अपने परिश्रम के अच्छे नतीजे देखकर संतुष्ट रहिए
1. किस बात से सेवा में हमारा जोश ठंडा पड़ सकता है?
इंसान को इस तरह बनाया गया था कि वह “अपने परिश्रम” के अच्छे नतीजे “देखकर सन्तुष्ट रहे।” (सभो. 2:24, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) लेकिन जब हम अपनी सेवा के अच्छे नतीजे नहीं देख पाते तब हम निराश हो जाते हैं। इससे हमारी खुशी छिन सकती है और हमारा जोश ठंडा पड़ सकता है। क्या बात हमें सही नज़रिया बनाए रखने में मदद देगी?
2. प्रचार में हिस्सा लेते वक्त हमें क्या बात ध्यान में रखकर उम्मीदें बाँधनी चाहिए?
2 हकीकत को ध्यान में रखकर उम्मीदें बाँधिए: याद रखिए कि कुछ ही लोग यीशु का संदेश स्वीकार करके उसके चेले बने थे, फिर भी इसमें कोई शक नहीं कि उसकी सेवा सफल रही। (यूह. 17:4) यीशु ने बीज बोनेवाले की मिसाल में यह भविष्यवाणी की थी कि ज़्यादातर लोग राज संदेश के बीज को अपने दिलों में पनपने नहीं देंगे। (मत्ती 13:3-8, 18-22) फिर भी हम यकीन रख सकते हैं कि हम जो कड़ी मेहनत करते हैं उसके कई अच्छे नतीजे होते हैं।
3. लोग भले ही हमारा संदेश न सुनें तब भी हम कैसे “फल पैदा” करते हैं?
3 हम कैसे बहुत फल लाते हैं: यीशु की बतायी मिसाल के मुताबिक, जो संदेश को अपनाता है वह “फल पैदा” करता है। (मत्ती 13:23) जब गेहूँ की बालें पक जाती हैं, तो उसमें फल लगता है। मगर ये फल छोटी-छोटी बालें नहीं बल्कि नए बीज होते हैं। उसी तरह, जब एक कामयाब मसीही फल लाता है तो यह ज़रूरी नहीं कि फल नए चेले ही हों। फल लाने का यह भी मतलब हो सकता है, बार-बार राज के बारे में गवाही देकर और भी बीज बोना। और लोग चाहे हमारा संदेश सुनें या न सुनें, फिर भी इस काम से हमें संतोष मिलता है क्योंकि हम बहुत कुछ हासिल कर पाते हैं। जैसे, हम यहोवा का नाम पवित्र कर पाते हैं। (यशा. 43:10-12; मत्ती 6:9) हम परमेश्वर के सहकर्मी होने के सम्मान का आनंद उठाते हैं। (1कुरिं. 3:9) जब हम ऐसे “होठों का फल” चढ़ाते हैं तो यहोवा का दिल खुश होता है।—इब्रा. 13:15, 16.
4. हमारे प्रचार के क्या अच्छे नतीजे निकल सकते हैं जिनसे शायद हम अनजान हों?
4 इसके अलावा, प्रचार में हम जो मेहनत करते हैं शायद उसका नतीजा निकले लेकिन हमें नज़र न आए। यह मुमकिन है कि जिन लोगों ने यीशु का संदेश सुना था उनमें से कुछ यीशु के धरती से चले जाने के बाद उसके चेले बने हों। उसी तरह, हम राज का जो बीज बोते हैं वह शायद एक व्यक्ति के दिल में बहुत समय बाद जाकर पनपे और वह सच्चाई में आ जाए। और इस बात से शायद हम अनजान हों। जी हाँ, हमारी प्रचार सेवा के बढ़िया नतीजे निकलते हैं। इसलिए आइए हम “बहुत फल लाते” रहें और यह साबित करते रहें कि हम यीशु के चेले हैं।—यूह. 15:8.