वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • उत्पत्ति 3
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

उत्पत्ति का सारांश

      • इंसान के पाप की शुरूआत (1-13)

        • पहला झूठ (4, 5)

      • यहोवा बागियों को सज़ा सुनाता है (14-24)

        • औरत के वंश के बारे में भविष्यवाणी (15)

        • अदन से निकाला गया (23, 24)

उत्पत्ति 3:1

फुटनोट

  • *

    या “सबसे चालाक; सबसे धूर्त।”

संबंधित आयतें

  • +2कुर 11:3; प्रक 12:9; 20:2
  • +उत 2:17

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 26

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    6/2020, पेज 3-4

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    2/2017, पेज 5

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2011, पेज 16-17

    9/1/2004, पेज 14-15

    11/15/2001, पेज 27

    7/1/2001, पेज 19

    2/1/1996, पेज 23

    4/1/1994, पेज 10

    3/1/1990, पेज 26

    2/1/1987, पेज 19-20

उत्पत्ति 3:2

संबंधित आयतें

  • +उत 2:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 26

    प्रहरीदुर्ग,

    3/1/1990, पेज 26

उत्पत्ति 3:3

संबंधित आयतें

  • +उत 2:8, 9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 26

    प्रहरीदुर्ग,

    3/1/1990, पेज 26

उत्पत्ति 3:4

संबंधित आयतें

  • +यूह 8:44; 1यूह 3:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यहोवा के करीब, पेज 120-121

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 26

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    6/2020, पेज 4

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    12/2019, पेज 15

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2018, पेज 6-7

    सिखाती है, पेज 65-66

    प्रहरीदुर्ग: ईश्‍वर हम पर दुख-तकलीफें क्यों आने देता है?,

    4/1/1994, पेज 10

    3/1/1990, पेज 26

    8/1/1990, पेज 9

    बाइबल सिखाती है, पेज 61-63

    ज्ञान, पेज 73

उत्पत्ति 3:5

संबंधित आयतें

  • +उत 3:22

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यहोवा के करीब, पेज 120-121

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 26

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2018, पेज 5-6

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    2/2017, पेज 5

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    8/2016, पेज 9

    सिखाती है, पेज 65-66

    प्रहरीदुर्ग: ईश्‍वर हम पर दुख-तकलीफें क्यों आने देता है?,

    5/15/2011, पेज 16-17

    7/15/2009, पेज 9

    9/1/2004, पेज 14-15

    4/1/1994, पेज 10-13

    3/1/1990, पेज 26

    2/1/1987, पेज 19-20

    बाइबल सिखाती है, पेज 61-63

    संतोष से भरी ज़िंदगी, पेज 23

    ज्ञान, पेज 73

    सर्वदा जीवित रहिए, पेज 100-101

उत्पत्ति 3:6

संबंधित आयतें

  • +2कुर 11:3; 1ती 2:14; याकू 1:14, 15
  • +रोम 5:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 26

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2013, पेज 15

    5/15/2011, पेज 16-17

    11/15/2000, पेज 25-27

    3/1/1990, पेज 26-27

    3/1/1987, पेज 22

उत्पत्ति 3:7

संबंधित आयतें

  • +उत 3:21

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    3/2019, पेज 5

उत्पत्ति 3:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2004, पेज 29

    7/1/2001, पेज 7

उत्पत्ति 3:11

संबंधित आयतें

  • +उत 2:25
  • +उत 2:17

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग, 2/15/2002, पेज 31

उत्पत्ति 3:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2014, पेज 7

    6/15/1997, पेज 15

    2/1/1993, पेज 22

उत्पत्ति 3:13

संबंधित आयतें

  • +2कुर 11:3; 1ती 2:14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सजग होइए!,

    10/8/1998, पेज 22

    प्रहरीदुर्ग,

    3/1/1990, पेज 26-27

    2/1/1987, पेज 20

उत्पत्ति 3:14

संबंधित आयतें

  • +उत 3:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/1/1990, पेज 27-28

    1/1/1988, पेज 20

उत्पत्ति 3:15

फुटनोट

  • *

    शा., “बीज।”

  • *

    या “ज़ख्मी करेगा; घायल करेगा।”

  • *

    या “ज़ख्मी करेगा; कुचलेगा।”

संबंधित आयतें

  • +प्रक 12:9
  • +प्रक 12:1
  • +यूह 8:44; 1यूह 3:10
  • +उत 22:18; 49:10; गल 3:16, 29
  • +प्रक 12:7, 17
  • +प्रक 20:2, 10
  • +मत 27:50; प्रेष 3:15

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2023, पेज 20-21

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    7/2022, पेज 14-19

    यहोवा के करीब, पेज 189-196

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    9/2016, पेज 25-26

    8/2016, पेज 9

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2015, पेज 15

    10/15/2014, पेज 8-9, 13-14

    9/15/2012, पेज 7

    6/15/2012, पेज 7-11, 15, 19

    ब्रोशर

    9/15/2009, पेज 26-27

    5/15/2009, पेज 22

    12/15/2008, पेज 14-16

    11/15/2008, पेज 27

    पेज 5-7, 8-10

    1/1/2007, पेज 22-27

    6/1/2006, पेज 23-24

    2/15/2006, पेज 4, 17, 18-19

    5/1/2005, पेज 11-12

    11/15/2004, पेज 30

    8/15/2000, पेज 13

    7/15/2000, पेज 13

    5/15/2000, पेज 15-16

    4/15/1999, पेज 10-11

    2/1/1998, पेज 9-10, 13, 17-18

    6/1/1997, पेज 8-9

    6/1/1996, पेज 9-14

    2/1/1994, पेज 9

    5/1/1990, पेज 15

    2/1/1990, पेज 10-11

    11/1/1989, पेज 21-22, 24-25

    1/1/1988, पेज 20-21

    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!, पेज 33-35

    परमेश्‍वर का पैगाम, पेज 5, 28

    एकमात्र सच्चा परमेश्‍वर, पेज 33-35

    सर्वदा जीवित रहिए, पेज 116-117

उत्पत्ति 3:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले,

    1/2020, पेज 3

    8/15/1998, पेज 6

    6/15/1997, पेज 15

    9/15/1995, पेज 20-21

    7/15/1995, पेज 11

    8/1/1993, पेज 5-6

    3/1/1990, पेज 28

    4/1/1990, पेज 23

    सजग होइए!,

    1/2006, पेज 18-19

उत्पत्ति 3:17

फुटनोट

  • *

    मतलब “धरती का इंसान; मानवजाति।”

संबंधित आयतें

  • +उत 2:17
  • +उत 5:29
  • +रोम 8:20

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2004, पेज 29

    11/1/1996, पेज 8

    3/1/1990, पेज 28-30

उत्पत्ति 3:19

फुटनोट

  • *

    या “खाना।”

संबंधित आयतें

  • +उत 2:7
  • +भज 104:29; सभ 3:20; 12:7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 3 2019, पेज 8

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2001, पेज 5

    4/1/1999, पेज 16

    5/15/1995, पेज 4

    3/1/1990, पेज 28-30

    सिखाती है, पेज 66-67

    बाइबल सिखाती है, पेज 63

    ज्ञान, पेज 57-58

    सर्वदा जीवित रहिए, पेज 76

उत्पत्ति 3:20

फुटनोट

  • *

    मतलब “जीवित जन।”

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 17:26

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/1999, पेज 17

उत्पत्ति 3:21

संबंधित आयतें

  • +उत 3:7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2018, पेज 28

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2005, पेज 9-10

    3/1/1990, पेज 30

उत्पत्ति 3:22

फुटनोट

  • *

    या “खुद तय करने लगा है।”

संबंधित आयतें

  • +उत 3:5
  • +उत 2:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2109

    प्रहरीदुर्ग: अदन का बाग—क्या यह सच में था?,

    10/15/2003, पेज 27

    11/15/2000, पेज 27

    4/15/1999, पेज 7-8

उत्पत्ति 3:23

संबंधित आयतें

  • +उत 2:8
  • +उत 3:19

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/1/1990, पेज 30

उत्पत्ति 3:24

संबंधित आयतें

  • +भज 80:1; यश 37:16; यहे 10:4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2016, पेज 16-17

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2013, पेज 14

    4/1/2009, पेज 13-14

    3/1/1990, पेज 25-26, 30

    विश्‍वास की मिसाल, पेज 12-13

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

उत्प. 3:12कुर 11:3; प्रक 12:9; 20:2
उत्प. 3:1उत 2:17
उत्प. 3:2उत 2:16
उत्प. 3:3उत 2:8, 9
उत्प. 3:4यूह 8:44; 1यूह 3:8
उत्प. 3:5उत 3:22
उत्प. 3:62कुर 11:3; 1ती 2:14; याकू 1:14, 15
उत्प. 3:6रोम 5:12
उत्प. 3:7उत 3:21
उत्प. 3:11उत 2:25
उत्प. 3:11उत 2:17
उत्प. 3:132कुर 11:3; 1ती 2:14
उत्प. 3:14उत 3:1
उत्प. 3:15प्रक 12:9
उत्प. 3:15प्रक 12:1
उत्प. 3:15यूह 8:44; 1यूह 3:10
उत्प. 3:15उत 22:18; 49:10; गल 3:16, 29
उत्प. 3:15प्रक 12:7, 17
उत्प. 3:15प्रक 20:2, 10
उत्प. 3:15मत 27:50; प्रेष 3:15
उत्प. 3:17उत 2:17
उत्प. 3:17उत 5:29
उत्प. 3:17रोम 8:20
उत्प. 3:19उत 2:7
उत्प. 3:19भज 104:29; सभ 3:20; 12:7
उत्प. 3:20प्रेष 17:26
उत्प. 3:21उत 3:7
उत्प. 3:22उत 3:5
उत्प. 3:22उत 2:9
उत्प. 3:23उत 2:8
उत्प. 3:23उत 3:19
उत्प. 3:24भज 80:1; यश 37:16; यहे 10:4
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
  • 6
  • 7
  • 8
  • 9
  • 10
  • 11
  • 12
  • 13
  • 14
  • 15
  • 16
  • 17
  • 18
  • 19
  • 20
  • 21
  • 22
  • 23
  • 24
पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
उत्पत्ति 3:1-24

उत्पत्ति

3 यहोवा परमेश्‍वर ने जितने भी जंगली जानवर बनाए थे, उन सबमें साँप+ सबसे सतर्क रहनेवाला* जीव था। साँप ने औरत से कहा, “क्या यह सच है कि परमेश्‍वर ने तुमसे कहा है कि तुम इस बाग के किसी भी पेड़ का फल मत खाना?”+ 2 औरत ने साँप से कहा, “हम बाग के सब पेड़ों के फल खा सकते हैं।+ 3 मगर जो पेड़ बाग के बीच में है+ उसके फल के बारे में परमेश्‍वर ने हमसे कहा है, ‘तुम उसका फल मत खाना, उसे छूना तक नहीं, वरना मर जाओगे।’” 4 तब साँप ने औरत से कहा, “तुम हरगिज़ नहीं मरोगे।+ 5 परमेश्‍वर जानता है कि जिस दिन तुम उस पेड़ का फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, तुम परमेश्‍वर के जैसे हो जाओगे और खुद जान लोगे कि अच्छा क्या है और बुरा क्या।”+

6 इसलिए जब औरत ने पेड़ पर नज़र डाली तो उसे लगा कि उसका फल खाने के लिए अच्छा है और वह पेड़ उसकी आँखों को भाने लगा। हाँ, वह दिखने में बड़ा लुभावना लग रहा था। इसलिए वह उसका फल तोड़कर खाने लगी।+ बाद में जब उसका पति उसके साथ था, तो उसने उसे भी फल दिया और वह भी खाने लगा।+ 7 फिर उन दोनों की आँखें खुल गयीं और उन्हें एहसास हुआ कि वे नंगे हैं। इसलिए उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़कर अपने लिए लंगोट जैसे बना लिए।+

8 फिर शाम के वक्‍त जब हवा चल रही थी, आदमी और उसकी पत्नी ने यहोवा परमेश्‍वर की आवाज़ सुनी जो बाग में चला आ रहा था। तब वे दोनों यहोवा परमेश्‍वर से छिपने के लिए पेड़ों के झुरमुट में चले गए। 9 और यहोवा परमेश्‍वर आदमी को पुकारता रहा, “तू कहाँ है?” 10 आखिरकार आदमी ने कहा, “मैंने बाग में तेरी आवाज़ सुनी थी, मगर मैं तेरे सामने आने से डर गया क्योंकि मैं नंगा था। इसलिए मैं छिप गया।” 11 तब परमेश्‍वर ने कहा, “तुझसे किसने कहा कि तू नंगा है?+ क्या तूने उस पेड़ का फल खाया है जिसके बारे में मैंने आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना?”+ 12 आदमी ने कहा, “तूने यह जो औरत मुझे दी है, इसी ने मुझे उस पेड़ का फल दिया और मैंने खाया।” 13 तब यहोवा परमेश्‍वर ने औरत से कहा, “यह तूने क्या किया?” औरत ने जवाब दिया, “साँप ने मुझे बहका दिया इसीलिए मैंने खाया।”+

14 फिर यहोवा परमेश्‍वर ने साँप+ से कहा, “तूने यह जो किया है इस वजह से सब पालतू और जंगली जानवरों में से तू शापित ठहरेगा। तू अपने पेट के बल रेंगा करेगा और सारी ज़िंदगी धूल चाटेगा। 15 और मैं तेरे+ और औरत+ के बीच और तेरे वंश+ और उसके वंश*+ के बीच दुश्‍मनी पैदा करूँगा।+ वह तेरा सिर कुचल डालेगा*+ और तू उसकी एड़ी को घायल करेगा।”*+

16 परमेश्‍वर ने औरत से कहा, “मैं तेरे गर्भ के दिनों का दर्द बहुत बढ़ा दूँगा। तू दर्द से तड़पती हुई बच्चे पैदा करेगी। तू अपने पति का साथ पाने के लिए तरसती रहेगी और वह तुझ पर हुक्म चलाएगा।”

17 और परमेश्‍वर ने आदम* से कहा, “तूने अपनी पत्नी की बात मानकर उस पेड़ का फल खा लिया जिसके बारे में मैंने आज्ञा दी थी कि तू मत खाना।+ इसलिए तेरी वजह से ज़मीन शापित है।+ तू सारी ज़िंदगी दुख-दर्द के साथ इसकी उपज खाया करेगा।+ 18 ज़मीन पर काँटे और कँटीली झाड़ियाँ उगेंगी और तू खेत की उपज खाया करेगा। 19 सारी ज़िंदगी तुझे रोटी* के लिए पसीना बहाना होगा और आखिर में तू मिट्टी में मिल जाएगा क्योंकि तू उसी से बनाया गया है।+ तू मिट्टी ही है और वापस मिट्टी में मिल जाएगा।”+

20 इसके बाद, आदम ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा* रखा क्योंकि वह दुनिया में जीनेवाले सभी इंसानों की माँ बनती।+ 21 और यहोवा परमेश्‍वर ने आदम और उसकी पत्नी के लिए चमड़े की लंबी-लंबी पोशाकें बनायीं।+ 22 फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “अब इंसान इस मायने में हमारे बराबर हो गया है कि वह खुद जानने लगा है* कि अच्छा क्या है और बुरा क्या।+ अब कहीं ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के पेड़+ का फल भी तोड़कर खा ले और हमेशा तक जीता रहे,—” 23 तब यहोवा परमेश्‍वर ने उसे अदन के बाग से बाहर निकाल दिया+ ताकि वह उस ज़मीन को जोते जिसकी मिट्टी से उसे बनाया गया था।+ 24 उसने इंसान को बाहर खदेड़ दिया और जीवन के पेड़ तक जानेवाले रास्ते का पहरा देने के लिए अदन के बाग के पूरब में करूब+ तैनात किए और लगातार घूमनेवाली एक तलवार भी रखी जिससे आग की लपटें निकल रही थीं।

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें