पुरुषों को प्रचार करने की चुनौती का सामना कीजिए
1. राज के कामों में किस चीज़ की सख्त ज़रूरत है?
इन आखिरी दिनों में जैसे-जैसे राज की खुशखबरी के ऐलान का काम बढ़ता जा रहा है, अगुवाई करनेवाले काबिल भाइयों की सख्त ज़रूरत है। (मर. 4:30-32; प्रेषि. 20:28; 1 तीमु. 3:1-13) लेकिन कुछ जगहों में पुरुषों के मुकाबले ज़्यादातर स्त्रियाँ ही राज संदेश कबूल कर रही हैं। कहीं-कहीं समाज में देखा जाता है कि जब उपासना और बच्चों को परमेश्वर के बारे में सिखाने की बात आती है, तो पुरुष ये ज़िम्मेदारियाँ अपनी पत्नियों को सौंप देते हैं। ऐसे में हम कैसे पुरुषों को यह एहसास दिला सकते हैं कि उन्हें भी परमेश्वर से मार्गदर्शन पाने की ज़रूरत है और उन्हें हमारे साथ सच्ची उपासना में भाग लेना चाहिए?
2. पौलुस और पतरस ने पुरुषों को गवाही देने के लिए जो मेहनत की, उसके क्या नतीजे निकले?
2 पुरुषों को ढूँढ़िए: जब परिवार का एक मुखिया सच्चाई स्वीकार करता है, तो अकसर वह अपने परिवार के दूसरे लोगों को भी सच्ची उपासना करने का बढ़ावा देता है। उदाहरण के लिए, जब पौलुस और सीलास को प्रचार की वजह से कैदखाने में डाल दिया गया, तो उन्होंने वहाँ के जेलर को गवाही दी। इसके बाद उस जेलर ने अपने घराने के सब लोगों के साथ बपतिस्मा लिया। (प्रेषि. 16:25-34) कुरिंथ में “सभा-घर का अधिकारी क्रिसपुस और उसका पूरा घराना पौलुस का संदेश सुनकर प्रभु में विश्वासी बन गया।” (प्रेषि. 18:8) पतरस को यहोवा ने फौजी टुकड़ी के एक अफसर कुरनेलियुस को गवाही देने के लिए इस्तेमाल किया। बाइबल कहती है कि कुरनेलियुस “एक भक्त इंसान था और . . . परमेश्वर का भय मानता था।” नतीजा यह हुआ कि कुरनेलियुस, उसके रिश्तेदारों और करीबी दोस्तों ने बपतिस्मा लिया।—प्रेषि. 10:1-48.
3. फिलिप्पुस की तरह आप “ऊँचे पद” के किन पुरुषों को गवाही दे सकते हैं?
3 जो पुरुष “ऊँची पदवी” पर होते हैं उन्हें गवाही देने से अच्छे नतीजे निकल सकते हैं। (1 तीमु. 2:1, 2) मिसाल के लिए, यहोवा के स्वर्गदूत ने फिलिप्पुस को एक आदमी से बात करने के लिए कहा, जो “ऊँचे पद” पर था और इथियोपिया की रानी के सारे खज़ाने पर अधिकारी था। फिलिप्पुस ने उस आदमी को ‘ऊँची आवाज़ में यशायाह भविष्यवक्ता की किताब पढ़ते’ हुए सुना और उसे यीशु के बारे में खुशखबरी सुनायी। इथियोपिया का रहनेवाला यह आदमी यीशु का चेला बना और शायद वह अपने घर जाते वक्त रास्ते में प्रचार करता गया। हो सकता है उसने वहाँ की रानी और दरबार के लोगों को भी गवाही दी हो। अगर यह आदमी इन लोगों को खुशखबरी नहीं सुनाता तो शायद वे खुशखबरी नहीं सुन पाते।—प्रेषि. 8:26-39.
4. हम कैसे ज़्यादा-से-ज़्यादा पुरुषों को खुशखबरी सुना सकते हैं?
4 ज़्यादा-से-ज़्यादा पुरुषों को गवाही दीजिए: पुरुष दिन में अकसर काम पर होते हैं, इसलिए क्या आप अपना शेड्यूल कुछ इस तरह बना सकते हैं कि शाम के वक्त, या शनिवार-रविवार को, या छुट्टियों के दिन में ज़्यादा प्रचार कर सकें? बिज़नेस इलाकों में नियमित तौर पर प्रचार करने से भी आप ऐसे पुरुषों को गवाही दे पाएँगे, जो घर पर कम ही मिलते हैं। भाई अपने साथ काम करनेवालों को गवाही देने की खास कोशिश कर सकते हैं। घर-घर के प्रचार में, खासकर ऐसे इलाके में जहाँ कई बार गवाही दी जा चुकी है, वहाँ भाई कभी-कभी कह सकते हैं कि वे घर के मालिक से बात करना चाहते हैं।
5. अगर कोई बहन एक ऐसे आदमी से मिलती है, जो राज संदेश में दिलचस्पी दिखाता है, तो उसे क्या करना चाहिए?
5 अगर एक बहन किसी ऐसे आदमी से मिलती है, जो सच्चाई में दिलचस्पी दिखाता है तो उसे वापसी भेंट के लिए उसके पास अकेले नहीं जाना चाहिए। वह अपने साथ अपने पति या किसी भाई या बहन को ले जा सकती है। अगर वह आदमी दिलचस्पी दिखाता है, तो अच्छा होगा कि उसका अध्ययन एक काबिल भाई को सौंप दिया जाए।
6. हम प्रेषित पौलुस की तरह “ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को मसीह की राह पर ला[ने]” के लिए क्या कर सकते हैं?
6 ऐसे विषय चुनिए जिनमें पुरुषों को दिलचस्पी हो: प्रेषित पौलुस अपने सुननेवालों के बारे में सोचता था, और अपनी पेशकश को इस तरह ढालता था ताकि “ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को मसीह की राह पर ला” सके। (1 कुरिं. 9:19-23) उसी तरह हमें भी उन विषयों के बारे में सोचना चाहिए और तैयारी करनी चाहिए, जिसमें पुरुषों को दिलचस्पी हो। जैसे कि पुरुष अकसर आर्थिक तंगी, अच्छी सरकार और अपने परिवार की सुरक्षा के बारे में सोचते हैं। वे शायद इन विषयों में भी दिलचस्पी रखते हों, जैसे कि ज़िंदगी का मकसद क्या है, भविष्य में धरती पर कैसे हालात होंगे और परमेश्वर क्यों दुख-तकलीफें आने देता है। अगर हम अपनी पेशकश पर ध्यान दें, तो लोग राज के संदेश में दिलचस्पी दिखाएँगे।—नीति. 16:23.
7. जो अविश्वासी पति सभा में आता है, उस पर मंडली के लोगों का कैसे अच्छा असर हो सकता है?
7 अविश्वासी पतियों की मदद के लिए पहल कीजिए: यह सच है कि एक अविश्वासी पति पर उसकी मसीही पत्नी के अच्छे चालचलन का सबसे ज़्यादा असर होता है, लेकिन इस मामले में मंडली के लोग भी अपना सहयोग दे सकते हैं। (1 पत. 3:1-4) जब एक बहन का अविश्वासी पति उसके साथ सभा में आता है, तो जिस गर्मजोशी से उसका स्वागत किया जाता है, उससे एक ज़बरदस्त गवाही दी जाती है। सभाओं में उसका आना दिखाता है कि उसे सच्चाई में थोड़ी-बहुत दिलचस्पी है और शायद वह बाइबल अध्ययन के लिए तैयार हो जाए।
8. जिन अविश्वासी पतियों ने सच्चाई में थोड़ी-बहुत दिलचस्पी दिखायी है, उनकी मदद करने के लिए भाई क्या कर सकते हैं?
8 दूसरी तरफ कुछ पति शुरू-शुरू में बाइबल संदेश में बहुत कम दिलचस्पी दिखाते हैं, लेकिन हो सकता है कि आगे चलकर वे किसी ऐसे भाई के साथ चर्चा करने के लिए राज़ी हो जाएँ, जिन्हें वे पसंद करते हों। एक परिवार की बात लीजिए, जिसमें सभी लोग सच्चाई में नहीं थे। मंडली के भाई जब भी उस परिवार से मिलने जाते, तो वे अविश्वासी पति से ज़रूर बात करते और वह भी उन विषयों पर जिनमें पति को दिलचस्पी होती थी। धीरे-धीरे आध्यात्मिक बातों पर चर्चा होने लगी और आज वह आदमी एक बपतिस्मा-शुदा प्रचारक है। एक और मामले में एक भाई ने अविश्वासी पति को उसके घर के चारों तरफ बाड़ा बाँधने में मदद दी। इस तरह उसमें निजी दिलचस्पी दिखाने की वजह से बाइबल अध्ययन शुरू हो गया। (गला. 6:10; फिलि. 2:4) अगर आप एक मसीही भाई हैं, तो क्यों न आप भी ऐसे अविश्वासी पतियों की मदद करने में पहल करें?
9. मसीही पुरुषों को तालीम देने से क्या नतीजे निकलते हैं?
9 भविष्य की ज़िम्मेदारियों के लिए तालीम: जो पुरुष राज संदेश में दिलचस्पी दिखाते हैं और यहोवा की सेवा में ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लिए आगे आते हैं, वे “आदमियों के रूप में तोहफे” यानी मसीही प्राचीन बनते हैं। और यहोवा के लोगों की मंडलियों की खातिर अपनी काबिलीयतें और ताकत इस्तेमाल करते हैं। (इफि. 4:8; भज. 68:18) ऐसे पुरुष खुशी-खुशी और जोश के साथ मंडली की देखभाल करते हैं। (1 पत. 5:2, 3) भाइयों की सारी बिरादरी के लिए वे क्या ही आशीष साबित हुए हैं!
10. पौलुस की मदद करने के लिए हनन्याह ने जो कदम उठाया, उससे कैसे बहुत-से लोगों को फायदा हुआ?
10 मिसाल के लिए, पहले शाऊल मसीहियों को सताया करता था, लेकिन आगे चलकर वह “राष्ट्रों के लिए प्रेषित” बना। (रोमि. 11:13) वह मसीहियों पर ज़ुल्म ढाता था जिस वजह से हनन्याह शुरूआत में शाऊल को प्रचार करने से कतरा रहा था। फिर भी, उसने प्रभु के निर्देशन को माना और शाऊल को प्रचार किया जिसका नतीजा यह हुआ कि शाऊल आगे चलकर प्रेषित पौलुस बना। बाद के सालों में पौलुस ने काफी प्रचार किया जिस वजह से हज़ारों लोगों ने सच्चाई अपना ली। इसके अलावा परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी उसकी चिट्ठियों से आज भी करोड़ों लोगों को सच्चाई सीखने में मदद मिल रही है।—प्रेषि. 9:3-19; 2 तीमु. 3:16, 17.
11. पुरुषों को गवाही देने के लिए हमें ज़रूरी फेरबदल क्यों करनी चाहिए?
11 आइए हम भी पुरुषों को गवाही देने के लिए ज़रूरी फेरबदल करें। हमें यकीन है, इस लक्ष्य को हासिल करने, परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने और राज के काम करने की हमारी मेहनत पर यहोवा ज़रूर आशीष देगा।