अध्ययन लेख 18
गीत 65 आगे बढ़!
नौजवान भाइयो, मरकुस और तीमुथियुस जैसे बनिए
“मरकुस को अपने साथ लेते आना क्योंकि वह सेवा के लिए मेरे बहुत काम का है।”—2 तीमु. 4:11.
क्या सीखेंगे?
हम मरकुस और तीमुथियुस के उदाहरण पर ध्यान देंगे और जानेंगे कि यहोवा और भाई-बहनों की बढ़-चढ़कर सेवा करने के लिए नौजवान भाई अपने अंदर कौन-से गुण बढ़ा सकते हैं।
1-2. मरकुस और तीमुथियुस बढ़-चढ़कर यहोवा की सेवा करने से क्यों पीछे हट सकते थे?
नौजवान भाइयो, क्या आप यहोवा की और भाई-बहनों की और भी बढ़-चढ़कर सेवा करना चाहते हैं? हमें यकीन है कि आप ऐसा करना चाहते हैं। आज बहुत-से जवान भाई खुशी-खुशी दूसरों की सेवा करने के लिए आगे आ रहे हैं। उन्हें देखकर हमें बहुत खुशी होती है! (भज. 110:3) लेकिन हो सकता है कि आप किसी वजह से पीछे हट रहे हों। जैसे, आप शायद यह सोचकर डरते हों कि पता नहीं मुझे कहाँ सेवा करनी पड़ेगी और सबकुछ कैसे होगा। या आप यह सोचकर पीछे हट रहे हों कि आपको जो ज़िम्मेदारी मिलेगी आप उसे अच्छी तरह नहीं निभा पाएँगे। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं, तो आप अकेले नहीं हैं।
2 मरकुस और तीमुथियुस को भी शायद ऐसा ही लगा होगा। लेकिन वे यह सोचकर पीछे नहीं हटे कि पता नहीं उन्हें सेवा करने के लिए कहाँ जाना पड़ेगा या वे अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभा पाएँगे या नहीं। जब पौलुस और बरनबास ने मरकुस को अपने पहले मिशनरी दौरे पर साथ चलने के लिए कहा, तब वह शायद अपनी माँ के साथ एक अच्छे-खासे घर में रह रहा था और आराम की ज़िंदगी जी रहा था। (प्रेषि. 12:12, 13, 25) लेकिन बढ़-चढ़कर यहोवा की सेवा करने के लिए उसने खुशी-खुशी वह सब छोड़ दिया। वह सबसे पहले अंताकिया गया। इसके बाद उसने पौलुस और बरनबास के साथ दूर-दराज़ के इलाकों में भी सेवा की। (प्रेषि. 13:1-5) आगे चलकर पौलुस ने तीमुथियुस को भी अपने साथ आने के लिए कहा। ऐसा मालूम होता है कि वह भी अपने माता-पिता के साथ रह रहा था। तीमुथियुस एक नौजवान था और उसे इतना अनुभव नहीं था, इसलिए वह यह सोचकर पीछे हट सकता था कि वह इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी नहीं निभा पाएगा। (1 कुरिंथियों 16:10, 11 और 1 तीमुथियुस 4:12 से तुलना करें।) लेकिन वह पीछे नहीं हटा। वह पौलुस के साथ गया और इस वजह से उसे ढेरों आशीषें मिलीं।—प्रेषि. 16:3-5.
3. (क) हम क्यों कह सकते हैं कि मरकुस और तीमुथियुस पौलुस के दिल के करीब थे? (2 तीमुथियुस 4:6, 9, 11) (तसवीरें भी देखें।) (ख) इस लेख में हम किन सवालों के जवाब जानेंगे?
3 मरकुस और तीमुथियुस ने अपनी जवानी में बड़ी-बड़ी ज़िम्मेदारियाँ निभाना सीखा और इस वजह से पौलुस उनकी बहुत कदर करता था। ये दोनों नौजवान, पौलुस के दिल के इतने करीब थे कि जब उसकी मौत होनेवाली थी, तो उसने इन दोनों को अपने पास बुलाया। (2 तीमुथियुस 4:6, 9, 11 पढ़िए।) मरकुस और तीमुथियुस में कौन-से गुण थे जिस वजह से पौलुस उनसे इतना प्यार करता था? आज नौजवान भाई उनकी तरह कैसे बन सकते हैं? और पौलुस ने एक पिता की तरह जो बढ़िया सलाह दी, उसे मानने से आज नौजवान भाइयों को क्या फायदा हो सकता है?
मरकुस और तीमुथियुस ने जवानी में बड़ी-बड़ी ज़िम्मेदारियाँ निभाना सीखा और इस वजह से पौलुस उनकी बहुत कदर करता था (पैराग्राफ 3)b
मरकुस की तरह सेवा करने के लिए तैयार रहिए
4-5. किस बात से पता चलता है कि मरकुस में सेवा करने का जज़्बा था?
4 बाइबल के बारे में जानकारी देनेवाली एक किताब में बताया है कि दूसरों की सेवा करने का मतलब है, ‘उनकी मदद करने के लिए जी-जान लगा देना और ऐसा करने में लगे रहना।’ मरकुस में ऐसा ही जज़्बा था। जब पौलुस ने अपने दूसरे मिशनरी दौरे पर उसे साथ ले जाने से मना कर दिया, तो मरकुस को शायद बुरा लगा होगा और दुख भी हुआ होगा। (प्रेषि. 15:37, 38) लेकिन क्या इस वजह से वह भाई-बहनों की सेवा करने से पीछे हट गया? जी नहीं।
5 मरकुस अपने भाई बरनबास के साथ एक दूसरी जगह जाकर सेवा करने लगा। इतना ही नहीं, करीब 11 साल बाद उसने पौलुस की भी मदद की। जब पौलुस पहली बार रोम में कैद था, तो वह उसके पास गया और उसका हौसला बढ़ाया। (फिले. 23, 24) पौलुस इस बात के लिए बहुत एहसानमंद था, इसलिए उसने कहा कि मरकुस से उसे “बहुत दिलासा मिला है।”—कुलु. 4:10, 11.
6. प्रौढ़ मसीहियों के साथ वक्त बिताने की वजह से मरकुस को क्या आशीषें मिलीं? (फुटनोट देखें।)
6 प्रौढ़ मसीहियों के साथ वक्त बिताने की वजह से मरकुस को कई आशीषें मिलीं। रोम में पौलुस के साथ कुछ समय बिताने के बाद वह पतरस के पास बैबिलोन गया। मरकुस पतरस का इतना प्यारा हो गया कि उसने उसे अपना “बेटा” कहा। (1 पत. 5:13) पतरस ने ज़रूर अपने जवान दोस्त मरकुस को यीशु की ज़िंदगी और सेवा के बारे में बहुत-सी दिलचस्प बातें बतायी होंगी जो आगे चलकर उसने अपनी खुशखबरी की किताब में लिखीं।a
7. जब भाई सेंग-वू जवान थे, तो उन्होंने कैसे मरकुस जैसा जज़्बा दिखाया? (तसवीर भी देखें।)
7 मरकुस प्रौढ़ भाइयों के साथ मिलकर सेवा करता रहा और उसने अपना जोश कम नहीं होने दिया। आप मरकुस की तरह कैसे बन सकते हैं? हो सकता है, आप मंडली में कोई ज़िम्मेदारी पाना चाहते हों। जैसे, आप एक सहायक सेवक या प्राचीन के तौर पर सेवा करना चाहते हों, लेकिन अब तक आपको यह ज़िम्मेदारी ना मिली हो। ऐसे में निराश मत होइए, बल्कि यहोवा और भाई-बहनों की सेवा करने के अलग-अलग मौके ढूँढ़िए। ज़रा एक प्राचीन के अनुभव पर ध्यान दीजिए जिनका नाम सेंग-वू है। जब वे जवान थे, तो वे अपनी उम्र के दूसरे भाइयों से अपनी तुलना करते थे। उनमें से कुछ भाइयों को मंडली में ज़िम्मेदारियाँ मिली थीं, लेकिन भाई सेंग-वू को कोई ज़िम्मेदारी नहीं मिली, इसलिए भाई को लगने लगा कि प्राचीन उन पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। पर फिर उन्होंने इस बारे में कुछ प्रौढ़ भाइयों से बात की। एक प्राचीन ने उन्हें सलाह दी कि वे भाई-बहनों की सेवा करते रहें, फिर चाहे कोई उन्हें देखे या ना देखे। भाई सेंग-वू ने यह सलाह मानी और वे बुज़ुर्ग भाई-बहनों और दूसरे भाई-बहनों को गाड़ी में सभाओं के लिए लाने-ले-जाने लगे। उस वक्त को याद करते हुए भाई कहते हैं, “तब मुझे समझ आया कि दूसरों की सेवा करना क्या होता है। और मुझे वह खुशी मिली जो दूसरों की मदद करने से मिलती है।”
प्रौढ़ भाइयों के साथ वक्त बिताने से नौजवान भाइयों को क्या फायदा हो सकता है? (पैराग्राफ 7)
तीमुथियुस की तरह दूसरों की परवाह कीजिए
8. पौलुस ने तीमुथियुस को अपना साथी क्यों चुना? (फिलिप्पियों 2:19-22)
8 जब पौलुस उन शहरों में वापस जानेवाला था जहाँ उसका विरोध किया गया था, तो वह ऐसे भाइयों को अपने साथ ले जाना चाहता था जो हिम्मतवाले हों। सबसे पहले उसने सीलास नाम के एक भाई को चुना जो काफी अनुभवी था। (प्रेषि. 15:22, 40) बाद में उसने तीमुथियुस को भी अपने साथ लिया। उसने तीमुथियुस में ऐसी क्या खास बात देखी? एक तो यह कि भाई-बहनों के बीच उसका अच्छा नाम था। (प्रेषि. 16:1, 2) इतना ही नहीं, वह लोगों की सच्चे दिल से परवाह करता था।—फिलिप्पियों 2:19-22 पढ़िए।
9. हम क्यों कह सकते हैं कि तीमुथियुस भाई-बहनों की सच्चे दिल से परवाह करता था?
9 जब पौलुस ने तीमुथियुस के साथ सेवा शुरू की, तो उसने देखा कि वह खुद से ज़्यादा दूसरों की परवाह करता है। इसलिए जब पौलुस को अचानक बिरीया छोड़कर जाना पड़ा, तो उसने तीमुथियुस पर भरोसा किया और उसे वहीं रहने के लिए कहा। उसे यकीन था कि वह वहाँ के भाई-बहनों का हौसला बढ़ाएगा, जो अभी-अभी यीशु के चेले बने थे। (प्रेषि. 17:13, 14) तीमुथियुस के साथ-साथ सीलास भी बिरीया में ही रुक गया। इस दौरान तीमुथियुस ने सीलास से बहुत कुछ सीखा होगा। फिर बाद में पौलुस ने थिस्सलुनीके के भाई-बहनों का हौसला बढ़ाने के लिए तीमुथियुस को अकेले उनके पास भेजा। (1 थिस्स. 3:2) अगले 15 सालों तक तीमुथियुस ने भाई-बहनों के साथ हमदर्दी रखना सीखा। उसने सीखा कि ‘रोनेवालों के साथ रोने’ का क्या मतलब होता है। (रोमि. 12:15; 2 तीमु. 1:4) आज नौजवान भाई कैसे तीमुथियुस की तरह बन सकते हैं?
10. भाई वू-जे ने दूसरों की परवाह करना कैसे सीखा?
10 भाई वू-जे के अनुभव पर ध्यान दीजिए, जिन्होंने दूसरों की परवाह करना सीखा। जब वे जवान थे, तो उन्हें बुज़ुर्ग भाई-बहनों से बात करना बहुत मुश्किल लगता था। राज-घर में वे उन्हें बस हाय-हैलो कहकर चले जाते थे। फिर एक प्राचीन से उनकी बात हुई। उन्होंने भाई वू-जे को बताया कि वे दूसरों से बातचीत शुरू करने के लिए क्या कर सकते हैं। जैसे, वे भाई-बहनों की तारीफ कर सकते हैं और बता सकते हैं कि उन्हें उनकी कौन-सी बात अच्छी लगती है। उस प्राचीन ने उनसे यह भी कहा कि वे इस बारे में भी सोच सकते हैं कि दूसरों को किस विषय पर बात करना अच्छा लगेगा। भाई वू-जे ने उस प्राचीन की सलाह मानी। आज भाई वू-जे खुद एक प्राचीन हैं। वे कहते हैं, “अब मैं हर उम्र के लोगों के साथ आसानी से बात कर पाता हूँ और हमारी अच्छी बातचीत होती है। मैं खुश हूँ कि मैं उनके हालात, उनकी परेशानियाँ समझता हूँ और इस वजह से मैं उनकी अच्छे-से मदद कर पाता हूँ।”
11. नौजवान भाई कैसे मंडली के भाई-बहनों की दिल से परवाह कर सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)
11 नौजवान भाइयो, आप भी मंडली के हरेक भाई-बहन को जानने की कोशिश कीजिए, तभी आप उनकी दिल से परवाह कर पाएँगे। जब आप सभा में आते हैं, तो सब लोगों से बात कीजिए, फिर चाहे वे किसी भी उम्र के हों या किसी भी जगह से हों। उनका हाल-चाल पूछिए और फिर ध्यान से उनकी सुनिए। ऐसा करने से आप जान पाएँगे कि उन्हें क्या मदद चाहिए। हो सकता है आपको पता चले कि किसी बुज़ुर्ग भाई या बहन को JW लाइब्रेरी ऐप चलाना मुश्किल लग रहा है। ऐसे में क्या आप उन्हें ऐप चलाना सिखा सकते हैं? या फिर आपको पता चले कि प्रचार में जाने के लिए उन्हें एक साथी की ज़रूरत है। तो क्या आप उनके साथ प्रचार में जा सकते हैं? जब आप इस तरह आगे बढ़कर दूसरों की मदद करेंगे, तो आप सबके लिए एक अच्छी मिसाल बनेंगे।
नौजवान भाई कई तरीकों से मंडली के भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं (पैराग्राफ 11)
पौलुस की सलाह से फायदा पाइए
12. पौलुस ने तीमुथियुस को जो सलाह दी, उससे आज नौजवान भाइयों को कैसे फायदा हो सकता है?
12 पौलुस के लिए तीमुथियुस एक बेटे जैसा था। उसने उसे बढ़िया सलाह दी जिसे मानने से तीमुथियुस खुश रह पाया और अच्छी तरह यहोवा की सेवा कर पाया। (1 तीमु. 1:18; 2 तीमु. 4:5) नौजवान भाइयो, आप भी पौलुस की उस सलाह से बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसके लिए आपको क्या करना होगा? पौलुस ने तीमुथियुस को जो दो चिट्ठियाँ लिखीं, उन्हें ऐसे पढ़िए जैसे वे आपके लिए लिखी गयी हों। और फिर सोचिए कि आप उनमें दी सलाह को किस तरह मान सकते हैं। आइए पौलुस की कुछ सलाह पर ध्यान दें।
13. यहोवा के लिए हममें गहरा लगाव हो, इसके लिए हमें क्या करना होगा?
13 “परमेश्वर की भक्ति को अपना लक्ष्य बनाकर खुद को प्रशिक्षण देता रह।” (1 तीमु. 4:7ख) “परमेश्वर की भक्ति” का क्या मतलब है? इसका मतलब है, यहोवा के लिए गहरा लगाव होना और उन कामों को करने की ज़बरदस्त इच्छा होना जिनसे यहोवा खुश होता है। यह हममें पैदाइशी नहीं होता। हमें इसे बढ़ाना होता है। यह हम कैसे कर सकते हैं? जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “खुद को प्रशिक्षण देता रह” किया गया है, वह अकसर उन खिलाड़ियों के लिए इस्तेमाल होता था जो किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए खूब मेहनत करते थे और खुद के साथ सख्ती बरतते थे। हमें भी खुद के साथ सख्ती बरतनी होगी। ऐसा करने से हम अच्छी आदतें डाल पाएँगे जिससे हम यहोवा के और करीब आ पाएँगे।
14. (क) हमें बाइबल क्यों पढ़नी चाहिए? (ख) हम यह कैसे कर सकते हैं, इसका एक उदाहरण दीजिए।
14 हर दिन बाइबल पढ़ना एक अच्छी आदत है। लेकिन हमें इसे क्यों पढ़ना चाहिए? क्योंकि हम यहोवा के करीब आना चाहते हैं। आइए एक किस्से पर ध्यान दें कि हम यह कैसे कर सकते हैं। सोचिए आप उस अमीर जवान अधिकारी का किस्सा पढ़ रहे हैं जो यीशु से मिलने आया था। (मर. 10:17-22) उस जवान आदमी को यकीन था कि यीशु ही मसीहा है। लेकिन उसमें इतना विश्वास नहीं था कि वह अपना सबकुछ छोड़कर यीशु का चेला बन जाए। फिर भी यीशु ने “प्यार से उसे देखा” और उससे अच्छे-से बात की। क्या यह बात आपके दिल को नहीं छू जाती? यीशु चाहता था कि वह आदमी एक अच्छा फैसला ले। यीशु की बात से यह भी पता चलता है कि यहोवा उस आदमी से बहुत प्यार करता था। (यूह. 14:9) यह किस्सा पढ़ने के बाद अपने हालात के बारे में सोचिए और खुद से पूछिए, ‘यहोवा के करीब आने के लिए और भाई-बहनों की और भी सेवा करने के लिए मुझे क्या करना होगा?’
15. नौजवान भाइयों को क्यों दूसरों के लिए एक अच्छी मिसाल होना चाहिए? एक उदाहरण दीजिए। (1 तीमुथियुस 4:12, 13)
15 “विश्वासयोग्य लोगों के लिए एक मिसाल बन जा।” (1 तीमुथियुस 4:12, 13 पढ़िए।) पौलुस ने तीमुथियुस से कहा कि वह पढ़ने और सिखाने की कला बढ़ाए। पर उसने यह भी कहा कि वह अपने अंदर प्यार और विश्वास जैसे गुण बढ़ाए और शुद्ध चरित्र बनाए रखे। उसने ऐसा क्यों कहा? क्योंकि लोगों पर हमारी बातों से ज़्यादा हमारे कामों का असर होता है। सोचिए, आपको एक भाषण देना है और प्रचार के लिए भाई-बहनों का जोश बढ़ाना है। अगर आप खुद जोश से प्रचार करते हैं, तो आप पूरे यकीन के साथ दूसरों को भी ऐसा करने का बढ़ावा दे पाएँगे। और जब भाई-बहन देखेंगे कि आप खुद इस मामले में एक अच्छी मिसाल हैं, तो आपकी बातों का उन पर और भी अच्छा असर होगा।—1 तीमु. 3:13.
16. (क) नौजवान मसीही किन पाँच बातों में एक अच्छी मिसाल बन सकते हैं? (ख) एक नौजवान भाई “बोलने में” कैसे एक अच्छी मिसाल बन सकता है?
16 पहला तीमुथियुस 4:12 में पौलुस ने ऐसी पाँच बातों का ज़िक्र किया, जिनमें एक नौजवान भाई दूसरों के लिए अच्छी मिसाल बन सकता है। क्यों ना निजी अध्ययन करते वक्त इन बातों पर खोजबीन करें? मान लीजिए, आप “बोलने में” एक अच्छी मिसाल बनना चाहते हैं। इसके लिए आप क्या कर सकते हैं? सोचिए कि आप अपनी बातों से कैसे दूसरों का हौसला बढ़ा सकते हैं। जैसे, अगर आप अपने मम्मी-पापा के साथ रहते हैं, तो ज़रूर वे आपके लिए बहुत कुछ करते होंगे। क्या आप हर बार दिल से उनका शुक्रिया कर सकते हैं? या सभाओं में जो भाई-बहन भाग पेश करते हैं, क्या आप उन्हें बता सकते हैं कि आपको उनके भाग में कौन-सी बात अच्छी लगी? इसके अलावा क्या आप सभाओं में अपने शब्दों में जवाब देने की कोशिश कर सकते हैं? इस तरह जब आप बोलने में एक अच्छी मिसाल बनने की कोशिश करेंगे, तो सब लोगों को आपकी तरक्की साफ दिखायी देगी।—1 तीमु. 4:15.
17. एक नौजवान भाई यहोवा की सेवा से जुड़े लक्ष्य पाने के लिए क्या कर सकता है? (2 तीमुथियुस 2:22)
17 ‘जवानी में उठनेवाली इच्छाओं से दूर भाग और नेकी हासिल करने में जी-जान से लगा रह।’ (2 तीमुथियुस 2:22 पढ़िए।) पौलुस ने तीमुथियुस से कहा कि वह जवानी में उठनेवाली इच्छाओं से लड़े। वह क्यों? क्योंकि ये इच्छाएँ बढ़-चढ़कर यहोवा की सेवा करने से उसका ध्यान भटका सकती थीं और यहोवा के साथ उसका रिश्ता खराब हो सकता था। अब ज़रा अपने बारे में सोचिए। हो सकता है कि आपके कुछ ऐसे शौक हों जो अपने आप में गलत ना हों, लेकिन उनमें आपका इतना वक्त चला जाता है कि यहोवा की सेवा में और ज़्यादा करने के लिए आपके पास वक्त ही नहीं बचता, जैसे आपको कोई खेल खेलना बहुत पसंद हो, इंटरनेट चलाना या वीडियो गेम खेलना अच्छा लगता हो। क्या आप इन चीज़ों से थोड़ा वक्त निकालकर परमेश्वर की सेवा में लगा सकते हैं? जैसे, क्या आप अपने राज-घर का रख-रखाव करने में हाथ बँटा सकते हैं? या कार्ट लगाकर गवाही देने में हिस्सा ले सकते हैं? अगर आप ऐसा करेंगे तो आप नए दोस्त बना पाएँगे, ऐसे दोस्त जो यहोवा की सेवा में लक्ष्य रखने और उन्हें पाने में आपकी मदद करेंगे।
दूसरों की सेवा करने से आशीषें मिलती हैं
18. बढ़-चढ़कर यहोवा की सेवा करने की वजह से मरकुस और तीमुथियुस को कौन-सी आशीषें मिलीं?
18 बढ़-चढ़कर यहोवा की सेवा करने के लिए मरकुस और तीमुथियुस ने कई त्याग किए और इस वजह से उन्हें ढेरों आशीषें मिलीं। (प्रेषि. 20:35) मरकुस को दूर-दराज़ के इलाकों में जाकर भाई-बहनों की मदद करने का मौका मिला। उसने यीशु की ज़िंदगी और सेवा के बारे में रोमांचक ब्यौरा भी लिखा। वहीं तीमुथियुस नयी मंडलियाँ शुरू करने में और भाई-बहनों का हौसला बढ़ाने में पौलुस की मदद कर पाया। सच में, उन दोनों ने जो भी त्याग किए, उससे यहोवा बहुत खुश हुआ होगा!
19. नौजवान भाइयों को पौलुस की सलाह क्यों माननी चाहिए और इससे उन्हें क्या आशीषें मिलेंगी?
19 पौलुस ने अपने जवान दोस्त तीमुथियुस को जो दो चिट्ठियाँ लिखीं, उनसे साफ पता चलता है कि वह उससे कितना प्यार करता था। पर ये चिट्ठियाँ यहोवा ने हमारे लिए भी लिखवायीं। इससे पता चलता है कि वह आप सभी नौजवान भाइयों से बहुत प्यार करता है। वह चाहता है कि आप उसकी सेवा करें और ढेरों आशीषें पाएँ। इसलिए पौलुस ने एक पिता की तरह इन चिट्ठियों में जो सलाह दी, उसे मानिए। यहोवा और भाई-बहनों की और भी सेवा करने की इच्छा पैदा कीजिए। अगर आप ऐसा करेंगे, तो आप एक बढ़िया ज़िंदगी जी पाएँगे और आनेवाली “असली ज़िंदगी पर अपनी पकड़ मज़बूत” कर पाएँगे।—1 तीमु. 6:18, 19.
गीत 80 “परखकर देखो कि यहोवा कितना भला है”
b तसवीर के बारे में: मिशनरी दौरे पर मरकुस पौलुस और बरनबास की मदद कर रहा है। तीमुथियुस एक मंडली का दौरा कर रहा है और भाई-बहनों का हौसला बढ़ा रहा है।