प्रचार में अपना हुनर बढ़ाना—खास मुद्दों पर ज़ोर देना
1 प्रेषित पौलुस ने इब्रानियों को लिखा “तुम्हें दूसरों को सिखाने के काबिल बन जाना चाहिए।” (इब्रा. 5:12) यह बात आज भी उतनी ही मायने रखती है। वह इसलिए कि यीशु ने हमें दूसरों को सिखाने का जो काम सौंपा, वह आज पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है। इस काम में और भी असरदार होने में एक बात हमारी काफी मदद कर सकती है। वह यह कि जब हम कुछ पढ़ते या दूसरों को सिखाते हैं, तो हम पूरी जानकारी का मतलब समझने-समझाने में समझ-बूझ इस्तेमाल करें। यह बात अध्ययन किए जानेवाले पूरे साहित्य, उसके एक अध्याय और हर पैराग्राफ पर लागू होती है।
2 एक किताब के शीर्षक से वह मुख्य विषय पता चलता है जिस पर उस किताब में चर्चा की गयी है। जब आप किसी किताब से सिखाते हैं, तो आपको चाहिए कि आप यह जानें कि हर अध्याय, किताब के मुख्य विषय से कैसे जुड़ा है। अब अपने विद्यार्थी को यह समझने में मदद दीजिए कि दोनों का एक-दूसरे से क्या ताल्लुक है। एक अध्याय में जिस विषय पर चर्चा की जाती है, उसमें आम तौर पर किताब के पूरे विषय का एक पहलू समझाया जाता है। उदाहरण के लिए, “ऐसी ज़िंदगी जीना जिससे परमेश्वर खुश हो” और “परिवार में सुख कैसे हासिल करें” अध्याय, विद्यार्थी को यह समझने में मदद देते हैं कि बाइबल असल में क्या सिखाती है।
3 किसी लेख का शीर्षक और उसके उपशीर्षक उस लेख के खास मुद्दे समझने में मदद देते हैं। लेख का हर पैराग्राफ किसी-न-किसी तरह लेख के शीर्षक से जुड़ा होता है। हर पैराग्राफ में उन मुद्दों को ढूँढ़ना सीखिए, जो लेख के विषय से सीधा ताल्लुक रखते हैं। फिर विद्यार्थी को सिखाते वक्त उन्हीं खास मुद्दों पर ज़ोर दीजिए।
4 जब आप किसी ऐसे साहित्य से अध्ययन कराते हैं जिसमें सवाल दिए होते हैं, तो आप पाएँगे कि सवाल का जवाब कुछ शब्दों में या कभी-कभी एक ही शब्द में दिया होता है। अपने विद्यार्थी को समझाइए कि वह उन्हीं शब्दों या एक शब्द पर निशान लगाए। इसके काफी फायदे हैं। विद्यार्थी पैराग्राफ दोबारा पढ़े बिना ही जल्दी से जवाब ढूँढ़ पाएगा। विद्यार्थी को बढ़ावा दीजिए कि वह अपने शब्दों में जवाब दे, बजाय इसके कि किताब से लंबा-चौड़ा पढ़कर जवाब दे जिस पर शायद उसने निशान लगाया हो। अगर उसने कुछ शब्दों पर निशान लगाया होगा, तो वह फौरन मन में यह आउटलाइन बना पाएगा कि जानकारी किस बारे में है।
5 शिक्षक और विद्यार्थी दोनों को तिरछे शब्दों पर खास ध्यान देना चाहिए, क्योंकि पैराग्राफ के खास शब्दों या आयतों के खास हिस्सों पर ज़ोर देने के लिए उन्हें तिरछा किया जाता है। यह पक्का कीजिए कि तिरछे शब्दों में जो खास बात बतायी गयी है, वह आपका विद्यार्थी समझ गया है। ऐसा करने से उसे सीखी बातें दूसरों को बताने में मदद मिलेगी।
6 खास मुद्दों पर ज़ोर देने के बारे में जो बातें बतायी गयी हैं, वे हर कहीं सिखाने पर लागू होती हैं। फिर चाहे आप प्रहरीदुर्ग अध्ययन या मंडली बाइबल अध्ययन चला रहे हों, घर पर बाइबल अध्ययन कराते हों या बच्चों को सिखाते हों। यीशु ने कहा था कि हमें लोगों को ‘चेले बनाना है और उन्हें सिखाना है।’ (मत्ती 28:19, 20) जब हम खास मुद्दों पर ज़ोर देना सीख लेंगे, तो इससे हमें यीशु का दिया काम पूरा करने में मदद मिलेगी।