अनुभव
▪ ऑस्ट्रेलिया: जॉन पढ़ा-लिखा था और बचपन से ही चर्च जाया करता था, लेकिन वक्त के चलते वह “कट्टर नास्तिक” बन गया। एक पायनियर ने उसे जीवन की शुरूआत ब्रोशर दिया। इसके बाद पायनियर भाई, जॉन में दिलचस्पी जगाने की लगातार कोशिश करता है। वह उसे दूसरे साहित्य और नयी-नयी पत्रिकाएँ लाकर देता रहा, जो सृष्टि या बाइबल की भविष्यवाणियों पर चर्चा करती थीं। इन साहित्यों को पढ़ने के बाद, जॉन का नज़रिया बदलने लगा। वह अपने बारे में कहता है, ‘रह-रहकर मेरे मन में परमेश्वर के वजूद को लेकर, कई सवाल उठने लगे।’ इसके बाद, पायनियर भाई ने उसे बाइबल सिखाती है किताब पेश की और उसमें पेज 20 पर पैराग्राफ 8 और पेज 23-24 पर पैराग्राफ 13-16 में दी जानकारी पर उसका ध्यान खींचा। वहाँ दी आयतों में जो बातें बतायी गयी थीं, उनका जॉन पर गहरा असर हुआ, इतना गहरा कि वह बोल पड़ा: “शायद मुझे एक बार बाइबल पढ़कर देखनी चाहिए।”
▪ मैक्सिको: एक आदमी, एक प्रचारक भाई से कहता है कि वह इस बात पर यकीन नहीं करता कि बाइबल, परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गयी है। प्रचारक ने उस आदमी के आगे एक पेशकश रखी, ‘क्या मैं आपको, बाइबल सच में परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गयी है, इसके सबूत दिखा सकता हूँ?’ कुछ मुलाकातों के बाद, उस आदमी का मन बदलने लगा क्योंकि बाइबल से सीखी बातों का असर उस पर होने लगा। खासकर, उसने परमेश्वर के स्तरों के बारे में जो सीखा, वह उसके दिल को छू गया। उस आदमी ने प्रचारक से कहा: “पहले जब आप और मैं बाइबल पढ़ते थे, तब मैं बाइबल को सिर्फ एक किताब समझता था, इसलिए उसमें दी सलाहों का मुझ पर कोई असर नहीं हुआ। लेकिन अब, जब हम साथ मिलकर बाइबल पढ़ते हैं, खासकर नैतिक सलाहों के बारे में, तो मेरा दिल मुझे कचोटता है।”
▪ अमरीका: महानगरों में सरेआम गवाही देते वक्त, एक मसीही जोड़े की मुलाकात, ताइवान की रहनेवाली एक औरत से हुई, जो परमेश्वर पर तो विश्वास करती थी, मगर वह बाइबल को पश्चिमी लोगों की किताब मानती थी। सबकुछ होते हुए भी वह निराश थी और अपनी ज़िंदगी में एक मकसद की तलाश कर रही थी। वह साक्षियों के पत्रिकाओं के स्टैंड के पास, इस उम्मीद से आयी कि शायद उसे बाइबल से अपने जीवन का मकसद मिल जाए। जोड़े ने उसके साथ बाइबल सिखाती है किताब और एक ब्रोशर का इस्तेमाल करके अध्ययन शुरू किया। कुछ चर्चाओं के बाद, उस औरत को इस बात पर हैरानी हुई कि बाइबल, बाकी धार्मिक किताबों के मुकाबले अनोखी है। जब उसने बाइबल से उन भविष्यवाणियों के बारे में पढ़ा जो पूरी हो चुकी हैं तो उसने कहा, “मैं ऐसी किसी किताब के बारे में सोच भी नहीं सकती, जो बाइबल की तरह बिलकुल सही-सही जानकारी देती हो!”
▪ जापान: एक घर-मालिक ने प्रचारक से कहा कि वह परमेश्वर पर विश्वास नहीं करता। इसके बावजूद प्रचारक, घर-मालिक से मिलना जारी रखता है। मुलाकात के दौरान वह घर-मालिक के साथ सजग होइए! में लगातार आनेवाला लेख “क्या इसे रचा गया था?” पर चर्चा करता है। नतीजा, धीरे-धीरे घर-मालिक अपना नज़रिया बदलता है और उसे लगता है कि शायद एक सृष्टिकर्ता है। अब वह मानता है कि एक परमेश्वर है, और प्रचारक उसके साथ परमेश्वर की तरफ से खुशखबरी! ब्रोशर से अध्ययन कर रहा है।
▪ कनाडा: एक औरत घर से कार की तरफ जा रही थी, तभी एक मसीही बहन ने उसे कुछ नयी पत्रिकाएँ दीं। जब बहन उससे दोबारा मिलने जाती है, तो वह औरत सीधे-सीधे कहती है कि मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं और न ही मैं परमेश्वर पर विश्वास करती हूँ। बहन हार नहीं मानती है, वह उसे संतोष से भरी ज़िंदगी—कैसे हासिल की जा सकती है ब्रोशर देने का फैसला करती है। जब बहन उससे घर पर मिलने जाती है, तो वह कहती है, ‘हालाँकि मुझे पता है आप परमेश्वर पर विश्वास नहीं करतीं लेकिन मैं जानती हूँ कि आप एक अकेली माँ हैं, इसलिए मैं आपके लिए यह ब्रोशर लायी हूँ।’ बहन उस औरत को ब्रोशर के पेज 4 पर दिया पैराग्राफ 6 दिखाती है, जहाँ बताया गया है कि अच्छी सलाह कहाँ मिल सकती है। इसके बाद, बहन उस औरत को ब्रोशर के अध्याय 2 में बच्चों की परवरिश के बारे में जो सुझाव दिया गया है, उसे पढ़ने का बढ़ावा देती है। वह औरत खुशी-खुशी ब्रोशर ले लेती है।