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  • “परमेश्‍वर के करीब जाना भला है”

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  • “परमेश्‍वर के करीब जाना भला है”
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
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  • ‘परमेश्‍वर के करीब जाने’ से खुशी मिलती है
  • ‘परमेश्‍वर के करीब जाने’ से जीने का मकसद और आशा मिलती है
  • लगातार ‘परमेश्‍वर के करीब जाने’ के लिए हम क्या कर सकते हैं?
  • गलतियाँ होने पर भी हम “परमेश्‍वर के करीब” जा सकते हैं
  • ‘परमेश्‍वर के करीब’ जाते रहिए
  • एक-दूसरे के करीब आना हमारे लिए भला है
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
w25 अप्रैल पेज 8-13

अध्ययन लेख 15

गीत 30 यहोवा, मेरा परमेश्‍वर, पिता और दोस्त

“परमेश्‍वर के करीब जाना भला है”

“मेरे लिए परमेश्‍वर के करीब जाना भला है।”—भज. 73:28.

क्या सीखेंगे?

यहोवा के और करीब जाने के लिए हम क्या कर सकते हैं और ऐसा करने से हमें क्या आशीषें मिलेंगी?

1-2. (क) किसी से दोस्ती करने के लिए हमें क्या करना होता है? (ख) इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

क्या आपका कोई अच्छा दोस्त है? उसके साथ दोस्ती करने के लिए आपने क्या किया? आपने ज़रूर उसके साथ समय बिताया होगा, उसकी पसंद-नापसंद जानने की कोशिश की होगी और उसकी ज़िंदगी के बारे में भी काफी कुछ जाना होगा। और जब आपने जाना कि वह बहुत अच्छा इंसान है और उसमें कई खूबियाँ हैं, तो आपने उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। फिर धीरे-धीरे वह आपके दिल के और करीब आ गया।

2 दोस्ती करने के लिए समय और मेहनत लगती है। यहोवा के करीब जाने में भी समय लगता है, मेहनत लगती है। इस लेख में हम जानेंगे कि यहोवा के और करीब जाने के लिए हमें क्या करना होगा और इससे हमें क्या आशीषें मिलेंगी। आइए पहले देखें कि हमारे सबसे अच्छे दोस्त यहोवा के करीब जाने में क्यों हमारी भलाई है।

3. हमें इस बारे में क्यों सोचना चाहिए कि यहोवा के करीब जाने में हमारी भलाई है? उदाहरण दीजिए।

3 यहोवा के करीब जाना हमारे लिए अच्छा है, इसमें हमारी ही भलाई है। अगर हम इस बारे में गहराई से सोचें, तो हम उसके और भी करीब जाते रहेंगे। (भज. 63:6-8) इसे समझने के लिए एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। हर कोई जानता है कि अच्छी सेहत के लिए पौष्टिक खाना खाना, कसरत करना, अच्छी नींद लेना और हर दिन खूब पानी पीना ज़रूरी है। पर यह जानते हुए भी कई लोग ऐसा नहीं करते, क्योंकि वे इस बारे में सोचते ही नहीं। लेकिन अगर एक इंसान इन सब बातों के बारे में सोचे, तो वह ज़रूर कुछ कदम उठाएगा और उसकी सेहत अच्छी बनी रहेगी। उसी तरह हम सब जानते हैं कि यहोवा के करीब जाना हमारे लिए अच्छा है। पर अगर हम इस बारे में गहराई से सोचें, तो हमारा मन करेगा कि हम उसके और करीब जाएँ।—भज. 119:27-30.

4. भजन 73:28 के लेखक ने क्या कहा?

4 भजन 73:28 पढ़िए। भजन 73 का लेखक एक लेवी था जो यहोवा के मंदिर में संगीतकार था। वह शायद कई सालों से यहोवा की सेवा कर रहा था। लेकिन वह जानता था कि ‘परमेश्‍वर के करीब जाने’ में ही उसकी भलाई है। और उसने दूसरों को भी ऐसा करने के लिए उभारा। तो आइए देखें कि यहोवा के करीब जाने से कैसे हमारा भला हो सकता है।

‘परमेश्‍वर के करीब जाने’ से खुशी मिलती है

5. (क) यहोवा के और भी करीब जाने से क्यों खुशी मिलती है? (ख) नीतिवचन 2:6-16 में दी यहोवा की बुद्धि-भरी बातें मानने से कैसे आपको मदद मिल सकती है और आपकी हिफाज़त हो सकती है?

5 हम जितना ज़्यादा यहोवा के करीब जाएँगे, उतना ही खुश रहेंगे। (भज. 65:4) हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? इसकी कई वजह हैं। जैसे यहोवा ने अपने वचन में जो बुद्धि-भरी बातें लिखवायी हैं, उन्हें मानने से हमारा भला होता है। हम बुरी बातों में नहीं फँसते और पाप करने से दूर रहते हैं। (नीतिवचन 2:6-16 पढ़िए।) तभी बाइबल में लिखा है, “सुखी है वह इंसान जो बुद्धि हासिल करता है, सुखी है वह जो पैनी समझ को ढूँढ़ लेता है।”—नीति. 3:13.

6. भजन 73 का लेखक किस वजह से अपनी खुशी खो बैठा?

6 यह सच है कि कई बार यहोवा के दोस्त निराश भी हो जाते हैं। एक बार भजन 73 का लेखक भी अपनी खुशी खो बैठा। उसे लगा कि जो लोग यहोवा से प्यार नहीं करते और उसके स्तर नहीं मानते, वे आराम से जी रहे हैं, इसलिए उसे बहुत गुस्सा आया और वह उन लोगों से जलने लगा। वह यह मान बैठा कि जो लोग घमंडी हैं और हिंसा करते हैं, वे अमीर-पे-अमीर होते जा रहे हैं, उनकी सेहत भी अच्छी रहती है और उन्हें ज़िंदगी में कोई तकलीफ नहीं होती। (भज. 73:3-7, 12) यह सब सोच-सोचकर वह इतना परेशान हो गया कि उसे लगने लगा कि यहोवा की सेवा करने का कोई फायदा नहीं। दुख के मारे उसने कहा, “मैंने बेकार ही अपना मन शुद्ध बनाए रखा, अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अपने हाथ धोए।”—भज. 73:13.

7. जब हम दुखी होते हैं, तो हम क्या कर सकते हैं? (बाहर दी तसवीर भी देखें।)

7 भजन का लेखक बहुत निराश था, पर उसने हिम्मत नहीं हारी। वह “परमेश्‍वर के शानदार भवन में गया” और वहाँ यहोवा ने उसकी सोच सुधारी। (भज. 73:17-19) जब हम दुखी या निराश होते हैं, तो हमारा सबसे अच्छा दोस्त यहोवा जानता है कि हम पर क्या बीत रही है। इसलिए हम उससे प्रार्थना कर सकते हैं और उससे मदद माँग सकते हैं। तब यहोवा अपने वचन बाइबल से और मंडली के भाई-बहनों के ज़रिए हमें हिम्मत देगा ताकि हम अपने दुख से उबर पाएँ। यही नहीं, जब चिंताएँ हम पर हावी हो जाएँ, तो यहोवा हमें दिलासा और सुकून देगा।—भज. 94:19.a

एक लेवी मंदिर में ताँबे की वेदी और बरामदे के बीच खड़ा है।

जिस लेवी ने भजन 73 लिखा था, वह “परमेश्‍वर के शानदार भवन” में खड़ा है (पैराग्राफ 7)


‘परमेश्‍वर के करीब जाने’ से जीने का मकसद और आशा मिलती है

8. यहोवा के करीब जाने से और कैसे हमारा भला होता है?

8 यहोवा के करीब जाना हमारे लिए अच्छा है। क्यों? इसकी दो और वजह हैं। एक, इससे हमें जीने का मकसद मिलता है। और दो, हमें भविष्य के लिए एक पक्की आशा मिलती है। (यिर्म. 29:11) आइए एक-एक करके इन पर चर्चा करें।

9. यहोवा के करीब जाने से हमें किस तरह जीने का मकसद और खुशी मिलती है?

9 यहोवा के करीब जाने से हमें जीने का मकसद मिलता है और हम खुश रहते हैं। आज कई लोग मानते हैं कि कोई ईश्‍वर नहीं है, इसलिए उनके पास जीने का कोई मकसद नहीं है। उन्हें लगता है कि एक दिन सबकुछ खत्म हो जाएगा और इंसान भी नहीं रहेंगे। लेकिन हमने बाइबल का अध्ययन किया है और हमें यकीन है कि “परमेश्‍वर सचमुच है” और हम उसकी सेवा में जो कुछ करते हैं वह कभी बेकार नहीं जाएगा, क्योंकि “वह उन लोगों को इनाम देता है जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं।” (इब्रा. 11:6) यहोवा ने हमें इस तरह बनाया है कि उसकी सेवा करने से हमें खुशी मिलती है। इसलिए जब हम ऐसा करते हैं, तो हम खुश रहते हैं।—व्यव. 10:12, 13.

10. जो यहोवा पर आशा रखते हैं, उन्हें उसने कैसा भविष्य देने का वादा किया है? (भजन 37:29)

10 कई लोगों को लगता है कि बस यही ज़िंदगी है कि वे नौकरी करें, शादी करें, बच्चे पालें और अपने बुढ़ापे के लिए दो पैसे जोड़कर रखें। वे परमेश्‍वर के बारे में सोचते ही नहीं। लेकिन हम परमेश्‍वर के सेवक उस पर आशा रखते हैं। (भज. 25:3-5; 1 तीमु. 6:17) हम उसके करीब आए हैं और हमें पूरा भरोसा है कि वह अपने वादे पूरे करेगा। हमें उस वक्‍त का भी बेसब्री से इंतज़ार है जब हम नयी दुनिया में हमेशा-हमेशा के लिए यहोवा की उपासना करेंगे।—भजन 37:29 पढ़िए।

11. जब हम यहोवा के करीब जाते हैं, तो हमें क्या आशीषें मिलती हैं और यहोवा को कैसा लगता है?

11 यहोवा के करीब जाने से हमें और भी कई आशीषें मिलती हैं। जैसे यहोवा ने वादा किया है कि अगर हम सच्चा पश्‍चाताप करें, तो वह हमारे पाप माफ कर देगा। (यशा. 1:18) इस वजह से हमें अपनी गलतियों का भारी बोझ नहीं उठाना पड़ता और हमारा ज़मीर साफ रहता है। (भज. 32:1-5) और जब हम यहोवा के करीब जाते हैं, तो उसका दिल भी खुश होता है। (नीति. 23:15) क्या आप ऐसी और भी आशीषों के बारे में सोच सकते हैं जो आपको यहोवा के करीब जाने से मिली हैं? अब आइए देखें कि लगातार यहोवा के करीब जाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

लगातार ‘परमेश्‍वर के करीब जाने’ के लिए हम क्या कर सकते हैं?

12. यहोवा के और करीब जाने के लिए आपको क्या करते रहना होगा?

12 अगर आपने बपतिस्मा लिया है, तो आपने ज़रूर यहोवा के करीब जाने के लिए कुछ कदम उठाए होंगे। जैसे आपने यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह के बारे में सच्चाई जानी, अपने पापों का पश्‍चाताप किया, यहोवा पर अपना विश्‍वास बढ़ाया और उसकी मरज़ी के मुताबिक जीने की कोशिश की। लेकिन अगर आप यहोवा के और करीब जाना चाहते हैं, तो आपको ये काम करते रहने होंगे।—कुलु. 2:6.

13. यहोवा के और करीब जाने के लिए हमें कौन-से तीन कदम उठाने होंगे?

13 यहोवा के और करीब जाने के लिए हमें क्या करना होगा? (1) हमें हर दिन बाइबल पढ़नी होगी और उसका अध्ययन करना होगा। लेकिन ऐसा करते वक्‍त हमें सिर्फ जानकारी नहीं लेनी है, बल्कि यहोवा की सोच जानने की कोशिश करनी है। हमें यह भी समझना है कि हमारे लिए उसकी क्या मरज़ी है और फिर उस हिसाब से जीना है। (इफि. 5:15-17) (2) हमें उस पर अपना विश्‍वास मज़बूत करना होगा। हम यह कैसे कर सकते हैं? यहोवा ने अलग-अलग तरीकों से हमारे लिए जो प्यार ज़ाहिर किया है, उस पर मनन करके। और (3) हमें उन कामों से नफरत करनी होगी जिनसे यहोवा नफरत करता है। हमें उन लोगों से भी दूर रहना होगा जो बुरे कामों में लगे रहते हैं।—भज. 1:1; 101:3.

14. यहोवा का दिल खुश करने के लिए हम हर दिन क्या कर सकते हैं? (1 कुरिंथियों 10:31) (तसवीरें भी देखें।)

14 1 कुरिंथियों 10:31 पढ़िए। यह बहुत ज़रूरी है कि हम ऐसे कामों में लगे रहें जिनसे यहोवा का दिल खुश होता है। जैसे हमें प्रचार करना चाहिए और सभाओं में जाना चाहिए। लेकिन इतना काफी नहीं है। यहोवा को खुश करने के लिए हमें हर दिन अच्छे काम भी करने हैं। जैसे, हमें हर बात में ईमानदार होना है और हमारे पास जो कुछ है, वह दूसरों के साथ बाँटना है। (2 कुरिं. 8:21; 9:7) हमें अपने जीवन को अनमोल समझना है। हमें खाने-पीने के बारे में सही नज़रिया रखना है और अपनी सेहत का पूरा-पूरा खयाल रखना है। इस तरह हम यहोवा के और करीब आ जाएँगे। और जब यहोवा देखेगा कि हम छोटी-से-छोटी बातों में भी उसका दिल खुश करने की कोशिश कर रहे हैं, तो वह हमसे और भी प्यार करने लगेगा।—लूका 16:10.

तसवीरें: यहोवा को खुश करने के कुछ तरीके हैं: 1. गाड़ी चलाते वक्‍त एहतियात बरतना: एक भाई लाल बत्ती पर अपनी गाड़ी रोके हुए है। 2. अपनी सेहत का खयाल रखना: एक भाई पार्क में तेज़ी से चल रहा है। 3. पौष्टिक खाना खाना: एक कटोरे में तरह-तरह का पौष्टिक खाना है। 4. मेहमान-नवाज़ी करना: एक बुज़ुर्ग बहन का हाथ टूट गया है और वह उसे सहारा देने के लिए कपड़े का एक स्लिंग गले में लटकाए हुए हैं। एक बहन उस बुज़ुर्ग बहन के लिए फूल और कुछ खाना लायी है।

यहोवा को खुश करने के कुछ तरीके हैं: गाड़ी चलाते वक्‍त एहतियात बरतना; कसरत करके और पौष्टिक खाना खाकर अपनी सेहत का खयाल रखना; मेहमान-नवाज़ी करना (पैराग्राफ 14)


15. यहोवा हमसे क्या चाहता है?

15 यहोवा अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोगों का भला करता है। (मत्ती 5:45) और वह चाहता है कि हम भी ऐसा ही करें। इसलिए उसने कहा है कि हम “किसी के बारे में भी बदनाम करनेवाली बातें न कहें, झगड़ालू न हों . . . और सब लोगों के साथ पूरी कोमलता से पेश आएँ।” (तीतु. 3:2) हम यह बात ध्यान में रखते हैं, इसलिए अगर कोई यहोवा को नहीं मानता, तो हम उसे नीची नज़रों से नहीं देखते। (2 तीमु. 2:23-25) हम हर किसी के साथ अच्छे-से पेश आते हैं और इस वजह से यहोवा के और करीब आ जाते हैं।

गलतियाँ होने पर भी हम “परमेश्‍वर के करीब” जा सकते हैं

16. एक वक्‍त पर भजन 73 के लेखक को कैसा लगा?

16 हो सकता है आपसे जो गलतियाँ हुई हैं, उनकी वजह से आपको लगे कि आप यहोवा के प्यार के लायक नहीं हैं। ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? भजन 73 के लेखक के बारे में सोचिए। उसने कहा, “मेरे कदम बहकने ही वाले थे, मेरे पैर फिसलने ही वाले थे।” (भज. 73:2) फिर उसने कहा कि उसका “जी खट्टा हो गया था” और वह “अपनी बुद्धि और समझ खो बैठा था।” उसने यह भी कहा कि वह यहोवा के सामने “निर्बुद्धि जानवर जैसा हो गया था।” (भज. 73:21, 22) पर क्या इस वजह से वह यह मान बैठा कि अब उसके लिए कोई उम्मीद नहीं बची है और यहोवा उससे कभी प्यार नहीं करेगा?

17. (क) जब भजन का लेखक बहुत निराश महसूस कर रहा था, तब उसने क्या किया? (ख) हम उससे क्या सीख सकते हैं? (तसवीरें भी देखें।)

17 अगर भजन के लेखक को ऐसा लगा भी कि यहोवा ने उसे छोड़ दिया है, तो यह सिर्फ कुछ पल के लिए होगा। जब वह बहुत ज़्यादा निराश महसूस कर रहा था, तो उसे एहसास हुआ कि उसे यहोवा के और करीब जाना है। इसलिए उसने लिखा, “मगर [यहोवा] अब मैं हरदम तेरे साथ रहता हूँ, तूने मेरा दायाँ हाथ थाम लिया है। तू मुझे सलाह देकर राह दिखाता है, बाद में तू मुझे सम्मान दिलाएगा।” (भज. 73:23, 24) हम भी जब कमज़ोर या निराश महसूस करते हैं, तो हमें अपनी चट्टान यहोवा पर भरोसा रखना चाहिए कि वह हमारी मदद करेगा। (भज. 73:26; 94:18) भले ही हमारे कदम कुछ पल के लिए बहक जाएँ, हम यहोवा के पास लौट सकते हैं और यकीन रख सकते हैं कि वह “माफ करने को तत्पर रहता है।” (भज. 86:5) और जब हम बहुत ज़्यादा निराश महसूस करते हैं, तब हमें यहोवा के और भी करीब जाना चाहिए।—भज. 103:13, 14.

तसवीरें: 1. एक भाई निराश हैं और बिस्तर पर बैठा हुआ है। 2. बाद में सभा में एक भाई और उनकी पत्नी उससे आकर मिलते हैं। अब वह मुस्कुरा रहा है।

जब हमारा विश्‍वास कमज़ोर होने लगे, तो हमें प्रार्थना करके और सभाओं में हाज़िर होकर यहोवा के और करीब जाना चाहिए (पैराग्राफ 17)


‘परमेश्‍वर के करीब’ जाते रहिए

18. हम क्यों हमेशा यहोवा के करीब जाते रहेंगे?

18 बाइबल में लिखा है कि यहोवा की राहें, उसकी बुद्धि और उसका ज्ञान ‘हमारी समझ से बाहर है!’ (रोमि. 11:33) इसलिए हम कभी-भी यहोवा के बारे में सबकुछ नहीं जान पाएँगे। हम हमेशा उसके बारे में सीखते रहेंगे और उसके करीब जाते रहेंगे।

19. भजन में लिखी बातों से हमें किस बात का यकीन हो जाता है?

19 भजन 79:13 में लिखा है: “हम जो तेरी प्रजा हैं, तेरे चरागाह की भेड़ें हैं, सदा तक तेरा शुक्रिया अदा करते रहेंगे, पीढ़ी-दर-पीढ़ी तेरी तारीफ करते रहेंगे।” जैसे-जैसे हम यहोवा के और करीब जाएँगे, इस बात पर हमारा यकीन बढ़ जाएगा कि वह हमें ढेरों आशीषें देगा। फिर भजन के लेखक की तरह हम भी कह पाएँगे, “परमेश्‍वर वह चट्टान है जो मेरे दिल को मज़बूती देता है, वही सदा के लिए मेरा भाग है।”—भज. 73:26.

आपका जवाब क्या होगा?

  • हमें इस बारे में क्यों सोचना चाहिए कि ‘परमेश्‍वर के करीब जाने’ में हमारी भलाई है?

  • “परमेश्‍वर के करीब जाना” क्यों हमारे लिए अच्छा है?

  • लगातार ‘परमेश्‍वर के करीब जाने’ के लिए हम क्या कर सकते हैं?

गीत 32 यहोवा की ओर हो जा!

a जिन लोगों को बहुत चिंता होती है या जो उदासी में डूबे रहते हैं, उन्हें शायद किसी डॉक्टर के पास जाना पड़े। ज़्यादा जानकारी के लिए प्रहरीदुर्ग, अंक 1 2023 पढ़ें।

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