लोगों के दिलों में जड़ पकड़ी झूठी शिक्षाओं को हम उखाड़ रहे हैं
शैतान ने सदियों से झूठी शिक्षाओं और छल का इस्तेमाल करके बहुत-से लोगों के दिलो-दिमाग को अंधा कर दिया है। उसने त्रियेक, अमर आत्मा और नरक जैसी झूठी शिक्षाओं को पूरे संसार में फैलाया है। वह सृष्टिकर्ता के वजूद के बारे में लोगों के मन में शक पैदा करता है। और बाइबल परमेश्वर का वचन है, इस बात पर भी उँगली उठाता है। सच्चाई की रोशनी लोगों तक ना पहुँचे, इसके लिए उसने रंग-भेद और जाति-भेद जैसी बड़ी दीवारें भी खड़ी कर दी हैं। (2 कुरि. 4:4) गढ़ के समान, लोगों के दिलों में जड़ पकड़ी झूठी शिक्षाओं को हम कैसे उखाड़ सकते हैं?—2 कुरि. 10:4, 5.
2 लोगों की भावनाएँ: अकसर, पुश्तों से चली आ रही धार्मिक शिक्षाओं के लिए लोगों के दिल में अटूट श्रद्धा होती है। कुछ लोग बचपन से ही ऐसी गलत शिक्षाओं को मानते चले आ रहे हैं। ऐसे लोगों की मदद करने के लिए हमें अपनी बातचीत से यह ज़ाहिर करना ज़रूरी है कि हम उनके धार्मिक विश्वासों का आदर करते हैं।—1 पत. 3:15.
3 वे क्या विश्वास करते हैं और क्यों करते हैं, इसके बारे में उन्हें बोलने का मौका देकर हम दिखा सकते हैं कि हम उनकी इज़्ज़त करते हैं। (याकू. 1:19) शायद वे अमर आत्मा की शिक्षा को कसकर थामें बैठे हों क्योंकि हो सकता है कि उन्होंने अपने किसी अज़ीज़ को मौत में खोया हो और वे उसे देखने की चाहत रखते हों। या हो सकता है वे दुनियावी त्योहार मनाते हों क्योंकि वे इन मौकों पर अपने नाते-रिश्तेदारों से मिलकर खुशी मनाने की आस देखते हैं। उनके विचारों को सुनने से हमें उनकी भावनाओं को समझने में मदद मिलेगी, ताकि हम उन्हें बिना ठेस पहुँचाए बढ़िया जवाब दे सकें। हो सकता है, कभी हम किसी और समय में मामले पर चर्चा करने का फैसला करें।—नीति. 16:23.
4 यीशु की मिसाल पर चलिए: एक बार यीशु की मुलाकात ऐसे आदमी से हुई जिसे व्यवस्था का अच्छा ज्ञान था। यीशु ने जिस तरह उस आदमी को जवाब दिया, वह हमारे लिए बहुत ही बेहतरीन मिसाल है। यीशु ने उसे सीधे-सीधे कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि वह जानता था कि उस आदमी को अपना विश्वास बड़ा प्यारा था इसलिए वह यीशु की बात को ठुकरा सकता था। इसलिए यीशु ने परमेश्वर के वचन से हवाला दिया और उस आदमी से उसके बारे में उसके विचार पूछे। फिर यीशु ने एक उदाहरण के ज़रिए उसे सही नतीजे पर पहुँचने में मदद की।—लूका 10:25-37.
5 परमेश्वर के वचन में इतनी ताकत है कि वह एक इंसान को झूठी धारणाओं की गिरफ्त से छुड़ा सकता है। (इब्रा. 4:12) हम दूसरों को बिना ठेस पहुँचाए, समझ और धीरज से काम लेते हुए उनके दिल तक पहुँचने की कोशिश करेंगे, ताकि वे झूठी बातों को ठुकरा दें और सच्चाई को गले लगाकर आज़ाद हो जाएँ।—यूह. 8:32.