भविष्यवक्ताओं के नमूने पर चलिए—सपन्याह
1. सपन्याह ने भविष्यवक्ता के तौर पर किन हालात में सेवा की? हम उसकी मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?
1 ईसा पूर्व 650 के आस-पास की बात है। यहूदा में खुलेआम बाल की उपासना हो रही थी। हाल ही में राजा आमोन को मार डाला गया था, वह बड़ा दुष्ट राजा था। मगर अब राजा योशिय्याह जो अभी काफी छोटा था यहूदा पर हुकूमत कर रहा था। (2 इति. 33:21–34:1) उसी दौरान यहोवा ने अपना न्यायदंड सुनाने के लिए सपन्याह को चुना। सपन्याह शायद यहूदा के शाही घराने का ही सदस्य था। फिर भी उसने यहोवा के संदेश की गंभीरता को कम नहीं किया और बिना डरे यहूदा के शासकों और अगुवों के बुरे-बुरे कामों के लिए उन्हें सज़ा सुनायी। (सप. 1:1; 3:1-4) आज हम सपन्याह की मिसाल पर चलने की पूरी कोशिश करते हैं। हम भी पूरी हिम्मत से यहोवा का संदेश सुनाते हैं और पारिवारिक रिश्तों को कभी-भी यहोवा की उपासना के आड़े नहीं आने देते। (मत्ती 10:34-37) सपन्याह ने क्या संदेश सुनाया और उसके क्या नतीजे निकले?
2. यहोवा के क्रोध के दिन बचने के लिए हमें क्या कदम उठाने चाहिए?
2 यहोवा को ढूँढ़िए: सिर्फ यहोवा ही अपने क्रोध के दिन इंसानों को बचा सकता है। इसलिए सपन्याह ने यहूदा के लोगों से गुज़ारिश की कि वे यहोवा को ढूँढ़ें, धर्म या नेकी को ढूँढ़ें, नम्रता को ढूँढ़ें, इससे पहले कि वक्त हाथ से निकल जाए। (सप. 2:2, 3) यही बात हमारे दिनों में भी लागू होती है। सपन्याह की तरह हम लोगों को बढ़ावा देते हैं कि वे यहोवा को ढूँढ़ें। लेकिन हमें भी कदम उठाने की ज़रूरत है ताकि हम कभी-भी “यहोवा के पीछे चलने से लौट” न जाएँ। (सप. 1:6) हम यह कैसे करते हैं? हम ध्यान से बाइबल का अध्ययन करने और परमेश्वर से मार्गदर्शन पाने के लिए प्रार्थना करने के ज़रिए यहोवा को ढूँढ़ते हैं। नैतिक तौर पर साफ-सुथरी ज़िंदगी जीकर हम धर्म या नेकी को ढूँढ़ते हैं। और जब हम यहोवा के संगठन से मिलनेवाले निर्देशन खुशी-खुशी मानते हैं और अपने अंदर अधीनता दिखाने का रवैया पैदा करते हैं, तो हम नम्रता को ढूँढ़ रहे होते हैं।
3. प्रचार के मामले में हमें क्यों सही नज़रिया बनाए रखना चाहिए?
3 अच्छे नतीजे: सपन्याह ने न्यायदंड सुनाने का जो काम किया उसका कुछ लोगों पर ही सही, मगर ज़बरदस्त असर हुआ, खासकर छोटे योशिय्याह के दिल पर। और वह छोटी उम्र से ही यहोवा की खोज करने लगा। कुछ समय बाद उसने देश से मूर्तिपूजा को मिटाने की ज़बरदस्त मुहिम छेड़ दी। (2 इति. 34:2-5) उसी तरह आज हम राज के जो बीज बोते हैं माना कि उनमें से कुछ रास्ते के किनारे गिर जाते हैं, तो कुछ चट्टानी जगहों पर और कुछ काँटों के बीच, मगर कुछ बीज बढ़िया मिट्टी में भी गिरते हैं और फल लाते हैं। (मत्ती 13:18-23) तो जब हम राज के बीज बोने में खुद को व्यस्त रखेंगे तो हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा ज़रूर हमारी मेहनत पर आशीष देगा।—भज. 126:6.
4. हमें क्यों ‘यहोवा की बाट जोहते रहना’ चाहिए?
4 यहूदा के कुछ लोगों को लगा कि यहोवा कभी कोई कार्रवाई नहीं करेगा। मगर यहोवा ने सभी को यकीन दिलाया कि उसका भयानक दिन बहुत जल्द आनेवाला है। (सप. 1:12, 14) उस दिन वह सिर्फ उन्हीं को बचाएगा जो उसकी शरण लेंगे। (सप. 3:12, 17) तो आइए हम ‘यहोवा की बाट जोहते रहें’ और अपने भाई-बहनों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खुशी-खुशी अपने महान परमेश्वर की सेवा करते रहें!—सप. 3:8, 9.