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  • मत्ती 6:25
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 25 इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ, अपने जीवन के लिए चिंता करना छोड़ दो+ कि तुम क्या खाओगे या क्या पीओगे, न ही अपने शरीर के लिए चिंता करो कि तुम क्या पहनोगे।+ क्या जीवन भोजन से और शरीर कपड़े से अनमोल नहीं?+

  • मत्ती 6:25
    नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
    • 25 इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ: अपनी जान के लिए चिंता करना बंद करो कि तुम क्या खाओगे या क्या पीओगे, न ही अपने शरीर के लिए चिंता करो कि तुम क्या पहनोगे। क्या जीवन, भोजन से और शरीर कपड़े से बढ़कर नहीं? 

  • मत्ती
    यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड—2019 संस्करण
    • 6:25

      यहोवा के करीब, पेज 212

      प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

      1/2021, पेज 3

      खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 37

      प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

      7/2016, पेज 9

      प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

      अंक 2 2016, पेज 12

      प्रहरीदुर्ग,

      1/1/2006, पेज 20-22

      9/1/2003, पेज 14

      11/1/1994, पेज 31

      11/1/1991, पेज 18-19

      2/1/1988, पेज 11-12

  • मत्ती अध्ययन नोट—अध्याय 6
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
    • 6:25

      जीवन: यूनानी शब्द साइखी। यहाँ जब यीशु ने जीवन और शरीर का ज़िक्र किया तो उसका मतलब था, जीता-जागता इंसान।

      चिंता करना छोड़ दो: यहाँ यूनानी क्रिया जिस काल में लिखी है उससे पता चलता है कि एक व्यक्‍ति जो कर रहा है उसे रोकने की आज्ञा दी गयी है। ‘चिंता करने’ के लिए जो यूनानी शब्द है उसका मतलब ऐसी चिंता हो सकता है जिसकी वजह से एक इंसान एक बात पर ध्यान नहीं दे पाता बल्कि कई बातों के बारे में सोचता रहता है और उसकी खुशी छिन जाती है। यही शब्द मत 6:27, 28, 31, 34 में इस्तेमाल हुआ है।

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