प्रचार में लगे रहने के लिए ज़रूरी है धीरज
1 प्रेरित पौलुस ने अपनी ज़िंदगी के 30 से भी ज़्यादा साल सुसमाचार का ऐलान करने में बिताए। और इस काम से उसे बड़ी खुशी और संतोष मिला। मगर जैसे कि हर नेक काम में बाधाएँ आती हैं, वैसे ही पौलुस को प्रचार काम में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। (2 कुरि. 11:23-29) फिर भी, उसने हिम्मत नहीं हारी। (2 कुरि. 4:1) क्यों? क्योंकि उसे मालूम था कि यहोवा उसे धीरज धरने की ताकत देगा। (फिलि. 4:13) इस तरह पौलुस ने धीरज धरने और वफादारी दिखाने में एक बढ़िया मिसाल कायम की। इसलिए वह कह सका: “तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूं।”—1 कुरि. 11:1.
2 आज के समय में आज़माइशों का सामना करना: हर दिन, हमारे बहुत-से भाई-बहनों को अपने परिवारवालों, साथ काम करनेवालों या स्कूल के साथियों की तानाकशी, विरोध या बेरुखी का सामना करना पड़ता है। (मत्ती 10:35; यूह. 15:20) शायद आपके साथ भी ऐसा होता हो। या हो सकता है आपको खराब सेहत से जूझना पड़ता हो। या फिर, आपको आए दिन ऐसी ध्यान भटकानेवाली बातों या फँदों से दूर रहने के लिए जद्दोजेहद करनी पड़ती हो, जिनमें आपके विश्वास और धीरज की परीक्षा हो सकती है। ऐसे में अगर आप गुज़रे ज़माने के वफादार लोगों की मिसालों की जाँच करें और आज के मसीहियों की आप-बीती पढ़ें, तो आपको मुश्किलों से लड़ने की ताकत मिल सकती है।—1 पत. 5:9.
3 मसीही सेवा में अटल बने रहने के लिए ज़रूरी है कि हम ‘परमेश्वर के सम्पूर्ण अस्त्र-शस्त्र धारण करें।’ (NHT) (इफि. 6:10-13, 15) साथ ही, हमें प्रार्थना भी करनी चाहिए। इसके अलावा, परमेश्वर हमें अपनी पवित्र शक्ति देता है, ताकि हम आज़माइशों का सामना करते वक्त धीरज धर सकें। (2 कुरि. 6:4-7) शैतान और उसकी दुनिया का डटकर मुकाबला करने के लिए हमें परमेश्वर की चितौनियों को मानने की ज़रूरत है। (भज. 119:24, 85-88) जिस तरह एक बच्चा अपने पिता से मिला खत बारंबार पढ़ता है, उसी तरह हर रोज़ बाइबल पढ़ने से यहोवा के साथ हमारा रिश्ता मज़बूत होगा। यही नहीं, अगर हम नियमित तौर पर निजी बाइबल अध्ययन करें, तो हमें परीक्षाओं का सामना करने की बुद्धि मिल सकती है। इस तरह, हम परमेश्वर की सोच के मुताबिक फैसले ले पाएँगे और यहोवा के वफादार बने रहने का हमारा इरादा भी बुलंद होगा।—नीति. 2:10, 11.
4 धीरज धरने से आशीषें मिलती हैं: पौलुस की तरह, हम भी वफादारी और धीरज से अपनी सेवा पूरी करके यहोवा का दिल खुश कर सकते हैं। (नीति. 27:11) और इससे न सिर्फ हमें बल्कि दूसरों को भी आशीषें मिल सकती हैं। तो आइए हम ठान लें कि हम प्रचार काम में लगे रहेंगे। इस तरह, हम साबित करेंगे कि हमारा विश्वास मज़बूत और “आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है।”—1 पत. 1:6, 7.