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न्यायियों का सारांश

      • यहूदा और शिमोन की जीत (1-20)

      • यबूसी, यरूशलेम में ही रहते हैं (21)

      • बेतेल पर यूसुफ का कब्ज़ा (22-26)

      • कनानियों को पूरी तरह नहीं खदेड़ा (27-36)

न्यायियों 1:1

संबंधित आयतें

  • +यह 24:29
  • +गि 27:18, 21; न्या 20:18

न्यायियों 1:2

फुटनोट

  • *

    या “कर दिया है।”

संबंधित आयतें

  • +उत 49:8; व्य 33:7; 1इत 5:2

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2005, पेज 24

न्यायियों 1:3

फुटनोट

  • *

    शा., “हिस्सा।”

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  • +यह 15:1; 19:1, 9

न्यायियों 1:4

संबंधित आयतें

  • +व्य 9:3

न्यायियों 1:5

संबंधित आयतें

  • +उत 15:18-21; निर्ग 3:8; न्या 3:5; 1रा 9:20, 21
  • +उत 10:6; व्य 20:17

न्यायियों 1:6

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2005, पेज 24

न्यायियों 1:7

संबंधित आयतें

  • +यह 15:8, 12

न्यायियों 1:8

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  • +यह 15:63; न्या 1:21

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  • +यह 11:16; 15:20, 33

न्यायियों 1:10

संबंधित आयतें

  • +यह 11:21; 15:13, 14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 9/2021, पेज 9

न्यायियों 1:11

संबंधित आयतें

  • +यह 10:38
  • +यह 15:15

न्यायियों 1:12

संबंधित आयतें

  • +गि 13:3, 6; 14:24; व्य 1:35, 36; यह 14:13
  • +यह 15:16-19

न्यायियों 1:13

संबंधित आयतें

  • +न्या 3:9
  • +1इत 4:13

न्यायियों 1:14

फुटनोट

  • *

    या शायद, “ध्यान खींचने के लिए उसने गधे पर बैठे-बैठे ताली बजायी।”

न्यायियों 1:15

फुटनोट

  • *

    मतलब “पानी के कुंड।”

  • *

    या “नेगेब।”

न्यायियों 1:16

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 3:1; 4:18; 18:1; गि 10:29
  • +गि 24:21; न्या 4:11
  • +व्य 34:3; न्या 3:13
  • +गि 21:1
  • +गि 10:29-32

न्यायियों 1:17

फुटनोट

  • *

    मतलब “नाश के लिए ठहराना।”

संबंधित आयतें

  • +लैव 27:29; व्य 20:16
  • +यह 19:1, 4

न्यायियों 1:18

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  • +उत 10:19; यह 11:22
  • +न्या 14:19
  • +यह 13:1-3; 15:20, 45

न्यायियों 1:19

फुटनोट

  • *

    शा., “लोहे के रथ थे।”

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  • +व्य 20:1; यह 17:16

न्यायियों 1:20

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  • +गि 14:24; यह 14:9
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  • +उत 35:6

न्यायियों 1:24

फुटनोट

  • *

    शा., “अटल प्यार।”

न्यायियों 1:25

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  • +यह 6:25; 1शम 15:6

न्यायियों 1:27

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  • +यह 21:8, 25; न्या 5:19
  • +यह 17:11, 12

न्यायियों 1:28

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  • +उत 9:25; 1रा 9:20, 21
  • +गि 33:55; व्य 7:2; 20:16; यह 17:13

न्यायियों 1:29

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  • +यह 16:10; 1रा 9:16

न्यायियों 1:30

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  • +यह 19:15, 16
  • +व्य 20:17; न्या 2:2

न्यायियों 1:31

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  • +यह 11:8; 19:28, 31
  • +यह 19:29, 31
  • +यह 19:30, 31
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न्यायियों 1:33

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  • +यह 19:38, 39
  • +व्य 7:2

न्यायियों 1:34

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न्यायियों 1:36

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  • +गि 34:2, 4; यह 15:3, 12

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

न्यायि. 1:1यह 24:29
न्यायि. 1:1गि 27:18, 21; न्या 20:18
न्यायि. 1:2उत 49:8; व्य 33:7; 1इत 5:2
न्यायि. 1:3यह 15:1; 19:1, 9
न्यायि. 1:4व्य 9:3
न्यायि. 1:5उत 15:18-21; निर्ग 3:8; न्या 3:5; 1रा 9:20, 21
न्यायि. 1:5उत 10:6; व्य 20:17
न्यायि. 1:7यह 15:8, 12
न्यायि. 1:8यह 15:63; न्या 1:21
न्यायि. 1:9यह 11:16; 15:20, 33
न्यायि. 1:10यह 11:21; 15:13, 14
न्यायि. 1:11यह 10:38
न्यायि. 1:11यह 15:15
न्यायि. 1:12गि 13:3, 6; 14:24; व्य 1:35, 36; यह 14:13
न्यायि. 1:12यह 15:16-19
न्यायि. 1:13न्या 3:9
न्यायि. 1:131इत 4:13
न्यायि. 1:16निर्ग 3:1; 4:18; 18:1; गि 10:29
न्यायि. 1:16गि 24:21; न्या 4:11
न्यायि. 1:16व्य 34:3; न्या 3:13
न्यायि. 1:16गि 21:1
न्यायि. 1:16गि 10:29-32
न्यायि. 1:17लैव 27:29; व्य 20:16
न्यायि. 1:17यह 19:1, 4
न्यायि. 1:18उत 10:19; यह 11:22
न्यायि. 1:18न्या 14:19
न्यायि. 1:18यह 13:1-3; 15:20, 45
न्यायि. 1:19व्य 20:1; यह 17:16
न्यायि. 1:20गि 14:24; यह 14:9
न्यायि. 1:20गि 13:22
न्यायि. 1:21यह 15:63; 2शम 5:6
न्यायि. 1:22यह 14:4
न्यायि. 1:22उत 49:22, 24; यह 16:1; भज 44:3
न्यायि. 1:23उत 35:6
न्यायि. 1:25यह 6:25; 1शम 15:6
न्यायि. 1:27यह 21:8, 25; न्या 5:19
न्यायि. 1:27यह 17:11, 12
न्यायि. 1:28उत 9:25; 1रा 9:20, 21
न्यायि. 1:28गि 33:55; व्य 7:2; 20:16; यह 17:13
न्यायि. 1:29यह 16:10; 1रा 9:16
न्यायि. 1:30यह 19:15, 16
न्यायि. 1:30व्य 20:17; न्या 2:2
न्यायि. 1:31यह 11:8; 19:28, 31
न्यायि. 1:31यह 19:29, 31
न्यायि. 1:31यह 19:30, 31
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न्यायि. 1:33व्य 7:2
न्यायि. 1:34यह 19:47; न्या 18:1
न्यायि. 1:35यह 10:12
न्यायि. 1:35यह 19:42, 48
न्यायि. 1:36गि 34:2, 4; यह 15:3, 12
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
न्यायियों 1:1-36

न्यायियों

1 यहोशू की मौत के बाद,+ इसराएलियों ने यहोवा से पूछा,+ “हममें से पहले कौन कनानियों से लड़ने जाएगा?” 2 यहोवा ने कहा, “यहूदा जाएगा।+ देखो! मैं यह देश उनके हवाले कर दूँगा।”* 3 तब यहूदा के गोत्र ने अपने भाई शिमोन के गोत्र से कहा, “मेरे साथ आ और मुझे जो इलाका* दिया गया है+ वहाँ से कनानियों को खदेड़ने में मेरी मदद कर। फिर मैं तेरे इलाके में चलूँगा और तेरी मदद करूँगा।” तब शिमोन का गोत्र उसके साथ गया।

4 यहूदा के लोगों ने जब युद्ध किया, तो यहोवा ने कनानियों और परिज्जियों को उनके हाथ कर दिया।+ और उन्होंने बेजेक में 10,000 आदमियों को हरा दिया। 5 कनानियों और परिज्जियों+ को हराते वक्‍त+ बेजेक में उनका सामना अदोनी-बेजेक से हुआ और वे उससे लड़े। 6 तब अदोनी-बेजेक अपनी जान बचाकर भागने लगा। यहूदा के लोगों ने उसका पीछा किया और उसे धर-दबोचा। उन्होंने उसके हाथ-पैर के अँगूठे काट दिए। 7 तब अदोनी-बेजेक ने कहा, “मैंने 70 राजाओं के हाथ-पैर के अँगूठे कटवाए थे और वे मेरी मेज़ से गिरे टुकड़े खाते थे। जैसा मैंने दूसरों के साथ किया, वैसा ही परमेश्‍वर ने मेरे साथ किया है।” इसके बाद वे उसे यरूशलेम+ ले आए जहाँ उसकी मौत हो गयी।

8 फिर यहूदा के आदमियों ने यरूशलेम से युद्ध करके+ उस पर कब्ज़ा कर लिया। उन्होंने वहाँ के निवासियों को तलवार से मार डाला और शहर को जला दिया। 9 इसके बाद उन्होंने पहाड़ी प्रदेश, नेगेब और शफेलाह में रहनेवाले कनानियों से लड़ाई की।+ 10 फिर यहूदा का गोत्र उन कनानियों से लड़ने गया जो हेब्रोन में रहते थे (हेब्रोन का नाम पहले किरयत-अरबा था)। उन्होंने वहाँ शेशै, अहीमन और तल्मै को मार डाला।+

11 इसके बाद वे दबीर के निवासियों से लड़ने गए।+ (दबीर पहले किरयत-सेपर कहलाता था।)+ 12 तब कालेब+ ने कहा, “जो आदमी किरयत-सेपर पर हमला करके उसे जीत लेगा, उसकी शादी मैं अपनी बेटी अकसा से करवाऊँगा।”+ 13 ओत्नीएल+ ने किरयत-सेपर को जीत लिया। वह कालेब के छोटे भाई कनज का बेटा था+ और कालेब ने अपनी बेटी अकसा की शादी उससे करवा दी। 14 जब अकसा घर जा रही थी तो वह अपने पति से बार-बार कहने लगी कि मेरे पिता से ज़मीन का एक टुकड़ा माँग। फिर वह गधे से उतरी* और कालेब ने उससे पूछा, “तू क्या चाहती है?” 15 अकसा ने कहा, “तेरी यह बेटी तुझसे एक आशीर्वाद चाहती है। मुझे गुल्लोत-मइम* का इलाका दे दे क्योंकि मुझे दक्षिण* में ज़मीन का जो टुकड़ा मिला है वह सूखा है।” इसलिए कालेब ने उसे ऊपरी गुल्लोत और निचला गुल्लोत दिया।

16 मूसा का ससुर+ एक केनी आदमी था, जिसके वंशज+ यहूदा गोत्र के साथ खजूर के पेड़ों के शहर+ से आए थे। वे अराद+ के दक्षिण में यहूदा के वीराने में गए और वहाँ के लोगों के बीच रहने लगे।+ 17 यहूदा के गोत्र ने अपने भाई शिमोन के गोत्र के साथ, सपत शहर के कनानियों पर हमला बोला और उसे पूरी तरह नाश कर दिया।+ इसलिए उन्होंने उस शहर का नाम होरमा* रखा।+ 18 फिर यहूदा ने गाज़ा+ और उसके इलाके, अश्‍कलोन+ और उसके इलाके और एक्रोन+ और उसके इलाके पर कब्ज़ा कर लिया। 19 यहोवा यहूदा के लोगों के साथ था और उन्होंने पहाड़ी प्रदेश को अपने अधिकार में कर लिया और वहाँ बस गए। लेकिन वे मैदानी इलाके में रहनेवाले कनानियों को नहीं खदेड़ पाए क्योंकि उनके पास युद्ध-रथ थे जिनके पहियों में तलवारें लगी हुई थीं।*+ 20 मूसा के वादे के मुताबिक यहूदा के लोगों ने कालेब को हेब्रोन दिया।+ कालेब ने वहाँ से अनाक के तीन बेटों को खदेड़ दिया।+

21 लेकिन बिन्यामीन गोत्र ने यरूशलेम से यबूसियों को नहीं खदेड़ा। इसलिए आज तक यबूसी, यरूशलेम में बिन्यामीन के लोगों के बीच रहते हैं।+

22 इसी दौरान यूसुफ का घराना+ बेतेल शहर से लड़ने निकला और यहोवा उनके साथ था।+ 23 यूसुफ के घराने ने बेतेल (इस शहर का नाम पहले लूज था)+ में कुछ जासूसों को अपने आगे-आगे भेजा। 24 जासूसों ने उस शहर से एक आदमी को बाहर जाते देखा और उससे कहा, “मेहरबानी करके हमें शहर में घुसने का रास्ता दिखा। बदले में हम तुझ पर कृपा* करेंगे।” 25 तब उस आदमी ने उन्हें शहर में घुसने का रास्ता दिखाया और उन्होंने शहर के सभी निवासियों को तलवार से मार डाला। लेकिन उन्होंने उस आदमी और उसके परिवार को छोड़ दिया।+ 26 वह आदमी वहाँ से हित्तियों के देश में गया और उसने अपने लिए एक शहर खड़ा किया। उसने उस शहर का नाम लूज रखा जो आज तक इसी नाम से जाना जाता है।

27 मनश्‍शे गोत्र ने इन शहरों और इनके आस-पास के नगरों पर कब्ज़ा नहीं किया: बेत-शआन, तानाक,+ दोर, यिबलाम और मगिद्दो।+ कनानी लोग इन इलाकों में बसे रहे। 28 जब इसराएली ताकतवर हो गए तो वे कनानियों से जबरन मज़दूरी करवाने लगे।+ मगर उन्होंने कनानियों को पूरी तरह नहीं खदेड़ा।+

29 एप्रैमियों ने भी उन कनानियों को नहीं खदेड़ा जो गेजेर में रहते थे। और कनानी, एप्रैमी लोगों के बीच गेजेर में ही रहे।+

30 जबूलून गोत्र ने कितरोन और नहलोल+ में रहनेवाले कनानियों को नहीं खदेड़ा, वे उनके बीच ही रहे। और जबूलून ने उनसे जबरन मज़दूरी करवायी।+

31 आशेर गोत्र ने अक्को, सीदोन,+ अहलाब, अकजीब,+ हेलबा, अपीक+ और रहोब+ के निवासियों को नहीं खदेड़ा। 32 आशेर के लोग कनानियों के बीच ही रहे क्योंकि उन्होंने कनानियों को वहाँ से नहीं खदेड़ा।

33 नप्ताली गोत्र ने भी बेत-शेमेश और बेतनात+ में रहनेवाले कनानियों को नहीं खदेड़ा बल्कि उनके बीच ही रहे।+ उन्होंने बेत-शेमेश और बेतनात के लोगों से जबरन मज़दूरी करवायी।

34 एमोरियों ने दान के लोगों को मैदानी इलाके में नहीं आने दिया। इसलिए उन्हें पहाड़ी प्रदेश में ही रहना पड़ा।+ 35 एमोरी लोग हेरेस पहाड़, अय्यालोन+ और शालबीम+ के इलाके को नहीं छोड़ रहे थे। बाद में जब यूसुफ का घराना ताकतवर बना, तो उन्होंने एमोरियों पर जीत हासिल करके उनसे कड़ी मज़दूरी करवायी। 36 एमोरियों के इलाके की सरहद अकराबीम की चढ़ाई+ से और सेला से ऊपर की तरफ जाती थी।

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