . . दुष्ट को मिटा डालेगा।” ये बताने के बाद कि कुछ बेरहम और हैवानी लोग अपना रास्ता बदल देंगे, भविष्यवाणी आगे कहती है: “मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई दु:ख देगा और न हानि करेगा; क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।” (यशायाह ११:४-९) यह भविष्यवाणी वादा करती है कि पूरी ज़मीन पर लोगों का ऐसा समाज होगा जो यहोवा और उसके दया के मार्गों की नक़ल करेगा!

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें